< تَثنِيَة 34 >

وَارْتَقَى مُوسَى جَبَلَ نَبُو إِلَى قِمَّةِ الْفِسْجَةِ مِنْ سُهُولِ مُوآبَ الْمُقَابِلَةِ لأَرِيحَا، فَأَرَاهُ الرَّبُّ جَمِيعَ الأَرْضِ مِنْ جِلْعَادَ إِلَى دَانٍ، ١ 1
इसके बाद मोशेह मोआब के मैदानों से नेबो पर्वत पर चले गए, जो येरीख़ो के सामने पिसगाह की चोटी पर है. यहां याहवेह ने उनकी दृष्टि में उस पूरे देश को दिखा दिया; गिलआद से लेकर दान तक,
وَأَيْضاً أَرَاضِي نَفْتَالِي وَأَفْرَايِمَ وَمَنَسَّى وَسَائِرَ أَرْضِ يَهُوذَا الْمُمْتَدَّةِ إِلَى الْبَحْرِ الْمُتَوَسِّطِ غَرْباً. ٢ 2
पूरा नफताली और एफ्राईम और मनश्शेह और सारा यहूदिया, पश्चिमी सागर तक,
وَكَذَلِكَ النَّقَبَ فِي الْجَنُوبِ، وَوَادِي نَهْرِ الأُرْدُنِّ، وَأَرِيحَا مَدِينَةَ النَّخِيلِ حَتَّى صُوغَرَ. ٣ 3
नेगेव और येरीख़ो की घाटी में मैदान, खजूर वृक्षों का नगर, ज़ोअर तक.
وَقَالَ لَهُ الرَّبُّ: «هَذِهِ هِيَ الأَرْضُ الَّتِي أَقْسَمْتُ لإِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ أَنَّنِي سَأَهَبُهَا لِذُرِّيَّتِهِمْ. قَدْ جَعَلْتُكَ تَرَاهَا بِعَيْنَيْكَ وَلَكِنَّكَ إِلَيْهَا لَنْ تَعْبُرَ». ٤ 4
तब याहवेह ने उनसे कहा, “यही है वह ज़मीन, जिसे देने की शपथ के साथ प्रतिज्ञा मैंने अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब से यह कहते हुए की थी, ‘यह मैं तुम्हारे वंशजों को दे दूंगा.’ यह मैंने तुम्हें दिखाया है, मगर तुम खुद वहां नहीं जाओगे.”
فَمَاتَ مُوسَى عَبْدُ الرَّبِّ فِي أَرْضِ مُوآبَ بِمُوْجِبِ قَوْلِ الرَّبِّ. ٥ 5
याहवेह के सेवक मोशेह की मृत्यु मोआब देश में हो गई; याहवेह की भविष्यवाणी के अनुसार.
وَدَفَنَهُ فِي الْوَادِي فِي أَرْضِ مُوآبَ، مُقَابِلَ بَيْتِ فَغُورَ. وَلَمْ يَعْرِفْ أَحَدٌ قَبْرَهُ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ. ٦ 6
उन्हें मोआब देश की उस घाटी में बेथ-पिओर के सामने गाड़ दिया गया. आज तक किसी व्यक्ति को यह मालूम न हो सका कि मोशेह की कब्र किस स्थान पर है.
وَكَانَ مُوسَى قَدْ بَلَغَ مِنَ الْعُمْرِ مِئَةً وَعِشْرِينَ سَنَةً حِينَ مَاتَ، لَمْ يَكِلَّ بَصَرُهُ وَلا غَاضَتْ نَضَارَتُهُ. ٧ 7
हालांकि मोशेह की उम्र मृत्यु के समय एक सौ बीस साल की थी, न तो उनकी आंखें धुंधली हुई थीं और न ही उनके बल में कोई कमी आई थी.
وَنَاحَ بَنُو إِسْرَائِيلَ عَلَى مُوسَى فِي سُهُولِ مُوآبَ طَوَالَ ثَلاثِينَ يَوْماً. ٨ 8
इस्राएल वंशज मोशेह के लिए मोआब के मैदानों में तीस दिन तक विलाप करते रहे. तीस दिन के बाद उनका मोशेह के लिए विलाप करना खत्म हुआ.
وَكَانَ يَشُوعُ بْنُ نُونٍ قَدِ امْتَلَأَ رُوحَ حِكْمَةٍ بَعْدَ أَنْ وَضَعَ مُوسَى يَدَيْهِ عَلَيْهِ، فَأَطَاعَهُ بَنُو إِسْرَائِيلَ وَعَمِلُوا بِمُقْتَضَى مَا أَوْصَى بِهِ الرَّبُّ مُوسَى. ٩ 9
इस अवसर पर नून के पुत्र यहोशू बुद्धि की आत्मा से भरे हुए थे, क्योंकि मोशेह ने उन पर अपने हाथ रखे थे. इस्राएलियों द्वारा वह स्वीकार कर लिए गए, और वही करने लगे जैसा आदेश याहवेह द्वारा मोशेह को दिया गया था.
وَلَمْ يَظْهَرْ بَعْدُ نَبِيٌّ فِي بَنِي إِسْرَائِيلَ مِثْلُ مُوسَى، الَّذِي خَاطَبَهُ الرَّبُّ وَجْهاً لِوَجْهٍ ١٠ 10
इसके बाद इस्राएल में मोशेह के समान कोई भी भविष्यद्वक्ता नहीं हुआ, जिससे याहवेह की बातचीत आमने-सामने हुआ करती थी,
وَأَقَامَهُ لِيُجْرِيَ جَمِيعَ الآيَاتِ وَالْمُعْجِزَاتِ فِى دِيَارِ مِصْرَ، عَلَى فِرْعَوْنَ وَعَلَى جَمِيعِ عَبِيدِهِ. ١١ 11
याहवेह ने उन्हें इसलिए चुना था कि मिस्र देश में फ़रोह, उसके सारे सेवकों और उसके सारे देश में चिन्ह और चमत्कार करें
إِذْ لَمْ يَسْتَطِعْ أَحَدٌ أَنْ يَصْنَعَ الْعَظَائِمَ الْمُخِيفَةَ بِقُدْرَةٍ فَائِقَةٍ كَمَا فَعَلَ مُوسَى أَمَامَ كُلِّ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ١٢ 12
और उस अपार शक्ति और भयंकर आतंक को प्रदर्शित करें, जो मोशेह ने सारी इस्राएल के सामने किए थे.

< تَثنِيَة 34 >