< إشَعْياء 22 >
نُبُوءَةٌ بِشَأْنِ أُورُشَلِيمَ: مَاذَا حَدَثَ حَتَّى إِنَّكُمْ جَمِيعاً صَعِدْتُمْ إِلَى سُطُوحِ الْمَنَازِلِ؟ | ١ 1 |
दर्शन की घाटी के विरुद्ध भविष्यवाणी: क्या हो गया है तुम्हें, तुम सबके सब छतों पर क्यों चढ़ गए हो,
أَيَّتُهَا الْمَدِينَةُ الْمُمْتَلِئَةُ جَلَبَةً، الْعَجَّاجَةُ الْمَرِحَةُ، إِنَّ قَتْلاكِ لَيْسُوا قَتْلَى سَيْفٍ أَوْ صَرْعَى حَرْبٍ. | ٢ 2 |
हे अधर्मी नगर, तुम जो खुशी मनाते थे, तुम्हारे लोग जो मारे गए हैं. वे न तो तलवार से मारे गए, और न ही उनकी मृत्यु युद्ध में हुई.
قَدْ فَرَّ رُؤَسَاؤُكِ جَمِيعاً. أُسِرُوا مِنْ غَيْرِ مُقَاوَمَةٍ. وَسُبِيَ كُلُّ مَنْ عُثِرَ عَلَيْهِ، مَعَ أَنَّهُمْ هَرَبُوا بَعِيداً. | ٣ 3 |
बल्कि वे सब भाग गए; और धनुष के बिना ही बंदी बना लिए गए. और भागे हुओं में जिनको पकड़ा गया, उन्हें बंदी बना लिया गया.
لِذَلِكَ أَقُولُ: «ابْتَعِدُوا عَنِّي لأَبْكِيَ بِمَرَارَةٍ، لَا تَتَكَبَّدُوا جَهْداً فِي تَعْزِيَتِي مِنْ أَجْلِ دَمَارِ ابْنَةِ شَعْبِي». | ٤ 4 |
इसलिये मैं कहता हूं, “अपनी दृष्टि मुझसे हटा लो; मुझे फूट-फूटकर रोने दो. मेरी प्रजा की पुत्री के विनाश के विषय में मुझे तसल्ली देने का प्रयास न करो.”
لأَنَّ لِلسَّيِّدِ الرَّبِّ الْقَدِيرِ فِي أُورُشَلِيمَ يَوْماً يَبُثُّ فِيهِ الرُّعْبَ، وَالذِّلَّةَ، وَالْفَوْضَى. فِيهِ يَنْقُبُ أَهْلُهَا الأَسْوَارَ وَيَسْتَجِيروُنَ بِالْجِبَالِ. | ٥ 5 |
क्योंकि सर्वशक्तिमान याहवेह का दर्शन की घाटी में कोलाहल, रौंदा जाना, बेचैनी, प्राचीनों को गिरा देने और पर्वतों की दोहाई देने का एक दिन निश्चित है.
إِذْ أَنَّ عِيلامَ قَدْ حَمَلَتِ السِّهَامَ وَاجْتَمَعَتْ بِمَرْكَبَاتٍ وَفُرْسَانٍ، وَقِيرَ جَرَّدَتِ الدُّرُوعَ، | ٦ 6 |
एलाम ने घोड़ों पर सवार, तथा रथों के साथ अपना तरकश साथ रख लिया है; और कीर ने ढाल खोल ली है.
فَاكْتَظَّتْ خَيْرُ أَوْدِيَتِكِ بِالْمَرْكَبَاتِ، وَاصْطَفَّ الْفُرْسَانُ عِنْدَ الْبَوَّابَاتِ، | ٧ 7 |
तुम्हारी उत्तम घाटियां रथों से भरी थी, और घोड़े पर सवार द्वार पर खड़े हैं.
لأَنَّ الرَّبَّ هَتَكَ سِتْرَ يَهُوذَا. فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ تَبْحَثُونَ عَنْ سِلاحِ بَيْتِ الْغَابَةِ، | ٨ 8 |
प्रभु ने यहूदाह की सुरक्षा को हटा दिया, उस समय तुम वन के भवन के शस्त्रों पर निर्भर थे.
وَتَجِدُونَ أَنَّ صُدُوعَ مَدِينَةِ دَاوُدَ قَدْ كَثُرَتْ، وَتَجْمَعُونَ الْمِيَاهَ مِنَ الْبُحَيْرَةِ السُّفْلَى، | ٩ 9 |
तुमने देखा कि दावीद के नगर में दरारें बहुत थी; तुमने निचले हिस्से से ही पानी जमा किया.
ثُمَّ تَعُدُّونَ بُيُوتَ أُورُشَلِيمَ وَتَهْدِمُونَ بَعْضاً مِنْهَا لِتُحَصِّنُوا السُّورَ. | ١٠ 10 |
तुमने येरूशलेम के भवनों की गिनती की और नगर को दृढ़ करने के लिए तुमने कई घरों को गिरा दिया.
وَتَبْنُونَ خَزَّاناً بَيْنَ السُّورَيْنِ لِتَخْزِينِ مَاءِ الْبِرْكَةِ الْقَدِيمَةِ مِنْ غَيْرِ أَنْ تَأَبَهُوا لِبَانِيهَا، أَوْ تَكْتَرِثُوا لِمَنْ صَمَّمَهَا مُنْذُ زَمَنٍ بَعِيدٍ. | ١١ 11 |
पुराने तालाब के पानी के लिए दो दीवारों के बीच तुमने एक जलाशय बनाया, किंतु जिसने यह काम पूरा किया, और जिसने इसकी योजना प्राचीन काल में बनाई थी उसे भुला दिया.
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَدْعُوكُمُ السَّيِّدُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ لِلْبُكَاءِ وَالنَّوْحِ وَحَلْقِ الشَّعْرِ وَالتَّنَطُّقِ بِالْمُسُوحِ. | ١٢ 12 |
उस दिन याहवेह ने तुम्हें रोने, सिर मुंडवाने, टाट ओढ़ने के लिए कहा.
وَلَكِنَّكُمُ انْهَمَكْتُمْ بِالْفَرَحِ وَالسُّرُورِ وَذَبْحِ الثِّيَرانِ وَتَضْحِيَةِ الْغَنَمِ وَأَكْلِ اللَّحْمِ وَشُرْبِ الْخَمْرِ قَائِلِينَ: «لِنَأْكُلْ وَنَشْرَبْ لأَنَّنَا غَداً نَمُوتُ». | ١٣ 13 |
यह सब होने पर भी वहां आनंद मनाया जा रहा है, पशुओं का वध और भेड़ों का संहार, मांस और दाखमधु पीकर कहा जा रहा है कि! “आओ हम खाएं-पिएं, क्योंकि कल तो हमारी मृत्यु होनी ही है!”
فَقَالَ لِي الْقَدِيرُ: «لَنْ تُغْفَرَ لَكُمْ آثَامُكُمْ حَتَّى تَمُوتُوا». | ١٤ 14 |
किंतु सर्वशक्तिमान याहवेह ने मुझसे कहा: “यह अपराध तब तक क्षमा नहीं किया जाएगा जब तक तुम्हारी मृत्यु न हो जाए,” प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह ने कहा!
هَكَذَا قَالَ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: «تَوَجَّهْ إِلَى شَبْنَا رَئِيسِ دِيوَانِ الْقَصْرِ وَقُلْ لَهُ: | ١٥ 15 |
फिर प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह ने कहा: “शेबना के उस भंडारी के पास जाओ, जो उस राजपरिवार का चौकीदार है.
مَالَكَ هُنَا، وَمَنْ لَكَ حَتَّى نَقَرْتَ لِنَفْسِكَ ضَرِيحاً، أَيُّهَا النَّاقِرُ لَهُ قَبْراً فِي الأَعَالِي، وَالنَّاحِتُ لِنَفْسِهِ مَسْكَناً فِي الصَّخْرِ؟ | ١٦ 16 |
तुम्हारा यहां क्या काम है और कौन है तुम्हारा यहां, जो तुमने अपने लिए एक कब्र बना ली है, और अपने लिए चट्टान में एक घर बना लिया है?
هَا الرَّبُّ مُزْمِعٌ أَنْ يَطْرَحَكَ بِعُنْفٍ أَيُّهَا الْجَبَّارُ وَيُمْسِكَكَ بِقُوَّةٍ، | ١٧ 17 |
“हे पराक्रमी मनुष्य, सुनो, याहवेह तुम्हें पकड़कर दूर फेंक देंगे.
وَيُلَوِّحَ بِكَ تَلْوِيحاً، وَيَقْذِفَكَ كَكُرَةٍ فِي أَرْضٍ وَاسِعَةٍ، فَتَمُوتُ هُنَاكَ، وَهُنَاكَ أَيْضاً تُطْرَحُ مَرْكَبَاتُ مَجْدِكَ يَا عَارَ بَيْتِ سَيِّدِكَ. | ١٨ 18 |
तुम्हें गेंद के समान लुढ़का देंगे तुम जो अपने स्वामी के लिए लज्जा का कारण हो. वहां तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी और तुम्हारे भव्य रथ वहीं रह जायेंगे.
وَأَطْرُدُكَ مِنْ مَنْصِبِكَ فَتُعْزَلُ مِنْ مَقَامِكَ. | ١٩ 19 |
मैं तुम्हें तुम्हारे ऊंचे पद से हटा दूंगा और.
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ أَدْعُو عَبْدِي أَلْيَاقِيمَ بنَ حِلْقِيَّا، | ٢٠ 20 |
“हिलकियाह के पुत्र एलियाकिम को तुम्हारा पद दूंगा.
وَأَخْلَعُ عَلَيْهِ حُلَّتَكَ، وَأَشُدُّهُ بِمِنْطَقَتِكَ، وَأَعْهَدُ بِسُلْطَانِكَ إِلَى يَدِهِ، فَيُصْبِحُ أَباً لِكُلِّ سُكَّانِ أُورُشَلِيمَ وَلِبَيْتِ يَهُوذَا، | ٢١ 21 |
मैं तुम्हारा वस्त्र उसे पहनाऊंगा और तुम्हारे वस्त्र का कटिबंध उस पर बांध दूंगा, मैं तुम्हारा अधिकार उसे दे दूंगा. वह यहूदाह और येरूशलेम के निवासियों का पिता होगा.
وَأُعْطِيهِ السُّلْطَةَ عَلَى جَمِيعِ شَعْبِي، فَمَا يَأْمُرْ بِهِ يُطَعْ. | ٢٢ 22 |
मैं दावीद वंश का पूरा अधिकार उसे दूंगा. उसके पास उसके पद की कुंजी होगी; वह जो पायेगा उसे कोई बंद नहीं करेगा, और वह जो बंद कर देगा उसे कोई न खोलेगा.
وَأُرَسِّخُهُ كَوَتَدٍ فِي مَوْضِعٍ أَمِينٍ، فَيُصْبِحُ عَرْشَ مَجْدٍ لِبَيْتِ أَبِيهِ. | ٢٣ 23 |
मैं उसे सुरक्षित स्थान में स्थिर कर दूंगा; और वह अपने पिता के वंश के लिए एक वैभव का सिंहासन होगा.
وَيَضَعُونَ عَلَيْهِ كُلَّ مَجْدِ بَيْتِ أَبِيهِ بِفُرُوعِهِ وَأُصُولِهِ، كُلَّ آنِيَةٍ صَغِيرَةٍ مِنْ آنِيَةِ الطُّسُوسِ إِلَى آنِيَةِ القَنَانِيِّ. | ٢٤ 24 |
उस पर उसके पिता के वंश का वैभव, संतान, छोटे पात्र, कटोरे तथा सुराहियों को लटका देंगे.
وَلَكَنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ يَقُولُ، فِي ذَلِكَ الْيَومِ يُقْتَلَعُ الْوَتَدُ الْمُتَرَسِّخُ بِإِحْكَامٍ مِنْ مَوْضِعِهِ الأَمِينِ وَيُسْتأْصَلُ وَيُطْرَحُ عَلَى الأرْضِ وَيَبِيدُ مَعَهُ كُلُّ الَّذِينَ اتَّكَلُوا عَلَيْهِ». | ٢٥ 25 |
“सर्वशक्तिमान याहवेह ने कहा, जो खूंटी सुरक्षित स्थान में स्थिर की गई थी वह उखड़ जाएगी; यहां तक की वह टूटकर बिखर जाएगी, और इस पर लटका बोझ हटा दिया जाएगा,” याहवेह की वाणी है!