< إشَعْياء 23 >

نُبُوءَةٌ بِشَأْنِ صُورَ: وَلْوِلِي يَا سُفُنَ تَرْشِيشَ، لأَنَّ صُورَ قَدْ هُدِمَتْ، فَلَمْ يَبْقَ بَيْتٌ وَلا مَرْفَأٌ. تَمَاماً كَمَا بَلَغَكُمُ النَّبَأُ وَأَنْتُمْ فِي أَرْضِ قُبْرُصَ. ١ 1
सोर के विषय में भारी वचन। हे तर्शीश के जहाजों हाय, हाय, करो; क्योंकि वह उजड़ गया; वहाँ न तो कोई घर और न कोई शरण का स्थान है! यह बात उनको कित्तियों के देश में से प्रगट की गई है।
اصْمُتُوا يَا أَهْلَ السَّاحِلِ، يَا تُجَّارَ صَيْدُونَ، عَابِرِي الْبَحْرِ الَّذِينَ مَلَأْتُمُوهَا، ٢ 2
हे समुद्र के निकट रहनेवालों, जिनको समुद्र के पार जानेवाले सीदोनी व्यापारियों ने धन से भर दिया है, चुप रहो!
فَقَدْ قَدِمَتْ فَوْقَ الْمِيَاهِ الْكَثِيرَةِ سُفُنٌ مُحَمَّلَةٌ بِقَمْحِ شِيحُورَ وَحَصَادِ النِّيلِ، فَصَارَتْ هِيَ مَتْجَرَةَ الأُمَمِ. ٣ 3
शीहोर का अन्न, और नील नदी के पास की उपज महासागर के मार्ग से उसको मिलती थी, क्योंकि वह और जातियों के लिये व्यापार का स्थान था।
فَاخْجَلِي يَا صَيْدَا لأَنَّ الْبَحْرَ وَحِصْنَهُ قَدْ تَكَلَّمَا قَائِلَيْنِ: لَمْ أَتَمَخَّضْ وَلَمْ أَلِدْ، لَمْ أُنْشِئْ شَبَاباً وَلا رَبَّيْتُ عَذَارَى. ٤ 4
हे सीदोन, लज्जित हो, क्योंकि समुद्र ने अर्थात् समुद्र के दृढ़ स्थान ने यह कहा है, “मैंने न तो कभी प्रसव की पीड़ा जानी और न बालक को जन्म दिया, और न बेटों को पाला और न बेटियों को पोसा है।”
عِنْدَمَا يَذِيعُ النَّبَأُ فِي مِصْرَ، يَتَوَجَّعُونَ لأَخْبَارِ صُورَ. ٥ 5
जब सोर का समाचार मिस्र में पहुँचे, तब वे सुनकर संकट में पड़ेंगे।
اعْبُرُوا إِلَى تَرْشِيشَ، انْتَحِبُوا يَا أَهْلَ السَّاحِلِ. ٦ 6
हे समुद्र के निकट रहनेवालों हाय, हाय, करो! पार होकर तर्शीश को जाओ।
أَهَذِهِ هِيَ مَدِينَتُكُمُ الْمُبْتَهِجَةُ الَّتِي نَشَأَتْ مُنْذُ الْقِدَمِ، وَالَّتِي تَنْقُلُهَا قَدَمَاهَا لِلتَغَرُّبِ فِي أَرْضٍ بَعِيدَةٍ؟ ٧ 7
क्या यह तुम्हारी प्रसन्नता से भरी हुई नगरी है जो प्राचीनकाल से बसी थी, जिसके पाँव उसे बसने को दूर ले जाते थे?
مَنْ قَضَى بِهَذَا عَلَى صُورَ وَاهِبَةِ التِّيجَانِ، الَّتِي تُجَّارُهَا أُمَرَاءُ، وَمُتَكَسِّبُوهَا شُرَفَاءُ الأَرْضِ؟ ٨ 8
सोर जो राजाओं को गद्दी पर बैठाती थी, जिसके व्यापारी हाकिम थे, और जिसके महाजन पृथ्वी भर में प्रतिष्ठित थे, उसके विरुद्ध किसने ऐसी युक्ति की है?
إِنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ هُوَ الَّذِي قَضَى بِذَلِكَ، لِيَحُطَّ مِنْ كِبْرِيَاءِ كُلِّ مَجْدٍ، وَلِيُذِلَّ كُلَّ شُرَفَاءِ الأَرْضِ. ٩ 9
सेनाओं के यहोवा ही ने ऐसी युक्ति की है कि समस्त गौरव के घमण्ड को तुच्छ कर दे और पृथ्वी के प्रतिष्ठितों का अपमान करवाए।
امْخُرِي عُبَابَ الْبَحْرِ يَا ابْنَةَ تَرْشِيشَ كَمَا يَخْتَرِقُ النِّيلُ أَرْضَ مِصْرَ إِذْ زَالَ مَرْفَأُكِ مِنَ الوُجُودِ. ١٠ 10
१०हे तर्शीश के निवासियों, नील नदी के समान अपने देश में फैल जाओ, अब कुछ अवरोध नहीं रहा।
بَسَطَ الرَّبُّ يَدَهُ عَلَى الْبَحْرِ، وَزَعْزَعَ مَمَالِكَ، أَصْدَرَ أَمْرَهُ عَلَى كَنْعَانَ كَيْ تُدَمَّرَ حُصُونُهَا، ١١ 11
११उसने अपना हाथ समुद्र पर बढ़ाकर राज्यों को हिला दिया है; यहोवा ने कनान के दृढ़ किलों को नाश करने की आज्ञा दी है।
وَقَالَ: «لَنْ تَعُودِي تُعَرْبِدِينَ أَيَّتُهَا الْعَذْرَاءُ الَّتِي فَقَدَتْ شَرَفَهَا، يَا ابْنَةَ صَيْدُونَ هُبِّي وَاعْبُرِي إِلَى قُبْرُصَ، وَلَكِنَّكِ لَنْ تَجِدِي هُنَاكَ رَاحَةً». ١٢ 12
१२और उसने कहा है, “हे सीदोन, हे भ्रष्ट की हुई कुमारी, तू फिर प्रसन्न होने की नहीं; उठ, पार होकर कित्तियों के पास जा, परन्तु वहाँ भी तुझे चैन न मिलेगा।”
تَأَمَّلِي فِي أَرْضِ الْكَلْدَانِيِّينَ وَانْظُرِي إِلَى شَعْبِهَا، فَهُمْ وَلَيْسَ الأَشُورِيُّونَ الَّذِينَ سَيَجْعَلُونَ صُورَ مَرْتَعاً لِلْوُحُوشِ، وَسَيَنْصِبُونَ حَوْلَهَا أَبْرَاجَهُمْ، وَيَمْسَحُونَ قُصُورَهَا عَنْ وَجْهِ الأَرْضِ، وَيُحَوِّلُونَهَا إِلَى خَرَابٍ. ١٣ 13
१३कसदियों के देश को देखो, वह जाति अब न रही; अश्शूर ने उस देश को जंगली जन्तुओं का स्थान बनाया। उन्होंने मोर्चे बन्दी के अपने गुम्मट बनाए और राजभवनों को ढा दिया, और उसको खण्डहर कर दिया।
انْتَحِبِي يَا سُفُنَ تَرْشِيشَ لأَنَّ حُصُونَكِ قَدْ تَهَدَّمَتْ. ١٤ 14
१४हे तर्शीश के जहाजों, हाय, हाय, करो, क्योंकि तुम्हारा दृढ़ स्थान उजड़ गया है।
وَفِي ذَلِكَ الْيَوْمِ تَظَلُّ صُورُ مَنْسِيَّةً طَوَالَ سَبْعِينَ سَنَةً، كَحِقْبَةِ حَيَاةِ مَلِكٍ وَاحِدٍ، وَفِي نِهَايَةِ السَّبْعِينَ سَنَةً يُصِيبُ صُورَ مِثْلُ مَا جَاءَ فِي أُغْنِيَةِ الْعَاهِرَةِ: ١٥ 15
१५उस समय एक राजा के दिनों के अनुसार सत्तर वर्ष तक सोर बिसरा हुआ रहेगा। सत्तर वर्ष के बीतने पर सोर वेश्या के समान गीत गाने लगेगा।
«خُذِي عُوداً وَطُوفِي فِي الْمَدِيَنةِ أَيَّتُهَا الْعَاهِرَةُ الْمَنْسِيَّةُ. أَتْقِنِي الْعَزْفَ عَلَى الْعُودِ وَأَكْثِرِي الْغِنَاءَ لَعَلَّكِ تُذْكَرِينَ». ١٦ 16
१६हे बिसरी हुई वेश्या, वीणा लेकर नगर में घूम, भली भाँति बजा, बहुत गीत गा, जिससे लोग फिर तुझे याद करें।
وَفِى نِهَايَةِ السَّبْعِينَ سَنَةً يَفْتَقِدُ الرَّبُّ صُورَ، فَتَرْجِعُ إِلَى عَهْدِهَا، وَتَزْنِي مَعَ كُلِّ مَمَالِكِ الأَرْضِ. ١٧ 17
१७सत्तर वर्ष के बीतने पर यहोवा सोर की सुधि लेगा, और वह फिर छिनाले की कमाई पर मन लगाकर धरती भर के सब राज्यों के संग छिनाला करेंगी।
أَمَّا تِجَارَتُهَا وَأُجْرَتُهَا فَتُصْبِحُ قُدْساً لِلرَّبِّ. لَا تُخْزَنُ وَلا تُدَّخَرُ لأَنَّ تِجَارَتَهَا تُوَفِّرُ غِذَاءً وَفِيراً، وَثِيَاباً فَاخِرَةً لِلسَّاكِنِينَ أَمَامَ الرَّبِّ. ١٨ 18
१८उसके व्यापार की प्राप्ति, और उसके छिनाले की कमाई, यहोवा के लिये पवित्र की जाएगी; वह न भण्डार में रखी जाएगी न संचय की जाएगी, क्योंकि उसके व्यापार की प्राप्ति उन्हीं के काम में आएगी जो यहोवा के सामने रहा करेंगे, कि उनको भरपूर भोजन और चमकीला वस्त्र मिले।

< إشَعْياء 23 >