< تكوين 49 >
ثُمَّ اسْتَدْعَى يَعْقُوبُ أَبْنَاءَهُ وَقَالَ: «الْتَفُّوا حَوْلِي لأُنْبِئَكُمْ بِمَا سَيَحْدُثُ لَكُمْ فِي الأَيَّامِ الْمُقْبِلَةِ. | ١ 1 |
और या'क़ूब ने अपने बेटों को यह कह कर बुलवाया कि तुम सब जमा' हो जाओ, ताकि मैं तुम को बताऊँ कि आख़िरी दिनों में तुम पर क्या — क्या गुज़रेगा।
اجْتَمِعُوا وَاسْمَعُوا يَا أَبْنَاءَ يَعْقُوبَ، وَأَصْغَوْا إِلَى إِسْرَائِيلَ أَبِيكُمْ. | ٢ 2 |
ऐ, या'क़ूब के बेटों जमा' हो कर सुनो, और अपने बाप इस्राईल की तरफ़ कान लगाओ।
رَأُوبَيْنُ أَنْتَ بِكْرِي وَقُوَّتِي وَأَوَّلُ مَظْهَرِ رُجُولَتِي، فَضْلُ الرِّفْعَةِ وَفَضْلُ الْعِزِّ | ٣ 3 |
ऐ रूबिन! तू मेरा पहलौठा, मेरी क़ुव्वत और मेरी शहज़ोरी का पहला फल है। तू मेरे रौब की और मेरी ताक़त की शान है।
لَكِنَّكَ فَائِرٌ كَالْمَاءِ لِذَلِكَ لَنْ تَظَلَّ مُتَفَوِّقاً، لأَنَّكَ اضْطَجَعْتَ فِي فِرَاشِ أَبِيكَ. صَعِدْتَ عَلَى سَرِيرِي فَدَنَّسْتَهُ. | ٤ 4 |
तू पानी की तरह बे सबात है, इसलिए मुझे फ़ज़ीलत नहीं मिलेगी क्यूँकि तू अपने बाप के बिस्तर पर चढ़ा तूने उसे नापाक किया; रूबिन मेरे बिछोने पर चढ़ गया।
شِمْعُونُ وَلاوِي أَخَوَانِ سُيُوفُهُمَا آلاتُ ظُلْمٍ. | ٥ 5 |
शमौन और लावी तो भाई — भाई हैं, उनकी तलवारें ज़ुल्म के हथियार हैं।
فَيَا نَفْسِي لَا تَدْخُلِي فِي مَجْلِسِهِمَا، وَيَا رُوحِي لَا تَنْضَمِّي إِلَى مَجْمَعِهِمَا. | ٦ 6 |
ऐ मेरी जान! उनके मधरे में शरीक न हो, ऐ मेरी बुज़ुर्गी! उनकी मजलिस में शामिल न हो, क्यूँकि उन्होंने अपने ग़ज़ब में एकआदमी को क़त्ल किया, और अपनी खुदराई से बैलों की कूँचें काटीं।
لأَنَّهُمَا فِي غَضَبِهِمَا يَقْتُلانِ النَّاسَ، وَفِي رِضَاهُمَا يُعَرْقِلانِ الثِّيرَانَ. مَلْعُونٌ سْخْطُهُمَا لأَنَّهُ عَنِيفٌ وَغَضَبُهُمَا لأَنَّهُ ضَارٍ. أُفَرِّقُهُمَا فِي يَعْقُوبَ وَأُشَتِّتُهُمَا فِي إِسْرَائِيلَ. | ٧ 7 |
ला'नत उनके ग़ज़ब पर, क्यूँकि वह तुन्द था। और उनके क़हर पर, क्यूँकि वह सख़्त था; मैं उन्हें या'क़ूब में अलग अलग और इस्राईल में बिखेर दूँगा।
يَهُوذَا، إِيَّاكَ يَحْمَدُ إِخْوَتُكَ، وَتَكُونُ يَدُكَ عَلَى عُنُقِ أَعْدَائِكَ، وَيَسْجُدُ لَكَ بَنُو أَبِيكَ. | ٨ 8 |
ऐ यहूदाह, तेरे भाई तेरी मदह करेंगे, तेरा हाथ तेरे दुश्मनों की गर्दन पर होगा। तेरे बाप की औलाद तेरे आगे सिज्दा करेगी।
يَهُوذَا شِبْلُ أَسَدٍ، عَنْ فَرِيسَةٍ قُمْتَ يَا ابْنِي. ثُمَّ جَثَا وَرَبَضَ كَأَسَدٍ أَوْ كَلَبْوَةٍ، فَمَنْ يَجْرُؤُ عَلَى إِثَارَتِهِ؟ | ٩ 9 |
यहूदाह शेर — ए — बबर का बच्चा है ऐ मेरे बेटे! तू शिकार मार कर चल दिया है। वह शेर — ए — बबर, बल्कि शेरनी की तरह दुबक कर बैठ गया, कौन उसे छेड़े?
لَا يَزُولُ صَوْلَجَانُ الْمُلْكِ مِنْ يَهُوذَا وَلا مُشْتَرِعٌ مِنْ صُلْبِهِ حَتَّى يَأْتِيَ شِيلُوهُ (وَمَعْنَاهُ: مَنْ لَهُ الأَمْرُ) فَتُطِيعُهُ الشُّعُوبُ. | ١٠ 10 |
यहूदाह से सल्तनत नहीं छूटेगी। और न उसकी नसल से हुकूमत का 'असा मौकूफ़ होगा। जब तक शीलोह न आए और क़ौमें उसकी फ़रमाबरदार होंगी।
يَرْبِطُ بِالْكَرْمَةِ جَحْشَهُ، وَبِأَفْضَلِ جَفْنَةٍ ابْنَ أَتَانِهِ. بِالْخَمْرِ يَغْسِلُ لِبَاسَهُ وَبِدَمِ الْعِنَبِ ثَوْبَهُ. | ١١ 11 |
वह अपना जवान गधा अंगूर के दरख़्त से, और अपनी गधी का बच्चा 'आला दरजे के अंगूर के दरख़्त से बाँधा करेगा; वह अपना लिबास मय में, और अपनी पोशाक आब — ए अंगूर में धोया करेगा
تَكُونُ عَيْنَاهُ أَشَدَّ سَوَاداً مِنَ الْخَمْرِ، وَأَسْنَانُهُ أَكْثَرَ بَيَاضاً مِنَ اللَّبَنِ. | ١٢ 12 |
उसकी आँखें मय की वजह से लाल, और उसके दाँत दूध की वजह से सफ़ेद रहा करेंगे।
زَبُولُونُ يَسْكُنُ عِنْدَ سَوَاحِلِ الْبَحْرِ، وَيُصْبِحُ مَقَرُّهُ مَرْفَأً لِلسُّفُنِ، وَتَمْتَدُّ تُخُومُهُ نَحْوَ صَيْدَا | ١٣ 13 |
ज़बूलून समुन्दर के किनारे बसेगा, और जहाज़ों के लिए बन्दरगाह का काम देगा, और उसकी हद सैदा तक फैली होगी।
يَسَّاكَرُ حِمَارٌ قَوِيٌّ رَابِضٌ بَيْنَ الْحَظَائِرِ. | ١٤ 14 |
इश्कार मज़बूत गधा है, जो दो भेड़सालों के बीच बैठा है;
عِنْدَمَا يَرَى خُصُوبَةَ مَرْتَعِهِ وَبَهْجَةَ أَرْضِهِ، تَسْتَكِينُ كَتِفَاهُ لِلأَثْقَالِ، وَيُسْتَعْبَدُ لِلْعَمَلِ الشَّاقِ. | ١٥ 15 |
उसने एक अच्छी आरामगाह और खुशनुमा ज़मीन को देख कर अपना कन्धा बोझ उठाने को झुकाया, और बेगार में ग़ुलाम की तरह काम करने लगा।
دَانٌ يَقْضِي لِشَعْبِهِ كَأَحَدِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ. | ١٦ 16 |
दान इस्राईल के क़बीलों में से एक की तरह अपने लोगों का इन्साफ़ करेगा।
دَانٌ يَكُونُ ثُعْبَاناً عَلَى جَانِبِ الطَّرِيقِ وَأُفْعُوَاناً عَلَى السَّبِيلِ، يَلْسَعُ عَقِبَيِ الْفَرَسِ فَيَهْوِي رَاكِبُهُ إِلَى الْوَرَاءِ. | ١٧ 17 |
दान रास्ते का साँप है, वह राहगुज़र का अज़दह है, जो घोड़े के 'अकब को ऐसा डसता है किउसका सवार पछाड़ खा कर गिर पड़ता है।
إِنَّنِي انْتَظَرْتُ خَلاصَكَ يَا رَبُّ. | ١٨ 18 |
ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरी नजात की राह देखता आया हूँ।
جَادٌ يَقْتَحِمُهُ الْغُزَاةُ، وَلَكِنَّهُ يُطَارِدُ فُلُولَهُمْ وَيَقْحَمُهُمْ. | ١٩ 19 |
जद्द पर एक फौज़ हमला करेगी लेकिन वह उसके दुम्बाला पर छापा मारेगा।
طَعَامُ أَشِيرَ دَسِمٌ، وَأَطَايبُهُ صَالِحَةٌ لِمَوَائِدِ الْمُلُوكِ. | ٢٠ 20 |
आशर नफ़ीस अनाज पैदा किया करेगा और बादशाहों के लायक़ लज़ीज़ सामान मुहय्या करेगा।
نَفْتَالِي غَزَالَةٌ طَلِيقَةٌ يُرَدِّدُ أَقْوَالاً جَمِيلَةً. | ٢١ 21 |
नफ़्ताली ऐसा है जैसा छूटी हुई हिरनी, वह मीठी — मीठी बातें करता है।
يُوسُفُ كَرْمَةٌ مُثْمِرَةٌ إِلَى جُوَارِ عَيْنٍ، تَسَلَّقَتْ أَغْصَانُهُ الْحَائِطَ. | ٢٢ 22 |
यूसुफ़ एक फलदार पौधा है, ऐसा फलदार पौधा जो पानी के चश्में के पास लगा हुआ हो, और उसकी शाखें। दीवार पर फैल गई हों।
يُهَاجِمُهُ الرُّمَاةُ بِمَرَارَةٍ. وَيُطْلِقُونَ سِهَامَهُمْ عَلَيْهِ بِعَدَاوَةٍ. | ٢٣ 23 |
तीरंदाज़ों ने उसे बहुत छेड़ा और मारा और सताया है;
وَلَكِنْ قَوْسُهُ ظَلَّتْ مَتِينَةً، وَتَشَدَّدَتْ سَوَاعِدُ يَدَيْهِ بِفَضْلِ سَوَاعِدِ عَزِيزِ يَعْقُوبَ، الرَّاعِي صَخْرِ إِسْرَائِيلَ. | ٢٤ 24 |
लेकिन उसकी कमान मज़बूत रही, और उसके हाथों और बाजुओं ने या'क़ूब के क़ादिर के हाथ से ताक़त पाई, वहीं से वह चौपान उठा है जो इस्राईल की चट्टान है।
بِفَضْلِ إِلَهِ أَبِيكَ الَّذِي يُعِينُكَ، بِفَضْلِ الْقَدِيرِ الَّذِي يُبَارِكُكَ بِبَرَكَاتِ السَّمَاوَاتِ مِنْ فَوْقُ، وَبَرَكَاتِ الْغَمْرِ مِنْ تَحْتُ، وَبَرَكَاتِ الثَّدْيِ وَالرَّحِمِ. | ٢٥ 25 |
यह तेरे बाप के ख़ुदा का काम है, जो तेरी मदद करेगा, उसी क़ादिर — ए — मुतलक का काम जो ऊपर से आसमान की बरकतें, और नीचे से गहरे समुन्दर कि बरकतें 'अता करेगा।
إِنَّ بَرَكَاتِ أَبِيكَ أَعْظَمُ مِنْ بَرَكَاتِ الْجِبَالِ الدَّهْرِيَّةِ، وَأَعْظَمُ مِنْ ذَخَائِرِ التِّلالِ الْقَدِيمَةِ، فَلْتَحُلَّ جَمِيعُهَا عَلَى رَأْسِكَ يَا يُوسُفُ وَعَلَى جَبِينِ الَّذِي انْفَصَلَ عَنْ إِخْوَتِهِ. | ٢٦ 26 |
तेरे बाप की बरकतें, मेरे बाप दादा की बरकतों से कहीं ज़्यादा हैं, और क़दीम पहाड़ों की इन्तिहा तक पहुँची हैं; वह यूसुफ़ के सिर, बल्कि उसके सिर की चाँदी पर जो अपने भाइयों से जुदा हुआ नाज़िल होंगी।
بَنْيَامِينُ ذِئْبٌ ضَارٍ، يَفْتَرِسُ ضَحِيَّتَهُ فِي الصَّبَاحِ، وَيُفَرِّقُ الْغَنِيمَةَ فِي الْمَسَاءِ». | ٢٧ 27 |
बिनयमीन फाड़ने वाला भेड़िया है, वह सुबह को शिकार खाएगा और शाम को लूट का माल बाँटेगा।
هَؤُلاءِ جَمِيعاً هُمْ رُؤَسَاءُ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ الاثْنَيْ عَشَرَ. وَهَذَا مَا خَاطَبَهُمْ بِهِ أَبُوهُمْ وَبَارَكَهُمْ؛ كُلُّ وَاحِدٍ بِالْبَرَكَةِ الْمُنَاسِبَةِ لَهُ. | ٢٨ 28 |
इस्राईल के बारह क़बीले यही हैं: और उनके बाप ने जो — जो बातें कह कर उनको बरकत दीं वह भी यही हैं; हर एक को, उसकी बरकत के मुवाफ़िक़ उसने बरकत दी।
ثُمَّ أَوْصَاهُمْ قَائِلاً: «قَرِيباً أَنْضَمُّ إِلَى آبَائِي، فَادْفِنُونِي إِلَى جُوَارِهِمْ فِي مَغَارَةِ حَقْلِ عِفْرُونَ الْحِثِّيِّ. | ٢٩ 29 |
फिर उसने उनको हुक्म किया और कहा, कि मैं अपने लोगों में शामिल होने पर हूँ; मुझे मेरे बाप दादा के पास उस मग़ारह मारे में जो इफ़रोन हित्ती के खेत में है दफ़्न करना,
الَّتِي فِي حَقْلِ الْمَكْفِيلَةِ الْمُوَاجِهَةِ لِمَمْرَا فِي أَرْضِ كَنْعَانَ، الَّتِي اشْتَرَاهَا إِبْرَاهِيمُ مَعَ الْحَقْلِ مِنْ عِفْرُونَ الْحِثِّيِّ لِتَكُونَ مَدْفَناً خَاصّاً. | ٣٠ 30 |
या'नी उस मग़ारे में जो मुल्क — ए — कना'न में ममरे के सामने मकफ़ीला के खेत में है, जिसे अब्रहाम ने खेत के साथ 'इफ़रोन हित्ती से मोल लिया था, ताकि क़ब्रिस्तान के लिए वह उसकी मिलिकयत बन जाए।
فِيهَا دُفِنَ إِبْرَاهِيمُ وَزَوْجَتُهُ سَارَةُ، ثُمَّ إِسْحاقُ وَزَوْجَتُهُ رِفْقَةُ، وَأَيْضاً دَفَنْتُ لَيْئَةَ. | ٣١ 31 |
वहाँ उन्होंने अब्रहाम को और उसकी बीवी सारा को दफ़न किया, वहीं उन्होने इस्हाक़ और उसकी बीवी रिबक़ा को दफ़न किया, और वहीं मैंने भी लियाह को दफ़न किया,
وَقَدِ اشْتَرَى إِبْرَاهِيمُ الْحَقْلَ وَالْمَغَارَةَ الَّتِي فِيهِ مِنَ الْحِثِّيِّينَ.» | ٣٢ 32 |
या'नी उसी खेत के माग़ारे में जो बनी हित्ती से ख़रीदा था।
وَلَمَّا فَرَغَ يَعْقُوبُ مِنْ تَوْصِيَةِ أَبْنَائِهِ تَمَدَّدَ عَلَى سَرِيرِهِ، وَضَمَّ رِجْلَيْهِ مَعاً، ثُمَّ أَسْلَمَ رُوحَهُ وَلَحِقَ بِآبَائِهِ. | ٣٣ 33 |
और जब या'क़ूब अपने बेटों को वसीयत कर चुका तो, उसने अपने पाँव बिछौने पर समेट लिए और दम छोड़ दिया और अपने लोगों में जा मिला।