< تَثنِيَة 7 >
وَمَتَى أَدْخَلَكُمُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي أَنْتُمْ مَاضُونَ إِلَيْهَا لِتَرِثُوهَا، وَطَرَدَ مِنْ أَمَامِكُمْ سَبْعَ أُمَمٍ، أَكْثَرَ وَأَعْظَمَ مِنْكُمْ، وَهُمُ الْحِثِّيُّونَ وَالْجِرْجَاشِيُّونَ وَالأَمُورِيُّونَ وَالْكَنْعَانِيُّونَ وَالْفِرِزِّيُّونَ وَالْحِوِّيُّونَ وَالْيَبُوسِيُّونَ. | ١ 1 |
“जब ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको उस मुल्क में, जिस पर क़ब्ज़ा करने के लिए तू जा रहा है पहुँचा दे, और तेरे आगे से उन बहुत सी क़ौमों को या'नी हित्तियों, और जिरजासियों, और अमोरियों, और कना'नियों, और फ़रिज़्ज़ियों, और हव्वियों, और यबूसियों को, जो सातों क़ौमें तुझसे बड़ी और ताक़तवर हैं निकाल दे।
وَأَسْلَمَهُمُ الرَّبُّ إِلَيْكُمْ وَهَزَمْتُمُوهُمْ، فَإِنَّكُمْ تُحَرِّمُونَهُمْ. لَا تَقْطَعُوا لَهُمْ عَهْداً، وَلا تَرْفُقُوا بِهِمْ، | ٢ 2 |
और जब ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उनको तेरे आगे शिकस्त दिलाए और तू उनको मार ले, तो तू उनको बिल्कुल हलाक कर डालना; तू उनसे कोई 'अहद न बांधना और न उन पर रहम करना।
وَلا تُصَاهِرُوهُمْ. فَلا تُزَوِّجُوا بَنَاتِكُمْ مِنْ أَبْنَائِهِمْ، وَلا أَبْنَاءَكُمْ مِنْ بَنَاتِهِمْ، | ٣ 3 |
तू उनसे ब्याह शादी भी न करना, न उनके बेटों को अपनी बेटियाँ देना और न अपने बेटों के लिए उनकी बेटियाँ लेना।
إِذْ يُغْوُونَ أَبْنَاءَكُمْ عَنْ عِبَادَتِي لِيَعْبُدُوا آلِهَةً أُخْرَى، فَيَحْتَدِمُ غَضَبُ الرَّبِّ عَلَيْكُمْ وَيُهْلِكُكُمْ سَرِيعاً. | ٤ 4 |
क्यूँकि वह तेरे बेटों को मेरी पैरवी से बरगश्ता कर देंगी, ताकि वह और मा'बूदों की इबादत करें। यूँ ख़ुदावन्द का ग़ज़ब तुम पर भड़केगा और वह तुझको जल्द हलाक कर देगा।
وَلَكِنْ هَذَا مَا تَفْعَلُونَهُ بِهِمْ: اهْدِمُوا مَذَابِحَهُمْ وَحَطِّمُوا أَصْنَامَهُمْ وَقَطِّعُوا سَوَارِيَهُمْ وَأَحْرِقُوا تَمَاثِيلَهُمْ. | ٥ 5 |
बल्कि तुम उनसे यह सुलूक करना, कि उन के मज़बहों को ढा देना, उन के सुतूनों को टुकड़े — टुकड़े कर देना और उनकी यसीरतों को काट डालना, और उनकी तराशी हुई मूरतें आग में जला देना।
لأَنَّكُمْ شَعْبٌ مُقَدَّسٌ لِلرَّبِّ إِلَهِكُمْ. فَإِيَّاكُمْ قَدِ اخْتَارَ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ مِنْ بَيْنِ جَمِيعِ شُعُوبِ الأَرْضِ لِتَكُونُوا شَعْبَهُ الْخَاصَّ. | ٦ 6 |
क्यूँकि तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए एक मुक़द्दस क़ौम हो, ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुझको इस ज़मीन की और सब क़ौमों में से चुन लिया है ताकि उसकी ख़ास उम्मत ठहरो।
وَلَمْ يُفَضِّلْكُمُ الرَّبُّ وَيَتَخَيَّرْكُمْ لأَنَّكُمْ أَكْثَرُ عَدَداً مِنْ سَائِرِ الشُّعُوبِ، فَأَنْتُمْ أَقَلُّ الأُمَمِ عَدَداً. | ٧ 7 |
ख़ुदावन्द ने जो तुमसे मुहब्बत की और तुमको चुन लिया, तो इसकी वजह यह न थी कि तुम शुमार में और क़ौमों से ज़्यादा थे, क्यूँकि तुम सब क़ौमों से शुमार में कम थे;
بَلْ مِنْ مَحَبَّتِهِ، وَحِفَاظاً عَلَى الْقَسَمِ الَّذِي أَقْسَمَ بِهِ لِآبَائِكُمْ، أَخْرَجَكُمْ بِقُوَّةٍ فَائِقَةٍ، وَفَدَاكُمْ مِنْ نِيرِ عُبُودِيَّةِ فِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ. | ٨ 8 |
बल्कि चूँकि ख़ुदावन्द को तुमसे मुहब्बत है और वह उस क़सम को जो उसने तुम्हारे बाप — दादा से खाई पूरा करना चाहता था, इसलिए ख़ुदावन्द तुमको अपने ताक़तवर हाथ से निकाल लाया, और ग़ुलामी के घर या'नी मिस्र के बादशाह फ़िर'औन के हाथ से तुमको छुटकारा बख़्शा।
فَاعْلَمُوا أَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ هُوَ اللهُ، الإِلَهُ الأَمِينُ الْوَفِيُّ بِالْعَهْدِ وَالإِحْسَانِ لِمُحِبِّيهِ وَحَافِظِي وَصَايَاهُ إِلَى أَلْفِ جِيلٍ. | ٩ 9 |
इसलिए जान लो कि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा वही ख़ुदा है। वह वफ़ादार ख़ुदा है, और जो उससे मुहब्बत रखते और उसके हुक्मों को मानते हैं, उनके साथ हज़ार नसल तक वह अपने 'अहद को क़ाईम रखता और उन पर रहम करता है।
وَهُوَ يُجَازِي مُبْغِضِيهِ عَلَناً، فَيَسْتَأْصِلُهُمْ وَلا يَتَمَهَّلُ، بَلْ يُسْرِعُ فِي مُعَاقَبَةِ مَنْ يُبْغِضُهُ. | ١٠ 10 |
और जो उससे 'अदावत रखते हैं, उनको उनके देखते ही देखते बदला देकर हलाक कर डालता है, वह उसके बारे में जो उससे 'अदावत रखता है देर न करेगा, बल्कि उसी के देखते — देखते उसे बदला देगा।
فَأَطِيعُوا الْوَصَايَا وَالْفَرَائِضَ وَالأَحْكَامَ الَّتِي أُوْصِيكُمْ بِها الْيَوْمَ لِتُمَارِسُوهَا. | ١١ 11 |
इसलिए जो फ़रमान और आईन और अहकाम मैं आज के दिन तुझको बताता हूँ तू उनको मानना और उन पर 'अमल करना।
فَإِنِ اسْتَمَعْتُمْ إِلَى هَذِهِ الأَحْكَامِ وَأَطَعْتُمُوهَا وَعَمِلْتُمْ بِها، فَإِنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ يُحَافِظُ لَكُمْ عَلَى الْعَهْدِ وَالإِحْسَانِ كَمَا حَلَفَ لِآبَائِكُمْ. | ١٢ 12 |
और तुम्हारे इन हुक्मों को सुनने और मानने और उन पर 'अमल करने की वजह से ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा भी तेरे साथ उस 'अहद और रहमत को क़ाईम रख्खेगा, जिसकी क़सम उसने तुम्हारे बाप — दादा से खाई,
وَيُحِبُّكُمْ وَيُبَارِكُكُمْ وَيُكَثِّرُكُمْ، وَيُبَارِكُ ثَمَرَةَ أَحْشَائِكُمْ وَغَلَّةَ أَرْضِكُمْ مِنْ قَمْحٍ وَخَمْرٍ وَزَيْتٍ، وَيَزِيدُ مِنْ إِنْتَاجِ بَقَرِكُمْ وَنِعَاجِكُمْ عَلَى الأَرْضِ الَّتِي أَقْسَمَ لِآبَائِكُمْ أَنْ يَهَبَهَا لَكُمْ. | ١٣ 13 |
और तुझसे मुहब्बत रख्खेगा और तुझको बरकत देगा और बढ़ाएगा; और उस मुल्क में जिसे तुझको देने की क़सम उसने तेरे बाप — दादा से खाई वह तेरी औलाद पर, और तेरी ज़मीन की पैदावार या'नी तुम्हारे ग़ल्ले, और मय, और तेल पर, और तेरे गाय — बैल के और भेड़ — बकरियों के बच्चों पर बरकत नाज़िल करेगा।
وَتَكُونُونَ مُبَارَكِينَ أَكْثَرَ مِنْ جَمِيعِ الشُّعُوبِ، فَلا يُوْجَدُ عَقِيمٌ وَلا عَاقِرٌ فِيكُمْ وَلا فِي بَهَائِمِكُمْ. | ١٤ 14 |
तुझको सब क़ौमों से ज़्यादा बरकत दी जाएगी, और तुम में या तुम्हारे चौपायों में न तो कोई 'अक़ीम होगा न बाँझ।
وَيَقِيكُمُ الرَّبُّ مِنْ كُلِّ عِلَّةٍ، وَكُلِّ أَمْرَاضِ مِصْرَ الْخَبِيثَةِ الَّتِي عَايَنْتُمُوهَا، وَلا يُصِيبُكُمْ بِها، بَلْ يَجْعَلُهَا عَلَى مُبْغِضِيكُمْ. | ١٥ 15 |
और ख़ुदावन्द हर क़िस्म की बीमारी तुझ से दूर करेगा और मिस्र के उन बुरे रोगों को जिनसे तुम वाक़िफ़ हो तुझको लगने न देगा, बल्कि उनको उन पर जो तुझ से 'अदावत रखते हैं नाज़िल करेगा।
وَتَسْتَأْصِلُونَ جَمِيعَ الشُّعُوبِ الَّذِينَ يُسْلِمُهُمُ الرَّبُّ إِلَيْكُمْ، فَلا تُشْفِقُوا عَلَيْهِمْ وَلا تَعْبُدُوا آلِهَتَهُمْ لأَنَّ ذَلِكَ شَرَكٌ لَكُمْ. | ١٦ 16 |
और तू उन सब क़ौमों को, जिनको ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे क़ाबू में कर देगा नाबूद कर डालना। तू उन पर तरस न खाना और न उनके मा'बूदों की इबादत करना, वर्ना यह तुम्हारे लिए एक जाल होगा।
وَإِنْ تَسَاءَلْتُمْ فِي قُلُوبِكُمْ: إِنَّ هَذِهِ الشُّعُوبَ أَكْثَرُ مِنَّا عَدَداً، فَكَيْفَ نَقْدِرُ أَنْ نَطْرُدَهُمْ؟ | ١٧ 17 |
और अगर तेरा दिल भी यह कहे कि ये क़ौमें तो मुझसे ज़्यादा हैं, हम उनको क्यूँ कर निकालें?
لَا تَخَافُوا مِنْهُمْ بَلِ اذْكُرُوا مَا صَنَعَهُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ بِفِرْعَوْنَ وَسَائِرِ الْمِصْرِيِّينَ. | ١٨ 18 |
तोभी तू उनसे न डरना, बल्कि जो कुछ ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने फ़िर'औन और सारे मिस्र से किया उसे ख़ूब याद रखना;
اذْكُرُوا الْوَيْلاتِ الْعَظِيمَةَ الَّتِي شَهِدَتْهَا أَعْيُنُكُمْ وَالْمُعْجِزَاتِ وَالْعَجَائِبَ وَالْقُوَّةَ الشَّدِيدَةَ وَالْقُدْرَةَ الْفَائِقَةَ الَّتِي أَخْرَجَكُمْ بِها الرَّبُّ إِلَهُكُمْ، فَهَكَذَا يَفْعَلُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ بِجَمِيعِ الأُمَمِ الَّتِي تَخْشَوْنَهَا. | ١٩ 19 |
या'नी उन बड़े — बड़े तजरिबों को जिनको तेरी आँखों ने देखा, और उन निशान और मो'जिज़ों और ताक़तवर हाथ और बलन्द बाज़ू को जिनसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको निकाल लाया; क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा ऐसा ही उन सब क़ौमों से करेगा जिनसे तू डरता है।
وَيُرْسِلُ عَلَيْهِمِ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ الزَّنَابِيرَ وَيُبِيدُ الْبَاقِينَ الْمُحْتَجِبِينَ مِنْ وَجْهِكُمْ. | ٢٠ 20 |
बल्कि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उनमें ज़म्बूरों को भेज देगा, यहाँ तक कि जो उनमें से बाक़ी बच कर छिप जाएँगे वह भी तेरे आगे से हलाक हो जाएँगे।
لَا تَرْهَبُوهُمْ، لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمُ الْحَالَّ بَيْنَكُمْ إِلَهٌ عَظِيمٌ وَمَرْهُوبٌ. | ٢١ 21 |
इसलिए तू उनसे दहशत न खाना; क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे बीच में है, और वह ख़ुदा — ए — 'अज़ीम और मुहीब है।
غَيْرَ أَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ سَيَطْرُدُ تِلْكَ الأُمَمَ مِنْ أَمَامِكُمْ تَدْرِيجِيًّا، لِئَلّا تَتَكَاثَرَ عَلَيْكُمْ وُحُوشُ الْبَرِّيَّةِ إِنْ أَسْرَعْتُمْ بِالْقَضَاءِ عَلَيْهِمْ دَفْعَةً وَاحِدَةً. | ٢٢ 22 |
और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उन क़ौमों को तेरे आगे से थोड़ा — थोड़ा करके दफ़ा' करेगा। तू एक ही दम उनको हलाक न करना, ऐसा न हो कि जंगली दरिन्दे बढ़ कर तुझ पर हमला करने लगें।
إِنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ يُسْلِمُهُمْ إِلَيْكُمْ مُوْقِعاً بِهِمِ الاضْطِرَابَ الْعَظِيمَ حَتَّى يَنْقَرِضُوا، | ٢٣ 23 |
बल्कि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उनको तेरे हवाले करेगा, और उनको ऐसी शिकस्त — ए — फ़ाश देगा कि वह हलाक हो जाएँगे।
وَيَجْعَلُ مُلُوكَهُمْ يَقَعُونَ فِي أَسْرِكُمْ فَتَمْحُونَ اسْمَهُمْ مِنَ الأَرْضِ. وَلَنْ يَقْدِرَ أَحَدٌ أَنْ يُجَابِهَكُمْ، فَإِنَّكُمْ تُفْنُونَهُمْ. | ٢٤ 24 |
और वह उनके बादशाहों को तेरे क़ाबू में कर देगा, और तू उनका नाम सफ़ह — ए — रोज़गार से मिटा डालेगा; और कोई मर्द तेरा सामना न कर सकेगा, यहाँ तक कि तू उनको हलाक कर देगा।
أَحْرِقُوا تَمَاثِيلَ آلِهَتِهِمْ وَلا تَشْتَهُوا مَا عَلَيْهَا مِنْ فِضَّةٍ وَذَهَبٍ فَتَغْنَمُوهَا لأَنْفُسِكُمْ، لِئَلّا تَقْتَنِصَكُمْ، لأَنَّهَا رِجْسٌ عِنْدَ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ. | ٢٥ 25 |
तुम उनके मा'बूदों की तराशी हुई मूरतों को आग से जला देना और जो चाँदी या सोना उन पर हो उसका तू लालच न करना और न उसे लेना, ऐसा न हो कि तू उसके फन्दे में फँस जाए क्यूँकि ऐसी बात ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा के आगे मकरूह है।
لَا تُدْخِلُوا شَيْئاً رِجْساً إِلَى بُيُوتِكُمْ لِئَلّا تُصْبِحُوا أَهْلاً لِلدَّمَارِ مِثْلَهُ، بَلْ عَلَيْكُمْ أَنْ تَسْتَقْبِحُوهُ وَتَمْقُتُوهُ، لأَنَّ مَآلَهُ الدَّمَارُ. | ٢٦ 26 |
इसलिए तू ऐसी मकरूह चीज़ अपने घर में लाकर उसकी तरह नेस्त कर दिए जाने के लायक़ न बन जाना, बल्कि तू उससे बहुत ही नफ़रत करना और उससे बिल्कुल नफ़रत रखना; क्यूँकि वह मलाऊन चीज़ है।