< تكوين 21 >

وَافْتَقَدَ الرَّبُّ سَارَةَ كَمَا قَالَ، وَأَنْجَزَ لَهَا مَا وَعَدَ بِهِ. ١ 1
और ख़ुदावन्द ने जैसा उसने फ़रमाया था, सारा पर नज़र की और उसने अपने वादे के मुताबिक़ सारा से किया।
فَحَبِلَتْ سَارَةُ وَوَلَدَتْ لإِبْرَاهِيمَ فِي شَيْخُوخَتِهِ ابْناً، فِي الْوَقْتِ الَّذِي عَيَّنَهُ اللهُ لَهُ. ٢ 2
तब सारा हामिला हुई और अब्रहाम के लिए उसके बुढ़ापे में उसी मुक़र्रर वक़्त पर जिसका ज़िक्र ख़ुदा ने उससे किया था, उसके बेटा हुआ।
فَدَعَا إِبْرَاهِيمُ ابْنَهُ الَّذِي أَنْجَبَتْهُ لَهُ سَارَةُ «إِسْحاقَ». ٣ 3
और अब्रहाम ने अपने बेटे का नाम जो उससे, सारा के पैदा हुआ इस्हाक़ रख्खा।
وَخَتَنَهُ فِي الْيَوْمِ الثَّامِنِ بِمُوجِبِ أَمْرِ اللهِ. ٤ 4
और अब्रहाम ने ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ अपने बेटे इस्हाक़ का ख़तना, उस वक़्त किया जब वह आठ दिन का हुआ।
وَكَانَ إِبْرَاهِيمُ قَدْ بَلَغَ الْمِئَةَ مِنْ عُمْرِهِ عِنْدَمَا وُلِدَ لَهُ إِسْحاقُ. ٥ 5
और जब उसका बेटा इस्हाक़ उससे पैदा हुआ तो अब्रहाम सौ साल का था।
وَقَالَتْ سَارَةُ «لَقَدْ أَضْحَكَنِي الرَّبُّ. كُلُّ مَنْ يَسْمَعُ هَذَا الأَمْرَ يَضْحَكُ مَعِي». ٦ 6
और सारा ने कहा, कि ख़ुदा ने मुझे हँसाया और सब सुनने वाले मेरे साथ हँसेंगे।
وَأَضَافَتْ أَيْضاً: «مَنْ كَانَ يُمْكِنُ أَنْ يَقُولَ لإِبْرَاهِيمَ إِنَّ سَارَةَ سَتُرْضِعُ بَنِينَ؟ فَهَا أَنَا قَدْ أَنْجَبْتُ لَهُ ابْناً فِي شَيْخُوخَتِهِ». ٧ 7
और यह भी कहा कि भला कोई अब्रहाम से कह सकता था कि सारा लड़कों को दूध पिलाएगी? क्यूँकि उससे उसके बुढ़ापे में मेरे एक बेटा हुआ।
وَكَبُرَ إِسْحاقُ وَفُطِمَ. فَأَقَامَ إِبْرَاهِيمُ فِي يَوْمِ فِطَامِهِ مَأْدُبَةً عَظِيمَةً. ٨ 8
और वह लड़का बढ़ा और उसका दूध छुड़ाया गया और इस्हाक़ के दूध छुड़ाने के दिन अब्रहाम ने बड़ी दावत की।
وَرَأَتْ سَارَةُ أَنَّ ابْنَ هَاجَرَ الْمِصْرِيَّةِ الَّذِي أَنْجَبَتْهُ لإِبْرَاهِيمَ يَسْخَرُ مِنِ ابْنِهَا إِسْحاقَ، ٩ 9
और सारा ने देखा कि हाजिरा मिस्री का बेटा जो उसके अब्रहाम से हुआ था, ठट्ठे मारता है।
فَقَالَتْ لإِبْرَاهِيمَ: «اطْرُدْ هَذِهِ الْجَارِيَةَ وَابْنَهَا، فَإِنَّ ابْنَ الْجَارِيَةِ لَنْ يَرِثَ مَعَ ابْنِي إِسْحاقَ». ١٠ 10
तब उसने अब्रहाम से कहा कि इस लौंडी को और उसके बेटे को निकाल दे, क्यूँकि इस लौंडी का बेटा मेरे बेटे इस्हाक़ के साथ वारिस न होगा।
فَقَبُحَ هَذَا الْقَوْلُ فِي نَفْسِ إِبْرَاهِيمَ مِنْ أَجْلِ ابْنِهِ. ١١ 11
लेकिन अब्रहाम को उसके बेटे के ज़रिए' यह बात निहायत बुरी मा'लूम हुई।
فَقَال اللهُ لَهُ: «لا يَسُوءُ فِي نَفْسِكَ أَمْرُ الصَّبِيِّ أَوْ أَمْرُ جَارِيَتِكَ، وَاسْمَعْ لِكَلامِ سَارَةَ فِي كُلِّ مَا تُشِيرُ بِهِ عَلَيْكَ لأَنَّهُ بِإِسْحاقَ يُدْعَى لَكَ نَسْلٌ. ١٢ 12
और ख़ुदा ने अब्रहाम से कहा कि तुझे इस लड़के और अपनी लौंडी की वजह से बुरा न लगे; जो कुछ सारा तुझ से कहती है तू उसकी बात मान क्यूँकि इस्हाक़ से तेरी नसल का नाम चलेगा।
وَسَأُقِيمُ مِنِ ابْنِ الْجَارِيَةِ أُمَّةً أَيْضاً لأَنَّهُ مِنْ ذُرِّيَّتِكَ». ١٣ 13
और इस लौंडी के बेटे से भी मैं एक क़ौम पैदा करूँगा, इसलिए कि वह तेरी नसल है।
فَنَهَضَ إِبْرَاهِيمُ فِي الصَّبَاحِ الْبَاكِرِ وَأَخَذَ خُبْزاً وَقِرْبَةَ مَاءٍ وَدَفَعَهُمَا إِلَى هَاجَرَ، وَوَضَعَهُمَا عَلَى كَتِفَيْهَا، ثُمَّ صَرَفَهَا مَعَ الصَّبِيِّ. فَهَامَتْ عَلَى وَجْهِهَا فِي بَرِّيَّةِ بِئْرِ سَبْعٍ. ١٤ 14
तब अब्रहाम ने सुबह सवेरे उठ कर रोटी और पानी की एक मश्क ली और उसे हाजिरा को दिया, बल्कि उसे उसके कन्धे पर रख दिया और लड़के को भी उसके हवाले करके उसे रुख़सत कर दिया। इसलिए वह चली गई और बैरसबा' के वीराने में आवारा फिरने लगी।
وَعِنْدَمَا فَرَغَ الْمَاءُ مِنَ الْقِرْبَةِ طَرَحَتِ الصَّبِيَّ تَحْتَ إِحْدَى الأَشْجَارِ، ١٥ 15
और जब मश्क का पानी ख़त्म हो गया तो उसने लड़के को एक झाड़ी के नीचे डाल दिया।
وَمَضَتْ وَجَلَسَتْ مُقَابِلَهُ، عَلَى بُعْدِ نَحْوِ مِئَةِ مِتْرٍ، لأَنَّهَا قَالَتْ: «لا أَشْهَدُ مَوْتَ الصَّبِيِّ». فَجَلَسَتْ مُقَابِلَهُ وَرَفَعَتْ صَوْتَهَا وَبَكَتْ. ١٦ 16
और ख़ुद उसके सामने एक टप्पे के किनारे पर दूर जा कर बैठी और कहने लगी कि मैं इस लड़के का मरना तो न देखूँ। इसलिए वह उसके सामने बैठ गई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।
وَسَمِعَ اللهُ بُكَاءَ الصَّبِيِّ، فَنَادَى مَلاكُ اللهِ هَاجَرَ مِنَ السَّمَاءِ وَقَالَ لَهَا: «مَا الَّذِي يُزْعِجُكِ يَا هَاجَرُ؟ لَا تَخَافِي، لأَنَّ اللهَ قَدْ سَمِعَ بُكَاءَ الصَّبِيِّ مِنْ حَيْثُ هُوَ مُلْقىً. ١٧ 17
और ख़ुदा ने उस लड़के की आवाज़ सुनी और ख़ुदा के फ़रिश्ता ने आसमान से हाजिरा को पुकारा और उससे कहा, “ऐ हाजिरा, तुझ को क्या हुआ? मत डर, क्यूँकि ख़ुदा ने उस जगह से जहाँ लड़का पड़ा है उसकी आवाज़ सुन ली है।
قُومِي وَاحْمِلِي الصَّبِيَّ، وَتَشَبَّثِي بِهِ لأَنَّنِي سَأَجْعَلُهُ أُمَّةً عَظِيمَةً». ١٨ 18
उठ, और लड़के को उठा और उसे अपने हाथ से संभाल; क्यूँकि मैं उसको एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा।”
ثُمَّ فَتَحَ عَيْنَيْهَا فَأَبْصَرَتْ بِئْرَ مَاءٍ، فَذَهَبَتْ وَمَلأَتِ الْقِرْبَةَ وَسَقَتِ الصَّبِيَّ. ١٩ 19
फिर ख़ुदा ने उसकी आँखें खोलीं और उसने पानी का एक कुआँ देखा, और जाकर मश्क को पानी से भर लिया और लड़के को पिलाया।
وَكَانَ اللهُ مَعَ الصَّبِيِّ فَكَبُرَ، وَسَكَنَ فِي صَحْرَاءِ فَارَانَ، وَبَرَعَ فِي رَمْيِ الْقَوْسِ. ٢٠ 20
और ख़ुदा उस लड़के के साथ था और वह बड़ा हुआ और वीराने में रहने लगा और तीरंदाज़ बना।
وَاتَّخَذَتْ لَهُ أُمُّهُ زَوْجَةً مِنْ مِصْرَ. ٢١ 21
और वह फ़ारान के वीराने में रहता था, और उसकी माँ ने मुल्क — ए — मिस्र से उसके लिए बीवी ली।
وَفِي ذَلِكَ الزَّمَانِ خَاطَبَ أَبِيمَالِكُ وَفِيكُولُ قَائِدُ جَيْشِهِ إِبْرَاهِيمَ قَائِلَيْنِ: «إِنَّ اللهَ مَعَكَ فِي كُلِّ مَا تَقُومُ بِهِ، ٢٢ 22
फिर उस वक़्त यूँ हुआ, कि अबीमलिक और उसके लश्कर के सरदार फ़ीकुल ने अब्रहाम से कहा कि हर काम में जो तू करता है ख़ुदा तेरे साथ है।
فَاحْلِفْ لِي الآنَ بِاللهِ أَنْ لَا تَغْدُرَ بِي وَلا بِنَسْلِي وَذُرِّيَّتِي، بَلْ تُحْسِنَ إِلَيَّ وَإِلَى شَعْبِي الَّذِي تَغَرَّبْتَ بَيْنَهُ، كَمَا أَحْسَنْتُ إِلَيْكَ». ٢٣ 23
इसलिए तू अब मुझ से ख़ुदा की क़सम खा, कि तू न मुझ से न मेरे बेटे से और न मेरे पोते से दग़ा करेगा; बल्कि जो मेहरबानी मैंने तुझ पर की है वैसे ही तू भी मुझ पर और इस मुल्क पर, जिसमें तूने क़याम किया है, करेगा।
فَقَالَ إِبْرَاهِيمُ: «أَحْلِفُ». ٢٤ 24
तब अब्रहाम ने कहा, “मैं क़सम खाऊँगा।”
وَعَاتَبَ إِبْرَاهِيمُ أَبِيمَالِكَ مِنْ أَجْلِ الْبِئْرِ الَّتِي اغْتَصَبَهَا عَبِيدُ أَبِيمَالِكَ، ٢٥ 25
और अब्रहाम ने पानी के एक कुएँ की वजह से, जिसे अबीमलिक के नौकरों ने ज़बरदस्ती छीन लिया था, अबीमलिक को झिड़का।
فَقَالَ أَبِيمَالِكُ: «لَسْتُ أَعْلَمُ مَنِ ارْتَكَبَ هَذَا الأَمْرَ، وَأَنْتَ لَمْ تُخْبِرْنِي بِهِ، وَلَمْ أَسْمَعْ عَنْهُ سِوَى الْيَوْمِ». ٢٦ 26
अबीमलिक ने कहा, “मुझे ख़बर नहीं कि किसने यह काम किया, और तूने भी मुझे नहीं बताया, न मैंने आज से पहले इसके बारे में कुछ सुना।”
ثُمَّ أَعْطَى إِبْرَاهِيمُ أَبِيمَالِكَ غَنَماً وَبَقَراً وَقَطَعَ كِلاهُمَا عَهْداً. ٢٧ 27
फिर अब्रहाम ने भेड़ बकरियाँ और गाय — बैल लेकर अबीमलिक को दिए और दोनों ने आपस में 'अहद किया।
وَفَرَزَ إِبْرَاهِيمُ سَبْعَ نِعَاجٍ مِنَ الْغَنَمِ وَحْدَهَا. ٢٨ 28
अब्रहाम ने भेड़ के सात मादा बच्चों को लेकर अलग रख्खा।
فَقَالَ أَبِيمَالِكُ لإِبْرَاهِيمَ: «مَاذَا تَقْصِدُ بِهَذِهِ النِّعَاجِ السَّبْعِ الَّتِي فَرَزْتَهَا جَانِباً؟» ٢٩ 29
और अबीमलिक ने अब्रहाम से कहा कि भेड़ के इन सात मादा बच्चों को अलग रखने से तेरा मतलब क्या है?
فَأَجَابَ: «هِيَ سَبْعُ نِعَاجٍ أُقَدِّمُهَا لَكَ بِيَدِي شَهَادَةً لِي أَنَّنِي حَفَرْتُ هَذِهِ الْبِئْرَ». ٣٠ 30
उसने कहा, कि भेड़ के इन सात मादा बच्चों को तू मेरे हाथ से ले ताकि वह मेरे गवाह हों कि मैंने यह कुआँ खोदा।
لِذَلِكَ دَعَا ذَلِكَ الْمَكَانَ بِئْرَ سَبْعٍ (وَمَعْنَاهْ بِئْرُ الْحَلْفِ) لأَنَّ إِبْرَاهِيمَ وَأَبِيمَالِكَ كِلاهُمَا حَلَفَا هُنَاكَ. ٣١ 31
इसीलिए उसने उस मक़ाम का नाम बैरसबा' रख्खा, क्यूँकि वहीं उन दोनों ने क़सम खाई।
وَهَكَذَا قَطَعَا عَهْداً فِي بِئْرِ سَبْعٍ، ثُمَّ نَهَضَ أَبِيمَالِكُ وَفِيكُولُ رَئِيسُ جَيْشِهِ وَرَجَعَا إِلَى أَرْضِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ. ٣٢ 32
तब उन्होंने बैरसबा' में 'अहद किया, तब अबीमलिक और उसके लश्कर का सरदार फ़ीकुल दोनों उठ खड़े हुए और फ़िलिस्तियों के मुल्क को लौट गए।
وَغَرَسَ إِبْرَاهِيمُ شَجَرَ أَثْلٍ فِي بِئْرِ سَبْعٍ، وَدَعَا هُنَاكَ بِاسْمِ الرَّبِّ الإِلَهِ السَّرْمَدِيِّ ٣٣ 33
तब अब्रहाम ने बैरसबा' में झाऊ का एक दरख़्त लगाया और वहाँ उसने ख़ुदावन्द से जो अबदी ख़ुदा है दुआ की।
وَمَكَثَ إِبْرَاهِيمُ فِي بِلادِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ فَتْرَةً طَوِيلَةً. ٣٤ 34
और अब्रहाम बहुत दिनों तक फ़िलिस्तियों के मुल्क में रहा।

< تكوين 21 >