< خرُوج 3 >

وَأَمَّا مُوسَى فَكَانَ يَرْعَى غَنَمَ حَمِيهِ يَثْرُونَ كَاهِنِ مِدْيَانَ، فَقَادَ الْغَنَمَ إِلَى مَا وَرَاءِ الطَّرَفِ الأَقْصَى مِنَ الصَّحْرَاءِ حَتَّى جَاءَ إلى حُورِيبَ جَبَلِ اللهِ. ١ 1
और मूसा के ससुर यित्रो कि जो मिदियान का काहिन था, भेड़ — बकारियाँ चराता था। और वह भेड़ — बकरियों को हंकाता हुआ उनको वीराने की परली तरफ़ से ख़ुदा के पहाड़ होरिब के नज़दीक ले आया।
وَهُنَاكَ تَجَلَّى لَهُ مَلاكُ الرَّبِّ بِلَهِيبِ نَارٍ وَسَطَ عُلَّيْقَةٍ. فَنَظَرَ مُوسَى وَإذَا بِالْعُلَّيْقَةِ تَتَّقِدُ دُونَ أَنْ تَحْتَرِقَ. ٢ 2
और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता एक झाड़ी में से आग के शो'ले में उस पर ज़ाहिर हुआ। उसने निगाह की और क्या देखता है, कि एक झाड़ी में आग लगी हुई है पर वह झाड़ी भसम नहीं होती।
فَقَالَ مُوسَى: «أَمِيلُ الآنَ لأَسْتَطْلِعَ هَذَا الأَمْرَ الْعَظِيمَ. لِمَاذَا لَا تَحْتَرِقُ الْعُلَّيْقَةُ؟» ٣ 3
तब मूसा ने कहा, “मैं अब ज़रा उधर कतरा कर इस बड़े मन्ज़र को देखूँ कि यह झाड़ी क्यूँ नहीं जल जाती।”
وَعِنْدَمَا رَأَى الرَّبُّ أَنَّ مُوسَى قَدْ دَنَا لِيَسْتَطْلِعَ الأَمْرَ، نَادَاهُ مِنْ وَسَطِ الْعُلَّيْقَةِ قَائِلاً: «مُوسَى». فَقَالَ: «هَا أَنَا». ٤ 4
जब ख़ुदावन्द ने देखा कि वह देखने को कतरा कर आ रहा है, तो ख़ुदा ने उसे झाड़ी में से पुकारा और कहा, ऐ मूसा! ऐ मूसा! “उसने कहा, मैं हाज़िर हूँ।”
فَقَالَ: «لا تَقْتَرِبْ إِلَى هُنَا: اخْلَعْ حِذَاءَكَ مِنْ رِجْلَيْكَ، لأَنَّ الْمَكَانَ الَّذِي أَنْتَ وَاقِفٌ عَلَيْهِ أَرْضٌ مُقَدَّسَةٌ». ٥ 5
तब उसने कहा, “इधर पास मत आ। अपने पाँव से जूता उतार, क्यूँकि जिस जगह तू खड़ा है वह पाक ज़मीन है।”
ثُمَّ قَالَ: «أَنَا هُوَ إِلَهُ أَبِيكَ، إِلَهُ إِبْرَاهِيمَ، وَإِلَهُ إسْحاقَ، وَإِلَهُ يَعْقُوبَ». عِنْدَئِذٍ غَطَّى مُوسَى وَجْهَهُ خَوْفاً مِنْ أَنْ يَرَى اللهَ (فَيَمُوتَ). ٦ 6
फिर उसने कहा कि मैं तेरे बाप का ख़ुदा, या'नी अब्रहाम का ख़ुदा और इस्हाक़ का ख़ुदा और या'क़ूब का ख़ुदा हूँ। मूसा ने अपना मुँह छिपाया क्यूँकि वह ख़ुदा पर नज़र करने से डरता था।
فَقَالَ الرَّبُّ: «قَدْ شَهِدْتُ مَذَلَّةَ شَعْبِي الَّذِي فِي مِصْرَ وَسَمِعْتُ صُرَاخَهُمْ مِنْ جَرَّاءِ عُتُوِّ مُسَخِّرِيهِمْ وأَدْرَكْتُ مُعَانَاتَهُمْ، ٧ 7
और ख़ुदावन्द ने कहा, “मैंने अपने लोगों की तक्लीफ़ जो मिस्र में हैं ख़ूब देखी, और उनकी फ़रियाद जो बेगार लेने वालों की वजह से है सुनी, और मैं उनके दुखों को जानता हूँ।
فَنَزَلْتُ لأُنْقِذَهُمْ مِنْ يَدِ الْمِصْرِيِّينَ وَأُخْرِجَهُمْ مِنْ تِلْكَ الأَرْضِ إِلَى أَرْضٍ طَيِّبَةٍ رَحِيبَةٍ تَفِيضُ لَبَناً وَعَسَلاً، أَرْضِ الْكَنْعَانِيِّينَ وَالْحِثِّيِّينَ وَالأَمُورِيِّينَ وَالْفَرِزِّيِّينَ وَالْحِوِّيِّينَ وَالْيَبُوسِيِّينَ. ٨ 8
और मैं उतरा हूँ कि उनको मिस्रियों के हाथ से छुड़ाऊँ, और उस मुल्क से निकाल कर उनको एक अच्छे और बड़े मुल्क में जहाँ दूध और शहद बहता है या'नी कना'नियों और हित्तियों और अमोरियों और फ़रिज़्ज़ीयों और हव्वियों और यबूसियों के मुल्क में पहुँचाऊँ।
وَهَا هُوَ الآنَ قَدْ وَصَلَ إِلَيَّ صُرَاخُ بَنِي إِسْرَائِيلَ، وَرَأَيْتُ كَيْفَ يُضَايِقُهُمُ الْمِصْرِيُّونَ. ٩ 9
देख बनी — इस्राईल की फ़रियाद मुझ तक पहुँची है, और मैंने वह जु़ल्म भी जो मिस्री उन पर करते हैं देखा है।
فَهَلُمَّ الآنَ لأُرْسِلَكَ إِلَى فِرْعَوْنَ، فَتُخْرِجَ شَعْبِي بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ مِصْرَ». ١٠ 10
इसलिए अब आ मैं तुझे फ़िर'औन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी क़ौम बनी — इस्राईल को मिस्र से निकाल लाए।”
فَقَالَ مُوسَى لِلهِ: «مَنْ أَنَا حَتَّى أَمْضِيَ إِلَى فِرْعَوْنَ وَأُخْرِجَ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ مِصْرَ؟» ١١ 11
मूसा ने ख़ुदा से कहा, “मैं कौन हूँ जो फ़िर'औन के पास जाऊँ और बनी — इस्राईल को मिस्र से निकाल लाऊँ?”
فَأَجَابَ: «أَنَا أَكُونُ مَعَكَ. وَمَتَى أَخْرَجْتَ الشَّعْبَ مِنْ مِصْرَ تَعْبُدُونَ اللهَ عَلَى هَذَا الْجَبَلِ، فَتَكُونُ هَذِهِ لَكَ الْعَلامَةَ أَنَّنِي أَنَا أَرْسَلْتُكَ». ١٢ 12
उसने कहा, “मैं ज़रूर तेरे साथ रहूँगा और इसका कि मैंने तुझे भेजा है तेरे लिए यह निशान होगा, कि जब तू उन लोगों को मिस्र से निकाल लाएगा तो तुम इस पहाड़ पर ख़ुदा की इबादत करोगे।”
فَقَالَ مُوسَى لِلهِ: «حِينَمَا أُقْبِلُ عَلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ وَأَقُولُ لَهُمْ: إِنَّ إِلَهَ آبَائِكُمْ قَدْ بَعَثَنِي إِلَيْكُمْ وَسَأَلُونِي: مَا اسْمُهُ؟ فَمَاذَا أَقُولُ لَهُمْ؟» ١٣ 13
तब मूसा ने ख़ुदा से कहा, “जब मैं बनी — इस्राईल के पास जाकर उनको कहूँ कि तुम्हारे बाप — दादा के ख़ुदा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है, और वह मुझे कहें कि उसका नाम क्या है? तो मैं उनको क्या बताऊँ?”
فَأَجَابَهُ اللهُ: «أَهْيَه الَّذِي أَهْيَه» (وَمَعْنَاهُ أَنَا الْكَائِنُ الدَّائِمُ). وَأَضَافَ: «هَكَذَا تَقُولُ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ: أَهْيَه (أَنَا الْكَائِنُ)، هُوَ الَّذِي أَرْسَلَنِي إِلَيْكُمْ.» ١٤ 14
ख़ुदा ने मूसा से कहा, “मैं जो हूँ सो मैं हूँ। इसलिए तू बनी — इस्राईल से यूँ कहना, 'मैं जो हूँ ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है'।”
وَقَالَ أَيْضاً لِمُوسَى: «هَكَذَا تَقُولُ لِشَعْبِ إِسْرَائِيلَ: إِنَّ الرَّبَّ’الكَائِنَ‘إِلهَ آبَائِكُمْ، إِلَهَ إبْرَاهِيمَ وَإِسْحاقَ وَيَعْقُوبَ قَدْ أَرْسَلَنِي إِلَيْكُمْ. هَذَا هُوَ اسْمِي إِلَى الْأَبَدِ، وَهُوَ الاسْمُ الَّذِي أُدْعَى بِهِ مِنْ جِيلٍ إِلَى جِيلٍ. ١٥ 15
फिर ख़ुदा ने मूसा से यह भी कहा कि तू बनी — इस्राईल से यूँ कहना कि ख़ुदावन्द तुम्हारे बाप — दादा के ख़ुदा, अब्रहाम के ख़ुदा और इस्हाक़ के ख़ुदा और या'क़ूब के ख़ुदा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। हमेशा तक मेरा यही नाम है और सब नसलों में इसी से मेरा ज़िक्र होगा।
اذْهَبْ وَاجْمَعْ شُيُوخَ إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: إِنَّ الرَّبَّ إِلَهَ آبَائِكُمْ، إِلَهَ إبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ قَدْ تَجَلَّى لِي قَائِلاً: إنَّنِي حَقّاً قَدْ تَفَقَّدْتُكُمْ، وَشَهِدْتُ مَا أَصَابَكُمْ فِي مِصْرَ، ١٦ 16
जा कर इस्राईली बुजु़र्गों को एक जगह जमा' कर और उनको कह, 'ख़ुदावन्द तुम्हारे बाप — दादा के ख़ुदा, अब्रहाम और इस्हाक़ और या'क़ूब के ख़ुदा ने मुझे दिखाई देकर यह कहा है कि मैंने तुम को भी, और जो कुछ बरताव तुम्हारे साथ मिस्र में किया जा रहा है उसे भी ख़ूब देखा है।
وَهَا أَنَا قَدْ وَعَدْتُ أَنْ أُخْرِجَكُمْ مِنْ ضِيقَةِ مِصْرَ إِلَى أَرْضِ الْكَنْعَانِيِّينَ وَالْحِثِّيِّينَ وَالأَمُورِيِّينَ وَالْفَرِزِّيِّينَ وَالْحِوِّيِّينَ وَالْيَبُوسِيِّينَ، هَذِهِ الأَرْضِ الَّتِي تَفِيضُ لَبَناً وَعَسَلاً، ١٧ 17
और मैंने कहा है कि मैं तुम को मिस्र के दुख में से निकाल कर कना'नियों और हित्तियों और अमोरियोंऔर फ़रिज़्ज़ियों और हव्वियों और यबूसियों के मुल्क में ले चलूँगा, जहाँ दूध और शहद बहता है।
فَيَسْتَمِعُ الشُّيُوخُ لِكَلامِكَ فَتَمْثُلُ أَنْتَ وَشُيُوخُ إِسْرَائِيلَ أَمَامَ مَلِكِ مِصْرَ وَتَقُولُ لَهُ: إِنَّ الرَّبَّ إِلَهَ الْعِبْرَانِيِّينَ قَدْ تَفَقَّدَنَا، فَدَعْنَا نَمْضِي مَسِيرَةَ ثَلاثَةِ أَيَّامٍ فِي الْبَرِّيَّةِ وَنُقَدِّمُ ذَبَائِحَ لِلرَّبِّ إِلَهِنَا. ١٨ 18
और वह तेरी बात मानेंगे और तू इस्राईली बुज़ुर्गों को साथ लेकर मिस्र के बादशाह के पास जाना और उससे कहना कि 'ख़ुदावन्द इब्रानियों के ख़ुदा की हम से मुलाक़ात हुई। अब तू हम को तीन दिन की मंज़िल तक वीराने में जाने दे ताकि हम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी करें।
وَلَكِنَّنِي عَالِمٌ أَنَّ مَلِكَ مِصْرَ لَنْ يُطْلِقَكُمْ مَا لَمْ تُرْغِمْهُ يَدٌ قَوِيَّةٌ. ١٩ 19
और मैं जानता हूँ कि मिस्र का बादशाह तुम को न यूँ जाने देगा, न बड़े ज़ोर से।
فَأَمُدُّ يَدِي وأَضْرِبُ مِصْرَ بِجَمِيعِ وَيْلاتِي الَّتِي أَصْنَعُهَا فِيهَا، وَبَعْدَ ذَلِكَ يُطْلِقُكُمْ. ٢٠ 20
तब मैं अपना हाथ बढ़ाऊँगा और मिस्र को उन सब 'अजायब से जो मैं उसमें करूँगा, मुसीबत में डाल दूँगा। इसके बाद वह तुम को जाने देगा।
وَأَجْعَلُ هَذَا الشَّعْبَ يَحْظَى بِرِضَى الْمِصْرِيِّينَ، فَلا تَخْرُجُونَ فَارِغِينَ حِينَ تَمْضُونَ، ٢١ 21
और मैं उन लोगों को मिस्रियों की नज़र में इज़्ज़त बख़्शूँगा और यूँ होगा कि जब तुम निकलोगे तो ख़ाली हाथ न निकलोगे।
بَلْ تَطْلُبُ كُلُّ امْرَأَةٍ مِنْ جَارَتِهَا أَوْ نَزِيلَةِ بَيْتِهَا جَوَاهِرَ فِضَّةٍ وَذَهَبٍ وَثِيَاباً تُلْبِسُونَهَا بَنِيكُمْ وَبَنَاتِكُمْ فَتَغْنَمُونَ ذَلِكَ مِنَ الْمِصْرِيِّينَ». ٢٢ 22
बल्कि तुम्हारी एक — एक 'औरत अपनी अपनी पड़ौसन से और अपने — अपने घर की मेहमान से सोने चाँदी के ज़ेवर और लिबास माँग लेगी। इनको तुम अपने बेटों और बेटियों को पहनाओगे और मिस्रियों को लूट लोगे।

< خرُوج 3 >