< عَزْرا 1 >

فِي السَّنَةِ الأُولَى لِحُكْمِ كُورَشَ مَلِكِ فَارِسَ، وَإِتْمَاماً لِكَلامِ الرَّبِّ الَّذِي نَطَقَ بِهِ عَلَى لِسَانِ إِرْمِيَا، نَبَّهَ الرَّبُّ رُوحَ كُورَشَ فَأَصْدَرَ نِدَاءً مَكْتُوباً فِي كُلِّ أَرْجَاءِ مَمْلَكَتِهِ وَرَدَ فِيهِ: ١ 1
और शाह — ए — फ़ारस ख़ोरस की सल्तनत के पहले साल में इसलिए कि ख़ुदावन्द का कलाम जो यरमियाह की ज़बानी आया था पूरा हुआ, ख़ुदावन्द ने शाह — ए — फ़ारस ख़ोरस का दिल उभारा, इसलिए उस ने अपने पूरे मुल्क में 'ऐलान कराया और इस मज़मून का फ़रमान लिखा कि।
«هَذَا مَا يَقُولُهُ كُورَشُ مَلِكُ فَارِسَ: لَقَدْ وَهَبَنِي الرَّبُّ إِلَهُ السَّمَاءِ جَمِيعَ مَمَالِكِ الأَرْضِ، وَأَوْصَانِي أَنْ أُشَيِّدَ لَهُ هَيْكَلاً فِي أُورُشَلِيمَ فِي مَمْلَكَةِ يَهُوذَا، ٢ 2
शाह — ए — फ़ारस ख़ोरस यूँ फ़रमाता है कि ख़ुदावन्द आसमान के ख़ुदा ने ज़मीन की सब मुल्कें मुझें बख़्शी हैं, और मुझें ताकीद की है कि मैं येरूशलेम में जो यहूदाह में है उसके लिए एक घर बनाऊँ।
فَعَلَى كُلِّ وَاحِدٍ مِنْ أَبْنَاءِ شَعْبِهِ، لِيَكُنِ الرَّبُّ مَعَهُ، أَنْ يَصْعَدَ إِلَى أُورُشَلِيمَ فِي أَرْضِ يَهُوذَا فَيَبْنِيَ هَيْكَلَ الرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ. إِنَّه اللهُ الَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ. ٣ 3
तब तुम्हारे बीच जो कोई उसकी सारी क़ौम में से हो उसका ख़ुदा उसके साथ हो और वह येरूशलेम को जो यहूदाह में है जाए, और ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा का घर जो येरूशलेम में है, बनाए ख़ुदा वही है;
وَعَلَى أَهْلِ الْمَوَاضِعِ الَّتِي يُقِيمُ فِيهَا الآنَ الْمَسْبِيُّونَ الْمُتَغَرِّبُونَ أَنْ يَمُدُّوهُمْ بِالذَّهَبِ وَالْفِضَّةِ وَالدَّوَابِ، فَضْلاً عَمَّا يَتَبَرَّعُونَ بِهِ لِبِنَاءِ هَيْكَلِ الرَّبِّ الَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ». ٤ 4
और जो कोई किसी जगह जहाँ उसने क़याम किया बाक़ी रहा हो तो उसी जगह के लोग चाँदी और सोने और माल मवेशी से उसकी मदद करें, और 'अलावा इसके वह ख़ुदा के घर के लिए जो येरूशलेम में है ख़ुशी के हदिये दें।
فَهَبَّ رُؤَسَاءُ بُيُوتِ يَهُوذَا وَبَنْيَامِينَ، وَالْكَهَنَةُ وَاللّاوِيُّونَ، كُلُّ مَنْ نَبَّهَ الرَّبُّ قَلْبَهُ لِيَرْجِعَ إِلَى أُورُشَلِيمَ لِبِنَاءِ هَيْكَلِ الرَّبِّ هُنَاكَ. ٥ 5
तब यहूदाह और बिनयमीन के आबाई ख़ानदानों के सरदार और काहिन और लावी और वह सब जिनके दिल को ख़ुदा ने उभारा, उठे कि जाकर ख़ुदावन्द का घर जो येरूशलेम में है बनाएँ,
وَأَمَدَّهُمْ جِيرَانُهُمْ بِآنِيَةِ فِضَّةٍ وَذَهَبٍ وَبِأَمْتِعَةٍ وَبَهَائِمَ وَتُحَفٍ، فَضْلاً عَمَّا تَبَرَّعُوا بِهِ. ٦ 6
और उन सभों ने जो उनके पड़ोस में थे, 'अलावा उन सब चीज़ों के जो ख़ुशी से दी गई, चाँदी के बर्तनों और सोने और सामान और मवाशी और क़ीमती चीज़ों से उनकी मदद की।
وَأَخْرَجَ الْمَلِكُ كُورَشُ آنِيَةَ بَيْتِ الرَّبِّ الَّتِي كَانَ الْمَلِكُ نَبُوخَذْنَصَّرُ قَدْ غَنِمَهَا مِنْ هَيْكَلِ أُورُشَلِيمَ، وَوَضَعَهَا فِي مَعْبَدِ آلِهَتِهِ. ٧ 7
और ख़ोरस बादशाह ने भी ख़ुदावन्द के घर के उन बर्तनों को निकलवाया जिनको नबूकदनज़र येरूशलेम से ले आया था और अपने मा'बूदों के इबादत खाने में रखा था।
وَأَمَرَ مِثْرَدَاثَ الْخَازِنَ أَنْ يَعُدَّهَا لِشِيشْبَصَّرَ رَئِيسِ يَهُوذَا، ٨ 8
इन ही को शाह — ए — फ़ारस ख़ोरस ने ख़ज़ान्ची मित्रदात के हाथ से निकलवाया, और उनको गिनकर यहूदाह के अमीर शेसबज़्ज़र को दिया।
فَكَانَتْ فِي جُمْلَتِهَا ثَلاثِينَ طَسْتاً مِنْ ذَهَبٍ، وَأَلْفَ طَسْتٍ مِنْ فِضَّةٍ، وَتِسْعَةً وَعِشْرِينَ سِكِّيناً ٩ 9
और उनकी गिनती ये है: सोने की तीस थालियाँ, और चाँदी की हजार थालियाँ और उनतीस छुरियाँ।
وَثَلاثِينَ قَدَحاً مِنْ ذَهَبٍ، وَأَرْبَعَ مِئَةٍ وَعَشْرَةً مِنَ الأَقْدَاحِ الْفِضِّيَّةِ، وَأَلْفاً مِنَ الآنِيَةِ الأُخْرَى. ١٠ 10
और सोने के तीस प्याले, और चाँदी के दूसरी क़िस्म के चार सौ दस प्याले और, और क़िस्म के बर्तन एक हज़ार।
فَكَانَ مَجْمُوعُ آنِيَةِ الذَّهَبِ وَالْفِضَّةِ خَمْسَةَ آلافٍ وَأَرْبَعَ مِئَةٍ، حَمَلَهَا شِيشْبَصَّرُ كُلَّهَا مَعَهُ عِنْدَ إِطْلاقِ سَرَاحِ الْمَسْبِيِّينَ مِنْ بَابِلَ وَرُجُوعِهِمْ إِلَى أُورُشَلِيمَ. ١١ 11
सोने और चाँदी के कुल बर्तन पाँच हज़ार चार सौ थे। शेसबज़्ज़र इन सभों को, जब ग़ुलामी के लोग बाबुल से येरूशलेम को पहुँचाए गए, ले आया।

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