< إشَعْياء 19 >
نُبُوءَةٌ بِشَأْنِ مِصْرَ: هَا هُوَ الرَّبُّ قَادِمٌ إِلَى مِصْرَ يَرْكَبُ سَحَابَةً سَرِيعَةً، فَتَرْتَجِفُ أَوْثَانُ مِصْرَ فِي حَضْرَتِهِ، وَتَذُوبُ قُلُوبُ الْمِصْرِيِّينَ فِي دَاخِلِهِمْ. | ١ 1 |
मिस्र के बारे में नबुव्वत देखो ख़ुदावन्द एक तेज़ रू बादल पर सवार होकर मिस्र में आता है, और मिस्र के बुत उसके सामने लरज़ाँ होंगे और मिस्र का दिल पिघल जाएगा।
وَأُثِيرُ مِصْرِيِّينَ عَلَى مِصْرِيِّينَ فَيَتَحَارَبُونَ، وَيَقُومُ الْوَاحِدُ عَلَى أَخِيهِ، وَالْمَدِينَةُ عَلَى الْمَدِينَةِ وَالْمَمْلَكَةُ عَلَى الْمَمْلَكَةِ، | ٢ 2 |
और मैं मिस्रियों को आपस में मुख़ालिफ़ कर दूँगा; उनमें हर एक अपने भाई से और हर एक अपने पड़ोसी से लड़ेगा, शहर — शहर से और सूबे — सूबे से;
فَتَذُوبُ أَرْوَاحُ الْمِصْرِيِّينَ فِي دَاخِلِهِمْ، وَأُبْطِلُ مَشُورَتَهُمْ، فَيَسْأَلُونَ الأَوْثَانَ وَالسَّحَرَةَ وَأَصْحَابَ التَّوَابِعِ وَالْعَرَّافِينَ. | ٣ 3 |
और मिस्र की रूह अफ़सुर्दा हो जाएगी, और मैं उसके मन्सूबे को फ़ना करूँगा; और वह बुतों और अफ़सूँगरों और जिन्नात के यारों और जादूगरों की तलाश करेंगे।
وَأُسَلِّطُ عَلَى الْمِصْرِيِّينَ مَوْلىً قَاسياً، فَيَسُودُ مَلِكٌ عَنِيفٌ عَلَيْهِم. هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ. | ٤ 4 |
लेकिन मैं मिस्रियों को एक सितमगर हाकिम के क़ाबू में कर दूँगा, और ज़बरदस्त बादशाह उन पर सल्तनत करेगा; यह ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज का फ़रमान है।
وَتَنْضُبُ مِيَاهُ النِّيلِ وَتَجِفُّ الأَحْوَاضُ وَتَيْبَسُ. | ٥ 5 |
और दरिया का पानी सूख जाएगा, और नदी ख़ुश्क और ख़ाली हो जाएगी।
تُنْتِنُ الْقَنَوَاتُ، وَتَتَنَاقَصُ تَفَرُّعَاتُ النِّيلِ وَتَجِفُّ، وَيَتْلَفُ الْقَصَبُ وَالْبَرْدِيُّ. | ٦ 6 |
और नाले बदबू हो जाएँगे, और मिस्र की नहरें ख़ाली होंगी और सूख जाएँगी, और बेद और ने मुरझा जाएँगे।
وَتَذْبُلُ النَّبَاتَاتُ عَلَى ضِفَافِ نَهْرِ النِّيلِ، وَالْحُقُولُ وَالْمَزْرُوعَاتُ كُلُّهَا تَجِفُّ، وَكَأَنَّهَا لَمْ تَكُنْ مُخْضَرَّةً. | ٧ 7 |
दरिया-ए-नील के किनारे की चरागाहें और वह सब चीज़ें जो उसके आस — पास बोई जाती हैं मुरझा जायेंगी और बिल्कुल बर्बाद — ओ — हलाक हो जाएँगी।
فَيَئِنُّ الصَّيَّادُونَ وَطَارِحُو الشُّصُوصِ فِي النِّيلِ وَيَنُوحُونَ وَيَتَحَسَّرُ الَّذِينَ يُلْقُونَ شِبَاكَهُمْ فِي الْمِيَاهِ. | ٨ 8 |
तब माहीगीर मातम करेंगे, और वह सब जो दरिया-ए-नील में शस्त डालते हैं ग़मगीन होंगे; और पानी में जाल डालने वाले बहुत बेताब हो जाएँगे।
وَيَتَوَلَّى الْيَأْسُ قُلُوبَ الَّذِينَ يَصْنَعُونَ الْكَتَّانَ الْمُمَشَّطَ، وَيَفْقِدُ حَائِكُو الْكَتَّانِ الْفَاخِرِ كُلَّ أَمَلٍ. | ٩ 9 |
और सन झाड़ने और कतान बुननेवाले घबरा जाएँगे।
وَيُسْحَقُ الرِّجَالُ، وَهُمْ أَعْمِدَةُ الأَرْضِ، وَيَكْتَئِبُ كُلُّ عَامِلٍ أَجِيرٍ. | ١٠ 10 |
हाँ उसके अरकान शिकस्ता और तमाम मज़दूर रंजीदा ख़ातिर होंगे
رُؤَسَاءُ صُوعَنَ حَمْقَى، وَمَشُورَاتُ أَحْكَمِ حُكَمَاءِ فِرْعَوْنَ غَبِيَّةٌ. كَيْفَ تَقُولُونَ لِفِرْعَوْنَ نَحْنُ مِنْ نَسْلِ حُكَمَاءَ، وَأَبْنَاءُ مُلُوكٍ قُدَامَى؟ | ١١ 11 |
जुअन के शहज़ादे बिल्कुल बेवक़ूफ़ हैं फ़िर'औन के सबसे 'अक़्लमन्द सलाहकारों की मश्वरत वहशियाना ठहरी। फिर तुम क्यूँकर फ़िर'औन से कहते हो, कि मैं 'अक़्लमन्दों का फ़र्ज़न्द और शाहान — ए — क़दीम की नसल हूँ?
أَيْنَ حُكَمَاؤُكَ يَا فِرْعَوْنُ لِيُطْلِعُوكَ عَلَى مَا قَضَى بِهِ الرَّبُّ الْقْدِيرُ عَلَى مِصْرَ؟ | ١٢ 12 |
अब तेरे 'अक़्लमन्द कहाँ है? वह तुझे ख़बर दें, अगर वह जानते होते कि रब्ब — उल — अफ़वाज ने मिस्र के हक़ में क्या इरादा किया है।
قَدْ حَمِقَ رُؤَسَاءُ صُوْعَنَ وَانْخَدَعَ أُمَرَاءُ نُوفَ وَأَضَلَّ مِصْرَ شُرَفَاءُ قَبَائِلِهَا | ١٣ 13 |
जुअन के शहज़ादे बेवक़ूफ़ बन गए हैं, नूफ़ के शहज़ादों ने धोखा खाया और जिन पर मिस्री क़बाइल का भरोसा था उन्हीं ने उनको गुमराह किया।
جَعَلَ الرَّبُّ فِيهَا رُوحَ فَوْضَى، فَأَضَلُّوا مِصْرَ فِى كُلِّ تَصَرُّفَاتِهَا، حَتَّى تَرَنَّحَتْ كَتَرَنُّحِ السَّكْرَانِ فِي قَيْئِهِ. | ١٤ 14 |
ख़ुदावन्द ने कजरवी की रूह उनमें डाल दी है और उन्होंने मिस्रियों को उनके सब कामों में उस मतवाले की तरह भटकाया जो उलटी करते हुए डगमगाता है।
فَلَمْ يَبْقَ لِعُظَمَائِهَا أَوْ أَدْنِيَائِهَا مَا يَفْعَلُونَهُ فِيهَا. | ١٥ 15 |
और मिस्रियों का कोई काम न होगा, जो सिर या दुम या ख़ास — ओ — 'आम कर सके।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَرْتَعِدُ الْمِصْرِيُّونَ كَالنِّسَاءِ خَوْفاً مِنْ يَدِ الرَّبِّ الْقَدِيرِ الَّتِي يَهُزُّهَا فَوْقَهُمْ. | ١٦ 16 |
उस वक़्त रब्ब — उल — अफ़वाज के हाथ चलाने से जो वह मिस्र पर चलाएगा, मिस्री 'औरतों की तरह हो जायेंगे, और हैबतज़दह और परेशान होंगे।
وتَغْدُو أَرْضُ يَهُوذَا مَثَارَ رُعْبٍ لِلْمِصْرِيِّينَ فَيَعْتَرِيهَا الْفَزَعُ مِنْ ذِكْرِهَا لأَنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ قَدْ قَضَى قَضَاءَهُ عَلَى مِصْرَ. | ١٧ 17 |
तब यहूदाह का मुल्क मिस्र के लिए दहशत नाक होगा, हर एक जिससे उसका ज़िक्र हो ख़ौफ़ खाएगा; उस इरादे की वजह से जो रब्ब — उल — अफ़वाज ने उनके ख़िलाफ़ कर रख्खा है।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَكُونُ فِي دِيَارِ مِصْرَ خَمْسُ مُدُنٍ تَنْطِقُ بِلُغَةِ كَنْعَانَ، وَتَحْلِفُ بِالْوَلاءِ لِلرَّبِّ الْقَدِيرِ، وَتُدْعَى إِحْدَاهَا مَدِينَةَ الشَّمْسِ. | ١٨ 18 |
उस रोज़ मुल्क — ए — मिस्र में पाँच शहर होंगे जो कना'नी ज़बान बोलेंगे, और रब्ब — उल — अफ़वाज की क़सम खाएँगे; उनमें से एक का नाम शहर — ए — आफ़ताब होगा।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يُقَامُ مَذْبَحٌ لِلرَّبِّ فِي وَسَطِ دِيَارِ مِصْرَ، وَيَرْتَفِعُ نُصُبٌ لِلرَّبِّ عِنْدَ تُخُومِهَا، | ١٩ 19 |
उस वक़्त मुल्क — ए — मिस्र के वस्त में ख़ुदावन्द का एक मज़बह और उसकी सरहद पर ख़ुदावन्द का एक सुतून होगा।
فَيَكُونُ عَلامَةً وَشَهَادَةً لِلرَّبِّ الْقَدِيرِ فِي دِيَارِ مِصْرَ، لأَنَّهُمْ يَسْتَغِيثُونَ بِالرَّبِّ مِنْ مُضَايِقِيهِمْ، فَيَبْعَثُ إِلَيْهِمْ مُخَلِّصاً وَمُدَافِعاً يُنْقِذُهُمْ. | ٢٠ 20 |
और वह मुल्क — ए — मिस्र में रब्ब — उल — अफ़वाज के लिए निशान और गवाह होगा; इसलिए कि वह सितमगरों के ज़ुल्म से ख़ुदावन्द से फ़रियाद करेंगे, और वह उनके लिए रिहाई देने वाला और हामी भेजेगा, और वह उनको रिहाई देगा।
فَيُعْلِنُ الرَّبُّ نَفْسَهُ لِلْمِصْرِيِّينَ. وَفِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَعْبُدُونَهُ وَيُقَدِّمُونَ ذَبِيحَةً وَقَرَابِينَ وَيَنْذِرُونَ لِلرَّبِّ نُذُوراً وَيُوفُونَ بِها. | ٢١ 21 |
और ख़ुदावन्द अपने आपको मिस्रियों पर ज़ाहिर करेगा और उस वक़्त मिस्री ख़ुदावन्द को पहचानेंगे, और ज़बीहे और हदिये पेश करेंगे; हाँ, वह ख़ुदावन्द के लिए मिन्नत माँनेंगे और अदा करेंगे।
وَيَضْرِبُ الرَّبُّ مِصْرَ؛ يَضْرِبُهَا وَيُبْرِئُهَا، فَيَرْجِعُ أَهْلُهَا تَائِبِينَ إِلَى الرَّبِّ فَيَسْتَجِيبُ دُعَاءَهُمْ وَيَشْفِيهِمْ. | ٢٢ 22 |
और ख़ुदावन्द मिस्रियों को मारेगा, मारेगा और शिफ़ा बख़्शेगा; और वह ख़ुदावन्द की तरफ़ रूजू' लाएँगे और वह उनकी दुआ सुनेगा, और उनको सेहत बख़्शेगा।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَمْتَدُّ طَرِيقٌ مِنْ مِصْرَ إِلَى أَشُّورَ، وَمِنْ أَشُّورَ إِلَى مِصْرَ، فَيَعْبُدُ الْمِصْرِيُّونَ وَالأَشُّورِيُّونَ الرَّبَّ مَعاً. | ٢٣ 23 |
उस वक़्त मिस्र से असूर तक एक शाह — ए — राह होगी और असूरी मिस्र में आएँगें और मिस्री असूर को जाएँगे, मिस्री असूरियों के साथ मिलकर इबादत करेंगे।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَكُونُ إِسْرَائِيلُ ثَالِثَ ثَلاثَةٍ مَعَ مِصْرَ وَأَشُّورَ، وَبَرَكَةً فِي وَسَطِ الأَرْضِ، | ٢٤ 24 |
तब इस्राईल मिस्र और असूर के साथ तीसरा होगा, और इस ज़मीन पर बरकत का ज़रिए' आ ठहरेगा।
فَيُبَارِكُهُمُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ قَائِلاً: «مُبَارَكٌ شَعْبِي مِصْرُ، وَصَنْعَةُ يَدِي أَشُّورُ، وَمِيرَاثِي إِسْرَائِيلُ». | ٢٥ 25 |
क्यूँकि रब्ब — उल — अफ़वाज उनको बरकत बख़्शेगा और फ़रमाएगा मुबारक हो मिस्री मेरी उम्मत असूर मेरे हाथ की सन'अत और इस्राईल मेरी मीरास।