< عَزْرا 9 >
وَبَعْدَ أَنْ كَمَلَتْ هَذِهِ الأُمُورُ جَاءَنِي رُؤَسَاءُ الْيَهُودِ قَائِلِينَ: «إِنَّ شَعْبَ إِسْرَائِيلَ وَالْكَهَنَةَ وَاللّاوِيِّينَ مَا بَرِحُوا مُنْغَمِسِينَ فِي رَجَاسَاتِ أُمَمِ الأَرْضِ كَالْكَنْعَانِيِّينَ وَالْحِثِّيِّينَ وَالْفَرِزِّيِّينَ وَالْيَبُوسِيِّينَ وَالْعَمُّونِيِّينَ وَالْمُوآبِيِّينَ وَالْمِصْرِيِّينَ وَالأَمُورِيِّينَ، وَلَمْ يَنْفَصِلُوا عَنْهُمْ، | ١ 1 |
जब ये सब काम हो चुके तो सरदारों ने मेरे पास आकर कहा कि इस्राईल के लोग और काहिन और लावी इन अतराफ़ की क़ौमों से अलग नहीं रहे, क्यूँकि कना'नियों और हित्तियों और फ़रिज़्ज़ियों और यबूसियों 'अम्मोनियों और मोआबियों और मिस्रियों और अमोरियों के से नफ़रती काम करते हैं।
لأَنَّهُمْ تَزَوَّجَوا هُمْ وَأَبْنَاؤُهُمْ مِنْ بَنَاتِهِمْ، فَاخْتَلَطَ النَّسْلُ الْمُقَدَّسُ بِأُمَمِ الأَرَاضِي، وَقَدْ كَانَ الرُّؤَسَاءُ وَالْوُلاةُ أَوَّلَ مَنِ ارْتَكَبَ هَذِهِ الْخِيَانَةَ». | ٢ 2 |
चुनाँचे उन्होंने अपने और अपने बेटों के लिए उनकी बेटियाँ ली हैं; इसलिए मुक़द्दस नसल इन अतराफ़ की क़ौमों के साथ ख़ल्त — मल्त हो गई, और सरदारों और हाकिमों का हाथ इस बदकारी में सब से बढ़ा हुआ है।
وَعِنْدَمَا سَمِعْتُ ذَلِكَ مَزَّقْتُ ثِيَابِي وَرِدَائِي، وَنَتَّفْتُ شَعْرَ رَأْسِي وَذَقْنِي، وَجَلَسْتُ حَائِراً. | ٣ 3 |
जब मैंने ये बात सुनी तो अपने लिबास और अपनी चादर को फाड़ दिया, और सिर और दाढ़ी के बाल नोचे और हैरान हो बैठा।
وَالْتَفَّ حَوْلِي كُلُّ مَنْ أَرْعَبَهُ قَضَاءُ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ مِنْ أَجْلِ مَا ارْتَكَبَهُ الْمَسْبِيُّونَ مِنْ خِيَانَةٍ. أَمَّا أَنَا فَبَقِيتُ جَالِساً غَارِقاً فِي حَيْرَتِي إِلَى تَقْدِمَةِ الْمَسَاءِ. | ٤ 4 |
तब वह सब जो इस्राईल के ख़ुदा की बातों से काँपते थे, ग़ुलामों की इस बदकारी के ज़रिए' मेरे पास जमा' हुए; और मैं शाम की क़ुर्बानी तक हैरान बैठा रहा।
حِينَئِذٍ قُمْتُ مِنْ تَذَلُّلِي، وَأَنَا مَازِلْتُ مُرْتَدِياً رِدَائِي وثِيَابِي الْمُمَزَّقَةَ، وَجَثَوْتُ عَلَى رُكْبَتَيَّ وَبَسَطْتُ يَدَيَّ إِلَى الرَّبِّ إِلَهِي، | ٥ 5 |
और शाम की क़ुर्बानी के वक़्त मैं अपना फटा लिबास पहने, और अपनी फटी चादर ओढ़े हुए अपनी शर्मिन्दगी की हालत से उठा, और अपने घुटनों पर गिर कर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ अपने हाथ फैलाए,
قَائِلاً: «الَّلهُمَّ، إِنِّي أَخْجَلُ وَأَخْزَى مِنْ أَنْ أَرْفَعَ وَجْهِي نَحْوَكَ، لأَنَّ آثَامَنَا قَدْ تَكَاثَرَتْ فَوْقَ رُؤُوسِنَا، وَمَعَاصِينَا قَدْ تَعَاظَمَتْ فَبَلَغَتْ عَنَانَ السَّمَاءِ، | ٦ 6 |
और कहा, ऐ मेरे ख़ुदा, मैं शर्मिन्दा हूँ, और तेरी तरफ़, ऐ मेरे ख़ुदा, अपना मुँह उठाते मुझे शर्म आती है; क्यूँकि हमारे गुनाह बढ़ते बढ़ते हमारे सिर से बुलन्द हो गए, और हमारी ख़ताकारी आसमान तक पहुँच गई है।
فَإِنَّنَا مُنْذُ عَهْدِ آبَائِنَا وَإِلَى هَذَا الْيَوْمِ غَارِقُونَ فِي إِثْمٍ عَظِيمٍ. وَمِنْ جَرَّاءِ مَعَاصِينَا سَطَا عَلَيْنَا وَعَلَى مُلُوكِنَا وَكَهَنَتِنَا سَيْفُ الأُمَمِ الْمُحِيطَةِ بِنَا، وَتَعَرَّضْنَا لِلسَّبْيِ وَالنَّهْبِ وَالْعَارِ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ. | ٧ 7 |
अपने बाप — दादा के वक़्त से आज तक हम बड़े ख़ताकार रहे; और अपनी बदकारी के ज़रिए' हम और हमारे बादशाह और हमारे काहिन, और मुल्कों के बादशाहों और तलवार और ग़ुलामी और ग़ारत और शर्मिन्दगी के हवाले हुए हैं, जैसा आज के दिन है।
وَلَكِنَّكَ الآنَ أَنْعَمْتَ عَلَيْنَا لِلَحْظَةٍ وَتَعَطَّفْتَ عَلَيْنَا فَأَنْجَيْتَ لَنَا بَقِيَّةً لِتُعْطِيَنَا مَوْطِئَ قَدَمٍ فِي مَكَانِكَ الْمُقَدَّسِ حَتَّى تُنِيرَ أَعْيُنَنَا وَتَمْنَحَنَا بَعْضَ الحَيَاةِ فِي عُبُودِيَّتِنَا. | ٨ 8 |
अब थोड़े दिनों से ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा की तरफ़ से हम पर फ़ज़ल हुआ है, ताकि हमारा कुछ बक़िया बच निकलने को छूटे, और उसके मकान — ए — मुक़द्दस में हम को एक खूँटी मिले, और हमारा ख़ुदा हमारी आँखें रोशन करे और हमारी ग़ुलामी में हम को कुछ ताज़गी बख़्शे।
وَمَعَ أَنَّنَا عَبِيدٌ لَمْ تَتَخَلَّ عَنَّا فِي عُبُودِيَّتِنَا، بَلْ ظَلَّلْتَنَا بِالرَّحْمَةِ أَمَامَ مُلُوكِ فَارِسَ وَمَنَحْتَنَا حَيَاةً لِنَبْنِيَ هَيْكَلاً وَنُرَمِّمَ خَرَائِبَهُ وَنَتَمَتَّعَ بِالْحِمَايَةِ فِي يَهُوذَا وَفِي أُورُشَلِيمَ. | ٩ 9 |
क्यूँकि हम तो ग़ुलाम हैं लेकिन हमारे ख़ुदा ने हमारी ग़ुलामी में हम को छोड़ा नहीं, बल्कि हम को ताज़गी बख़्शने और अपने ख़ुदा के घर को बनाने और उसके खण्डरों की मरम्मत करने, और यहूदाह और येरूशलेम में हम को शहर — ए — पनाह देने को फ़ारस के बादशाहों के सामने हम पर रहमत की।
فَمَاذَا نَقُولُ بَعْدَ كُلِّ مَا حَدَثَ؟ لَقَدْ نَبَذْنَا وَصَايَاكَ. | ١٠ 10 |
और अब ऐ हमारे ख़ुदा, हम इसके बाद क्या कहें? क्यूँकि हम ने तेरे उन हुक्मों को छोड़ दिया है,
الَّتِي أَمَرْتَنَا بِها عَلَى لِسَانِ عَبِيدِكَ الأَنْبِيَاءِ قَائِلاً: إِنَّ الأَرْضَ الَّتِي تَدْخُلُونَ لِتَرِثُوهَا هِيَ أَرْضٌ نَجَّسَتْهَا شُعُوبُهَا بِرَجَاسَاتِهِمْ، مِنْ أَقْصَاهَا إِلَى أَقْصَاهَا. | ١١ 11 |
जो तू ने अपने ख़ादिमों या'नी नबियों के ज़रिए' फ़रमाए कि वह मुल्क जिसे तुम मीरास में लेने को जाते हो और मुल्कों की क़ौमों की नापाकी और नफ़रती कामों की वजह से नापाक मुल्क है, क्यूँकि उन्होंने अपनी नापाकी से उसको इस सिरे से उस सिरे तक भर दिया है।
وَالآنَ لَا تُزَوِّجُوا بَنَاتِكُمْ مِنْ بَنِيهِمْ، وَلا تُزَوِّجُوا أَبْنَاءَكُمْ مِنْ بَنَاتِهِمْ، وَلا تَسْعَوْا فِي سَبِيلِ أَمْنِهِمْ وَخَيْرِهِمْ، لِكَيْ تَتَرَسَّخَ قُوَّتُكُمْ وَتَأْكُلُوا خَيْرَ الأَرْضِ وَتُوَرِّثُوهَا لأَبْنَائِكُمْ إِلَى الأَبَدِ. | ١٢ 12 |
इसलिए तुम अपनी बेटियाँ उनके बेटों को न देना और उनकी बेटियाँ अपने बेटों के लिए न लेना, और न कभी उनकी सलामती या भलाई चाहना, ताकि तुम मज़बूत बनो और उस मुल्क की अच्छी — अच्छी चीज़ें खाओ, और अपनी औलाद के वास्ते हमेशा की मीरास के लिए उसे छोड़ जाओ।
وَالآنَ بَعْدَ كُلِّ مَا جَرَى عَلَيْنَا مِنْ جَرَّاءِ أَعْمَالِنَا السَّيِّئَةِ وَآثَامِنَا الْعَظِيمَةِ، نَعْلَمُ أَنَّكَ عَاقَبْتَنَا يَا إِلَهَنَا بِأَقَلَّ مِنْ آثَامِنَا، وَوَهَبْتَنَا نَجَاةً مِثْلَ هَذِهِ. | ١٣ 13 |
और हमारे बुरे कामों और बड़े गुनाह की वजह से जो कुछ हम पर गुज़रा, उसके बाद ऐ हमारे ख़ुदा, हक़ीक़त ये है कि तू ने हमारे गुनाहों के अन्दाज़े से हम को कम सज़ा दी और हम में से ऐसा बक़िया छोड़ा;
أَنَعُودُ بَعْدَ ذَلِكَ وَنَتَعَدَّى عَلَى وَصَايَاكَ وَنُنَاسِبُ الأُمَمَ الَّذِينَ يَرْتَكِبُونَ هَذِهِ الرَّجَاسَاتِ؟ أَلا تَسْخَطُ عَلَيْنَا آنَئِذٍ حَتَّى تُفْنِيَنَا فَلا تَبْقَى مِنَّا بَقِيَّةٌ وَلا تَكُونُ لَنَا نَجَاةٌ؟ | ١٤ 14 |
क्या हम फिर तेरे हुक्मों को तोड़ें, और उन क़ौमों से नाता जोड़ें जो इन नफ़रती कामों को करती हैं? क्या तू हम से ऐसा ग़ुस्सा न होगा कि हम को बर्बाद कर दे, यहाँ तक कि न कोई बक़िया रहे और न कोई बचे?
أَيُّهَا الرَّبُّ إِلَهَ إِسْرَائِيلَ، أَنْتَ عَادِلٌ لأَنَّنَا مَازِلْنَا بَقِيَّةً نَاجِيَةً إِلَى هَذَا الْيَوْمِ، وَهَا نَحْنُ نَمْثُلُ أَمَامَكَ فِي آثَامِنَا، مَعَ أَنَّهُ لَا حَقَّ لَنَا فِي ذَلِكَ». | ١٥ 15 |
ऐ ख़ुदावन्द, इस्राईल के ख़ुदा! तू सादिक़ है, क्यूँकि हम एक बक़िया हैं जो बच निकला है, जैसा आज के दिन है। देख, हम अपनी ख़ताकारी में तेरे सामने हाज़िर हैं, क्यूँकि इसी वजह से कोई तेरे सामने खड़ा रह नहीं सकता।