< تكوين 47 >
وَمَثَلَ يُوسُفُ أَمَامَ فِرْعَوْنَ وَقَالَ لَهُ: «لَقَدْ جَاءَ أَبِي وَإِخْوَتِي مَعَ قُطْعَانِهِمْ وَمَوَاشِيهِمْ وَكُلِّ مَالَهُمْ مِنْ أَرْضِ كَنْعَانَ، وَهَا هُمُ الآنَ فِي أَرْضِ جَاسَانَ». | ١ 1 |
योसेफ़ ने जाकर फ़रोह को बताया, “मेरे पिता तथा मेरे भाई अपने सब भेड़-बकरी, पशु तथा अपनी पूरी संपत्ति लेकर कनान देश से आ चुके हैं तथा वे गोशेन देश में हैं.”
وَأَخَذَ خَمْسَةً مِنْ إِخْوَتِهِ وَقَدَّمَهُمْ إِلَى فِرْعَوْنَ. | ٢ 2 |
योसेफ़ ने अपने पांच भाइयों को फ़रोह के सामने प्रस्तुत किया.
فَسَأَلَهُمْ فِرْعَوْنُ: «مَا هِيَ حِرْفَتُكُمْ؟» فَأَجَابُوهُ: «عَبِيدُكَ وَآبَاؤُهُمْ رُعَاةُ غَنَمٍ. | ٣ 3 |
फ़रोह ने उनके भाइयों से पूछा, “आप लोग क्या काम करते हैं?” उन्होंने फ़रोह से कहा, “हम हमारे पूर्वजों की ही तरह पशु पालते हैं.
وَلَقَدْ جِئْنَا لِنَتَغَرَّبَ فِي الأَرْضِ إِذْ لَيْسَ لِغَنَمِ عَبِيدِكَ مَرْعىً مِنْ جَرَّاءِ وَطْأَةِ الْجُوعِ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ، فَدَعْ عَبِيدَكَ يُقِيمُونَ فِي أَرْضِ جَاسَانَ». | ٤ 4 |
अब इस देश में कुछ समय के लिये रहने आए हैं, क्योंकि कनान में भयंकर अकाल होने के कारण आपके दासों के पशुओं के लिए चारा नहीं है. तब कृपा कर हमें गोशेन में रहने की अनुमति दे दीजिए.”
فَقَالَ فِرْعَوْنُ لِيُوسُفَ: «لَقَدْ جَاءَ إِلَيْكَ أَبُوكَ وَإِخْوَتُكَ، | ٥ 5 |
फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “तुम्हारे पिता एवं तुम्हारे भाई तुम्हारे पास आए हैं,
وَأَرْضُ مِصْرَ أَمَامَكَ، فَأَنْزِلْ أَبَاكَ وَإِخْوَتَكَ فِي أَفْضَلِ الأَرْضِ. دَعْهُمْ يُقِيمُونَ فِي أَرْضِ جَاسَانَ. وَإِنْ كُنْتَ تَعْرِفُ أَنَّ بَيْنَهُمْ ذَوِي خِبْرَةٍ فَاعْهَدْ إِلَيْهِمْ فِي الإِشْرَافِ عَلَى مَوَاشِيَّ». | ٦ 6 |
पूरा मिस्र देश तुम्हारे लिए खुला है; अपने पिता एवं अपने भाइयों को गोशेन के सबसे अच्छे भाग में रहने की सुविधा दे दो. और भाइयों में से कोई समझदार हो तो उसे मेरे पशुओं की देखभाल की पूरी जवाबदारी दे दो.”
ثُمَّ أَحْضَرَ يُوسُفُ أَبَاهُ يَعْقُوبَ وَأَوْقَفَهُ أَمَامَ فِرْعَوْنَ، فَبَارَكَ يَعْقُوبُ فِرْعَوْنَ. | ٧ 7 |
फिर योसेफ़ पिता याकोब को भी फ़रोह से मिलाने लाए. याकोब ने फ़रोह को आशीष दी.
وَسَأَلَ فِرْعَوْنُ يَعْقُوبَ: «كَمْ هُوَ عُمْرُكَ؟» | ٨ 8 |
फ़रोह ने याकोब से पूछा, “आपकी उम्र क्या है?”
فَأَجَابَ يَعْقُوبُ فِرْعَوْنَ: «سَنَوَاتُ غُرْبَتِي مِئَةٌ وَثَلاثُونَ سَنَةً، قَلِيلَةٌ وَشَاقَّةٌ، وَلَمْ تَبْلُغْ سِنِي غُرْبَةِ آبَائِي». | ٩ 9 |
याकोब ने फ़रोह को बताया “मेरी तीर्थ यात्रा के वर्ष एक सौ तीस रहे हैं. मेरी आयु बहुत छोटी और कष्टभरी रही है और वह मेरे पूर्वजों सी लंबी नहीं रही है!”
ثُمَّ بَارَكَ يَعْقُوبُ فِرْعَوْنَ وَخَرَجَ مِنْ لَدُنِهِ. | ١٠ 10 |
याकोब फ़रोह को आशीष देकर वहां से चले गये.
وَأَنْزَلَ يُوسُفُ أَبَاهُ وَإِخْوَتَهُ فِي مِصْرَ وَمَلَّكَهُمْ فِي رَعَمْسِيسَ أَجْوَدَ الأَرْضِ كَمَا أَمَرَ فِرْعَوْنُ. | ١١ 11 |
योसेफ़ ने अपने पिता एवं भाइयों को फ़रोह की आज्ञा अनुसार मिस्र में सबसे अच्छी जगह रामेसेस में ज़मीन दी.
وَأَمَدَّ يُوسُفُ أَبَاهُ وَإِخْوَتَهُ وَأَهْلَ بَيْتِ أَبِيهِ بِالطَّعَامِ عَلَى حَسَبِ عَدَدِ أَوْلادِهِمْ. | ١٢ 12 |
योसेफ़ ने अपने पिता, अपने भाइयों तथा पिता के पूरे परिवार को उनके बच्चों की गिनती के अनुसार भोजन उपलब्ध कराया.
وَنَفَدَ الْخُبْزُ فِي جَمِيعِ الْبِلادِ لِشِدَّةِ الْمَجَاعَةِ، وَأَقْحَلَتْ أَرْضُ مِصْرَ وَأَرْضُ كَنْعَانَ مِنَ الْجُوعِ. | ١٣ 13 |
पूरे देश में अकाल के कारण भोजन की कमी थी. मिस्र देश तथा कनान देश अकाल के कारण भूखा पड़ा था.
فَقَايَضَ يُوسُفُ الْقَمْحَ الَّذِي بِيعَ بِكُلِّ الْفِضَّةِ الْمَوْجُودَةِ فِي أَرْضِ مِصْرَ وَفِي أَرْضِ كَنْعَانَ، وَحَمَلَهَا إِلَى خَزِينَةِ فِرْعَوْنَ. | ١٤ 14 |
मिस्र देश तथा कनान देश का सारा धन योसेफ़ ने फ़रोह के राजमहल में अनाज के बदले इकट्ठा कर लिया था.
وَعِنْدَمَا نَفَدَتِ الْفِضَّةُ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ وَمِنْ أَرْضِ كَنْعَانَ أَقْبَلَ جَمِيعُ الْمِصْرِيِّينَ إِلَى يُوسُفَ قَائِلِينَ: «أَعْطِنَا خُبْزاً، فَلِمَاذَا نَمُوتُ أَمَامَ عَيْنَيْكَ؟ إِنَّ فِضَّتَنَا قَدْ نَفَدَتْ». | ١٥ 15 |
जब लोगों के पास अनाज खरीदने के लिए रुपया नहीं था तब वह योसेफ़ के पास आकर बिनती करने लगे, “हमें खाने को भोजन दीजिए. हम आपकी आंखों के सामने क्यों मरें? हमारा रुपया सब खत्म हो गया है.”
فَأَجَابَهُمْ: «إِنْ نَفَدَتْ فِضَّتُكُمْ، فَهَاتُوا مَوَاشِيَكُمْ أُقَايِضُكُمْ بِها طَعَاماً». | ١٦ 16 |
योसेफ़ ने कहा, “यदि तुमारा रुपया खत्म हो गया हैं तो तुम अपने पशु हमें देते जाओ और हम तुम्हें उसके बदले अनाज देंगे.”
فَأَتَوْا بِمَوَاشِيهِمْ، فَقَايَضَهُمْ يُوسُفُ خُبْزاً بِالْخَيْلِ وَمَوَاشِي الْغَنَمِ وَالْبَقَرِ وَالْحَمِيرِ. وَهَكَذَا قَايَضَ جَميِعَ مَوَاشِيهِمْ بِالْخُبْزِ فِي تِلْكَ السَّنَةِ. | ١٧ 17 |
इसलिये वे अपने पशु योसेफ़ को देने लगे; और योसेफ़ उन्हें उनके घोड़े, पशुओं, भेड़-बकरी तथा गधों के बदले में अनाज देने लगे. योसेफ़ ने उस वर्ष उनके समस्त पशुओं के बदले में उनकी भोजन की व्यवस्था की.
وَعِنْدَمَا انْقَضَتْ تِلْكَ السَّنَةُ، أَقْبَلُوا إِلَيْهِ فِي السَّنَةِ التَّالِيَةِ قَائِلِينَ: «لا نُخْفِي عَنْ سَيِّدِي أَنَّ فِضَّتَنَا قَدْ نَفَدَتْ، وَأَنَّ مَوَاشِيَ الْبَهَائِمِ قَدْ أَصْبَحَتْ عِنْدَ سَيِّدِي، وَلَمْ يَبْقَ أَمَامَهُ إِلّا أَبْدَانُنَا وَأَرَاضِينَا، | ١٨ 18 |
जब वह वर्ष खत्म हुआ तब अगले वर्ष वह योसेफ़ के पास आए और उनसे कहा, “स्वामी यह सच्चाई आपसे छुपी नहीं रह सकती कि हमारा सारा रुपया खर्च हो गया हैं और पशु भी आपके हो गये है; अब हमारा शरीर और हमारी ज़मीन ही बच गई है.
فَلِمَاذَا نَمُوتُ نَحْنُ، وَأَرْضُنَا أَمَامَ عَيْنَيْكَ، اشْتَرِنَا نَحْنُ وَأَرْضَنَا لِقَاءَ الْخُبْزِ فَنُصْبِحَ نَحْنُ وَأَرَاضِينَا عَبِيداً لِفِرْعَوْنَ. وَأَعْطِنَا بُذُوراً لِنَزْرَعَهَا فَنَحْيَا وَلا نَمُوتَ وَلا تَصِيرَ أَرَاضِينَا مُقْفِرَةً». | ١٩ 19 |
क्या हम और हमारी ज़मीन आपकी आंखों के सामने नाश हो जायेंगी? अब भोजन के बदले आप हमारी ज़मीन को ही खरीद लीजिए, और हम अपनी ज़मीन के साथ फ़रोह के दास बन जाएंगे. हमें सिर्फ बीज दे दीजिये कि हम नहीं मरें परंतु जीवित रहें कि हमारी भूमि निर्जन न हो.”
وَهَكَذَا اشْتَرَى يُوسُفُ لِفِرْعَوْنَ كُلَّ أَرْضِ مِصْرَ، لأَنَّ جَمِيعَ الْمِصْرِيِّينَ بَاعُوا حُقُولَهُمْ مِنْ جَرَّاءِ الْمَجَاعَةِ الَّتِي أَلَمَّتْ بِهِمْ، وَصَارَتْ كُلُّ الأَرْضِ مِلْكاً لِفِرْعَوْنَ. | ٢٠ 20 |
इस प्रकार योसेफ़ ने मिस्र देश की पूरी ज़मीन फ़रोह के लिये खरीद ली. सभी मिस्रवासियों ने अपनी भूमि बेच दी क्योंकि अकाल भयंकर था और ज़मीन फ़रोह की हो गई.
أَمَّا الشَّعْبُ فَقَدْ نَقَلَهُمْ إِلَى الْمُدُنِ مِنْ أَقْصَى حُدُودِ مِصْرَ إِلَى أَقْصَاهَا. | ٢١ 21 |
योसेफ़ ने मिस्र के एक छोर से दूसरे छोर तक लोगों को, दास बना दिया.
إِلّا أَنَّ أَرْضَ الْكَهَنَةِ لَمْ يَشْتَرِهَا، إِذْ كَانَ لِلْكَهَنَةِ مُخَصَّصَاتٌ مُعَيَّنَةٌ أَجْرَاهَا عَلَيْهِمْ فِرْعَوْنُ، فَكَانُوا يَأْكُلُونَ مِنْهَا، فَلَمْ يَبِيعُوا أَرْضَهُمْ. | ٢٢ 22 |
सिर्फ पुरोहितों की भूमि को नहीं खरीदा, क्योंकि उनको फ़रोह की ओर से निर्धारित भोजन मिलता था और वह उनके जीने के लिये पर्याप्त था, इसलिये उन्होंने अपनी ज़मीन नहीं बेची.
ثُمَّ قَالَ يُوسُفُ لِلشَّعْبِ: «هَا قَدِ اشْتَرَيْتُكُمُ الْيَوْمَ أَنْتُمْ وَأَرْضَكُمْ فَصِرْتُمْ مِلْكاً لِفِرْعَوْنَ، فَإِلَيْكُم الْبِذَارَ لِتَزْرَعُوا الأَرْضَ. | ٢٣ 23 |
योसेफ़ ने लोगों से कहा, “मैंने फ़रोह के लिए आपको तथा आपकी भूमि को आज खरीद लिया है, अब आपके लिये यह बीज दिया है कि आप अपनी ज़मीन पर इस बीज को बोना और खेती करना.
وَيَكُونُ فِي مَوْسِمِ الْحَصَادِ أَنَّكُمْ تُقَدِّمُونَ لِفِرْعَوْنَ خُمْسَ الْغَلَّةِ وَتَحْتَفِظُونَ لَكُمْ بِالأَرْبَعَةِ الأَخْمَاسِ لِتَكُونَ بِذَاراً لِلْحَقْلِ وَطَعَاماً لَكُمْ وَلِمَنْ فِي بُيُوتِكُمْ وَلأَوْلادِكُمْ». | ٢٤ 24 |
और जब उपज आयेगी उसमें से फ़रोह को पांचवां भाग देना होगा और शेष चार भाग आपके होंगे; ज़मीन में बोने के बीज के लिये और आप, आपके परिवार और आपके बच्चों के भोजन के लिये होंगे.”
فَأَجَابُوا: «لَقَدْ أَنْقَذْتَ حَيَاتَنَا، فَيَا لَيْتَنَا نَحْظَى بِرِضَى سَيِّدِنَا فَنَكُونَ عَبِيداً لِفِرْعَوْنَ» | ٢٥ 25 |
तब लोगों ने कहा, “आपने हमारा जीवन बचा लिया; यदि हमारे स्वामी की दया हम पर बनी रहे और हम फ़रोह के दास बने रहेंगे.”
وَمِنْ ذَلِكَ الْحِينِ إِلَى يَوْمِنَا هَذَا جَعَلَ يُوسُفُ فَرِيضَةَ الْخُمْسِ هَذِهِ ضَرِيبَةً عَلَى كُلِّ أَرْضِ مِصْرَ، تُجْبَى لِفِرْعَوْنَ، بِاسْتِثْنَاءِ أَرْضِ الْكَهَنَةِ الَّتِي لَمْ تُصْبِحْ مِلْكاً لِفِرْعَوْنَ. | ٢٦ 26 |
योसेफ़ ने जो नियम बनाया था कि उपज का पांचवां भाग फ़रोह को देना ज़रूरी है वह आज भी स्थापित है. सिर्फ पुरोहितों की भूमि फ़रोह की नहीं हुई.
وَأَقَامَ بَنُو إِسْرَائِيلَ فِي مِصْرَ فِي أَرْضِ جَاسَانَ. وَاقْتَنَوْا فِيهَا أَمْلاكاً وَأَثْمَرُوا وَتَكَاثَرُوا. | ٢٧ 27 |
इस्राएल मिस्र देश के गोशेन नामक जगह पर रह रहे थे, वहां वे फलते फूलते धन-संपत्ति अर्जित करते गये और संख्या में कई गुणा बढ़ते गये.
وَعَاشَ يَعْقُوبُ فِي أَرْضِ مِصْرَ سَبْعَ عَشْرَةَ سَنَةً حَتَّى بَلَغَ مِنَ الْعُمْرِ مِئَةً وَسَبْعَةً وَأَرْبَعِينَ عَاماً. | ٢٨ 28 |
मिस्र में याकोब को सत्रह साल हो चुके थे, और वे एक सौ सैंतालीस वर्ष तक रहे.
وَعِنْدَمَا قَرُبَ يَوْمُ وَفَاتِهِ، اسْتَدْعَى ابْنَهُ يُوسُفَ وَقَالَ لَهُ: «إِنْ كُنْتُ قَدْ حَظِيتُ بِرِضَاكَ، فَضَعْ يَدَكَ تَحْتَ فَخْذِي، وَأَسْدِ لِي مَعْرُوفاً وَأَمَانَةً: لَا تَدْفِنِّي فِي مِصْرَ | ٢٩ 29 |
जब इस्राएल मरने पर थे, उन्होंने अपने पुत्र योसेफ़ को पास बुलाया और कहा, “यदि तुम मुझसे प्रेम करते हो तो मेरी जांघ के नीचे अपना हाथ रखकर शपथ लो, कि तुम मुझसे करुणा और विश्वास का बर्ताव करोगे और मुझे मिस्र में नहीं दफ़नाओगे,
بَلْ دَعْنِي أَضْطَجِعُ إِلَى جُوَارِ آبَائِي. انْقُلْنِي مِنْ مِصْرَ وَوَارِنِي فِي مَدْفَنِهِمْ»، فَقَالَ: «أَنَا أَفْعَلُ حَسَبَ قَوْلِكَ». | ٣٠ 30 |
जब मैं चिर-निद्रा में अपने पूर्वजों से जा मिलूं, तब मुझे मिस्र देश से ले जाना और पूर्वजों के साथ उन्हीं के पास मुझे दफ़नाना.” योसेफ़ ने कहा, “मैं ऐसा ही करूंगा जैसा आपने कहा है.”
فَقَالَ يَعْقُوبُ: «احْلِفْ لِي». فَحَلَفَ لَهُ، فَسَجَدَ يَعْقُوبُ (شَاكِراً) عَلَى رَأْسِ السَّرِيرِ. | ٣١ 31 |
याकोब ने कहा, “मुझसे वायदा करो!” योसेफ़ ने उनसे वायदा किया और इस्राएल खाट के सिरहाने की ओर झुक गए.