< إشَعْياء 37 >

وَعِنْدَمَا سَمِعَ الْمَلِكُ حَزَقِيَّا ذَلِكَ الْكَلامَ مَزَّقَ ثِيَابَهُ وَارْتَدَى مِسْحاً وَدَخَلَ إِلَى بَيْتِ الرَّبِّ، ١ 1
जब हिजकिय्याह राजा ने यह सुना, तब वह अपने वस्त्र फाड़ और टाट ओढ़कर यहोवा के भवन में गया।
ثُمَّ أَرْسَلَ أَلِيَاقِيمَ مُدِيرَ شُؤُونِ الْقَصْرِ وَشَبْنَةَ الْكَاتِبَ وَرُؤَسَاءَ الْكَهَنَةِ مُرْتَدِينَ الْمُسُوحَ إِلَى النَّبِيِّ إِشَعْيَاءَ بْنِ آمُوصَ، ٢ 2
और उसने एलयाकीम को जो राजघराने के काम पर नियुक्त था और शेबना मंत्री को और याजकों के पुरनियों को जो सब टाट ओढ़े हुए थे, आमोस के पुत्र यशायाह नबी के पास भेज दिया।
وَقَالُوا لَهُ: يَقُولُ حَزَقِيَّا: «هَذَا الْيَوْمُ يَوْمُ ضِيقٍ وَإِهَانَةٍ وَكَرْبٍ، صِرْنَا فِيهِ كَامْرَأَةٍ تُقَاسِي الْمَخَاضَ وَهِيَ عَاجِزَةٌ عَنِ الْوِلادَةِ. ٣ 3
उन्होंने उससे कहा, “हिजकिय्याह यह कहता है कि ‘आज का दिन संकट और उलाहने और निन्दा का दिन है, बच्चे जन्मने पर हुए पर जच्चा को जनने का बल न रहा।
لَعَلَّ الرَّبَّ إِلَهَكَ قَدْ سَمِعَ وَعِيدَ رَبْشَاقَى الَّذِي أَوْفَدَهُ سَيِّدُهُ مَلِكُ أَشُورَ لِيُهِينَ الإِلَهَ الْحَيَّ، فَيُعَاقِبَهُ الرَّبُّ إِلَهُكَ عَلَى مَا صَدَرَ مِنْهُ مِنْ تَعْييِرٍ، فَصَلِّ مِنْ أَجْلِ الْبَقِيَّةِ النَّاجِيَةِ». ٤ 4
सम्भव है कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने रबशाके की बातें सुनी जिसे उसके स्वामी अश्शूर के राजा ने जीविते परमेश्वर की निन्दा करने को भेजा है, और जो बातें तेरे परमेश्वर यहोवा ने सुनी हैं उसके लिये उन्हें दपटे; अतः तू इन बचे हुओं के लिये जो रह गए हैं, प्रार्थना कर।’”
فَعِنْدَمَا مَثُلَ رِجَالُ حَزَقِيَّا أَمَامَ إِشَعْيَاءَ، ٥ 5
जब हिजकिय्याह राजा के कर्मचारी यशायाह के पास आए।
قَالَ لَهُمْ: «بَلِّغُوا سَيِّدَكُمْ، هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: لَا تَجْزَعْ مِمَّا سَمِعْتَهُ مِنْ تَجْدِيفِ رِجَالِ مَلِكِ أَشُورَ عَلَيَّ، ٦ 6
तब यशायाह ने उनसे कहा, “अपने स्वामी से कहो, ‘यहोवा यह कहता है कि जो वचन तूने सुने हैं जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के जनों ने मेरी निन्दा की है, उनके कारण मत डर।
فَهَا خَبَرٌ سَيئٌ يَرِدُ إِلَيْهِ مِنْ بِلادِهِ يَحْمِلُهُ عَلَى الْعَوْدَةِ إِلَى أَرْضِهِ، حَيْثُ أَقْضِي عَلَيْهِ بِحَدِّ السَّيْفِ فِي عُقْرِ دَارِهِ». ٧ 7
सुन, मैं उसके मन में प्रेरणा उत्पन्न करूँगा जिससे वह कुछ समाचार सुनकर अपने देश को लौट जाए; और मैं उसको उसी देश में तलवार से मरवा डालूँगा।’”
وَعِنْدَمَا عَلِمَ رَبْشَاقَى أَنَّ مَلِكَ أَشُورَ قَدِ ارْتَحَلَ عَنْ لَخِيشَ وَشَرَعَ فِي مُحَارَبَةِ لِبْنَةَ انْسَحَبَ هُوَ أَيْضاً وَانْضَمَّ إِلَيْهِ هُنَاكَ. ٨ 8
तब रबशाके ने लौटकर अश्शूर के राजा को लिब्ना नगर से युद्ध करते पाया; क्योंकि उसने सुना था कि वह लाकीश के पास से उठ गया है।
ثُمَّ بَلَغَ مَلِكَ أَشُورَ أَنَّ تِرْهَاقَةَ مَلِكَ كُوشَ قَدْ خَرَجَ لِمُحَارَبَتِهِ، فَبَعَثَ مَرَّةً أُخْرَى رُسُلَهُ إِلَى حَزَقِيَّا قَائِلاً لَهُمْ: ٩ 9
उसने कूश के राजा तिर्हाका के विषय यह सुना कि वह उससे लड़ने को निकला है। तब उसने हिजकिय्याह के पास दूतों को यह कहकर भेजा।
«هَذَا مَا تُبَلِّغُونَهُ إِلَى حَزَقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا: لَا يَخْدَعَنَّكَ إِلَهُكَ الَّذِي تَتَّكِلُ عَلَيْهِ عِنْدَمَا يَقُولُ: لَنْ تَسْقُطَ أُورُشَلِيمُ فِي قَبْضَةِ مَلِكِ أَشُورَ. ١٠ 10
१०“तुम यहूदा के राजा हिजकिय्याह से यह कहना, ‘तेरा परमेश्वर जिस पर तू भरोसा करता है, यह कहकर तुझे धोखा न देने पाए कि यरूशलेम अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा।
فَهَا أَنْتَ قَدْ عَلِمْتَ بِمَا أَلْحَقَهُ مُلُوكُ أَشُورَ بِكُلِّ الْبُلْدَانِ مِنْ تَدْمِيرٍ كَامِلٍ، فَهَلْ يُمْكِنُ أَنْ تَنْجُوَ أَنْتَ؟ ١١ 11
११देख, तूने सुना है कि अश्शूर के राजाओं ने सब देशों से कैसा व्यवहार किया कि उन्हें सत्यानाश ही कर दिया।
هَلْ أَنْقَذَتْ آلِهَةُ الأُمَمِ الأُخْرَى أَهْلَ جُوزَانَ وَحَارَانَ وَرَصَفَ وَأَبْنَاءَ عَدَنَ فِي تَلَسَّارَ الَّذِينَ أَفْنَاهُمْ آبَائِي؟ ١٢ 12
१२फिर क्या तू बच जाएगा? गोजान और हारान और रेसेप में रहनेवाली जिन जातियों को और तलस्सार में रहनेवाले एदेनी लोगों को मेरे पुरखाओं ने नाश किया, क्या उनके देवताओं ने उन्हें बचा लिया?
أَيْنَ مَلِكُ حَمَاةَ، وَمَلِكُ أَرْفَادَ، وَمَلِكُ مَدِينَةِ سَفَرْوَايِمَ، وَهَيْنَعَ وَعِوَّا؟» ١٣ 13
१३हमात का राजा, अर्पाद का राजा, सपर्वैम नगर का राजा, और हेना और इव्वा के राजा, ये सब कहाँ गए?’”
فَتَنَاوَلَ حَزَقِيَّا الْكِتَابَ مِنْ أَيْدِي الرُّسُلِ وَقَرَأَهُ، ثُمَّ تَوَجَّهَ إِلَى بَيْتِ الرَّبِّ وَبَسَطَهُ أَمَامَهُ، ١٤ 14
१४इस पत्री को हिजकिय्याह ने दूतों के हाथ से लेकर पढ़ा; तब उसने यहोवा के भवन में जाकर उस पत्री को यहोवा के सामने फैला दिया।
وَصَلَّى قَائِلاً: ١٥ 15
१५और यहोवा से यह प्रार्थना की,
«أَيُّهَا الرَّبُّ الْقَدِيرُ، إِلَهُ إِسْرَائِيلَ الْمُتَرَبِّعُ فَوْقَ الْكَرُوبِيمِ، أَنْتَ وَحْدَكَ إِلَهُ كُلِّ مَمَالِكِ الأَرْضِ، وَأَنْتَ وَحْدَكَ صَانِعُ السَّمَاءِ وَالأَرْضِ. ١٦ 16
१६“हे सेनाओं के यहोवा, हे करूबों पर विराजमान इस्राएल के परमेश्वर, पृथ्वी के सब राज्यों के ऊपर केवल तू ही परमेश्वर है; आकाश और पृथ्वी को तू ही ने बनाया है।
أَرْهِفْ يَا رَبُّ أُذُنَيْكَ وَأَصْغِ. افْتَحْ يَا رَبُّ عَيْنَيْكَ وَانْظُرْ، وَاسْمَعْ كُلَّ تَهْدِيدَاتِ سَنْحَارِيبَ الَّتِي بَعَثَ بِها لِيُعَيِّرَ اللهَ الْحَيَّ. ١٧ 17
१७हे यहोवा, कान लगाकर सुन; हे यहोवा आँख खोलकर देख; और सन्हेरीब के सब वचनों को सुन ले, जिसने जीविते परमेश्वर की निन्दा करने को लिख भेजा है।
حَقّاً يَا رَبُّ، إِنَّ مُلُوكَ أَشُّورَ قَدْ أَبَادُوا الأُمَمَ وَدَمَّرُوا دِيَارَهُمْ ١٨ 18
१८हे यहोवा, सच तो है कि अश्शूर के राजाओं ने सब जातियों के देशों को उजाड़ा है
وَطَرَحُوا آلِهَتَهُمْ إِلَى النَّارِ وَأَبَادُوهَا لأَنَّهَا لَمْ تَكُنْ فِعْلاً آلِهَةً بَلْ خَشَباً وَحِجَارَةً صَنْعَةَ أَيْدِي النَّاسِ ١٩ 19
१९और उनके देवताओं को आग में झोंका है; क्योंकि वे ईश्वर न थे, वे केवल मनुष्यों की कारीगरी, काठ और पत्थर ही थे; इस कारण वे उनको नाश कर सके।
فَخَلِّصْنَا الآنَ أَيُّهَا الرَّبُّ إِلَهُنَا، أَنْقِذْنَا مِنْ يَدِهِ، فَتُدْرِكَ مَمَالِكُ الأَرْضِ بِأَسْرِهَا أَنَّكَ أَنْتَ وَحْدَكَ الرَّبُّ الإِلَهُ». ٢٠ 20
२०अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तू हमें उसके हाथ से बचा जिससे पृथ्वी के राज्य-राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है।”
عِنْدَئِذٍ بَعَثَ إِشَعْيَاءُ بْنُ آمُوصَ رِسَالَةً إِلَى حَزَقِيَّا قَائِلاً: «هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ الَّذِي تَضَرَّعْتَ إِلَيْهِ لِيُنْقِذَكَ مِنْ سَنْحَارِيبَ مَلِكِ أَشُورَ ٢١ 21
२१तब आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह के पास यह कहला भेजा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, तूने जो अश्शूर के राजा सन्हेरीब के विषय में मुझसे प्रार्थना की है,
وَهَذَا هُوَ رَدُّ الرَّبِّ عَلَيْهِ: هَا الْعَذْرَاءُ ابْنَةُ صِهْيَوْنَ قَدِ احْتَقَرَتْكَ وَاسْتَهْزَأَتْ بِكَ، وَهَزَّتِ ابْنَةُ أُورُشَلِيمَ رَأْسَهَا سُخْرِيَةً مِنْكَ. ٢٢ 22
२२उसके विषय यहोवा ने यह वचन कहा है, ‘सिय्योन की कुँवारी कन्या तुझे तुच्छ जानती है और उपहास में उड़ाती है; यरूशलेम की पुत्री तुझ पर सिर हिलाती है।
مَنْ عَيَّرْتَ وَجَدَّفْتَ؟ وَعَلَى مَنْ رَفَعْتَ صَوْتَكَ وَشَمَخْتَ بِعَيْنَيْكَ زَهْواً؟ أَعَلَى قُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ؟ ٢٣ 23
२३“‘तूने किसकी नामधराई और निन्दा की है? और तू जो बड़ा बोल बोला और घमण्ड किया है, वह किसके विरुद्ध किया है? इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध!
لَقَدْ عَيَّرْتَ السَّيِّدَ عَلَى لِسَانِ رُسُلِكَ، وَقُلْتَ:’بِكَثْرَةِ مَرْكَبَاتِي قَدْ صَعِدْتُ إِلَى أَعَالِي الْجِبَالِ، وَبَلَغْتُ أَقَاصِي لُبْنَانَ قَاطِعاً أَطْوَلَ أَرْزِهِ وَخِيَارَ سَرْوِهِ وَاخْتَرَقْتُ أَبْعَدَ رُبُوعِهِ وأَفْضَلَ غَابَاتِهِ. ٢٤ 24
२४अपने कर्मचारियों के द्वारा तूने प्रभु की निन्दा करके कहा है कि बहुत से रथ लेकर मैं पर्वतों की चोटियों पर वरन् लबानोन के बीच तक चढ़ आया हूँ; मैं उसके ऊँचे-ऊँचे देवदारों और अच्छे-अच्छे सनोवर वृक्षों को काट डालूँगा और उसके दूर-दूर के ऊँचे स्थानों में और उसके वन की फलदाई बारियों में प्रवेश करूँगा।
قَدْ حَفَرْتُ آبَاراً وَشَرِبْتُ مِيَاهاً، وَبِبَاطِنِ قَدَمَيَّ جَفَّفْتُ جَمِيعَ خُلْجَانِ مِصْرَ.‘ ٢٥ 25
२५मैंने खुदवाकर पानी पिया और मिस्र की नहरों में पाँव धरते ही उन्हें सूखा दिया।
أَلَمْ تَسْمَعْ؟ مُنْذُ زَمَنٍ طَوِيلٍ قَدْ قَدَّرْتُ ذَلِكَ. مُنْذُ الأَيَّامِ الْقَدِيمَةِ قَرَّرْتُهُ وَهَا أَنَا الآنَ أُحَقِّقُهُ، إِذْ أَقَمْتُكَ لِتَدْمِيرِ مُدُنٍ مُحَصَّنَةٍ فَتُحَوِّلُهَا إِلَى رَوَابِي خَرِبَةٍ. ٢٦ 26
२६क्या तूने नहीं सुना कि प्राचीनकाल से मैंने यही ठाना और पूर्वकाल से इसकी तैयारी की थी? इसलिए अब मैंने यह पूरा भी किया है कि तू गढ़वाले नगरों को खण्डहर ही खण्डहर कर दे।
خَارَتْ قُوَى أَهْلِهَا فَأَصْبَحُوا مُرْتَاعِينَ خَجِلِينَ، صَارُوا كَعُشْبِ الْحَقْلِ، كَالنَّبَاتِ الأَخْضَرِ وَكَحَشِيشِ السُّطُوحِ الذَّاوِي قَبْلَ نُمُوِّهِ. ٢٧ 27
२७इसी कारण उनके रहनेवालों का बल घट गया और वे विस्मित और लज्जित हुए: वे मैदान के छोटे-छोटे पेड़ों और हरी घास और छत पर की घास और ऐसे अनाज के समान हो गए जो बढ़ने से पहले ही सूख जाता है।
ولَكِنِّي مُطَّلِعٌ عَلَى حَرَكَاتِكَ وَسَكَنَاتِكَ وَهَيَجَانِكَ عَلَيَّ. ٢٨ 28
२८“‘मैं तो तेरा बैठना, कूच करना और लौट आना जानता हूँ; और यह भी कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता है।
وَلأَنَّ ثَوْرَتَكَ عَلَيَّ وَعَجْرَفَتَكَ قَدْ بَلَغَتَا مَسَامِعِي، فَإِنِّي سَأَضَعُ خِزَامَتِي فِي أَنْفِكَ، وَأَضَعُ لِجَامِي فِي فَمِكَ، وَأُعِيدُكَ فِي نَفْسِ الطَّرِيقِ الَّذِي أَقْبَلْتَ مِنْهُ». ٢٩ 29
२९इस कारण कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता और तेरे अभिमान की बातें मेरे कानों में पड़ी हैं, मैं तेरी नाक में नकेल डालकर और तेरे मुँह में अपनी लगाम लगाकर जिस मार्ग से तू आया है उसी मार्ग से तुझे लौटा दूँगा।’
«وَهَذِهِ عَلامَةٌ لَكَ يَا حَزَقِيَّا: فِي هَذِهِ السَّنَةِ تَأْكُلُونَ مِمَّا يَنْبُتُ مِنْ نَفْسِهِ، وَفِي السَّنَةِ التَّالِيَةِ تَأْكُلُونَ مِمَّا يَنْبُتُ عَنْهُ وَأَمَّا فِي السَّنَةِ الثَّالِثَةِ فَتَزْرَعُونَ فِيهَا وَتَحْصُدُونَ وَتَغْرِسُونَ كُرُوماً وَتَجْنُونَ ثِمَارَهَا. ٣٠ 30
३०“और तेरे लिये यह चिन्ह होगा कि इस वर्ष तो तुम उसे खाओगे जो आप से आप उगें, और दूसरे वर्ष वह जो उससे उत्पन्न हो, और तीसरे वर्ष बीज बोकर उसे लवने पाओगे और दाख की बारियाँ लगाने और उनका फल खाने पाओगे।
وَيعُودُ النَّاجُونَ البَاقُونَ مِنْ بَيْتِ يَهُوذَا فَتَتَأَصَّلُ جُذُورُهُمْ فِي الأَرْضِ وَيَزْدَهِرُونَ وَيَتَكَاثَرُونَ. ٣١ 31
३१और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे और फूलें-फलेंगे;
لأَنَّ مِنْ أُورُشَلِيمَ تَخْرُجُ بَقِيَّةٌ وَمِنْ جَبَلِ صِهْيَوْنَ يَأْتِي النَّاجُونَ فَغَيْرَةُ الرَّبِّ الْقَدِيرِ تَصْنَعُ هَذَا». ٣٢ 32
३२क्योंकि यरूशलेम से बचे हुए और सिय्योन पर्वत से भागे हुए लोग निकलेंगे। सेनाओं का यहोवा अपनी जलन के कारण यह काम करेगा।
لِذَلِكَ، فَهَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ عَنْ مَلِكِ أَشُورَ: «لَنْ يَدْخُلَ هَذِهِ الْمَدِينَةَ وَلَنْ يُطْلِقَ عَلَيْهَا سَهْماً أَوْ يَتَقَدَّمَ نَحْوَهَا بِتُرْسٍ وَلا يُقِيمُ عَلَيْهَا مِقْلاعاً. ٣٣ 33
३३“इसलिए यहोवा अश्शूर के राजा के विषय यह कहता है कि वह इस नगर में प्रवेश करने, वरन् इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा; और न वह ढाल लेकर इसके सामने आने या इसके विरुद्ध दमदमा बाँधने पाएगा।
بَلْ يَرْجِعُ فِي الطَّرِيقِ الَّذِي جَاءَ مِنْهُ وَلَنْ يَدْخُلَ هَذِهِ الْمَدِينَةَ، يَقُولُ الرَّبُّ. ٣٤ 34
३४जिस मार्ग से वह आया है उसी से वह लौट भी जाएगा और इस नगर में प्रवेश न करने पाएगा, यहोवा की यही वाणी है।
لأَنِّي أُدَافِعُ عَنْهَا وَأُنْقِذُهَا مِنْ أَجْلِ نَفْسِي وَإِكْرَاماً لِدَاوُدَ عَبْدِي». ٣٥ 35
३५क्योंकि मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त, इस नगर की रक्षा करके उसे बचाऊँगा।”
وَحَدَثَ فِي تِلْكَ اللَّيْلَةِ أَنَّ مَلاكَ الرَّبِّ قَتَلَ مِئَةً وَخَمْسَةً وَثَمَانِينَ أَلْفاً مِنْ جَيْشِ الأَشُورِيِّينَ، وَمَا إِنْ طَلَعَ الصَّبَاحُ حَتَّى كَانَتْ جُثَثُ الْقَتْلَى تَمْلَأُ الْمَكَانَ ٣٦ 36
३६तब यहोवा के दूत ने निकलकर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हजार पुरुषों को मारा; और भोर को जब लोग उठे तब क्या देखा कि शव ही शव पड़े हैं।
فَانْسَحَبَ سَنْحَارِيبُ مَلِكُ أَشُورَ وَارْتَدَّ إِلَى بِلادِهِ وَمَكَثَ فِي نِينَوَى ٣٧ 37
३७तब अश्शूर का राजा सन्हेरीब चल दिया और लौटकर नीनवे में रहने लगा।
وَفِيمَا هُوَ يَتَعَبَّدُ فِي هَيْكَلِ إِلهِهِ نِسْرُوخَ اغْتَالَهُ ابْنَاهُ أدْرَمَلَّكُ وَشَرَآصَرُ وَفَرَّا إِلَى أَرْضِ أَرَارَاطَ، فَخَلَفَهُ ابْنُهُ آسَرْحَدُّونُ عَلَى الْعَرْشِ. ٣٨ 38
३८वहाँ वह अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में दण्डवत् कर रहा था कि इतने में उसके पुत्र अद्रम्मेलेक और शरेसेर ने उसको तलवार से मारा और अरारात देश में भाग गए। और उसका पुत्र एसर्हद्दोन उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

< إشَعْياء 37 >