< حِزْقِيال 23 >

وَأَوْحَى إِلَيَّ الرَّبُّ بِكَلِمَتِهِ قَائِلاً: ١ 1
यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
«يَا ابْنَ آدَمَ، كَانَتْ هُنَاكَ امْرَأَتَانِ، ابْنَتَا أُمٍّ وَاحِدَةٍ، ٢ 2
“हे मनुष्य के सन्तान, दो स्त्रियाँ थी, जो एक ही माँ की बेटी थी।
زَنَتَا فِي صِبَاهُمَا فِي مِصْرَ حَيْثُ دُوعِبَتْ ثُدِيُّهُمَا، وَعُبِثَ بِتَرَائِبِ عِذْرَتِهِمَا. ٣ 3
वे अपने बचपन ही में वेश्या का काम मिस्र में करने लगी; उनकी छातियाँ कुँवारेपन में पहले वहीं मींजी गई और उनका मरदन भी हुआ।
اسْمُ الْكُبْرَى أُهُولَةُ وَاسْمُ أُخْتِهَا أُهُولِيبَةُ، وَكَانَتَا لِي وَأَنَجْبَتَا أَبْنَاءَ وَبَنَاتٍ، أَمَّا السَّامِرَةُ فَهِيَ أُهُولَةُ، وَأُورُشَلِيمُ هِيَ أُهُولِيبَةُ. ٤ 4
उन लड़कियों में से बड़ी का नाम ओहोला और उसकी बहन का नाम ओहोलीबा था। वे मेरी हो गई, और उनके पुत्र पुत्रियाँ उत्पन्न हुईं। उनके नामों में से ओहोला तो सामरिया, और ओहोलीबा यरूशलेम है।
وَزَنَتْ أُهُولَةُ مَعَ أَنَّهَا كَانَتْ لِي، وَعَشِقَتْ مُحِبِّيهَا الأَشُّورِيِّينَ الأَبْطَالَ. ٥ 5
“ओहोला जब मेरी थी, तब ही व्यभिचारिणी होकर अपने मित्रों पर मोहित होने लगी जो उसके पड़ोसी अश्शूरी थे।
الْلّابِسِينَ الأَرْدِيَةَ الأُرْجُوَانِيَّةَ مِنْ وُلاةٍ وَقَادَةٍ. وَكُلُّهُمْ شُبَّانُ شَهْوَةٍ، وَفُرْسَانُ خَيْلٍ. ٦ 6
वे तो सब के सब नीले वस्त्र पहननेवाले मनभावने जवान, अधिपति और प्रधान थे, और घोड़ों पर सवार थे।
فَأَغْدَقَتْ عَلَى نُخْبَةِ أَبْنَاءِ أَشُورَ زِنَاهَا، وَتَنَجَّسَتْ بِكُلِّ مَنْ عَشِقَتْهُمْ وَبِكُلِّ أَصْنَامِهِمْ. ٧ 7
इसलिए उसने उन्हीं के साथ व्यभिचार किया जो सब के सब सर्वोत्तम अश्शूरी थे; और जिस किसी पर वह मोहित हुई, उसी की मूरतों से वह अशुद्ध हुई।
وَلَمْ تَتَخَلَّ عَنْ زِنَاهَا مُنْذُ أَيَّامِ مِصْرَ لأَنَّهُمْ ضَاجَعُوهَا مُنْذُ حَدَاثَتِهَا، وَعَبَثُوا بِتَرَائِبِ عِذْرَتِهَا وَسَكَبُوا عَلَيْهَا شَهْوَاتِهِمْ، ٨ 8
जो व्यभिचार उसने मिस्र में सीखा था, उसको भी उसने न छोड़ा; क्योंकि बचपन में मनुष्यों ने उसके साथ कुकर्म किया, और उसकी छातियाँ मींजी, और तन-मन से उसके साथ व्यभिचार किया गया था।
لِذَلِكَ سَلَّمْتُهَا لِيَدِ عُشَّاقِهَا أَبْنَاءِ أَشُورَ الَّذِينَ أُوْلِعَتْ بِهِمْ. ٩ 9
इस कारण मैंने उसको उन्हीं अश्शूरी मित्रों के हाथ कर दिया जिन पर वह मोहित हुई थी।
فَفَضَحُوا عَوْرَتَهَا، وَأَسَرُوا أَبْنَاءَهَا وَبَنَاتِهَا، وَذَبَحُوهَا بِالسَّيْفِ، فَصَارَتْ عِبْرَةً لِلنِّسَاءِ وَنَفَّذُوا فِيهَا قَضَاءً. ١٠ 10
१०उन्होंने उसको नंगी किया; उसके पुत्र-पुत्रियाँ छीनकर उसको तलवार से घात किया; इस प्रकार उनके हाथ से दण्ड पाकर वह स्त्रियों में प्रसिद्ध हो गई।
وَمَعَ أَنَّ أُخْتَهَا أُهُولِيبَةَ شَهِدَتْ هَذَا، فَإِنَّهَا أَوْغَلَتْ أَكْثَرَ مِنْهَا فِي عِشْقِهَا وَزِنَاهَا، ١١ 11
११“उसकी बहन ओहोलीबा ने यह देखा, तो भी वह मोहित होकर व्यभिचार करने में अपनी बहन से भी अधिक बढ़ गई।
إِذْ عَشِقَتْ أَبْنَاءَ أَشُّورَ مِنْ وُلاةٍ وَقَادَةٍ، الْمُرْتَدِينَ أَفْخَرَ الثِّيَابِ، فُرْسَانَ خَيْلٍ وَجَمِيعُهُمْ شُبَّانُ شَهْوَةٍ. ١٢ 12
१२वह अपने अश्शूरी पड़ोसियों पर मोहित होती थी, जो सब के सब अति सुन्दर वस्त्र पहननेवाले और घोड़ों के सवार मनभावने, जवान अधिपति और सब प्रकार के प्रधान थे।
فَرَأَيْتُ أَنَّهَا قَدْ تَنَجَّسَتْ، وَسَلَكَتَا كِلْتَاهُمَا فِي ذَاتِ الطَّرِيقِ. ١٣ 13
१३तब मैंने देखा कि वह भी अशुद्ध हो गई; उन दोनों बहनों की एक ही चाल थी।
غَيْرَ أَنَّ أُهُولِيبَةَ تَفَوَّقَتْ فِي زِنَاهَا، إِذْ حِينَ نَظَرَتْ إِلَى صُوَرِ رِجَالِ الْكَلْدَانِيِّينَ الْمَرْسُومَةِ عَلَى الْحَائِطِ بِالْمُغْرَةِ، ١٤ 14
१४परन्तु ओहोलीबा अधिक व्यभिचार करती गई; अतः जब उसने दीवार पर सेंदूर से खींचे हुए ऐसे कसदी पुरुषों के चित्र देखे,
مُتَحَزِّمِينَ بِمَنَاطِقَ عَلَى خُصُورِهِمْ، وَعَمَائِمُهُمْ مَسْدُولَةٌ عَلَى رُؤُوسِهِمْ، وَكُلُّهُمْ بَدَوْا كَرُؤَسَاءِ مَرْكَبَاتٍ مُمَاثِلِينَ تَمَاماً لأَبْنَاءِ الْكَلْدَانِيِّينَ فِي بَابِلَ أَرْضِ مِيلادِهِمْ، ١٥ 15
१५जो कमर में फेंटे बाँधे हुए, सिर में छोर लटकती हुई रंगीली पगड़ियाँ पहने हुए, और सब के सब अपनी कसदी जन्म-भूमि अर्थात् बाबेल के लोगों की रीति पर प्रधानों का रूप धरे हुए थे,
عَشِقَتْهُمْ وَبَعَثَتْ إِلَيْهِمْ رُسُلاً إِلَى أَرْضِ الْكَلْدَانِيِّينَ. ١٦ 16
१६तब उनको देखते ही वह उन पर मोहित हुई और उनके पास कसदियों के देश में दूत भेजे।
فَأَقْبَلَ إِلَيْهَا أَبْنَاءُ بَابِلَ وَعَاشَرُوهَا فِي مَضْجَعِ الْحُبِّ وَنَجَّسُوهَا بِزِنَاهُمْ. وَبَعْدَ أَنْ تَنَجَّسَتْ بِهِمْ كَرِهَتْهُمْ. ١٧ 17
१७इसलिए बाबेली उसके पास पलंग पर आए, और उसके साथ व्यभिचार करके उसे अशुद्ध किया; और जब वह उनसे अशुद्ध हो गई, तब उसका मन उनसे फिर गया।
وَإِذْ وَاظَبَتْ عَلَى زِنَاهَا عَلانِيَةً، وَتَبَاهَتْ بِعَرْضِ عُرْيِهَا، كَرِهْتُهَا كَمَا كَرِهْتُ أُخْتَهَا. ١٨ 18
१८तो भी जब वह तन उघाड़ती और व्यभिचार करती गई, तब मेरा मन जैसे उसकी बहन से फिर गया था, वैसे ही उससे भी फिर गया।
وَمَعَ ذَلِكَ أَكْثَرَتْ مِنْ فُحْشِهَا، ذَاكِرَةً أَيَّامَ حَدَاثَتِهَا حَيْثُ زَنَتْ فِي دِيَارِ مِصْرَ. ١٩ 19
१९इस पर भी वह मिस्र देश के अपने बचपन के दिन स्मरण करके जब वह वेश्या का काम करती थी, और अधिक व्यभिचार करती गई;
فَأُوْلِعَتْ بِعُشَّاقِهَا هُنَاكَ، الَّذِينَ عَوْرَتُهُمْ كَعَوْرَةِ الْحَمِيرِ وَمَنِيُّهُمْ كَمَنِيِّ الْخَيْلِ. ٢٠ 20
२०और ऐसे मित्रों पर मोहित हुई, जिनका अंग गदहों का सा, और वीर्य घोड़ों का सा था।
وَتُقْتِ إِلَى فُجُورِ حَدَاثَتِكِ حِينَ كَانَ الْمِصْرِيُّونَ يُدَاعِبُونَ تَرَائِبَ عِذْرَتِكِ طَمَعاً فِي نَهْدِ حَدَاثَتِكِ. ٢١ 21
२१तू इस प्रकार से अपने बचपन के उस समय के महापाप का स्मरण कराती है जब मिस्री लोग तेरी छातियाँ मींजते थे।”
لِذَلِكَ يَا أُهُولِيبَةُ، هَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: هَا أَنَا أُثِيرُ عَلَيْكِ عُشَّاقَكِ الَّذِينَ جَفَتْهُمْ نَفْسُكِ، وَآتِي بِهِمْ عَلَيْكِ مِنْ كُلِّ نَاحِيَةٍ. ٢٢ 22
२२इस कारण हे ओहोलीबा, परमेश्वर यहोवा तुझ से यह कहता है: “देख, मैं तेरे मित्रों को उभारकर जिनसे तेरा मन फिर गया चारों ओर से तेरे विरुद्ध ले आऊँगा।
أَبْنَاءَ الْبَابِلِيِّينَ، وَسَائِرَ الْكَلْدَانِيِّينَ مِنْ أَقْوَامِ فَقُودَ وَشُوعَ وَقُوعَ وَمَعَهُمْ جَمِيعُ أَبْنَاءِ أَشُورَ، شُبَّانُ شَهْوَةٍ، مِنْ وُلاةٍ وَقَادَةٍ وَرُؤَسَاءِ مَرْكَبَاتٍ وَذَوِي الشُّهْرَةِ، وَكُلُّهُمْ فُرْسَانُ خَيْلٍ. ٢٣ 23
२३अर्थात् बाबेली और सब कसदियों को, और पकोद, शोया और कोआ के लोगों को; और उनके साथ सब अश्शूरियों को लाऊँगा जो सब के सब घोड़ों के सवार मनभावने जवान अधिपति, और कई प्रकार के प्रतिनिधि, प्रधान और नामी पुरुष हैं।
فَيُهَاجِمُونَكِ بِأَسْلِحَةٍ وَمَرْكَبَاتٍ وَعَرَبَاتٍ وَأَقْوَامِ شُعُوبٍ وَيُحَاصِرُونَكِ بِتُرْسٍ وَمِجَنٍّ وَخُوذَةٍ. وَأَعْهَدُ إِلَيْهِمْ بِمُقَاضَاتِكِ فَيَحْكُمُونَ عَلَيْكِ بِمُقْتَضَى أَحْكَامِهِمْ. ٢٤ 24
२४वे लोग हथियार, रथ, छकड़े और देश-देश के लोगों का दल लिए हुए तुझ पर चढ़ाई करेंगे; और ढाल और फरी और टोप धारण किए हुए तेरे विरुद्ध चारों ओर पाँति बाँधेंगे; और मैं उन्हीं के हाथ न्याय का काम सौंपूँगा, और वे अपने-अपने नियम के अनुसार तेरा न्याय करेंगे।
وَأَصُبُّ سَخَطِي عَلَيْكِ فَيُعَامِلُونَكِ بِغَيْظٍ. يَجْدَعُونَ أَنْفَكِ وَأُذُنَيْكِ، وَتُقْتَلُ بَقِيَّتُكِ بِالسَّيْفِ. يَأْسِرُونَ أَبْنَاءَكِ وَبَنَاتِكِ، وَتَلْتَهِمُ النَّارُ بَقِيَّتَكِ، ٢٥ 25
२५मैं तुझ पर जलूँगा, जिससे वे जलजलाहट के साथ तुझ से बर्ताव करेंगे। वे तेरी नाक और कान काट लेंगे, और तेरा जो भी बचा रहेगा वह तलवार से मारा जाएगा। वे तेरे पुत्र-पुत्रियों को छीन ले जाएँगे, और तेरा जो भी बचा रहेगा, वह आग से भस्म हो जाएगा।
وَيُجَرِّدُونَكِ مِنْ ثِيَابِكِ وَيَسْتَوْلُونَ عَلَى حُلِيِّكِ. ٢٦ 26
२६वे तेरे वस्त्र भी उतारकर तेरे सुन्दर-सुन्दर गहने छीन ले जाएँगे।
وَهَكَذَا أَضَعُ حَدّاً لِعَهْرِكِ وَزِنَاكِ اللَّذَيْنِ شَرَعْتِ فِيهِمَا فِي أَرْضِ مِصْرَ، فَلا تَعُودِينَ تَتَعَلَّقِينَ بِهِمْ، أَوْ تَذْكُرِينَ مِصْرَ بَعْدُ. ٢٧ 27
२७इस रीति से मैं तेरा महापाप और जो वेश्या का काम तूने मिस्र देश में सीखा था, उसे भी तुझ से छुड़ाऊँगा, यहाँ तक कि तू फिर अपनी आँख उनकी ओर न लगाएगी और न मिस्र देश को फिर स्मरण करेगी।
هَا أَنَا أُسَلِّمُكِ إِلَى يَدِ الَّذِينَ كَرِهْتِهِمْ وَإِلَى أَيْدِي الَّذِينَ جَفَتْهُمْ نَفْسُكِ. ٢٨ 28
२८क्योंकि प्रभु यहोवा तुझ से यह कहता है: देख, मैं तुझे उनके हाथ सौंपूँगा जिनसे तू बैर रखती है और जिनसे तेरा मन फिर गया है;
فَيُعَامِلُونَكِ بِبُغْضٍ وَيَسْتَوْلُونَ عَلَى كُلِّ ثِمَارِ تَعَبِكِ، وَيَتْرُكُونَكِ مُتَجَرِّدَةً عَارِيَةً، فَتَنْفَضِحُ عَوْرَةُ زِنَاكِ وَعَهَرِكِ. ٢٩ 29
२९और वे तुझ से बैर के साथ बर्ताव करेंगे, और तेरी सारी कमाई को उठा लेंगे, और तुझे नंगा करके छोड़ देंगे, और तेरे तन के उघाड़े जाने से तेरा व्यभिचार और महापाप प्रगट हो जाएगा।
وَأُوْقِعُ بِكِ هَذِهِ الأُمُورَ لأَنَّكِ ضَلَلْتِ وَرَاءَ الأُمَمِ، وَتَنَجَّسْتِ بِعِبَادَةِ أَصْنَامِهِمْ، ٣٠ 30
३०ये काम तुझ से इस कारण किए जाएँगे क्योंकि तू अन्यजातियों के पीछे व्यभिचारिणी के समान हो गई, और उनकी मूर्तियों को पूजकर अशुद्ध हो गई है।
وَسَلَكْتِ فِي أَثَرِ أُخْتِكِ، لِهَذَا أُجَرِّعُكِ كَأْسَهَا ٣١ 31
३१तू अपनी बहन की लीक पर चली है; इस कारण मैं तेरे हाथ में उसका सा कटोरा दूँगा।
وَهَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: سَتَشْرَبِينَ كَأْسَ عِقَابِ أُخْتِكِ الْعَمِيقَةَ، وَتَكُونِينَ مَثَارَ ضَحِكٍ وَاسْتِهْزَاءٍ. لأَنَّ الْكَأْسَ تَسَعُ كَثِيراً. ٣٢ 32
३२प्रभु यहोवा यह कहता है, अपनी बहन के कटोरे से तुझे पीना पड़ेगा जो गहरा और चौड़ा है; तू हँसी और उपहास में उड़ाई जाएगी, क्योंकि उस कटोरे में बहुत कुछ समाता है।
تَمْتَلِئِينَ سُكْراً وَحُزْناً، فَكَأْسُ أُخْتِكِ السَّامِرَةِ، كَأْسُ الرُّعْبِ وَالْخَرَابِ، ٣٣ 33
३३तू मतवालेपन और दुःख से छक जाएगी। तू अपनी बहन सामरिया के कटोरे को, अर्थात् विस्मय और उजाड़ को पीकर छक जाएगी।
تَشْرَبِينَهَا وَتَمْتَصِّينَهَا، ثُمَّ تَقْضِمِينَ قِطَعَهَا، وَتَجْتَثِّينَ نَهْدَيْكِ لأَنِّي تَكَلَّمْتُ، يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ. ٣٤ 34
३४उसमें से तू गार-गारकर पीएगी, और उसके ठीकरों को भी चबाएगी और अपनी छातियाँ घायल करेगी; क्योंकि मैं ही ने ऐसा कहा है, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
لأَنَّكِ نَسِيتِنِي وَنَبَذْتِنِي وَرَاءَ ظَهْرِكِ، تَحَمَّلِي عَوَاقِبَ عَهَرِكِ وَزِنَاكِ». ٣٥ 35
३५तूने जो मुझे भुला दिया है और अपना मुँह मुझसे फेर लिया है, इसलिए तू आप ही अपने महापाप और व्यभिचार का भार उठा, परमेश्वर यहोवा का यही वचन है।”
وَقَالَ الرَّبُّ لِي: «يَا ابْنَ آدَمَ، أَتَدِينُ أَهُولَةَ وَأَهُولِيبَةَ؟ إِذَنْ أَطْلِعْهُمَا عَلَى مَا ارْتَكَبَتَاهُ مِنْ رِجْسٍ، ٣٦ 36
३६यहोवा ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू ओहोला और ओहोलीबा का न्याय करेगा? तो फिर उनके घिनौने काम उन्हें जता दे।
لأَنَّهُمَا قَدْ زَنَتَا وَسَفَكَتَا دِمَاءً، فَقَدْ زَنَتَا بِعِبَادَةِ أَصْنَامِهِمَا وَأَجَازَتَا أَبْنَاءَهُمَا الَّذِينَ أَنْجَبَتَاهُمْ فِي النَّارِ، لِيَكُونُوا وَقُوداً لَهَا. ٣٧ 37
३७क्योंकि उन्होंने व्यभिचार किया है, और उनके हाथों में खून लगा है; उन्होंने अपनी मूरतों के साथ व्यभिचार किया, और अपने बच्चों को जो मुझसे उत्पन्न हुए थे, उन मूरतों के आगे भस्म होने के लिये चढ़ाए हैं।
وَأَثِمَتَا فِي حَقِّي إِذْ أَنَّهُمَا فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ نَجَّسَتَا مُقَدَّسَاتِي وَدَنَّسَتَا أَيَّامَ سُبُوتِي. ٣٨ 38
३८फिर उन्होंने मुझसे ऐसा बर्ताव भी किया कि उसी के साथ मेरे पवित्रस्थान को भी अशुद्ध किया और मेरे विश्रामदिनों को अपवित्र किया है।
وَبَعْدَ أَنْ ذَبَحَتَا أَبْنَاءَهُمَا قَرَابِينَ لأَصْنَامِهِمَا قَدِمَتَا فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ إِلَى مَقْدِسِي لِتُنَجِّسَاهُ. فَانْظُرْ! هَذَا مَا ارْتَكَبَتَاهُ فِي هَيْكَلِي. ٣٩ 39
३९वे अपने बच्चे अपनी मूरतों के सामने बलि चढ़ाकर उसी दिन मेरा पवित्रस्थान अपवित्र करने को उसमें घुसीं। देख, उन्होंने इस भाँति का काम मेरे भवन के भीतर किया है।
بَلِ اسْتَدْعَيْتُمَا رِجَالاً قَادِمِينَ مِنْ بَعِيدٍ، بَعْدَ أَنْ أَرْسَلْتُمَا إِلَيْهِمْ رَسُولاً، وَهَا هُمْ قَدْ أَقْبَلُوا، وَمِنْ أَجْلِهِمْ اسْتَحْمَمْتِ وَكَحَّلْتِ عَيْنَيْكِ وَتَزَيَّنْتِ بِالْحُلِيِّ. ٤٠ 40
४०उन्होंने दूर से पुरुषों को बुलवा भेजा, और वे चले भी आए। उनके लिये तू नहा धो, आँखों में अंजन लगा, गहने पहनकर;
وَتَرَبَّعْتِ عَلَى سَرِيرٍ فَاخِرٍ، بُسِطَتْ أَمَامَهُ مَائِدَةٌ مُنَضَّضَةٌ وَضَعْتِ عَلَيْهَا بَخُورِي وَزَيْتِي. ٤١ 41
४१सुन्दर पलंग पर बैठी रही; और तेरे सामने एक मेज बिछी हुई थी, जिस पर तूने मेरा धूप और मेरा तेल रखा था।
وَأَحَاطَتْ بِها جَلَبَةُ قَوْمٍ لاهِينَ، وَاسْتُجْلِبَ مِنَ الْبَرِّيَّةِ سُكَارَى مَعَ أُنَاسٍ مِنْ رَعَاعِ الْخَلْقِ، زَيَّنُوا أَيْدِي الْمُذْنِبَتَيْنِ بِأَسْوِرَةٍ، وَوَضَعُوا عَلَى رَأْسَيْهِمَا تَاجَ جَمَالٍ. ٤٢ 42
४२तब उसके साथ निश्चिन्त लोगों की भीड़ का कोलाहल सुन पड़ा, और उन साधारण लोगों के पास जंगल से बुलाए हुए पियक्कड़ लोग भी थे; उन्होंने उन दोनों बहनों के हाथों में चूड़ियाँ पहनाई, और उनके सिरों पर शोभायमान मुकुट रखे।
فَقُلْتُ عَنِ الْعَرِيقَةِ فِي الزِّنَى: الآنَ يَزْنُونَ مَعَهَا وَهِي مَعَهُمْ، ٤٣ 43
४३“तब जो व्यभिचार करते-करते बुढ़िया हो गई थी, उसके विषय में बोल उठा, अब तो वे उसी के साथ व्यभिचार करेंगे।
لأَنَّهُمْ تَهَافَتُوا عَلَيْهَا كَمَا يُتَهَافَتُ عَلَى امْرَأَةٍ زَانِيَةٍ. هَكَذَا تَهَافَتُوا عَلَى أَهُولَةَ وَأَهُولِيبَةَ الْمَرْأَتَيْنِ الْعَاهِرَتَيْنِ. ٤٤ 44
४४क्योंकि वे उसके पास ऐसे गए जैसे लोग वेश्या के पास जाते हैं। वैसे ही वे ओहोला और ओहोलीबा नामक महापापिनी स्त्रियों के पास गए।
وَلَكِنْ سَيَدِينُهُمَا الرِّجَالُ الصِّدِّيقُونَ، فَيُصْدِرُونَ عَلَيْهِمَا حُكْمَ الزَّانِيَةِ وَحُكْمَ سَافِكَةِ الدَّمِ، لأَنَّهُمَا عَاهِرَتَانِ تَلَطَّخَتْ أَيْدِيهِمَا بِالدَّمِ. ٤٥ 45
४५अतः धर्मी लोग व्यभिचारिणियों और हत्यारों के योग्य उसका न्याय करें; क्योंकि वे व्यभिचारिणियों और हत्यारों के योग्य उसका न्याय करें; क्योंकि वे व्यभिचारिणी है, और उनके हाथों में खून लगा है।”
لأَنَّ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: هَا أَنَا أَجْلِبُ عَليْهِمَا قَوْماً مِنَ الأَعْدَاءِ، وَأُوْقِعُ بِهِمَا الرُّعْبَ وَالنَّهْبَ، ٤٦ 46
४६इस कारण परमेश्वर यहोवा यह कहता है: “मैं एक भीड़ से उन पर चढ़ाई कराकर उन्हें ऐसा करूँगा कि वे मारी-मारी फिरेंगी और लूटी जाएँगी।
فَيَرْجُمُهُمَا الْقَوْمُ بِالْحِجَارَةِ، وَيُمَزِّقُونَهُمَا بِالسُّيُوفِ وَيَذْبَحُونَ أَبْنَاءَهُمَا وَبَنَاتِهِمَا، وَيُحْرِقُونَ بُيُوتَهُمَا بِالنَّارِ. ٤٧ 47
४७उस भीड़ के लोग उनको पथराव करके उन्हें अपनी तलवारों से काट डालेंगे, तब वे उनके पुत्र-पुत्रियों को घात करके उनके घर भी आग लगाकर फूँक देंगे।
فَأَضَعُ حَدّاً لِلرَّذِيلَةِ فِي الأَرْضِ، فَتَعْتَبِرُ جَميِعُ النِّسَاءِ وَلا يَرْتَكِبْنَ الْفَحْشَاءَ كَمَا فَعَلْتُمَا. ٤٨ 48
४८इस प्रकार मैं महापाप को देश में से दूर करूँगा, और सब स्त्रियाँ शिक्षा पाकर तुम्हारा सा महापाप करने से बची रहेगी।
وَتَلْقَيَانِ جَزَاءَ زِنَاكُمَا وَتَحْمِلانِ خَطَايَا عِبَادَةِ أَصْنَامِكُمَا، وَتُدْرِكَانِ أَنِّي أَنَا السَّيِّدُ الرَّبُّ». ٤٩ 49
४९तुम्हारा महापाप तुम्हारे ही सिर पड़ेगा; और तुम निश्चय अपनी मूरतों की पूजा के पापों का भार उठाओगे; और तब तुम जान लोगे कि मैं परमेश्वर यहोवा हूँ।”

< حِزْقِيال 23 >