< خرُوج 13 >

وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: ١ 1
और ख़ुदावन्द ने मूसा को फ़रमाया, कि।
«خَصِّصْ لِي كُلَّ بِكْرٍ ذَكَرٍ. كُلُّ فَاتِحِ رَحِمٍ مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ هُوَ لِي. كُلُّ بِكْرٍ مِنَ النَّاسِ أَوِ الْبَهَائِمِ». ٢ 2
“सब पहलौठों को या'नी जो बनी — इस्राईल में, चाहे इंसान हो चाहे हैवान पहलौठे बच्चे हों उनको मेरे लिए पाक ठहरा क्यूँकि वह मेरे हैं।”
وَقَالَ مُوسَى لِلشَّعْبِ: «اذْكُرُوا هَذَا الْيَوْمَ الَّذِي خَرَجْتُمْ فِيهِ مِنْ مِصْرَ مِنْ بَيْتِ الْعُبُودِيَّةِ، فَقَدْ أَطْلَقَكُمُ الرَّبُّ مِنْ هُنَا بِيَدٍ قَدِيرَةٍ، فَلا تَأْكُلُوا خُبْزاً مُخْتَمِراً. ٣ 3
और मूसा ने लोगों से कहा, कि “तुम इस दिन को याद रखना जिस में तुम मिस्र से जो ग़ुलामी का घर है निकले, क्यूँकि ख़ुदावन्द अपनी ताक़त से तुम को वहाँ से निकाल लाया; इसमें ख़मीरी रोटी खाई न जाए।
الْيَوْمَ فِي شَهْرِ أَبِيبَ (أَيْ فِي شَهْرِ آذَارَ – مَارِسَ) أَنْتُمْ خَارِجُونَ، ٤ 4
तुम अबीब के महीने में आज के दिन निकले हो।
لِذَلِكَ عِنْدَمَا يُدْخِلُكُمُ الرَّبُّ أَرْضَ الْكَنْعَانِيِّينَ وَالْحِثِّيِّينَ وَالأَمُورِيِّينَ وَالْحِوِّيِّينَ وَالْيَبُوسِيِّينَ، الَّتِي تَفِيضُ لَبَناً وَعَسَلاً، وَالَّتِي أَقْسَمَ لِآبَائِكُمْ أَنْ يَهَبَكُمْ إِيَّاهَا، تُمَارِسُونَ هَذِهِ الْفَرِيضَةَ فِي هَذَا الشَّهْرِ. ٥ 5
फिर जब ख़ुदावन्द तुझ को कना'नियों और हित्तियों और अमोरियों और हव्वियों और यबूसियों के मुल्क में पहुँचा दे जिसे तुझ को देने की क़सम उसने तेरे बाप दादा से खाई थी और जिसमें दूध और शहद बहता है, तो तू इसी महीने में यह इबादत किया करना।
سَبْعَةَ أَيَّامٍ لَا تَأْكُلُونَ فِيهَا خُبْزاً مُخْتَمِراً، وَفِي الْيَوْمِ السَّابِعِ يَكُونُ احْتِفَالٌ لِلرَّبِّ. ٦ 6
सात दिन तक तो तू बेख़मीरी रोटी खाना और सातवें दिन ख़ुदावन्द की 'ईद मनाना।
سَبْعَةَ أَيَّامٍ تَأْكُلُونَ فِيهَا خُبْزاً فَطِيراً وَلا تَحْتَفِظُونَ فِي بُيُوتِكُمْ بِشَيْءٍ مُخْتَمِرٍ أَوْ بِخَمِيرٍ. ٧ 7
बेख़मीरी रोटी सातों दिन खाई जाए, और ख़मीरी रोटी तेरे पास दिखाई भी न दे और न तेरे मुल्क की हदों में कहीं कुछ ख़मीर नज़र आए।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ تَقُولُ لابْنِكَ: إنَّنِي أُمَارِسُ هَذَا مِنْ أَجْلِ مَا صَنَعَهُ الرَّبُّ لِي، حِينَ أَخْرَجَنِي مِنْ مِصْرَ. ٨ 8
और तू उस दिन अपने बेटे को यह बताना, कि इस दिन को मैं उस काम की वजह से मानता हूँ जो ख़ुदावन्द ने मेरे लिए उस वक़्त किया जब मैं मुल्क — ए — मिस्र से निकला।
فَتَكُونُ هَذِهِ الْفَرِيضَةُ بِمَثَابَةِ عَلامَةٍ عَلَى يَدِكَ، وَتَذْكَاراً بَيْنَ عَيْنَيْكَ، لِتَكُونَ شَرِيعَةُ الرَّبِّ فِي فَمِكَ، لأَنَّ الرَّبَّ قَدْ أَخْرَجَكَ بِيَدٍ قَدِيرَةٍ مِنْ مِصْرَ. ٩ 9
और यही तेरे पास जैसे तेरे हाथ में एक निशान और तेरी दोनों आँखों के सामने एक यादगार ठहरे, ताकि ख़ुदावन्द की शरी'अत तेरी ज़बान पर हो; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने तुझ को अपनी ताक़त से मुल्क — ए — मिस्र से निकाला।
فَتُمَارِسُ هَذِهِ الْفَرِيضَةَ فِي مِيعَادِهَا مَرَّةً كُلَّ سَنَةٍ. ١٠ 10
तब तू इस रिवायत को इसी वक़्त — ए — मु'अय्यन में हर साल माना करना।
وَيَكُونُ حِينَ يُدْخِلُكَ الرَّبُّ إِلَى أَرْضِ الْكَنْعَانِيِّينَ، كَمَا أَقْسَمَ لَكَ وَلِآبَائِكَ أَنْ يَهَبَكَ إِيَّاهَا، ١١ 11
“और जब ख़ुदावन्द उस क़सम के मुताबिक़, जो उसने तुझ से और तेरे बाप दादा से खाई, तुझ को कना'नियों के मुल्क में पहुँचा कर वह मुल्क तुझ को दे दे।
أَنَّكَ تَفْرِزُ لِلرَّبِّ كُلَّ ذَكَرٍ فَاتِحِ رَحِمٍ. وَكَذَلِكَ كُلَّ بِكْرٍ مِنْ نِتَاجِ الْبَهَائِمِ الَّتِي تَمْلِكُهَا يَكُونُ لِلرَّبِّ. ١٢ 12
तो तू पहलौटे बच्चों को और जानवरों के पहलौठों को ख़ुदावन्द के लिए अलग कर देना। सब नर बच्चे ख़ुदावन्द के होंगे।
إِنَّمَا كُلُّ بِكْرِ حِمَارٍ تَفْدِيهِ بِحَمَلٍ. وَإِنْ لَمْ تَفْدِهِ تَكْسِرْ عُنُقَهُ. وَكَذَلِكَ تَفْدِي أَيْضاً كُلَّ بِكْرٍ مِنْ بَنِيكَ. ١٣ 13
और गधे के पहले बच्चे के फ़िदिये में बर्रा देना, और अगर तू उसका फ़िदिया न दे तो उसकी गर्दन तोड़ डालना। और तेरे बेटों में जितने पहलौठे हों उन सबका फ़िदिया तुझ को देना होगा।
وَحِينَ يَسْأَلُكَ ابْنُكَ فِي الأَيَّامِ الْمُقْبِلَةِ: مَا مَعْنَى هَذَا؟ تُجِيبُهُ: إِنَّهُ بِيَدٍ قَدِيرَةٍ أَخْرَجَنَا الرَّبُّ مِنْ دِيَارِ الْعُبُودِيَّةِ. ١٤ 14
और जब अगले ज़माने में तेरा बेटा तुझसे सवाल करे, कि 'यह क्या है?” तो तू उसे यह जवाब देना, 'ख़ुदावन्द हम को मिस्र से जो ग़ुलामी का घर है अपनी ताक़त से निकाल लाया।
وَعِنْدَمَا تَصَلَّبَ فِرْعَوْنُ وَامْتَنَعَ عَنْ إِطْلاقِنَا، أَهْلَكَ الرَّبُّ كُلَّ بِكْرٍ فِي بِلادِ مِصْرَ، مِنْ أَبْكَارِ النَّاسِ وَالْبَهَائِمِ. لِذَلِكَ أَنَا أُقَرِّبُ لِلرَّبِّ الذُّكُورَ مِنْ كُلِّ فَاتِحِ رَحِمٍ وَأَفْدِي كُلَّ بِكْرٍ مِنْ أَوْلادِي. ١٥ 15
और जब फ़िर'औन ने हम को जाने देना न चाहा, तो ख़ुदावन्द ने मुल्क — ए — मिस्र में इंसान और हैवान दोनों के पहलौठे मार दिए। इसलिए मैं जानवरों के सब नर बच्चों को जो अपनी अपनी माँ के रिहम को खोलते हैं ख़ुदावन्द के आगे क़ुर्बानी करता हूँ, लेकिन अपने बेटों के सब पहलौठों का फ़िदिया देता हूँ।
فَتَكُونُ هَذِهِ الْفَرِيضَةُ بِمَثَابَةِ عَلامَةٍ عَلَى يَدِكَ وَرَمْزاً عَلَى جَبْهَتِكَ، لأَنَّ الرَّبَّ قَدْ أَخْرَجَنَا بِيَدٍ قَدِيرَةٍ مِنْ مِصْرَ». ١٦ 16
और यह तेरे हाथ पर एक निशान और तेरी पेशानी पर टीकों की तरह हों, क्यूँकि ख़ुदावन्द अपने ताक़त से हम को मिस्र से निकाल लाया।”
وَعِنْدَمَا أَطْلَقَ فِرْعَوْنُ الشَّعْبَ لَمْ يَقُدْهُمُ اللهُ فِي طَرِيقِ بِلادِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ عَلَى الرَّغْمِ مِنْ قِصَرِهَا. لأَنَّ اللهَ قَالَ لِئَلّا يَنْدَمَ الشَّعْبُ إِذَا تَعَرَّضَ لِحَرْبٍ وَيَرْجِعَ إِلَى مِصْرَ. ١٧ 17
और जब फ़िर'औन ने उन लोगों को जाने की इजाज़त दे दी तो ख़ुदा इनको फ़िलिस्तियों के मुल्क के रास्ते से नहीं ले गया, अगरचे उधर से नज़दीक पड़ता; क्यूँकि ख़ुदा ने कहा, ऐसा न हो कि यह लोग लड़ाई — भिड़ाई देख कर पछताने लगें और मिस्र को लौट जाएँ।
إِنَّمَا اقْتَادَ اللهُ الشَّعْبَ عَبْرَ صَحْرَاءِ الْبَحْرِ الأَحْمَرِ. وَكَانَ بَنُو إِسْرَائِيلَ قَدْ غَادَرُوا مِصْرَ مُتَسَلِّحِينَ مُتَأَهِّبِينَ لِلْقِتَالِ. ١٨ 18
बल्कि ख़ुदा इनको चक्कर खिला कर बहर — ए — कु़लजु़म के वीरान के रास्ते से ले गया और बनी — इस्राईल मुल्क — ए — मिस्र से हथियार बन्द निकले थे।
وَحَمَلَ مُوسَى عِظَامَ يُوسُفَ مَعَهُ، لأَنَّهُ كَانَ قَدِ اسْتَحْلَفَ بَنِي إِسْرَائِيلَ بِحَلْفٍ قَائِلاً: «لابُدَّ أَنْ يَفْتَقِدَكُمُ اللهُ فَعَلَيْكُمْ أَنْ تَنْقُلُوا عِظَامِي مَعَكُمْ مِنْ هَذَا الْمَكَانِ». ١٩ 19
और मूसा यूसुफ़ की हड्डियों को साथ लेता गया, क्यूँकि उसने बनी — इस्राईल से यह कह कर, कि ख़ुदा ज़रूर तुम्हारी ख़बर लेगा इस बात की सख़्त क़सम ले ली थी, कि तुम यहाँ से मेरी हड्डियाँ अपने साथ लेते जाना।
وَارْتَحَلُوا مِنْ سُكُّوتَ وَخَيَّمُوا فِي إِيثَامَ عَلَى طَرَفِ الصَّحْرَاءِ. ٢٠ 20
और उन्होंने सुक्कात से रवाना करके वीराने के किनारे ईताम में ख़ेमा लगाया।
وَكَانَ الرَّبُّ يَتَقَدَّمُهُمْ نَهَاراً فِي عَمُودِ سَحَابٍ لِيَهْدِيَهُمْ فِي الطَّرِيقِ، وَلَيْلاً فِي عَمُودِ نَارٍ لِيُضِيءَ لَهُمْ. ٢١ 21
और ख़ुदावन्द उनको दिन को रास्ता दिखाने के लिए बादल के सुतून में और रात को रौशनी देने के लिए आग के सुतून में हो कर उनके आगे — आगे चला करता था, ताकि वह दिन और रात दोनों में चल सके।
وَلَمْ يَبْرَحْ عَمُودُ السَّحَابِ نَهَاراً وَعَمُودُ النَّارِ لَيْلاً مِنْ أَمَامِ الشَّعْبِ. ٢٢ 22
वह बादल का सुतून दिन को और आग का सुतून रात को उन लोगों के आगे से हटता न था।

< خرُوج 13 >