< عَزْرا 5 >

فِي ذَلِكَ الْحِينِ تَنَبَّأَ النَّبِيَّانِ حَجَّي وَزَكَرِيَّا بْنُ عِدُّوَ لِلْيَهُودِ الْمُقِيمِينَ فِي أُورُشَلِيمَ وَيَهُوذَا بِاسْمِ الرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ الْمُهَيْمِنِ عَلَيْهِمْ. ١ 1
तब हाग्गै नामक नबी और इद्दो का पोता जकर्याह यहूदा और यरूशलेम के यहूदियों से नबूवत करने लगे, उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर के नाम से उनसे नबूवत की।
فَقَامَ زَرُبَّابِلُ بْنُ شَأَلْتِيئِيلَ وَيَشُوعُ بْنُ يُوصَادُوقَ، وَشَرَعَا فِي اسْتِكْمَالِ بِنَاءِ هَيْكَلِ اللهِ الَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ، بِمَعُونَةِ نَبِيَّيِ اللهِ، ٢ 2
तब शालतीएल का पुत्र जरुब्बाबेल और योसादाक का पुत्र येशुअ, कमर बाँधकर परमेश्वर के भवन को जो यरूशलेम में है बनाने लगे; और परमेश्वर के वे नबी उनका साथ देते रहे।
فَجَاءَهُمْ تَتْنَايُ وَالِي عَبْرِ النَّهْرِ وَشَتَرْبُوزْنَايُ وَرُفَقَاؤُهُمَا وَسَأَلُوهُمْ: «مَنْ أَمَرَكُمْ بِإِعَادَةِ بِنَاءِ هَذَا الْهَيْكَلِ وَاسْتِكْمَالِ السُّورِ؟» ٣ 3
उसी समय महानद के इस पार का तत्तनै नामक अधिपति और शतर्बोजनै अपने सहयोगियों समेत उनके पास जाकर यह पूछने लगे, “इस भवन के बनाने और इस शहरपनाह को खड़ा करने की किसने तुम को आज्ञा दी है?”
ثُمَّ طَلَبُوا قَائِمَةً بِأَسْمَاءِ الرِّجَالِ الْمُسَاهِمِينَ فِي بِنَاءِ الْهَيْكَلِ. ٤ 4
उन्होंने लोगों से यह भी कहा, “इस भवन के बनानेवालों के क्या नाम हैं?”
وَلَكِنْ كَانَتْ عَيْنُ إِلَهِ قَادَةِ الْيَهُودِ تَرْعَاهُمْ، فَلَمْ يُوْقِفُوهُمْ عَنِ الْعَمَلِ حَتَّى يَتِمَّ رَفْعُ الأَمْرِ إِلَى دَارِيُوسَ وَيَتَلَقَّوْا رَدَّهُ عَلَيْهَا. ٥ 5
परन्तु यहूदियों के पुरनियों के परमेश्वर की दृष्टि उन पर रही, इसलिए जब तक इस बात की चर्चा दारा से न की गई और इसके विषय चिट्ठी के द्वारा उत्तर न मिला, तब तक उन्होंने इनको न रोका।
وَهَذَا هُوَ نَصُّ الرِّسَالَةِ الَّتِي بَعَثَ بِها تَتْنَايُ وَالِي عَبْرِ النَّهْرِ وَشَتَرْبُوزْنَايُ وَرُفَقَاؤُهُمَا الأَفَرْسَكِيُّونَ الْمُقِيمُونَ فِي عَبْرِ النَّهْرِ إِلَى دَارِيُوسَ الْمَلِكِ. ٦ 6
जो चिट्ठी महानद के इस पार के अधिपति तत्तनै और शतर्बोजनै और महानद के इस पार के उनके सहयोगियों फारसियों ने राजा दारा के पास भेजी उसकी नकल यह है;
وَقَدْ وَرَدَ فِي هَذِهِ الرِّسَالَةِ: «إِلَى الْمَلِكِ دَارِيُوسَ كُلُّ سَلامٍ. ٧ 7
उन्होंने उसको एक चिट्ठी लिखी, जिसमें यह लिखा थाः “राजा दारा का कुशल क्षेम सब प्रकार से हो।
نَوَدُّ أَنْ نُحِيطَكُمْ عِلْماً بِأَنَّنَا ذَهَبْنَا إِلَى بِلادِ يَهُوذَا، حَيْثُ مَعْبَدُ الإِلَهِ الْعَظِيمِ، فَوَجَدْنَا الْهَيْكَلَ يُبْنَى بِحِجَارَةٍ عَظِيمَةٍ وَجُدْرَانَهُ تُدْعَمُ بِالْخَشَبِ، وَالْعَمَلَ يَسِيرُ بِأَقْصَى سُرْعَةٍ وَيَتِمُّ إِنْجَازُهُ عَلَى أَيْدِيهِمْ بِنَجَاحٍ بَاهِرٍ. ٨ 8
राजा को विदित हो, कि हम लोग यहूदा नामक प्रान्त में महान परमेश्वर के भवन के पास गए थे, वह बड़े-बड़े पत्थरों से बन रहा है, और उसकी दीवारों में कड़ियाँ जुड़ रही हैं; और यह काम उन लोगों के द्वारा फुर्ती के साथ हो रहा है, और सफल भी होता जाता है।
وَقَدْ سَأَلْنَا هَؤُلاءِ الْقَادَةَ: مَنْ أَمَرَكُمْ بِإِعَادَةِ بِنَاءِ هَذَا الْبَيْتِ وَاسْتِكْمَالِ هَذِهِ الأَسْوَارِ؛ ٩ 9
इसलिए हमने उन पुरनियों से यह पूछा, ‘यह भवन बनवाने, और यह शहरपनाह खड़ी करने की आज्ञा किसने तुम्हें दी?’
وَطَلَبْنَا قَائِمَةً بِأَسْمَائِهِمْ، فَدَوَّنَّا أَسْمَاءَ قَادَتِهِمْ لِنُطْلِعَكَ عَلَيْهَا. ١٠ 10
१०और हमने उनके नाम भी पूछे, कि हम उनके मुख्य पुरुषों के नाम लिखकर तुझको जता सकें।
وَقَدْ أَجَابُونَا قَائِلِينَ: نَحْنُ عَبِيدُ إِلَهِ السَّمَاءِ وَالأَرْضِ، وَنُعِيدُ بِنَاءَ هَذَا الْهَيْكَلِ الَّذِي تَمَّ إِنْشَاؤُهُ مُنْذُ سِنيِنَ كَثِيرَةٍ عَلَى يَدِ مَلِكٍ إِسْرَائِيلِيٍّ عَظِيمٍ. ١١ 11
११उन्होंने हमें यह उत्तर दिया, ‘हम तो आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर के दास हैं, और जिस भवन को बहुत वर्ष हुए इस्राएलियों के एक बड़े राजा ने बनाकर तैयार किया था, उसी को हम बना रहे हैं।
وَلَكِنْ بَعْدَ أَنْ أَثَارَ آبَاؤُنَا غَضَبَ إِلَهِ السَّمَاءِ، أَسْلَمَهُمْ لِيَدِ نَبُوخَذْنَصَّرَ الْكِلْدَانِيِّ، الَّذِي هَدَمَ الْهَيْكَلَ وَسَبَى الشَّعْبَ إِلَى بَابِلَ. ١٢ 12
१२जब हमारे पुरखाओं ने स्वर्ग के परमेश्वर को रिस दिलाई थी, तब उसने उन्हें बाबेल के कसदी राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में कर दिया था, और उसने इस भवन को नाश किया और लोगों को बन्दी बनाकर बाबेल को ले गया।
غَيْرَ أَنَّهُ فِي السَّنَةِ الأُولَى لِتَوَلِّي كُورَشَ مُلْكَ بَابِلَ، أَصْدَرَ أَمْراً بِبِنَاءِ هَيْكَلِ اللهِ هَذَا، ١٣ 13
१३परन्तु बाबेल के राजा कुस्रू के पहले वर्ष में उसी कुस्रू राजा ने परमेश्वर के इस भवन को बनाने की आज्ञा दी।
وَأَمَرَ بِرَدِّ آنِيَتِهِ الذَّهَبِيَّةِ وَالْفِضِّيَّةِ الَّتِي غَنِمَهَا نَبُوخَذْنَصَّرُ مِنْ هَيْكَلِ أُورُشَلِيمَ، وَوَضَعَهَا فِي هَيْكَلِ بَابِلَ، فَأَخْرَجَهَا الْمَلِكُ كُورَشُ مِنْ هَيْكَلِ بَابِلَ وَسَلَّمَهَا لِوَاحِدٍ يُدْعَى شِيشْبَصَّرَ الَّذِي أَقَامَهُ وَالِياً. ١٤ 14
१४परमेश्वर के भवन के जो सोने और चाँदी के पात्र नबूकदनेस्सर यरूशलेम के मन्दिर में से निकलवाकर बाबेल के मन्दिर में ले गया था, उनको राजा कुस्रू ने बाबेल के मन्दिर में से निकलवाकर शेशबस्सर नामक एक पुरुष को जिसे उसने अधिपति ठहरा दिया था, सौंप दिया।
وَقَالَ لَهُ: خُذْ هَذِهِ الآنِيَةَ وَانْقُلْهَا إِلَى هَيْكَلِ أُورُشَلِيمَ وَأَعِدْ بِنَاءَهُ فِي نَفْسِ مَوْقِعِهِ. ١٥ 15
१५उसने उससे कहा, “ये पात्र ले जाकर यरूशलेम के मन्दिर में रख, और परमेश्वर का वह भवन अपने स्थान पर बनाया जाए।”
حِينَئِذٍ قَدِمَ شِيشْبَصَّرُ هَذَا وَأَرْسَى أَسَاسَ هَيْكَلِ اللهِ الَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ، وَمِنْ ذَلِكَ الوَقْتِ شَرَعَ الشَّعْبُ فِي بِنَاءِ الْهَيْكَلِ وَلَكِنَّهُ لَمْ يَكْتَمِلْ بَعْدُ. ١٦ 16
१६तब उसी शेशबस्सर ने आकर परमेश्वर के भवन की जो यरूशलेम में है नींव डाली; और तब से अब तक यह बन रहा है, परन्तु अब तक नहीं बन पाया।’
فَالآنَ، إِنْ رَاقَ لَدَى الْمَلِكِ فَلْيَبْحَثْ فِي سِجِلّاتِ الْمَمْلَكَةِ فِي بَابِلَ، لِيَرَى إِنْ كَانَ حَقّاً قَدْ صَدَرَ مَرْسُومٌ مِنْ كُورَشَ الْمَلِكِ بِإِعَادَةِ بِنَاءِ هَيْكَلِ اللهِ هَذَا فِي أُورُشَلِيمَ. وَلْيَبْعَثْ لَنَا الْمَلِكُ بِمَا يَسْتَقِرُّ عَلَيْهِ رَأْيُهُ». ١٧ 17
१७अब यदि राजा को अच्छा लगे तो बाबेल के राजभण्डार में इस बात की खोज की जाए, कि राजा कुस्रू ने सचमुच परमेश्वर के भवन के जो यरूशलेम में है बनवाने की आज्ञा दी थी, या नहीं। तब राजा इस विषय में अपनी इच्छा हमको बताए।”

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