< إشَعْياء 25 >

يَا رَبُّ أَنْتَ إِلَهِي، أُعَظِّمُكَ وَأَحْمَدُ اسْمَكَ لأَنَّكَ صَنَعْتَ عَجَائِبَ كُنْتُ قَد قَضَيْتَ بِها مُنْذُ الْقِدَمِ، وَهِيَ حَقٌّ وَصِدْقٌ. ١ 1
याहवेह, आप ही मेरे परमेश्वर हैं; मैं आपकी प्रशंसा करूंगा और आपके नाम की महिमा करूंगा, क्योंकि आपने बड़े अद्भुत काम किए हैं, और उन सनातन योजनाओं को पूरी विश्वस्तता एवं सच्चाई से आपने पूरा किया है.
حَوَّلْتَ الْمَدِينَةَ إِلَى كَوْمَةِ رِكَامٍ، وَالْقَرْيَةَ الْحَصِينَةَ إِلَى أَطْلالٍ، وَلَنْ يَكُونَ قَصْرُ الْغُرَبَاءِ مَدِينَةً بَعْدُ، وَلَنْ يُبْنَى أَبَداً. ٢ 2
आपने नगरों को गिरा दिया, और खंडहर कर दिया, परदेशियों का अब कोई नगर नहीं; और न ही उन्हें फिर बसाया जाएगा.
لِذَلِكَ يُمَجِّدُكَ شَعْبٌ قَوِيٌّ وَتَخْشَاكَ مُدُنٌ آهِلَةٌ بِأُمَمٍ فَظَّةٍ ٣ 3
इसलिये बलवंत प्रजा आपकी महिमा करेगी; और निर्दयी आपका भय मानेंगे.
لأَنَّكَ كُنْتَ حِصْناً لِلْبَائِسِ، وَمَلاذاً مَنِيعاً لِلْمِسْكِينِ فِي ضِيقِهِ، وَمَلْجَأً لَهُ مِنَ الْعَاصِفَةِ، وَظِلًّا تَقِيهِ وَهَجَ الْحَرِّ، لأَنَّ نَفْخَةَ العُتَاةِ كَسَيْلٍ يَرْتَطِمُ بِحَائِطٍ. ٤ 4
दीनों के लिए आप शरणस्थान, और विपत्ति के समय आप उनके लिए ढाल होंगे, दरिद्रों के लिये उनके शरण और रक्षक होंगे.
تُخْرِسُ ضَجِيجَ الْغُرَبَاءِ كَمَا تُطْفِئُ الْحَرَّ فِي أَرْضٍ جَافَّةٍ وَتُسْكِتُ غِنَاءَ العُتَاةِ كَمَا تُبَرِّدُ الْحَرَّ بِظِلِّ سَحَابَةٍ. ٥ 5
जैसे निर्जल देश में बादल से ठंडक होती है; वैसे ही परदेशियों का कोलाहल, और निर्दयी लोगों का जय जयकार शांत हो जाएगा.
فِي هَذَا الْجَبَلِ، فِي أُورُشَلِيمَ، يُقِيمُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ مَأْدُبَةَ مُسَمَّنَاتٍ لِجَمِيعِ الشُّعُوبِ، مَأْدُبَةَ خَمْرٍ صَافِيَةٍ مُعَتَّقَةٍ، مَأْدُبَةَ لُحُومٍ وَأَمْخَاخٍ. ٦ 6
इसी पर्वत पर सर्वशक्तिमान याहवेह सब लोगों को भोजन खिलाएंगे, जिसमें पुराना दाखरस— और उत्तम से उत्तम चिकना भोजन जो अच्छा और स्वादिष्ट होगा.
وَيُمَزِّقُ فِي هَذَا الْجَبَلِ النِّقَابَ الْمَسْدُولَ عَلَى كُلِّ الشُّعُوبِ، وَالْحِجَابَ الَّذِي يُغَطِّي جَمِيعَ الأُمَمِ، ٧ 7
इस पर्वत पर आकर सब जातियों और देशों के बीच जो पर्दा, और दीवार है तोड़ देगा;
وَيُبْتَلَعُ الْمَوْتُ إِلَى الأَبَدِ، وَيَمْسَحُ السَّيِّدُ الرَّبُّ الدُّمُوعَ الْمُنْهَمِرَةَ عَلَى الْوجُوهِ، وَيُزِيلُ عَارَ شَعْبِهِ مِنْ كُلِّ الأَرْضِ. هَذَا مَا تَكَلَّمَ بِهِ الرَّبُّ. ٨ 8
वह सदा-सर्वदा के लिए मृत्यु को नाश करेंगे. और प्रभु याहवेह सभी के चेहरों से आंसुओं को पोंछ देंगे; वह अपने लोगों की निंदा को दूर कर देंगे. याहवेह का यह संदेश है.
وَيَقُولُونَ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ: «هَا هُوَ إِلَهُنَا الَّذِي انْتَظَرْنَاهُ فَخَلَّصَنَا. هَذَا هُوَ الرَّبُّ الَّذِي انْتَظَرْنَاهُ نَبْتَهِجُ وَنَفْرَحُ بِخَلاصِهِ». ٩ 9
उस दिन लोग यह कहेंगे, “कि, यही हैं हमारे परमेश्वर; यही हैं वह याहवेह जिनका हमने इंतजार किया. आओ, हम उनके उद्धार में आनंद मनाएं और प्रसन्‍न रहेंगे.”
لأَنَّ يَدَ الرَّبِّ تَسْتَقِرُّ عَلَى هَذَا الْجَبَلِ وَيُوْطَأُ مُوآبُ فِي مَكَانِهِ كَمَا يُوْطَأُ التِّبْنُ فِي الطِّينِ. ١٠ 10
क्योंकि याहवेह का हाथ सदा बना रहेगा; मोआब उनके द्वारा रौंद दिया जाएगा जिस प्रकार गोबर-कुण्ड में एक तिनके को रौंद दिया जाता है.
وَيَبْسِطُ يَدَيْهِ فِي وَسَطِ مُوآبَ كَمَا يَبْسِطُ السَّابِحُ يَدَيْهِ لِيَسْبَحَ، وَيَخْفِضُ الرَّبُّ مِنْ كِبْرِيَائِهِ وَمِنْ مَكَايِدِ يَدَيْهِ، ١١ 11
जिस प्रकार एक तैराक अपने हाथों को फैलाता है, उसी प्रकार मोआब भी अपने हाथों को फैलाएगा. किंतु याहवेह उसके घमंड को चूर-चूर और उसके हाथों की कुशलता को कमजोर कर देंगे.
وَيَهْدِمُ أَسْوَارَهُ الْحَصِينَةَ الشَّامِخَةَ، وَيَخْفِضُهَا حَتَّى تَتَسَاوَى مَعَ التُّرَابِ. ١٢ 12
याहवेह उसकी दृढ़ शहरपनाह को गिरा देंगे वह उन्हें भूमि पर फेंक देंगे; उन्हें मिट्टी में मिला देंगे.

< إشَعْياء 25 >