< إشَعْياء 18 >
وَيْلٌ لأَرْضِ حَفِيفِ الأَجْنِحَةِ فِي عَبْرِ أَنْهَارِ كُوشَ، | ١ 1 |
हाय कूश नदी के दूसरी ओर के देश पर जहां पंखों की फड़फड़ाहट की आवाज सुनाई देती है,
الَّتِي تَبْعَثُ رُسُلاً فِي الْبَحْرِ فِي قَوَارِبِ الْبَرْدِيِّ السَّابِحَةِ فَوْقَ الْمِيَاهِ، امْضُوا أَيُّهَا الرُّسُلُ الْمُسْرِعُونَ إِلَى شَعْبٍ طِوَالِ الْقَامَةِ جُرْدٍ، إِلَى شَعْبٍ بَثَّ الرُّعْبَ فِي الْقَاصِي وَالدَّانِي، إِلَى قَوْمٍ أَقْوِيَاءَ وَقَاهِرِينَ تَشْطُرُ الأَنْهَارُ أَرْضَهُمْ. | ٢ 2 |
वह जो पानी में पपीरस नौकाओं में समुद्र के द्वारा दूत भेजता है, तुम जो स्वस्थ और लंबे डीलडौल के हो, उस देश में उन लोगों के पास जाओ, जहां दूर-दूर तक जिनका डर मन में है, तथा जो देश सिद्ध एवं सुंदर है, और जिनके बीच से नदियां बहती हैं.
يَا جَمِيعَ أَهْلِ الأَرْضِ وَالسَّاكِنِينَ فِيهَا، عِنْدَمَا تَرْتَفِعُ رَايَةٌ عَلَى الْجِبَالِ فَانْظُرُوا، وَعِنْدَمَا يُدَوِّي نَفِيرُ بُوقٍ فَاسْمَعُوا. | ٣ 3 |
हे सारी पृथ्वी के लोगों सुनो, जब पर्वतों पर झंडा ऊंचा किया जाए और जब तुरही फूंकी जायेगी,
لأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ الرَّبُّ لِي: سَأَمْكُثُ هَادِئاً نَاظِراً مِنْ مَقَرِّ سُكْنَايَ، كَحَرٍّ صَافٍ تَحْتَ أَشِعَّةِ الشَّمْسِ أَوْ كَسَحَابِ الطَّلِّ فِي حَرِّ الْحَصَادِ | ٤ 4 |
तब याहवेह ने मुझसे कहा, “सूर्य की तेज धूप तथा कटनी के समय ओस के बादल में रहकर मैं चुपचाप देखूंगा.”
لأَنَّهُ قَبْلَ الْحَصَادِ عِنْدَمَا يَتِمُّ تَفَتُّحُ الزَّهْرِ، وَيَتَحَوَّلُ الزَّهْرُ إِلَى عِنَبٍ نَاضِجٍ، فَإِنَّهُ يَقْطَعُ الْفُرُوعَ بِالْمَنَاجِلِ، وَيَنْزَعُ الأَغْصَانَ الْمُمْتَدَّةَ وَيَطْرَحُهَا، | ٥ 5 |
क्योंकि जैसे ही कलियां खिल जाएं और फूल पके हुए दाख बन जाएं, तब याहवेह टहनी से वह अंकुरों को छांटेंगे, और बढ़ती हुई डालियों को काटकर अलग कर देंगे.
وَتُتْرَكُ كُلُّهَا لِجَوَارِحِ الْجِبَالِ وَوُحُوشِ الأَرْضِ، فَتَلْتَهِمُهَا الْجَوَارِحُ فِي الصَّيْفِ، وَتَتَغَذَّى بِها الْوُحُوشُ فِي الشِّتَاءِ». | ٦ 6 |
जो मांसाहारी पक्षियों और पृथ्वी के पशुओं के लिए होगा; मांसाहारी पक्षी इन पर धूप में, तथा पृथ्वी के पशु इस पर सर्दी में बैठेंगे.
فِي ذَلِكَ الْوَقْتِ يُقَدِّمُ الشَّعْبُ الطَّوِيلُ الْقَامَةِ الأَجْرَدُ، الَّذِي بَثَّ الرُّعْبَ فِي الْقَاصِي وَالدَّانِي، الأُمَّةُ الْقَوِيَّةُ الْقَاهِرَةُ الَّتِي تَشْطُرُ الأَنْهَارُ أَرْضَهَا، هَدَايَا إِلَى الرَّبِّ الْقَدِيرِ فِي جَبَلِ صِهْيَوْنَ، مَوْضِعِ اسْمِ الرَّبِّ الْقَدِيرِ. | ٧ 7 |
स्वस्थ और लंबे डीलडौल के लोग जो अजीब भाषा का, आक्रामक राष्ट्र हैं, जिन्हें दूर और पास के सब लोग डरते हैं, और जो देश सिद्ध एवं सुंदर है, जिसके बीच से नदियां बहती हैं— उनकी ओर से उस समय सेनाओं के याहवेह के नाम में प्रतिष्ठित ज़ियोन पर्वत पर भेंट लाई जाएगी.