< خرُوج 40 >
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: | ١ 1 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा;
«تُقِيمُ مَسْكَنَ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ فِي الْيَوْمِ الأَوَّلِ مِنَ الشَّهْرِ الأَوَّلِ (مِنَ السَّنَةِ الْعِبْرِيَّةِ). | ٢ 2 |
“पहले महीने की पहली तारीख़ को तू ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के घर को खड़ा कर देना।
وَتَضَعُ فِيهِ تَابُوتَ الشَّهَادَةِ الَّذِي فِيهِ الْوَصَايَا الْعَشَرُ، وَتَسْتُرُهُ بِالْحِجَابِ. | ٣ 3 |
और उस में शहादत का संदूक रख कर संदूक पर बीच का पर्दा खींच देना।
ثُمَّ تُدْخِلُ الْمَائِدَةَ وَتُرَتِّبُ أَوَانِيهَا عَلَيْهَا، وَأَيْضاً الْمَنَارَةَ وَتُضِيءُ سُرُجَهَا. | ٤ 4 |
और मेज़ को अन्दर ले जाकर उस पर की सब चीज़ें तरतीब से सजा देना और शमा'दान को अन्दर करके उसके चराग़ रोशन कर देना।
وَتَضَعُ مَذْبَحَ الْبَخُورِ الذَّهَبِيَّ أَمَامَ تَابُوتِ الشَّهَادَةِ الْقَائِمِ وَرَاءَ الْحِجَابِ، وَتُعَلِّقُ سَتَائِرَ بَابِ الْمَسْكَنِ. | ٥ 5 |
और ख़ुशबू जलाने की ज़र्रीन क़ुर्बानगाह को शहादत के संदूक़ के सामने रखना और घर के दरवाज़े का पर्दा लगा देना।
وَتَجْعَلُ مَذْبَحَ الْمُحْرَقَةِ النُّحَاسِيَّ أَمَامَ بَابِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ. | ٦ 6 |
और सोख़्तनी क़ुर्बानी का मज़बह ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के घर के दरवाज़े के सामने रखना।
ثُمَّ تَضَعُ حَوْضَ الاغْتِسَالِ بَيْنَ الْمَسْكَنِ وَالْمَذْبَحِ، وَامْلأْهُ بِالْمَاءِ. | ٧ 7 |
और हौज़ को ख़ेमा — ए — इजितमा'अ और मज़बह के बीच में रख कर उसमे पानी भर देना
وَتَنْصِبُ سَتَائِرَ السَّاحَةِ الْمُحِيطَةِ بِالْمَسْكَنِ، وَتُعَلِّقُ سِتَارَ مَدْخَلِهَا. | ٨ 8 |
और सहन के चारो तरफ़ से घेर कर सहन के दरवाज़े में पर्दा लटका देना।
وَتَأْخُذُ دُهْنَ الْمَسْحَةِ وَتَمْسَحُ بِهِ الْخَيْمَةَ وَكُلَّ مَا فِيهَا، وَتُقَدِّسُ جَمِيعَ أَوَانِيهَا لِتَكُونَ مُخَصَّصَةً لِي. | ٩ 9 |
और मसह करने का तेल लेकर घर को और उसके अन्दर के सब चीजों को मसह करना; और यूँ उसे और उसके सब बर्तन को पाक करना तब वह पाक ठहरेगा।
وَتَمْسَحُ أَيْضاً مَذْبَحَ الْمُحْرَقَةِ وَجَمِيعَ أَوَانِيهِ وَتُقَدِّسُهُ لِيَكُونَ قُدْسَ أَقْدَاسٍ. | ١٠ 10 |
और तू सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह और उसके सब बर्तन को मसह करके मज़बह को पाक करना, और मज़बह निहायत ही पाक ठहरेगा
وَكَذَلِكَ تَمْسَحُ حَوْضَ الاغْتِسَالِ وَقَاعِدَتَهُ وَتُقَدِّسُهُ. | ١١ 11 |
और तू हौज़ और उसकी कुर्सी को भी मसह करके पाक करना।
وَتُحْضِرُ هَرُونَ وَبَنِيهِ إِلَى مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ وَتَغْسِلُهُمْ بِمَاءٍ. | ١٢ 12 |
और हारून और उसके बेटे को ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर लाकर उसको पानी से ग़ुस्ल दिलाना
وَتُلْبِسُ هَرُونَ ثِيَابَهُ الْمُقَدَّسَةَ، وَتَمْسَحُهُ وَتُكَرِّسُهُ كَاهِناً لِخِدْمَتِي. | ١٣ 13 |
और हारून को पाक लिबास पहनाना और उसे मसह और पाक करना, ताकि वह मेरे लिए काहिन की ख़िदमत को अन्जाम दे
ثُمَّ تُحْضِرُ بَنِيهِ وَتُلْبِسُهُمْ أَقْمِصَتَهُمْ أَيْضاً. | ١٤ 14 |
और उनके बेटों को लाकर उनको कुरते पहनाना,
وَتَمْسَحُهُمْ كَمَا مَسَحْتَ أَبَاهُمْ، فَيَكُونُونَ كَهَنَةً لِي. فَتَكُونُ هَذِهِ الْمَسْحَةُ مَسْحَةَ كَهَنُوتٍ لَهُمْ جِيلاً بَعْدَ جِيلٍ». | ١٥ 15 |
और जैसा उनके बाप को मसह करे वैसा ही उनको भी मसह करना, ताकि वह मेरे लिए काहिन की ख़िदमत को अन्जाम दे; और उनका मसह होना उनके लिए नसल — दर — नसल हमेशा की कहानत का निशान होगा।”
فَفَعَلَ مُوسَى كُلَّ مَا أَمَرَ بِهِ الرَّبُّ. | ١٦ 16 |
और मूसा ने सब कुछ जैसा ख़ुदावन्द ने उसको हुक्म किया था उसके मुताबिक़ किया।
فَأَقَامَ الْمَسْكَنَ فِي الْيَوْمِ الأَوَّلِ مِنَ الشَّهْرِ الأَوَّلِ (لِلسَّنَةِ الْعِبْرِيَّةِ). | ١٧ 17 |
और दूसरे साल के पहले महीने की पहली तारीख़ को घर खड़ा किया गया।
وَصَبَّ قَوَاعِدَهُ وَوَضَعَ أَلْوَاحَهُ وَعَوَارِضَهُ، وَنَصَبَ أَعْمِدَتَهُ. | ١٨ 18 |
और मूसा ने घर को खड़ा किया और ख़ानों को रख कर उनमे तख़्ते लगा उनके बेन्डे खींच दिए और उसके सुतूनों खड़ा कर दिया।
وَبَسَطَ السَّقْفَ فَوْقَ الْمَسْكَنِ وَوَضَعَ غِطَاءَهُ عَلَيْهِ، كَمَا أَمَرَهُ الرَّبُّ. | ١٩ 19 |
और घर के ऊपर ख़ेमे को तान दिया और ख़ेमा पर उसका ग़िलाफ़ चढ़ा दिया, जैसे ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म किया था।
ثُمَّ أَخَذَ لَوْحَيِ الْوَصَايَا الْعَشْرِ وَوَضَعَهَا فِي التَّابُوتِ، وَوَضَعَ الْعَصَوَيْنِ عَلَى التَّابُوتِ مِنْ فَوْقُ. | ٢٠ 20 |
और शहादतनामे को लेकर सन्दूक़ में रख्खा, और चोबों को सन्दूक़ में लगा सरपोश को सन्दूक़ के ऊपर रख्खा;
وَحَمَلَ التَّابُوتَ إِلَى قُدْسِ الأَقْدَاسِ، وَسَتَرَ تَابُوتَ الشَّهَادَةِ بِالْحِجَابِ، كَمَا أَمَرَهُ الرَّبُّ. | ٢١ 21 |
फिर उस सन्दूक़ को घर के अन्दर लाया, और बीच का पर्दा लगा कर शहादत के सन्दूक़ को पर्दे के अन्दर किया, जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म किया था।
وَأَقَامَ الْمَائِدَةَ فِي خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ فِي الْجَانِبِ الشِّمَالِيِّ مِنَ الْمَسْكَنِ خَارِجَ الْحِجَابِ (أَيْ فِي الْقُدْسِ). | ٢٢ 22 |
और मेज़ को उस पर्दे के बाहर घर को उत्तरी रुख़ में ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के अन्दर रख्खा,
وَرَتَّبَ مُوسَى خُبْزَ التَّقْدِمَةِ عَلَى الْمَائِدَةِ أَمَامَ الرَّبِّ، كَمَا أَمَرَهُ. | ٢٣ 23 |
और उस पर ख़ुदावन्द के आमने सामने रोटी सजाकर रख्खी, जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म किया था।
ثُمَّ وَضَعَ الْمَنَارَةَ فِي خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، فِي الْجَانِبِ الْجَنُوبِيِّ مِنَ الْمَسْكَنِ مُقَابِلَ الْمَائِدَةِ. | ٢٤ 24 |
और ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के अन्दर ही मेज़ के सामने घर की दाख्खिनी रुख़ में शमा'दान को रख्खा,
وَأَضَاءَ سُرُجَهَا أَمَامَ الرَّبِّ كَمَا أَمَرَهُ. | ٢٥ 25 |
और चराग़ ख़ुदावन्द के सामने रोशन कर दिए, जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म किया था।
وَوَضَعَ مَذْبَحَ الذَّهَبِ فِي خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ أَمَامَ الْحِجَابِ. | ٢٦ 26 |
और ज़रीन क़ुर्बानगाह को ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के अन्दर पर्दे के सामने रख्खा,
وَأَحْرَقَ عَلَيْهِ بَخُوراً عَطِراً، كَمَا أَمَرَهُ الرَّبُّ. | ٢٧ 27 |
और उस पर ख़ुशबूदार मसाल्हे का ख़ुशबू जलाया, जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म किया था
وَوَضَعَ سِتَارَةً عَلَى مَدْخَلِ الْخَيْمَةِ. | ٢٨ 28 |
और उसने घर के दरवाज़े में पर्दा लगाया था।
وَوَضَعَ مَذْبَحَ الْمُحْرَقَةِ عِنْدَ بَابِ مَسَكَنِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ. وَأَصْعَدَ عَلَيْهِ الْمُحْرَقَةَ وَالتَّقْدِمَةَ، كَمَا أَمَرَهُ الرَّبُّ. | ٢٩ 29 |
और ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के घर के दरवाज़े पर सोख़्तनी क़ुर्बानी का मज़बह रखकर उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़्र की क़ुर्बानी पेश कीं, जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म किया,
وَوَضَعَ حَوْضَ الاغْتِسَالِ بَيْنَ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ وَمَذْبَحِ الْمُحْرَقَةِ. وَمَلأَهُ بِالْمَاءِ لِلاغْتِسَالِ. | ٣٠ 30 |
और उसने हौज़ को ख़ेमा — ए — इजितमा'अ और मज़बह के बीच में रखकर उसमें धोने के लिए पानी भर दिया।
لِيَغْسِلَ مُوسَى وَهَرُونُ وَبَنُوهُ أَيْدِيَهُمْ وَأَرْجُلَهُمْ بِمَائِهِ. | ٣١ 31 |
और मूसा और हारून और उसके बेटों ने अपने — अपने हाँथ — पाँव उसमे धोए।
فَيَغْتَسِلُونَ كُلَّمَا دَخَلُوا إِلَى خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ أَوِ اقْتَرَبُوا إِلَى الْمَذْبَحِ، كَمَا أَمَرَ الرَّبُّ مُوسَى. | ٣٢ 32 |
जब — जब वह ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के अन्दर दाख़िल होते, और जब — जब वह मज़बह के नज़दीक जाते तो अपने आपको धोकर जाते थे, जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म किया था।
ثُمَّ نَصَبَ مُوسَى جَوَانِبَ السَّاحَةِ الْمُحِيطَةِ بِالْمَسْكَنِ، وَعَلَّقَ سِتَارَ مَدْخَلِهَا. وَهَكَذَا أَكْمَلَ مُوسَى الْعَمَلَ. | ٣٣ 33 |
और उसने घर और मज़बह के चारों तरफ़ सहन को घेर कर सहन के दरवाज़े का पर्दा डाल दिया यूँ मूसा ने उस काम को ख़त्म किया।
وَمَا لَبِثَتِ السَّحَابَةُ أَنْ غَطَّتْ خَيْمَةَ الاجْتِمَاعِ وَمَلأَ جَلالُ الرَّبِّ الْمَسْكَنَ، | ٣٤ 34 |
तब ख़ेमा — ए — इजितमा'अ पर बादल छा गया, और घर ख़ुदावन्द के जलाल से भरा हो गया।
فَلَمْ يَسْتَطِعْ مُوسَى دُخُولَ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، لأَنَّ السَّحَابَةَ حَلَّتْ عَلَيْهَا، وَمَجْدَ الرَّبِّ مَلأَ الْمَسْكَنَ. | ٣٥ 35 |
और मूसा ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में दाख़िल न हो सका क्यूँकि वह बादल उस पर ठहरा हुआ था, और घर ख़ुदावन्द के जलाल से भरा था।
وَكَانَ بَنُو إِسْرَائِيلَ لَا يَرْتَحِلُونَ فِي جَمِيعِ أَسْفَارِهِمْ، إِلا إذَا ارْتَفَعَتِ السَّحَابَةُ عَنِ الْمَسْكَنِ. | ٣٦ 36 |
और बनी — इस्राईल के सारे सफ़र में यह होता रहा कि जब वह बादल घर के ऊपर से उठ जाता तो वह आगे बढ़ाते,
وَإِنْ لَمْ تَرْتَفِعْ، يَمْكُثُونَ حَيْثُ هُمْ حَتَّى يَوْمِ ارْتِفَاعِهَا. | ٣٧ 37 |
लेकिन अगर वह बादल न उठता तो उस दिन तक सफ़र नहीं करते थे जब तक वह उठ न जाता।
وَكَانَتِ السَّحَابَةُ تُغَطِّي الْمَسْكَنَ نَهَاراً، وَتَتَوَهَّجُ مِنْهَا نَارٌ لَيْلاً، عَلَى مَرْأَى كُلِّ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ فِي جَمِيعِ رِحْلاتِهِمْ. | ٣٨ 38 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द का बादल इस्राईल के सारे घराने के समाने और उनके सारे सफ़र में दिन के वक़्त तो घर के ऊपर ठहरा रहता और रात को उसमें आग रहती थी।