< حِزْقِيال 16 >
وَأَوْحَى إِلَيَّ الرَّبُّ بِكَلِمَتِهِ قَائِلاً: | ١ 1 |
याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
«يَا ابْنَ آدَمَ، أَطْلِعْ أَهْلَ أُورُشَلِيمَ عَلَى أَرْجَاسِهِمْ. | ٢ 2 |
“हे मनुष्य के पुत्र, येरूशलेम का उसके घृणित कार्यों के लिये विरोध करो
وَقُلْ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ لأُورُشَلِيمَ: أَصْلُكِ وَمَوْلِدُكِ مِنْ أَرْضِ الْكَنْعَانِيِّينَ. أَبُوكِ أَمُورِيٌّ وَأُمُّكِ حِثِّيَّةٌ. | ٣ 3 |
और कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का येरूशलेम से यह कहना है: तुम्हारे पुरखे और तुम्हारा जन्म कनानियों के देश में हुआ; तुम्हारा पिता एक अमोरी और तुम्हारी मां एक हित्ती थी.
فِي يَوْمِ مَوْلِدِكِ لَمْ يُقْطَعْ حَبْلُ سُرَّتِكِ وَلَمْ تُنَظَّفِي بِمَاءٍ وَلَمْ تُدْلَكِي بِمِلْحٍ، وَلَمْ تُقَمَّطِي. | ٤ 4 |
तुम्हारे जन्म के समय न तो तुम्हारी नाभिनाड़ी काटी गई, और न ही तुम्हें पानी से नहलाकर साफ किया गया, न तो तुम्हें नमक से रगड़ा गया था, और न ही तुम्हें कपड़ों में लपेटा गया था.
لَمْ تَرْأَفْ بِكِ عَيْنٌ أَوْ تَعْطِفْ عَلَيْكِ لِتَصْنَعَ لَكِ شَيْئاً مِنْ هَذَا. بَلْ نُبِذْتِ فِي الصَّحْرَاءِ احْتِقَاراً لَكِ يَوْمَ مَوْلِدِكِ. | ٥ 5 |
तुम्हारे लिये इनमें से कोई भी काम करने हेतु किसी ने भी तुम पर दया दृष्टि नहीं की, या सहानुभूति नहीं दिखाई. बल्कि तुम्हें बाहर खुले मैदान में फेंक दिया गया, क्योंकि जन्म के दिन से ही तुम्हें तुच्छ समझा गया.
وَحِينَ مَرَرْتُ بِكِ وَشَهِدْتُكِ مَازِلْتِ مُلَطَّخَةً بِدِمَائِكِ قُلْتُ لَكِ: عِيشِي بِدَمِكِ. نَعَمْ عِيشِي بِدَمِكِ. | ٦ 6 |
“‘तब मैं वहां से होकर गुजरा और तुम्हें अपने खून में लोटते हुए देखा, और जैसे कि तुम अपने खून में लेटी थी, मैंने तुमसे कहा, “जीवित रहो!”
وَكَثَّرْتُكِ كَنَبْتِ الْحَقْلِ، فَنَمَيْتِ وَكَبُرْتِ وَبَلَغْتِ عُمْراً صِرْتِ فِيهِ أَجْمَلَ الْجَمِيلاتِ، فَنَهَدَ ثَدْيَاكِ وَنَمَا شَعْرُكِ، وَلَكِنَّكِ كُنْتِ عَارِيَةً مُتَجَرِّدَةً. | ٧ 7 |
मैंने तुम्हें खेत के एक पौधे की तरह बढ़ाया. तुम बढ़ती गई और विकसित हुई और यौवन अवस्था में आई. तुम्हारे स्तन विकसित हुए और तुम्हारे बाल लंबे हो गए, फिर भी तुम बिलकुल निवस्त्र थी.
فَمَرَرْتُ بِكِ وَرَأَيْتُكِ وَإذَا بِكِ قَدْ بَلَغْتِ سِنَّ الْحُبِّ، فَبَسَطْتُ عَلَيْكِ أَطْرَافَ ثَوْبِي، وَسَتَرْتُ عَوْرَتَكِ وَحَلَفْتُ لَكِ وَأَبْرَمْتُ مَعَكِ عَهْداً، فَصِرْتِ لِي، يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ. | ٨ 8 |
“‘बाद में, मैं वहां से होकर गुजरा, और मैंने देखा कि तुम प्रेम करने लायक बड़ी हो चुकी थी, अतः मैंने अपने कपड़े का कोना तुम्हारे ऊपर फैला दिया और तुम्हारे नंगे शरीर को ढांप दिया. तब मैंने तुमसे सत्यनिष्ठा से शपथ खाई और तुम्हारे साथ एक वाचा बांधी, और तुम मेरी हो गई, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
ثُمَّ غَسَّلْتُكِ بِمَاءٍ، وَنَظَّفْتُكِ مِنَ الدَّمِ وَطَيَّبْتُكِ بِالدُّهْنِ. | ٩ 9 |
“‘तब मैंने तुम्हें पानी से नहलाया और तुम पर लगे खून को धोया तथा तुम्हारे शरीर पर तेल लगाया.
وَكَسَوْتُكِ بِثِيَابٍ مُوَشَّاةٍ وَحَذَوْتُكِ بِنَعْلَيْنِ مِنْ جِلْدِ الدَّلْفِينِ، وَلَفَّعْتُكِ بِالْكَتَّانِ الْفَاخِرِ، وَدَثَّرْتُكِ بِالْحَرِيرِ، | ١٠ 10 |
मैंने तुम्हें कसीदा काढ़े वस्त्र पहनाया और तुम्हारे पांवों पर उच्च दर्जे के चमड़े की जूतियां पहनाई. मैंने तुम्हें सुंदर मलमल के कपड़े पहनाए और तुम्हें कीमती कपड़े ओढ़ाए.
وَزَيَّنْتُكِ بِالْحُلِيِّ، إِذْ وَضَعْتُ أَسَاوِرَ فِي يَدَيْكِ وَعَقْداً فِي عُنُقِكِ. | ١١ 11 |
मैंने गहनों से तुम्हारा श्रृंगार किया: मैंने तुम्हारे हाथों में कंगन डाला और तुम्हारे गले में हार पहनाया,
وَجَعَلْتُ خِزَامَةً فِي أَنْفِكِ وَقِرْطَيْنِ فِي أُذُنَيْكِ وَإِكْلِيلَ جَمَالٍ عَلَى رَأْسِكِ | ١٢ 12 |
और मैंने तुम्हारी नाक में नथनी, कानों में बालियां और तुम्हारे सिर पर एक सुंदर मुकुट पहनाया.
فَتَزَيَّنْتِ بِالذَّهَبِ وَالْفِضَّةِ، وَكَانَتْ ثِيَابُكِ مِنَ الْكَتَّانِ الْفَاخِرِ وَالْحَرِيرِ وَكُلِّ مَا هُوَ مُوَشّىً. وَأَكَلْتِ السَّمِيذَ وَالْعَسَلَ وَالزَّيْتَ، فَتَمَتَّعْتِ بِأَرْوَعِ الْجَمَالِ حَتَّى صِرْتِ صَالِحَةً لِتَكُونِي زَوْجَةَ مَلِكٍ. | ١٣ 13 |
इस प्रकार सोने और चांदी से तुम्हारा श्रृंगार किया गया; तुम्हारे कपड़े सुंदर मलमल, मंहगे बुनावट और कसीदा किए हुए थे. तुम्हारे भोजन में शहद, जैतून तेल और सबसे अच्छा आटा था. तुम बहुत सुंदर हो गई और रानी बनने के योग्य हो गई.
فَذَاعَ اسْمُكِ بَيْنَ الأُمَمِ لِفَرْطِ جَمَالِكِ لأَنَّهُ اكْتَمَلَ بِفَضْلِ بَهَائِي الَّذِي أَضْفَيْتُهُ عَلَيْكِ، يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ. | ١٤ 14 |
और तुम्हारी सुंदरता के कारण तुम्हारी प्रसिद्धि जाति-जाति के लोगों में फैल गई, क्योंकि मैंने तुम्हें जो शोभा दी, उसने तुम्हारी सुंदरता को परिपूर्ण कर दिया, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
وَلَكِنَّكِ اعْتَمَدْتِ عَلَى جَمَالِكِ وَزَنَيْتِ اتِّكَالاً عَلَى شُهْرَتِكِ. أَغْدَقْتِ عَهَارَتَكِ عَلَى كُلِّ عَابِرِ سَبِيلٍ رَاغِبٍ فِيكِ | ١٥ 15 |
“‘परंतु तुमने अपनी सुंदरता पर भरोसा किया और अपनी प्रसिद्धि का उपयोग एक वेश्या बनने में किया. जो भी तुम्हारे पास से होकर गुजरा, तुमने उस पर बहुत कृपा दिखाई, और तुम्हारी सुंदरता ने उसे मोह लिया.
وَأَخَذْتِ بَعْضَ ثِيَابِكِ فَصَنَعْتِ لِنَفْسِكِ مَشَارِفَ لِلأَصْنَامِ مُلَوَّنَةً زَنَيْتِ عَلَيْهَا زِنىً لَمْ يَكُنْ لَهُ مَثِيلٌ وَلَنْ يَكُونَ. | ١٦ 16 |
तुमने अपने कुछ कपड़ों को लेकर भड़कीले ऊंचे स्थान बनाए, और वहां तुम वेश्यावृत्ति करती रही. तुम उसके पास गई, और उसने तुम्हारी सुंदरता पर अधिकार कर लिया है.
وَأَحْضَرْتِ مَا وَهَبْتُكِ مِنْ حُلِيِّ الْجَوَاهِرِ، مِنْ ذَهَبِي وَفِضَّتِي، فَصَنَعْتِ مِنْهَا تَمَاثِيلَ ذُكُورٍ وَزَنَيْتِ بِها (أَيْ عَبَدْتِهَا). | ١٧ 17 |
तुमने मेरे दिये हुए उन सुंदर गहनों को भी लिया, जो सोने और चांदी से बने थे, और तुमने अपने लिए पुरुष-मूर्तियां बना लीं और उन मूर्तियों के साथ व्यभिचार करने लगीं.
وَأَخَذْتِ ثِيَابَكِ الْمُوَشَّاةَ فَكَسَوْتِهَا بِها، وَوَضَعْتِ أَمَامَهَا دُهْنِي وَبَخُورِي، | ١٨ 18 |
और तुमने अपने कसीदा किए हुए कपड़े लेकर उनको पहनाए, और तुमने मेरा तेल और धूप उनको चढ़ाए.
وَخُبْزِي الَّذِي قَدَّمْتُهُ لَكِ وَالسَّمِيذَ وَالزَّيْتَ وَالْعَسَلَ الَّذِي أَطْعَمْتُكِ، وَقَرَّبْتِهَا أَمَامَهَا كَتَقْدِمَةِ سُرُورٍ، هَكَذَا فَعَلْتِ يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ. | ١٩ 19 |
और वह भोजन भी जो मैंने तुमको तुम्हारे खाने के लिये दिया था—आटा, जैतून तेल और शहद—तुमने इसे उनके सामने एक सुगंधित धूप के रूप में चढ़ाया. ऐसा ही हुआ है, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
ثُمَّ أَخَذْتِ أَبْنَاءَكِ وَبَنَاتِكِ الَّذِينَ أَنْجَبْتِهِمْ لِي، فَذَبَحْتِهِمْ قَرَابِينَ لَهَا. فَهَلْ كَانَ زِنَاكِ أَمْراً يَسِيراً؟ | ٢٠ 20 |
“‘और तुमने अपने उन बेटे और बेटियों को लिया, जिन्हें तुमने मेरे लिए पैदा किए थे, और उन्हें उन मूर्तियों के लिये भोजन के रूप में चढ़ा दिया. क्या तुम्हारी वेश्यावृत्ति पर्याप्त नहीं थी?
قَدْ ذَبَحْتِ أَبْنَائِي وَسَلَّمْتِهِمْ لِلأَوْثَانِ لِيَجُوزُوا فِي النَّارِ قُرْبَاناً لَهَا. | ٢١ 21 |
तुमने मेरे बच्चों का वध किया और उन्हें इन मूर्तियों को चढ़ा दिया.
وَفِي جَمِيعِ رَجَاسَاتِكِ وَزِنَاكِ لَمْ تَذْكُرِي أَيَّامَ حَدَاثَتِكِ حِينَ كُنْتِ عَارِيَةً مُتَجَرِّدَةً مُلَطَّخَةً بِدَمِكِ. | ٢٢ 22 |
अपने इन सब घृणित कार्यों और वेश्यावृत्ति के बीच, तुमने अपने बचपन के उन दिनों को भूला दिया, जब तुम नंगी और खुली अपने खून में लेट रही थी.
ثُمَّ مِنْ بَعْدِ كُلِّ شَرِّكِ وَيْلٌ، وَيْلٌ لَكِ يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ | ٢٣ 23 |
“‘धिक्कार! धिक्कार है तुम पर, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. अपनी सब दुष्टताओं के अलावा,
شَيَّدْتِ لِنَفْسِكِ مَاخُوراً وَصَنَعْتِ لَكِ أَنْصَاباً فِي كُلِّ سَاحَةٍ. | ٢٤ 24 |
तुमने अपने लिये एक टीला बना लिया है और हर एक चौक पर अपने लिए एक ऊंचा पूजा-स्थल बनाया है.
بَنَيْتِ مُرْتَفَعَتَكِ عِنْدَ نَاصِيَةِ كُلِّ طَرِيقٍ، وَدَنَّسْتِ جَمَالَكِ وَوَهَبْتِ جَسَدَكِ لِكُلِّ عَابِرِ سَبِيلٍ لِتُكْثِرِي مِنْ عَهَارَتِكِ. | ٢٥ 25 |
हर एक गली के कोने पर तुमने ऊंचे पूजा-स्थल बना लिए हैं और वहां से गुज़रने वाले लोगों के सामने बढ़ती दुराचार प्रवृत्ति के साथ अपने पैरों को फैलाकर अपनी सुंदरता का अपमान किया है.
وَزَنَيْتِ مَعَ أَبْنَاءِ مِصْرَ، جِيرَانِكِ الشَّهْوَانِيِّينَ، وَأَكْثَرْتِ فَوَاحِشَكِ لإِسْخَاطِي. | ٢٦ 26 |
तुमने बड़े जननांगों वाले मिस्री और अपने पड़ोसियों से व्यभिचार किया है, और अपनी बढ़ती दुराचार प्रवृत्ति से तुमने मेरे क्रोध को भड़काया है.
هَا أَنَا أُعَاقِبُكِ وَأُنْقِصُ مِنْ نَصِيبِكِ وَأُسْلِمُكِ لأَهْوَاءِ عَدُوَّاتِكِ بَنَاتِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ اللَّوَاتِي يَخْجَلْنَ مِنْ تَصَرُّفِكِ الْفَاجِرِ. | ٢٧ 27 |
इसलिये मैंने अपना हाथ तुम्हारे विरुद्ध उठाया है और तुम्हारे क्षेत्र को घटा दिया है, मैंने तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं की कृपा पर छोड़ दिया है, अर्थात् फिलिस्तीनियों की पुत्रियों की कृपा पर, जिन्हें तुम्हारे व्यभिचारी आचरण के कारण धक्का लगा है.
وَإِذْ لَمْ تَشْبَعِي زِنىً ارْتَكَبْتِ الْفَوَاحِشَ مَعَ أَبْنَاءِ أَشُورَ مِنْ غَيْرِ أَنْ تَكْتَفِي. | ٢٨ 28 |
तुमने अश्शूरियों के साथ भी व्यभिचार किया है, क्योंकि तुम्हें संतोष ही नहीं होता था; और उसके बाद भी तुम संतुष्ट न हुई
ثُمَّ أَكْثَرْتِ مِنِ ارْتِكَابِ الْفُجُورِ فِي أَرْضِ الْكَنْعَانِيِّينَ حَتَّى دِيَارِ الْكَلْدَانِيِّينَ، وَمَعَ ذَلِكَ لَمْ تَكْتَفِي. | ٢٩ 29 |
तब तुमने अपने दुराचार प्रवृत्ति को बढ़ाकर उसमें बाबेल देश को भी शामिल कर लिया, जो व्यापारियों का एक देश है, पर इससे भी तुम्हें संतोष न हुआ.
مَا أَشَرَّ قَلْبَكِ يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ إِذِ اقْتَرَفْتِ هَذِهِ الْمُوبِقَاتِ كُلَّهَا، فِعْلَ امْرَأَةٍ زَانِيَةٍ حَقِيرَةٍ. | ٣٠ 30 |
“‘जब तुम इस प्रकार एक निर्लज्ज वेश्या की तरह काम करती हो, तो मैं क्रोध से भर जाता हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है!
فَشَيَّدْتِ مَاخُورَكِ عِنْدَ نَاصِيَةِ كُلِّ طَرِيقٍ، وَأَقَمْتِ مُرْتَفَعَةَ صَنَمِكِ فِي كُلِّ سَاحَةٍ وَلَمْ تَكُونِي كَالزَّانِيَةِ الَّتِي تَقْبِضُ أُجْرَةَ زِنَاهَا، لأَنَّكِ وَهَبْتِ نَفْسَكِ مَجَّاناً احْتِقَاراً لِكُلِّ أُجْرَةٍ. | ٣١ 31 |
जब तुमने हर गली के कोने पर अपना टीला बनाया है और हर चौक में अपना ऊंचा पूजा-स्थल बनाया है, तो तुम एक वेश्या की तरह ठहरी, क्योंकि तुमने दिये गये रकम का असम्मान किया है.
إِذْ كُنْتِ زَوْجَةً فَاسِقَةً أَحَلَّتِ الْغُرَبَاءَ مَوْضِعَ زَوْجِهَا. | ٣٢ 32 |
“‘तुम व्यभिचारी पत्नी हो! तुम अपने स्वयं के पति के बदले अजनबियों को ज्यादा पसंद करती हो!
كُلُّ الزَّانِيَاتِ يَنَلْنَ هَدَايَا مِنَ الرِّجَالِ، أَمَّا أَنْتِ فَأَعْطَيْتِ هَدَايَاكِ لِمُحِبِّيكِ، وَرَشَوْتِهِمْ كَيْ يُقْبِلُوا إِلَيْكِ مِنْ كُلِّ صَوْبٍ لِيَزْنُوا مَعَكِ. | ٣٣ 33 |
सब वेश्याएं उपहार लेती हैं, परंतु तुम अपने सब प्रेमियों को उपहार देती हो, कि वे हर जगह से तुम्हारे अवैध चाहत के लिये आएं.
فَأَنْتِ فِي زِنَاكِ تَخْتَلِفِينَ عَنْ بَقِيَّةِ النِّسَاءِ الزَّانِيَاتِ، إِذْ لَا يَسْعَى أَحَدٌ وَرَاءَكِ لِيَزْنِيَ مَعَكِ بَلْ عَلَى النَّقِيضِ، أَنْتِ تُعْطِينَهُمْ أُجْرَةً لِيَفْسُقُوا مَعَكِ وَلا تَقْبِضِينَ مِنْهُمْ أُجْرَةً. | ٣٤ 34 |
इस प्रकार तुम्हारी वेश्यावृत्ति दूसरों की वेश्यावृत्ति का उलटा है; तुम्हारी चाहत के लिये तुम्हारे पीछे कोई नहीं भागता. तुम बिलकुल उलटा हो, क्योंकि तुम दाम (पैसा) देती हो और तुम्हें कुछ नहीं दिया जाता.
لِذَلِكَ اسْمَعِي أَيَّتُهَا الزَّانِيَةُ قَضَاءَ الرَّبِّ: | ٣٥ 35 |
“‘इसलिये, हे वेश्या, याहवेह की बात सुनो!
مِنْ حَيْثُ أَنَّكِ أَنْفَقْتِ مَالَكِ وَكَشَفْتِ عَنْ عُرْيِكِ فِي فَوَاحِشِكِ لِعُشَّاقِكِ وَلِسَائِرِ أَصْنَامِكِ الْمَمْقُوتَةِ، وَمِنْ أَجْلِ دِمَاءِ أَبْنَائِكِ الَّذِينَ قَرَّبْتِهِمْ لَهَا، | ٣٦ 36 |
परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्योंकि तुमने अपनी वासना को उंडेला है और अपने कामुक प्रवृत्ति में अपने प्रेमियों को अपने नंगे देह को दिखाया है, और तुम्हारे सब घृणित मूर्तियों के कारण, और क्योंकि तुमने उन मूर्तियों को अपने बच्चों का खून दिया है,
هَا أَنَا أَحْشِدُ جَمِيعَ عُشَّاقِكِ الَّذِينَ تَلَذَّذْتِ بِهِمْ، وَجَمِيعَ مَنْ تَلَذَّذتِ بِهِمْ مَعَ كُلِّ الَّذِينَ أَبْغَضْتِهِمْ فَأَجْمَعُهُمْ عَلَيْكِ مِنْ كُلِّ نَاحِيَةٍ، وَأَكْشِفُ عَنْ عُرْيِكِ فَيُشَاهِدُونَ عَوْرَتَكِ كُلَّهَا، | ٣٧ 37 |
इसलिये मैं तुम्हारे उन सब प्रेमियों को इकट्ठा करनेवाला हूं, जिनके साथ तुम्हें खुशी मिली है, जिनसे तुमने प्रेम किया है, साथ ही साथ जिनसे तुमने घृणा किया है. मैं उन्हें चारों तरफ से तुम्हारे विरुद्ध इकट्ठा करूंगा और उनके सामने तुम्हारे कपड़े उतारूंगा और वे तुम्हें पूरी तरह नंगी देखेंगे.
وَأَدِينُكِ كَمَا تُدَانُ الزَّانِيَاتُ وَسَافِكَاتُ الدِّمَاءِ، وَأُوْقِعُ بِكِ عِقَابَ دَمِ سَخَطِي وَغَيْرَتِي، | ٣٨ 38 |
मैं तुम्हें उन स्त्रियों का दंड दूंगा जो व्यभिचार करती हैं और जो खून बहाती हैं; मैं अपने कोप और ईर्ष्या के क्रोध से तुमसे खून का बदला लूंगा.
وَأُسَلِّمُكِ لأَيْدِيهِمْ فَيَهْدِمُونَ مَاخُورَكِ وَمُرْتَفَعَةَ نُصُبِكِ، وَيَسْلِبُونَكِ ثِيَابَكِ وَيَسْتَوْلُونَ عَلَى جَوَاهِرِ زِينَتِكِ وَيَتْرُكُونَكِ عَارِيَةً مُتَجَرِّدَةً، | ٣٩ 39 |
तब मैं तुम्हें तुम्हारे प्रेमियों के हाथों में सौंप दूंगा, और वे तुम्हारे पूजा के टीलों को तोड़कर गिरा देंगे और तुम्हारे ऊंचे पूजा स्थलों को नष्ट कर देंगे. वे तुम्हारे कपड़े उतार लेंगे और तुम्हारे अच्छे गहने आभूषण लूट लेंगे और तुम्हें बिलकुल नंगी छोड़ देंगे.
وَيُثِيرُونَ عَلَيْكِ الْجُمُوعَ وَيَرْجُمُونَكِ بِالْحِجَارَةِ وَيُمَزِّقُونَكِ بِسُيُوفِهِمْ. | ٤٠ 40 |
वे तुम्हारे विरुद्ध एक उपद्रवी भीड़ ले आएंगे, जो तुम पर पत्थरवाह करेंगे और तुम्हें अपनी तलवारों से टुकड़े-टुकड़े कर डालेंगे.
وَيُحْرِقُونَ بُيُوتَكِ بِالنَّارِ، وَيُنَفِّذُونَ فِيكِ أَحْكَاماً عَلَى مَرْأَى نِسَاءٍ كَثِيرَاتٍ. عِنْدَئِذٍ أَمْنَعُكِ عَنِ الزِّنَى وَلا تَبْذُلِينَ أُجْرَةً بَعْدُ لِلزُّنَاةِ مَعَكِ. | ٤١ 41 |
वे तुम्हारे घरों को जला देंगे और बहुत सी स्त्रियों के देखते में तुम्हें दंड देंगे. मैं तुम्हारे वेश्यावृत्ति को बंद कर दूंगा, और तुम अपने प्रेमियों को दाम नहीं दोगी.
حِينَئِذٍ أُسَكِّنُ شِدَّةَ غَضَبِي عَلَيْكِ وَأَصْرِفُ عَنْكِ غَيْرَتِي فَأَهْدَأُ وَلا أَسْخَطُ بَعْدُ. | ٤٢ 42 |
तब तुम्हारे विरुद्ध मेरा कोप ठंडा पड़ जाएगा और तुम्हारे ऊपर से मेरी ईर्ष्या का क्रोध जाता रहेगा; मैं शांत हो जाऊंगा और फिर गुस्सा नहीं करूंगा.
وَلأَنَّكِ لَمْ تَذْكُرِي أَيَّامَ حَدَاثَتِكِ، وَإِنَّمَا أَثَرْتِ حَنَقِي بِارْتِكَابِ جَمِيعِ هَذِهِ الْمُوبِقَاتِ، هَا أَنَا بِدَوْرِي أُعَاقِبُكِ أَشَدَّ الْعِقَابِ، يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ، فَلا تَقْتَرِفِينَ هَذِهِ الرَّذِيلَةَ فَوْقَ رَجَاسَاتِكِ كُلِّهَا. | ٤٣ 43 |
“‘क्योंकि तुमने अपनी जवानी के दिनों को याद नहीं रखा, पर इन सब कामों के द्वारा मुझे नाराज किया; इसलिये जो कुछ तुमने किया है, निश्चित रूप से उन बातों को मैं तुम्हारे ही सिर पर ले आऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. अपने सब दूसरे घृणित कामों के अलावा क्या तुमने अश्लीलता भी नहीं की?
هَا إِنَّ كُلَّ مُتَمَثِّلٍ يَقْتَبِسُ هَذَا الْمَثَلَ عَلَيْكِ قَائِلاً: كَمَا تَكُونُ الأُمُّ تَكُونُ ابْنَتُهَا | ٤٤ 44 |
“‘हर एक व्यक्ति, जो कहावतों का प्रयोग करता है, वह तुम्हारे बारे में इस कहावत का प्रयोग करेगा: “जैसी मां, वैसी बेटी.”
فَأَنْتِ ابْنَةُ أُمِّكِ الَّتِي كَرِهَتْ زَوْجَهَا وَأَبْنَاءَهَا، وَأَنْتِ شَقِيقَةُ أَخَوَاتِكِ اللَّوَاتِي عُفْنَ رِجَالَهُنَّ وَأَبْنَاءَهُنَّ. فَأُمُّكُنَّ حِثِّيَّةٌ وَأَبُوكُنَّ أَمُورِيٌّ. | ٤٥ 45 |
तुम अपनी मां की सही बेटी हो, जिसने अपने पति और अपने बच्चों को तुच्छ जाना; और तुम अपनी बहनों की सही बहन हो, जिन्होंने अपने पतियों और बच्चों को तुच्छ जाना. तुम्हारी माता एक हित्ती और तुम्हारे पिता एक अमोरी थे.
وَأُخْتُكِ الْكُبْرَى هِيَ السَّامِرَةُ الْمُقِيمَةُ مَعَ بَنَاتِهَا إِلَى الشِّمَالِ مِنْكِ، وَأُخْتُكِ الصُّغْرَى هِيَ سَدُومُ الْمُقِيمَةُ مَعَ بَنَاتِهَا إِلَى الْجَنُوبِ مِنْكِ. | ٤٦ 46 |
शमरिया तुम्हारी बड़ी बहन थी, जो अपनी बेटियों के साथ तुम्हारे उत्तर की ओर रहती थी; और तुम्हारी छोटी बहन सोदोम है, जो अपनी बेटियों के साथ तुम्हारे दक्षिण की ओर रहती थी.
وَلَمْ تَكْتَفِي بِالسُّلُوكِ فِي طُرُقِ فُجُورِهِنَّ وَارْتِكَابِ مِثْلِ أَرْجَاسِهِنَّ وَكَأَنَّ ذَلِكَ قَلِيلٌ عَلَيْكِ بَلْ تَفَوَّقْتِ عَلَيْهِنَّ فَسَاداً فِي جَمِيعِ طُرُقِكِ. | ٤٧ 47 |
तुमने न सिर्फ उनके पद-चिन्हों पर चलकर उनके घृणित कामों की नकल की, पर जल्दी ही तुम अपने सब कामों में उनसे भी ज्यादा भ्रष्ट हो गई.
لِذَلِكَ يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ حَيٌّ أَنَا، إِنَّ سَدُومَ أُخْتَكِ وَبَنَاتِهَا لَمْ يَقْتَرِفْنَ الْمَفَاسِدَ الَّتِي اقْتَرَفْتِهَا أَنْتِ وَبَنَاتُكِ. | ٤٨ 48 |
परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, तुम्हारी बहन सोदोम तथा उसकी बेटियों ने ऐसा घृणित काम कभी नहीं किया, जैसा कि तुमने और तुम्हारी बेटियों ने किया है.
أَمَّا إِثْمُ أُخْتِكِ سَدُومَ، فَإِنَّهَا مَعَ بَنَاتِهَا طَغَتْ عَلَيْهَا الْغَطْرَسَةُ وَالتُّخْمَةُ وَسَلامُ الاطْمِئْنَانِ، وَلَمْ تُغِثِ الْفَقِيرَ وَالْمِسْكِينَ. | ٤٩ 49 |
“‘तुम्हारी बहन सोदोम का पाप यह था: वह और उसकी बेटियां घमंडी, ज्यादा खानेवाली और निश्चिंत जीवन जीनेवाली थी; वे गरीबों और ज़रूरतमंदों की सहायता नहीं करती थी.
وَتَشَامَخْنَ وَارْتَكَبْنَ الرِّجْسَ أَمَامِي، فَمَحَوْتُهُنَّ عِنْدَمَا شَاهَدْتُ ذَلِكَ. | ٥٠ 50 |
वे घमंड से भरी थी और उन्होंने मेरे सामने घृणित कार्य किया. इसलिये मैंने उन्हें दूर कर दिया जैसे कि तुमने देखा है.
وَلَمْ تُخْطِئِ السَّامِرَةُ نِصْفَ خَطَايَاكِ، بَلْ كُنْتِ أَكْثَرَ رَجَاسَاتٍ مِنْهُنَّ، فَجَعَلْتِ أُخْتَيْكِ تَبْدُوَانِ أَكْثَرَ صَلاحاً مِنْكِ، مِنْ جَرَّاءِ جَمِيعِ رَجَاسَاتِكِ الَّتِي اقْتَرَفْتِهَا | ٥١ 51 |
शमरिया ने तुमसे आधे भी पाप नहीं किए हैं. तुमने उनसे ज्यादा घृणित काम किए हैं, और तुम्हारे द्वारा किए गये इन सब कामों के द्वारा तुम्हारी बहनें धार्मिक दिखाई दे रही हैं.
فَاحْمِلِي أَنْتِ أَيْضاً عَارَكِ، إِذْ جَعَلْتِ الْقَضَاءَ فِي صَالِحِ أُخْتَيْكِ لِفَرْطِ مَعَاصِيكِ الَّتِي تَفَوَّقْتِ بِها عَلَى رَجَاسَتِهِنَّ. قَدْ أَصْبَحْنَ أَكْثَرَ بِرّاً مِنْكِ، فَاخْزَيْ وَاحْمِلِي عَارَكِ إِذْ قَدْ بَرَّرْتِ أَخَوَاتِكِ. | ٥٢ 52 |
अपने कलंक का बोझ उठाती रहो, क्योंकि तुमने ही अपनी बहनों के कुछ न्याय-प्रक्रिया को साफ किया है. क्योंकि तुम्हारे पाप उनके पापों से ज्यादा नीच प्रकृति के थे, वे तुमसे ज्यादा धर्मी जान पड़ती हैं. इसलिये लज्जित हो और अपने कलंक का भार उठाओ, क्योंकि तुलना में तुम्हारी बहनें धर्मी जान पड़ती हैं.
وَلَكِنِّي سَأَرُدُّ سَبْيَهُنَّ: سَبْيَ سَدُومَ وَبَنَاتِهَا، وَسَبْيَ السَّامِرَةِ وَبَنَاتِهَا، وَسَبْيَ مَسْبِيِّيكِ فِي جُمْلَتِهِمْ. | ٥٣ 53 |
“‘फिर भी, मैं सोदोम और उसकी बेटियों के जीवन, शमरिया और उसकी बेटियों के जीवन, और साथ में तुम्हारे जीवन को भी बदलूंगा,
لِكَيْ تَحْمِلِي عَارَكِ وَتَخْجَلِي مِمَّا ارْتَكَبْتِ عِنْدَمَا أَصْبَحْتِ تَعْزِيَةً لَهُنَّ. | ٥٤ 54 |
ताकि तुम अपने कलंक का बोझ उठा सको और उनको सांत्वना देकर जो काम तुमने किया है, उससे लज्जित हो.
فَأَخَوَاتُكِ: سَدُومُ وَبَنَاتُهَا، وَالسَّامِرَةُ وَبَنَاتُهَا يَعُدْنَ إِلَى سَابِقِ عَهْدِهِنَّ، وَكَذِلكَ أَنْتِ وَبَنَاتُكِ أَيْضاً. | ٥٥ 55 |
और तुम्हारी बहनें, सोदोम और उसकी बेटियां, और शमरिया और उसकी बेटियां अपने पहले की स्थिति में लौट जाएंगी; और तुम और तुम्हारी बेटियां भी अपने पहले की स्थिति में लौट आएंगी.
إِنَّ اسْمَ أُخْتِكِ سَدُومَ لَمْ يَرِدْ ذِكْرُهُ عَلَى فَمِكِ فِي يَوْمِ غَطْرَسَتِكِ، | ٥٦ 56 |
अपने अहंकार के दिनों में, जब तुम्हारी दुष्टता प्रगट नहीं हुई थी, तब तुम अपनी बहन सोदोम का नाम तक लेना नहीं चाहती थी.
قَبْلَ انْكِشَافِ شَرِّكِ. وَهَا أَنْتِ قَدْ صِرْتِ مَثَارَ تَعْيِيرِ بَنَاتِ أَرَامَ وَجَمِيعِ الْمُحِيطِينَ بِها مِنْ بَنَاتِ فِلِسْطِينَ وَكُلِّ اللَّوَاتِي حَوْلَكِ مِمَّنِ احْتَقَرْنَكِ. | ٥٧ 57 |
उसी तरह, अब तुम एदोम की बेटियों और उसके सब पड़ोसियों और फिलिस्तीनियों की बेटियों—अपने चारों तरफ के लोगों के द्वारा तुच्छ समझी जाती हो.
لَقَدْ حَمَلْتِ عِقَابَ فُجُورِكِ وَرَجَاسَاتِكِ، يَقُولُ الرَّبُّ. | ٥٨ 58 |
तुम्हें अपनी नीचता और घृणित कार्यों का प्रतिफल मिलेगा, याहवेह की घोषणा है.
لِهَذَا سَأَصْنَعُ بِكِ كَمَا صَنَعْتِ، إِذِ ازْدَرَيْتِ بِالْقَسَمِ عِنْدَمَا نَكَثْتِ الْعَهْدَ. | ٥٩ 59 |
“‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं तुम्हारे साथ वैसा ही व्यवहार करूंगा, जैसा तुमने किया है, क्योंकि तुमने वाचा को तोड़ने के द्वारा मेरी सौगंध को तुच्छ समझा है.
أَمَّا أَنَا فَأَذْكُرُ عَهْدِي مَعَكِ فِي أَيَّامِ حَدَاثَتِكِ، وَأَعْقِدُ مَعَكِ عَهْداً أَبَدِيًّا، | ٦٠ 60 |
तौभी, मैं उस वाचा को याद रखूंगा, जिसे मैंने तुम्हारे साथ तुम्हारे जवानी के दिनों में बांधी थी, और मैं तुम्हारे साथ सदाकाल तक बने रहनेवाली एक वाचा बांधूंगा.
فَتَذْكُرِينَ عِنْدَئِذٍ طُرُقَكِ حِينَ تَسْتَقْبِلِينَ أُخْتَيْكِ: الْكُبْرَى وَالصُّغْرَى كِلْتَيْهِمَا، وَأَجْعَلُهُمَا كَبِنْتَيْنِ لَكِ، إِنَّمَا لَيْسَ ذَلِكَ بِفَضْلِ عَهْدِكِ. | ٦١ 61 |
तब तुम अपने चालचलन को याद करके लज्जित होगी, जब तुम अपनी बड़ी और छोटी बहनों से मिलोगी. मैं उन्हें तुमको तुम्हारी बेटियों के रूप में दूंगा, परंतु यह तुम्हारे साथ बांधी गई वाचा के आधार पर नहीं होगा.
فَأُقِيمُ عَهْدِي مَعَكِ فَتُدْرِكِينَ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ، | ٦٢ 62 |
इस प्रकार मैं तुम्हारे साथ अपनी वाचा बांधूंगा, और तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.
لِكَيْ تَتَذَكَّرِي فَتَخْجَلِي وَلا تَفْتَحِي فَمَكِ مِنْ بَعْدُ بِسَبَبِ خِزْيِكِ، حِينَ أَغْفِرُ لَكِ كُلَّ مَا ارْتَكَبْتِ مِنْ شَرٍّ يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ». | ٦٣ 63 |
तब, जब मैं तुम्हारे किए गये सब गलत कार्यों को क्षमा करूंगा, तब तुम याद करोगी और लज्जित होंगी और अपमानित होने के कारण फिर कभी अपना मुंह नहीं खोलोगी, यह परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’”