< أسْتِير 7 >

وَحَضَرَ الْمَلِكُ وَهَامَانُ مَأْدُبَةَ أَسْتِيرَ الْمَلِكَةِ. ١ 1
राजा तथा हामान रानी एस्तेर के यहां दाखमधु पी रहे थे.
وَبَيْنَمَا كَانَا يَشْرَبَانِ الْخَمْرَ سَأَلَ الْمَلِكُ أَسْتِيرَ: «مَا هِيَ طِلْبَتُكِ يَا أَسْتِيرُ الْمَلِكَةُ فَتُوْهَبَ لَكِ؟ مَا هُوَ سُؤْلُكِ وَلَوْ إِلَى نِصْفِ الْمَمْلَكَةِ؟» ٢ 2
यह भोज का द्वितीय दिन था. राजा ने भोज के अवसर पर दाखमधु पीते हुए प्रश्न किया, “रानी एस्तेर, तुम्हारा अनुरोध क्या है? वह पूर्ण किया जाएगा. क्या है तुम्हारी विनती? यदि इस राज्य के आधा तक भी हो, वह पूर्ण किया जाएगा.”
فَأَجَابَتِ الْمَلِكَةُ: «إِنْ كُنْتُ قَدْ حَظِيتُ بِرِضَاكَ أَيُّهَا الْمَلِكُ وَإِنْ طَابَ لِلْمَلِكِ فَإِنَّ طِلْبَتِي أَنْ تَحْفَظَ حَيَاتِي، وَسُؤْلِي أَنْ تُنْقِذَ شَعْبِي، ٣ 3
रानी एस्तेर ने उत्तर दिया, “महाराज, यदि मुझ पर आपकी कृपा है, यदि महाराज मुझसे प्रसन्‍न हैं, मेरी विनती पर मुझे एवं मेरे सहजातियों को मेरे अनुरोध पर प्राण दान मिले,
لأَنَّهُ قَدْ تَمَّ بَيْعِي أَنَا وَشَعْبِي لِلْهَلاكِ وَالْقَتْلِ وَالإِبَادَةِ. وَلَوْ أَنَّهُمْ بَاعُونَا عَبِيداً وَإِمَاءً لَكُنْتُ سَكَتُّ، لأَنَّ هَذَا الأَمْرَ لَا يُبَرِّرُ إِزْعَاجَ الْمَلِكِ». ٤ 4
क्योंकि मुझे तथा मेरे सहजातियों को बेच दिया गया है, कि हम नष्ट कर दिए जाएं, कि हमारा वध कर दिया जाए. यदि हमें मात्र दास-दासियों सदृश ही बेच दिया जाता तो मैं मौन रह जाती क्योंकि तब मुझे महाराज को कष्ट देने की ज़िद नहीं करनी पड़ती.”
فَقَالَ الْمَلِكُ أَحَشْوِيرُوشُ لِلْمَلِكَةِ أَسْتِيرَ: «مَنْ هُوَ هَذَا الَّذِي يَجْرُؤُ أَنْ يَرْتَكِبَ مِثْلَ هَذَا؟ أَيْنَ هُوَ؟» ٥ 5
राजा अहषवेरोष ने रानी एस्तेर से पूछा, “कौन है वह और कहां है वह, जिसने यह ज़िद की है?”
فَأَجَابَتْ: «إِنَّ هَذَا الْخَصْمَ وَالْعَدُوَّ هُوَ هَامَانُ الشِّرِّيرُ». ٦ 6
एस्तेर ने उत्तर दिया, “वह शत्रु, वह विरोधी है यह दुष्ट हामान!” यह सुनते ही राजा एवं रानी के सामने हामान अत्यंत भयभीत हो गया.
فَارْتَاعَ هَامَانُ أَمَامَ الْمَلِكِ وَالْمَلِكَةِ. وَانْصَرَفَ الْمَلِكُ عَنِ الشُّرْبِ مُغْتَاظاً، وَمَضَى إِلَى حَدِيقَةِ الْقَصْرِ. وَوَقَفَ هَامَانُ يَتَوَسَّلُ إِلَى أَسْتِيرَ الْمَلِكَةِ حِفَاظاً عَلَى حَيَاتِهِ، لأَنَّهُ أَدْرَكَ أَنَّ الْمَلِكَ قَدْ قَرَّرَ مَصِيرَهُ الرَّهِيبَ. ٧ 7
अत्यंत क्रोध में राजा अपनी दाखमधु वहीं छोड़ राजमहल उद्यान में चला गया; किंतु हामान वहीं ठहर गया कि रानी एस्तेर से अपने जीवन की याचना कर सके, क्योंकि उसे अब यह मालूम हो चुका था, राजा ने उसे मृत्यु दंड देने का निश्चय कर लिया है.
وَعِنْدَمَا رَجَعَ الْمَلِكُ مِنْ حَدِيقَةِ الْقَصْرِ إِلَى قَاعَةِ الْمَأْدُبَةِ، وَجَدَ هَامَانَ مُنْطَرِحاً عَلَى الأَرِيكَةِ الَّتِي كَانَتْ أَسْتِيرُ تَجْلِسُ عَلَيْهَا. فَقَالَ الْمَلِكُ: «أَيَتَحَرَّشُ أَيْضاً بِالْمَلِكَةِ وَهِيَ مَعِي، وَفِي الْقَصْرِ؟» وَمَا إِنْ نَطَقَ الْمَلِكُ بِهَذِهِ الْعِبَارَةِ حَتَّى غَطَّوْا وَجْهَ هَامَانَ. ٨ 8
कुछ समय बाद जब राजा राजमहल उद्यान से लौटकर दाखमधु कक्ष में लौटा, हामान इस समय एस्तेर के सामने झुका हुआ था. वह दृश्य देख राजा कह उठा, “क्या यह मेरे ही उपस्थिति में रानी से बलात्कार करना चाहता है?” राजा के इस वचन को सुनकर, कर्मचारियों ने हामान के मुंह को ढांप दिया.
فَقَالَ حَرْبُونَا أَحَدُ الْخِصْيَانِ الْمَاثِلِينَ فِي حَضْرَةِ الْمَلِكِ: «هَا هِيَ الْخَشَبَةُ الَّتِي أَعَدَّهَا هَامَانُ لِصَلْبِ مُرْدَخَايَ، الَّذِي أَسْدَى لِلْمَلِكِ خَيْراً، مَنْصُوبَةٌ فِي بَيْتِ هَامَانَ، وَارْتِفَاعُهَا خَمْسُونَ ذِرَاعاً». فَقَالَ الْمَلِكُ: «اصْلِبُوهُ عَلَيْهَا». ٩ 9
राजा के सामने उपस्थित खोजों में एक हरबोना नामक खोजा ने सूचना दी, “महाराज, वस्तुस्थिति यह है कि हामान ने ही मोरदकय की हत्या के लिए अपने घर के निकट बीस मीटर ऊंचा फांसी का खंभा बनवा रखा है, जबकि मोरदकय ने राजा के लाभ की सूचना दी थी!” राजा ने तत्क्षण आदेश दिया, “इसे उसी पर लटका दिया जाए.”
فَصَلَبُوا هَامَانَ عَلَى الْخَشَبَةِ الَّتِي أَعَدَّهَا لِمُرْدَخَايَ. ثُمَّ هَدَأَتْ حِدَّةُ غَضَبِ الْمَلِكِ. ١٠ 10
तब उन्होंने हामान को उसी फांसी के खंभे पर लटका दिया, जिसे उसने मोरदकय को मृत्यु दंड के लिए बनवाया था. तब राजा का कोप ठंडा हो गया.

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