< حِزْقِيال 19 >

أَمَّا أَنْتَ فَاتْلُ مَرْثَاةً عَلَى رُؤَسَاءِ إِسْرَائِيلَ: ١ 1
“इस्राएल के राजकुमारों के संबंध में एक विलापगीत लो
وَقُلْ: مَاذَا كَانَتْ أُمُّكَ؟ لَبْوَةً رَبَضَتْ بَيْنَ الأُسُودِ وَرَبَّتْ جِرَاءَهَا بَيْنَ الأَشْبَالِ. ٢ 2
और कहो: “‘सिंहों के मध्य क्या ही एक सिंहनी थी तुम्हारी माता! वह उनके बीच रहती थी और अपने बच्चों (शावकों) का पालन पोषण करती थी.
حَتَّى إِذَا كَبُرَ أَحَدُ جِرَائِهَا وَصَارَ شِبْلاً، وَتَعَلَّمَ الصَّيْدَ، أَكَلَ النَّاسَ. ٣ 3
उसने अपने बच्चों में से एक को पालकर बड़ा किया, और वह एक बलवान सिंह हो गया. वह शिकार को फाड़ डालना सीख गया और वह एक नर-भक्षी बन गया.
وَعِنْدَمَا بَلَغَ أَمْرُهُ الأُمَمَ وَقَعَ فِي حُفْرَتِهِمْ، فَأَخَذُوهُ مَسُوقاً بِخَزَائِمِهِ إِلَى دِيَارِ مِصْرَ. ٤ 4
जाति-जाति के लोगों ने उसके बारे में सुना, और वह उनके द्वारा खोदे गए गड्ढे में गिरकर फंस गया. वे उस पर नकेल डालकर मिस्र देश ले गये.
وَعِنْدَمَا أَدْرَكَتْ فِي أَثْنَاءِ انْتِظَارِهَا أَنَّ رَجَاءَهَا قَدْ هَلَكَ، أَخَذَتْ جِرْواً آخَرَ وَجَعَلَتْهُ شِبْلاً. ٥ 5
“‘जब सिंहनी ने देखा कि उसकी आशा पूरी नहीं हुई, और उसकी उम्मीद जाती रही, तो उसने अपने एक और बच्‍चे को लिया और उसे एक बलवान सिंह बनाया.
فَتَمَشَّى بَيْنَ الأُسُودِ وَصَارَ شِبْلاً وَتَعَلَّمَ الصَّيْدَ، وَأَكَلَ النَّاسَ، ٦ 6
वह अन्य सिंहों के बीच चलने फिरने लगा, क्योंकि अब वह एक बलवान सिंह बन चुका था. वह शिकार को फाड़ डालना सीख गया और वह एक नर-भक्षी बन गया.
وَهَدَمَ قُصُورَهُمْ وَخَرَّبَ مُدُنَهُمْ، فَارْتَعَبَتِ الأَرْضُ وَمَنْ فِيهَا مِنْ زَمْجَرَةِ زَئِيرِهِ، ٧ 7
उसने उनके एक दृढ़ गढ़ को तोड़ डाला और उनके नगरों को उजाड़ दिया. पूरा देश और उसमें रहनेवाले सबके सब उसके गर्जन से भयभीत होते थे.
فَاجْتَمَعَتْ عَلَيْهِ الأُمَمُ مِنْ كُلِّ صَوْبٍ، وَأَلْقَوْا عَلَيْهِ شَبَكَتَهُمْ فَوَقَعَ فِي حُفْرَتِهِمْ، ٨ 8
तब उसके चारों तरफ के जाति-जाति के लोग उसके विरुद्ध हो गए. उन्होंने उसके लिये जाल बिछाया, और वह उनके द्वारा खोदे गए गड्ढे में फंस गया.
فَسَاقُوهُ بِخَزَائِمَ وَزَجُّوهُ فِي قَفَصٍ وَأَحْضَرُوهُ إِلَى مَلِكِ بَابِلَ، وَاعْتَقَلُوهُ فِي قِلاعٍ لِكَيْلا تَتَرَدَّدَ أَصْدَاءُ صَوْتِهِ بَعْدُ فَوْقَ جِبَالِ إِسْرَائِيلَ. ٩ 9
उन्होंने नकेल डालकर उसे ऊपर खींचा और उसे एक पिंजरे में डाल दिया और उसे बाबेल के राजा के पास ले आए. उन्होंने उसे बंदी बनाकर रखा, जिससे उसका गर्जन इस्राएल देश के पर्वतों पर फिर कभी सुनाई नहीं दिया.
أُمُّكَ كَكَرْمَةٍ مِثْلَكَ غُرِسَتْ إِلَى جُوَارِ الْمِيَاهِ، فَأَثْمَرَتْ وَأَفْرَخَتْ لِغَزَارَةِ الْمِيَاهِ. ١٠ 10
“‘तुम्हारी माता पानी के किनारे लगाये गए अंगूर की बारी में अंगूर की एक लता की तरह थी; पानी की अधिकता के कारण उसमें फल लगते थे और वह शाखाओं से भरी हुई थी.
فُرُوعُهَا مَتِينَةٌ تَصْلُحُ صَوْلَجَاناً لِلْمُتَسَلِّطِينَ، وَانْتَصَبَ سَاقُهَا عَالِياً بَيْنَ الأَغْصَانِ الْكَثِيفَةِ، فَبَدَتْ شَامِخَةً لِلْعَيَانِ بِفَضْلِ أَغصَانِهَا الْكَثِيرَةِ. ١١ 11
उसकी शाखाएं मजबूत थी, और एक शासन करनेवाले के राजदंड के लिये उपयुक्त थी. घने पत्तियों के ऊपर यह बहुत ऊंची थी, अपनी ऊंचाई और बहुत सी शाखाओं के कारण यह महत्वपूर्ण थी.
لَكِنَّهَا اقْتُلِعَتْ بِحَنَقٍ وَطُرِحَتْ عَلَى الأَرْضِ، فَيَبَّسَتِ الرِّيحُ الشَّرْقِيَّةُ أَثْمَارَهَا، وَقَصَفَتْ فُرُوعَهَا الْقَوِيَّةَ حَتَّى جَفَّتْ فَالْتَهَمَتْهَا النِّيرَانُ. ١٢ 12
परंतु उसे क्रोध में उखाड़ दिया गया और भूमि पर फेंक दिया गया. पूर्वी हवा ने उसे सूखा दिया, उसके फल गिर गये; उसकी मजबूत शाखाएं सूख गईं और आग ने उन्हें जलाकर नष्ट कर दिया.
وَهَا هِيَ الآنَ مَغْرُوسَةٌ فِي الصَّحْرَاءِ، فِي أَرْضٍ جَدْبَاءَ ظَمْأَى. ١٣ 13
अब उसे निर्जन प्रदेश में लगाया गया है, एक सूखी और प्यासी भूमि पर.
وَانْدَلَعَتْ نَارٌ مِنْ فَرْعِهَا الْتَهَمَتْ أَغْصَانَهَا وَأَثْمَارَهَا، فَلَمْ يَبْقَ مِنْهَا فَرْعٌ مَتِينٌ يَصْلُحُ لِصَوْلَجَانِ مُتَسَلِّطٍ. هَذِهِ مَرْثِيَّةٌ لِتَكُونَ قَصِيدَةَ رِثَاءٍ». ١٤ 14
उसकी एक मुख्य शाखा से आग फैली और उसके फलों को जलाकर नष्ट कर दिया. उसमें और कोई मजबूत शाखा नहीं बची जो शासन करनेवाले के राजदंड के लिये उपयुक्त हो.’ यह एक विलापगीत है और इसे एक विलापगीत के रूप में उपयोग करना है.”

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