< تَثنِيَة 28 >
وَإِنْ أَطَعْتُمْ صَوْتَ الرَّبِّ طَاعَةً تَامَّةً، حِرْصاً مِنْكُمْ عَلَى تَنْفِيذِ جَمِيعِ وَصَايَاهُ الَّتِي أُوصِيكُمْ بِها الْيَوْمَ، فَإِنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ يَجْعَلُكُمْ أَسْمَى مِنْ جَمِيعِ أُمَمِ الأَرْضِ. | ١ 1 |
अब भविष्य यह होगा, कि यदि तुम सावधानीपूर्वक याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहोगे, जो आदेश मैं आज तुम्हें सौंप रहा हूं, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें पृथ्वी के सारे राष्ट्रों से अति महान बनाए रखेंगे.
وَإذَا سَمِعْتُمْ لِصَوْتِ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ فَإِنَّ جَمِيعَ هَذِهِ الْبَرَكَاتِ تَنْسَكِبُ عَلَيْكُمْ وَتُلازِمُكُمْ. | ٢ 2 |
तुम इन सभी सुख समृद्धि से अभिभूत हो जाओगे, ये तुम तक पहुंच जाएंगी, सिर्फ यदि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी बने रहोगे:
تَكُونُونَ مُبَارَكِينَ فِي الْمَدِينَةِ وَمُبَارَكِينَ فِي الْحُقُولِ. | ٣ 3 |
याहवेह तुम्हारे नगरों और खेतों को आशीष प्रदान करेंगे.
كَمَا تَتَبَارَكُ ذُرِّيَّتُكُمْ، وَغَلّاتُ أَرْضِكُمْ، وَنِتَاجُ بَهَائِمِكُمْ وَبَقَرِكُمْ وَنِعَاجِكُمْ. | ٤ 4 |
याहवेह तुम्हारे बच्चों को आशीर्वाद देंगे. वे तुम्हारी भूमि की फसल आशीषित होगी, और तुम्हारे जानवरों के बच्चे आशीषित होंगे.
وَتَتَبَارَكُ أَيْضاً فَوَاكِهُ سِلالِكُمْ وَخُبْزُ مَعَاجِنِكُمْ. | ٥ 5 |
आशीषित रहेगी तुम्हारी टोकरी और तुम्हारा आटा गूंथने का कटोरा.
وَتَكُونُونَ مُبَارَكِينَ فِي دُخُولِكُمْ وَخُرُوجِكُمْ | ٦ 6 |
आशीषित रहोगे तुम, जब तुम कुछ करोगे और धन्य रहोगे तुम, जब तुम लौटकर आओगे.
وَيَهْزِمُ الرَّبُّ أَمَامَكُمْ أَعْدَاءَكُمُ الْقَائِمِينَ عَلَيْكُمْ، فَيُقْبِلُونَ عَلَيْكُمْ فِي طَرِيقٍ وَاحِدَةٍ، وَلَكِنَّهُمْ يُوَلُّونَ الأَدْبَارَ أَمَامَكُمْ فِي سَبْعِ طُرُقٍ. | ٧ 7 |
याहवेह तुम्हारे उठे हुए शत्रुओं को हराने की योजना करेंगे; वे एक मार्ग से तुम पर हमला करने तो आएंगे. मगर तुम्हारे सामने भागते हुए सात दिशाओं में बिखर जाएंगे.
يَأْمُرُ الرَّبُّ لَكُمْ بِالْبَرَكَةِ، فَتَمْتَلِئُ خَزَائِنُكُمْ. وَيُبَارِكُ كُلَّ مَا تُنْتِجُهُ أَيْدِيكُمْ وَغَلّاتِ أَرْضِكُمُ الَّتِي يَهَبُهَا لَكُمْ. | ٨ 8 |
याहवेह तुम्हारे अन्नभण्डारों को, तुम्हारे हर एक उपक्रम को और उस देश को, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहे हैं, समृद्धि का आदेश देंगे.
وَإذَا حَفِظْتُمْ وَصَايَاهُ وَسَلَكْتُمْ فِي سُبُلِهِ فَإِنَّهُ يَجْعَلُكُمْ لِنَفْسِهِ شَعْباً مُقَدَّساً كَمَا حَلَفَ لَكُمْ، | ٩ 9 |
याहवेह तुम्हें अपने ही लिए पवित्र प्रजा-स्वरूप प्रतिष्ठित करेंगे; जैसी प्रतिज्ञा वह तुमसे खुद कर चुके हैं, यदि तुम याहवेह अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करते हुए उनकी नीतियों का पालन करते रहोगे.
فَتُدْرِكُ جَمِيعُ شُعُوبِ الأَرْضِ أَنَّ اسْمَ الرَّبِّ قَدْ حَلَّ عَلَيْكُمْ، وَيَخَافُونَكُمْ. | ١٠ 10 |
परिणामस्वरूप सारी पृथ्वी के लोग इस बात के गवाह होंगे कि तुम वह प्रजा हो, जिसका सम्मान याहवेह के नाम से है. इससे उन पर तुम्हारा आतंक स्थापित हो जाएगा.
وَيَزِيدُكُمُ الرَّبُّ وَفْرَةً فَيُكَثِّرُ مِنْ أَبْنَائِكُمْ وَنِتَاجِ بَهَائِمِكُمْ وَمِنْ غَلّاتِ أَرْضِكُمُ الَّتِي حَلَفَ لِآبَائِكُمْ أَنْ يَهَبَهَا لَكُمْ. | ١١ 11 |
याहवेह, तुम्हारी संतान में, तुम्हारे पशुओं की सन्तति में और तुम्हारी भूमि के उत्पाद में, तुम्हारी समृद्धि को उस देश में, जो याहवेह ने तुम्हारे पूर्वजों को देने की प्रतिज्ञा की थी, पूरा करेंगे.
وَيَفْتَحُ لَكُمُ الرَّبُّ كُنُوزَ سَمَائِهِ الصَّالِحَةَ، فَيُمْطِرُ عَلَى أَرْضِكُمْ فِي مَوَاسِمِهَا، وَيُبَارِكُ كُلَّ مَا تُنْتِجُهُ أَيْدِيكُمْ، فَتُقْرِضُونَ أُمَماً كَثِيرَةً وَأَنْتُمْ لَا تَقْتَرِضُونَ. | ١٢ 12 |
याहवेह अपने बड़े भंडार को तुम्हारे लिए उपलब्ध कर देंगे; आकाश अपनी तय ऋतु में भूमि पर वृष्टि करेगा, तुम्हारे सारे काम सफल होंगे और तुम अनेक राष्ट्रों को ऋण दोगे, मगर खुद तुम्हें किसी से ऋण लेने की ज़रूरत न होगी.
وَإذَا أَطَعْتُمْ وَصَايَا الرَّبِّ الَّتِي أَنَا آمُرُكُمْ بِها الْيَوْمَ لِتَحْفَظُوهَا وَتَعْمَلُوا بِها، فَإِنَّهُ يَجْعَلُكُمْ رُؤُوساً لَا أَذْنَاباً، مُتَسَامِينَ دَائِماً، وَلا يُدْرِكُكُمُ انْحِطَاطٌ أَبَداً. | ١٣ 13 |
याहवेह तुम्हें सबसे ऊंचा ही बनाए रखेंगे, पूंछ नहीं; तुम ऊंचाई पर ही रहोगे, अधीन कभी नहीं, यदि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करोगे, जो आज मैं तुम्हें सौंप रहा हूं; कि तुम सावधानीपूर्वक उनका पालन करते रहो,
لَا تَنْحَرِفُوا يَمِيناً أَوْ شِمَالاً عَنْ جَمِيعِ هَذِهِ الشَّرَائِعِ الَّتِي أَنَا أُوصِيكُمْ بِها الْيَوْمَ، لِكَيْ لَا تَغْوُوا وَرَاءَ آلِهَةٍ أُخْرَى لِتَعْبُدُوهَا. | ١٤ 14 |
कि तुम इनसे, इनमें से किसी के मर्म से ज़रा भी विचलित न होओ, और पराए देवताओं की उपासना-सेवा में लीन हो जाओ.
وَلَكِنْ إِنْ عَصَيْتُمْ صَوْتَ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ وَلَمْ تَحْرِصُوا عَلَى الْعَمَلِ بِجَمِيعِ وَصَايَاهُ وَفَرَائِضِهِ الَّتِي أَنَا آمُرُكُمُ الْيَوْمَ بِها، فَإِنَّ جَمِيعَ هَذِهِ اللَّعْنَاتِ تَحِلُّ بِكُمْ وَتُلازِمُكُمْ. | ١٥ 15 |
मगर यदि स्थिति यह हो जाए, कि आज तुम मेरे द्वारा दिए जा रहे, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों और नियमों का पालन न करो, तो ये सारे शाप तुम्हें आ घेरेंगे, और तुम पर प्रभावी हो जाएंगे:
تَكُونُونَ مَلْعُونِينَ فِي الْمَدِينَةِ وَمَلْعُونِينَ فِي الْحُقُولِ. | ١٦ 16 |
तुम अपने नगर में शापित होंगे, तुम अपने देश में शापित होंगे.
وَتَكُونُ سِلالُكُمْ وَمَعَاجِنُكُمْ مَلْعُونَةً. | ١٧ 17 |
शापित होंगी तुम्हारी टोकरी और तुम्हारे गूंथने का पात्र.
وَتَحِلُّ اللَّعْنَةُ بِأَبْنَائِكُمْ وَغَلّاتِ أَرْضِكُمْ وَنِتَاجِ بَقَرِكُمْ وَنِعَاجِكُمْ، | ١٨ 18 |
शापित होंगी तुम्हारी अपनी संतान, तुम्हारी भूमि की उपज, तुम्हारे पशुओं और भेड़ों की वृद्धि.
وَتَكُونُونَ مَلْعُونِينَ فِي ذِهَابِكُمْ وَإِيَابِكُمْ، | ١٩ 19 |
शापित होगा तुम्हारा कूच और तुम्हारा लौटकर आना.
وَيَصُبُّ الرَّبُّ عَلَيْكُمُ اللَّعْنَةَ وَالْفَوْضَى وَالْفَشَلَ فِي كُلِّ مَا تُنْتِجُهُ أَيْدِيكُمْ، حَتَّى تَهْلِكُوا وَتَفْنَوْا سَرِيعاً لِسُوءِ أَفْعَالِكُمْ، إِذْ تَرَكْتُمُونِي. | ٢٠ 20 |
तुम्हारे सारे कामों में तुम्हारे कामों के दुराचार और तुम्हारे द्वारा याहवेह का त्याग किए जाने के कारण याहवेह तुम पर शाप, डर और कुंठा डाल देंगे, कि तुम नाश हो जाओ और तेजी से तुम्हारा विनाश हो जाए.
وَيَتَفَشَّى بَيْنَكُمُ الْوَبَاءُ حَتَّى يُبِيدَكُمْ عَنِ الأَرْضِ الَّتِي أَنْتُمْ مَاضُونَ إِلَيْهَا لامْتِلاكِهَا، | ٢١ 21 |
याहवेह तुम पर महामारी सम्बद्ध कर देंगे, जब तक वह तुम्हें उस देश से नाश न कर दें, जिसमें अधिकार करने के लिये तुम उसमें प्रवेश कर रहे हो.
وَيَضْرِبُكُمُ الرَّبُّ بِالسُّلِّ وَالْحُمَّى وَالرَّعْشَةِ وَالالْتِهَابِ وَالْجَفَافِ وَاللَّفْحِ وَالذُّبُولِ، فَتُلازِمُكُمْ حَتَّى تَفْنَوْا. | ٢٢ 22 |
याहवेह तुम पर क्षय रोग, बुखार, सूजन, बड़ी जलन और तलवार का प्रहार प्रभावी करेंगे, जब तक तुम मिट न जाओ.
وَتُصْبِحُ السَّمَاءُ الَّتِي فَوْقَكُمْ كَالنُّحَاسِ وَالأَرْضُ تَحْتَكُمْ كَالْحَدِيدِ. | ٢٣ 23 |
तुम्हारे सिर के ऊपर विशाल आकाश कांसे और पांवों के नीचे की धरती लोहा हो जाएगी.
وَيُحَوِّلُ الرَّبُّ مَطَرَ أَرْضِكُمْ إِلَى غُبَارٍ وَعَوَاصِفَ تُرَابِيَّةٍ تَنْهَمِرُ عَلَيْكُمْ مِنَ السَّمَاءِ حَتَّى تَهْلِكُوا. | ٢٤ 24 |
याहवेह, तुम पर बालू और धूल की बारिश करेंगे; ये आकाश से तुम पर ये तब तक बरसते रहेंगे जब तक तुम नाश न हो जाओ.
وَيَهْزِمُكُمُ الرَّبُّ أَمَامَ أَعْدَائِكُمْ فَتُقْبِلُونَ عَلَيْهِمْ فِي طَرِيقٍ وَاحِدَةٍ وَتُوَلُّونَ الأَدْبَارَ أَمَامَهُمْ مُتَفَرِّقِينَ فِي سَبْعِ طُرُقٍ، وَتُصْبِحُونَ عِبْرَةً لِجَمِيعِ مَمَالِكِ الأَرْضِ. | ٢٥ 25 |
याहवेह, ऐसा करेंगे, कि तुम अपने शत्रुओं द्वारा हरा दिए जाओगे. उन पर हमला करने तो तुम एक मार्ग से जाओगे, मगर तुम सात दिशाओं में पलायन करोगे. सारी पृथ्वी के राज्यों के लिए तुम आतंक का पर्याय हो जाओगे.
وَتَكُونُ جُثَثُكُمْ طَعَاماً لِجَمِيعِ طُيُورِ السَّمَاءِ وَوُحُوشِ الأَرْضِ وَلا يَطْرُدُهَا أَحَدٌ. | ٢٦ 26 |
तुम्हारे शव आकाश के सारे पक्षियों और पृथ्वी के पशुओं का आहार हो जाएंगे और उन्हें खदेड़ने के लिए वहां कोई भी न रहेगा.
وَيُصِيبُكُمُ الرَّبُّ بِدَاءِ قُرْحَةِ مِصْرَ وَبِالْبَوَاسِيرِ وَالْجَرَبِ وَالْحِكَّةِ، وَلا تَجِدُونَ لَهَا عِلاجاً. | ٢٧ 27 |
मिस्र देश के समान याहवेह तुम पर फोड़ों, बतौरियों का वार करेंगे और उसके अलावा चकत्ते और खुजली का भी, जिनसे तुम्हें छुड़ौती प्राप्त हो ही न सकेगी.
وَيَبْتَلِيكُمُ الرَّبُّ بِالْجُنُونِ وَالْعَمَى وَارْتِبَاكِ الْفِكْرِ، | ٢٨ 28 |
याहवेह तुम पर पागलपन, अंधेपन और हृदय की घबराहट का वार कर देंगे.
فَتَتَحَسَّسُونَ طُرُقَكُمْ فِي الظُّهْرِ كَمَا يَتَحَسَّسُ الأَعْمَى طَرِيقَهُ فِي الظَّلامِ، وَتَبُوءُ طُرُقُكُمْ بِالإِخْفَاقِ، وَلا تَكُونُونَ إِلّا مَظْلُومِينَ مَغْصُوبِينَ كُلَّ الأَيَّامِ، وَلَيْسَ مِنْ مُنْقِذٍ. | ٢٩ 29 |
परिणामस्परूप तुम दिन-दोपहरी टटोलते रहोगे, जिस प्रकार अंधा टटोलता रहता है. तुम्हारे कामों से तुम्हें कोई लाभ न मिलेगा, बल्कि तुम लगातार उत्पीड़ित भी किए जाओगे और लूटते जाओगे, मगर वहां तुम्हारी रक्षा के लिए कोई भी न रह जाएगा.
يَخْطُبُ أَحَدُكُمُ امْرَأَةً وَلَكِنَّ آخَرَ يَتَزَوَّجُهَا وَيُضَاجِعُهَا. تَبْنِي بَيْتاً وَلا تَسْكُنُ فِيهِ، وَتَغْرِسُ كَرْماً وَلا تَجْنِيهِ. | ٣٠ 30 |
जिस कन्या से तुम्हारी सगाई होगी, कोई अन्य पुरुष शीलभंग करेगा; तुम अपने घर का निर्माण तो करोगे, मगर उसमें निवास न कर सकोगे. तुम अंगूर के बगीचे तो लगाओगे मगर अंगूरों का उपभोग न कर सकोगे.
يُذْبَحُ ثَوْرُكَ أَمَامَ عَيْنَيْكَ وَلا تَأْكُلُ مِنْهُ، وَيُغْتَصَبُ حِمَارُكَ عَلَى مَرْأَىً مِنْكَ وَلا يُرَدُّ إِلَيْكَ، وَيَسْتَوْلِي أَعْدَاؤُكَ عَلَى مَاشِيَتِكَ وَلَيْسَ مِنْ مُنْقِذٍ. | ٣١ 31 |
तुम्हारे बछड़े का वध तुम्हारे सामने तो होगा मगर तुम उसका उपभोग न कर सकोगे. तुम्हारा गधा तुमसे छीन लिया जाएगा. और तुम उसे पुनः प्राप्त न कर सकोगे. तुम्हारी भेड़ें तुम्हारे शत्रुओं की संपत्ति हो जाएंगी और कोई भी तुम्हारी रक्षा के लिए वहां न रहेगा.
يُسَاقُ أَوْلادُكَ وَبَنَاتُكَ إِلَى أُمَّةٍ أُخْرَى وَعَيْنَاكَ تُرَاقِبَانِهِمْ طَوَالَ النَّهَارِ، حَتَّى تَكِلّا، وَمَا فِي يَدِكَ حِيلَةٌ. | ٣٢ 32 |
तुम्हारे पुत्र-पुत्रियां तुम्हारे देखते-देखते बंधुआई में चले जाएंगे और तुम हमेशा उनकी लालसा करते रह जाओगे, मगर इसके लिए तुम कुछ भी न कर सकोगे.
مَحْصُولُ أَرْضِكَ وَثَمَرُ تَعَبِكَ يَأْكُلُهُ شَعْبٌ غَرِيبٌ عَنْكَ، وَلا تَكُونُ سِوَى مَظْلُومٍ مَسْحُوقٍ دَائِماً. | ٣٣ 33 |
तुम्हारी भूमि का उत्पाद विदेशियों का आहार हो जाएगा और तुम आजीवन उत्पीड़ित और दमित किए जाते रहोगे.
وَيُصِيبُكَ الْجُنُونُ مِنْ هَوْلِ مَا تَرَى. | ٣٤ 34 |
तुम्हारे सामने जो कुछ आएगा उसे देख तुम विक्षिप्त हो जाओगे.
وَيَبْتَلِيكَ الرَّبُّ بِقُرُوحٍ خَبِيثَةٍ تُغَطِّي الرُّكْبَتَيْنِ وَالسَّاقَيْنِ، حَتَّى لَا تَجِدَ لَهَا شِفَاءً مِنْ قِمَّةِ الرَّأْسِ إِلَى أَخْمَصِ الْقَدَمِ. | ٣٥ 35 |
याहवेह तुम्हारे पैरों और घुटनों में ऐसे पीड़ादायक फोड़े उत्पन्न कर देंगे, जिनसे तुम स्वस्थ नहीं हो सकोगे, वस्तुतः तुम सिर से पांव तक घावों से भर जाओगे.
يَنْفِيكُمُ الرَّبُّ أَنْتُمْ وَمَلِكَكُمُ الَّذِي تَخْتَارُونَهُ إِلَى أُمَّةٍ لَا تَعْرِفُونَهَا أَنْتُمْ وَلا آبَاؤُكُمْ، حَيْثُ تَعْبُدُونَ هُنَاكَ آلِهَةً أُخْرَى مِنْ خَشَبٍ وَحَجَرٍ، | ٣٦ 36 |
याहवेह तुम्हें और उस राजा को, जो तुम्हारे द्वारा प्रतिष्ठित किया गया होगा, एक ऐसे राष्ट्र में भेज देंगे, जिसे न तो तुम जानते हो और न ही जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने जाना था. उस राष्ट्र में तुम काठ और पत्थर की मूर्तियों की सेवा-उपासना करोगे.
وَتُصْبِحُونَ مَثَارَ دَهْشَةٍ وَسُخْرِيَةٍ وَعِبْرَةٍ فِي نَظَرِ جَمِيعِ الشُّعُوبِ الَّتِي يَنْفِيكُمُ الرَّبُّ إِلَيْهِمْ | ٣٧ 37 |
तब तुम उन लोगों के बीच, जिनके बीच में याहवेह तुम्हें हकाल देंगे, भय, लोकोक्ति और उपहास का विषय होकर रह जाओगे.
تَبْذُرُونَ كَثِيراً مِنَ الْبِذَارِ فِي الْحُقُولِ، وَلا تَحْصُدُونَ إِلّا الْقَلِيلَ، لأَنَّ الْجَرَادَ يَلْتَهِمُهُ. | ٣٨ 38 |
तुम विपुल बीज बोओगे, मगर फसल काटने के अवसर पर तुम बहुत अल्प एकत्र कर सकोगे, क्योंकि टिड्डियां इसे चट कर जाएंगी.
تَكْدَحُونَ فِي غَرْسِ كُرُومٍ وَمِنْ خَمْرِهَا لَا تَشْرَبُونَ، وَمِنْ ثَمَرِهَا لَا تَجْنُونَ، لأَنَّ الدُّودَ يَنْخَرُهَا. | ٣٩ 39 |
तुम द्राक्षा उद्यानों का रोपण और कृषि ज़रूर करोगे, मगर तुम न तो द्राक्षा एकत्र कर सकोगे और न ही द्राक्षारस का सेवन कर सकोगे, इन्हें कीट चट कर जाएंगे.
تَكْتَظُّ أَرَاضِيكُمْ بِأَشْجَارِ الزَّيْتُونِ، وَلَكِنْ مِنْ زَيْتِهَا لَا تَدَّهِنُونَ، لأَنَّ زَيْتُونَكُمْ يَنْتَثِرُ عَلَى الأَرْضِ قَبْلَ نُضْجِهِ. | ٤٠ 40 |
तुम्हारे देश की सारी सीमा में ज़ैतून वृक्ष तो होंगे, मगर तुम ज़ैतून तेल का प्रयोग अभ्यंजन के लिए नहीं कर सकोगे, क्योंकि ज़ैतून फलों का अवपात हो जाएगा.
تُنْجِبُونَ بَنِينَ وَبَنَاتٍ وَلا يَكُونُونَ لَكُمْ، لأَنَّهُمْ يُسْبَوْنَ. | ٤١ 41 |
तुम्हारे पुत्र-पुत्रियां पैदा ज़रूर होंगे, मगर वे तुम्हारे होकर न रह सकेंगे, क्योंकि उन्हें बन्दीत्व में ले जाया जाएगा.
تَلْتَهِمُ أَسْرَابُ الْجَرَادِ أَشْجَارَكُمْ وَغَلّاتِ أَرْضِكُمْ. | ٤٢ 42 |
कीट तुम्हारे सारे वृक्षों और भूमि की उपज में समा जाएंगे.
يَعْظُمُ شَأْنُ الْغُرَبَاءِ الْمُقِيمِينَ بَيْنَكُمْ، وَيَتَفَاقَمُ انْحِطَاطُ شَأْنِكُمْ. | ٤٣ 43 |
तुम्हारे बीच प्रवास कर रहा विदेशी तुमसे अधिक उन्नत होता जाएगा, मगर खुद तुम्हारा ह्रास ही ह्रास होता चला जाएगा.
هُمْ يُقْرِضُونَكُمْ وَأَنْتُمْ لَا تُقْرِضُونَهُمْ، وَهُمْ يَكُونُونَ رَأْساً وَأَنْتُمْ تَكُونُونَ ذَنَباً، | ٤٤ 44 |
वह विदेशी ही तुम्हें ऋण देने की स्थिति में होगा, मगर तुम उसे ऋण देने की स्थिति में न रहोगे. वह तो शीर्ष पर पहुंच जाएगा, मगर तुम निम्नतम स्तर पर रह जाओगे.
وَتَحِلُّ بِكُمْ هَذِهِ اللَّعْنَاتُ وَتُلازِمُكُمْ وَتُلاحِقُكُمْ حَتَّى تَهْلِكُوا، لأَنَّكُمْ لَمْ تُطِيعُوا صَوْتَ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ لِتَحْفَظُوا وَصَايَاهُ وَفَرَائِضَهُ الَّتِي أَمَرَكُمْ بِها، | ٤٥ 45 |
इस प्रकार ये सारे शाप तुम पर प्रभावी हो जाएंगे, तुम्हारा पीछा करते रहेंगे, तुम्हें पकड़ लेंगे, कि तुम पूरी तरह नाश हो जाओ, क्योंकि तुमने याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया, उनके अध्यादेशों को पूरा नहीं किया, जो खुद उन्हीं ने तुम्हें प्रदान किए हैं.
فَتَكُونُ فِيكُمْ وَفِي ذُرِّيَّتِكُمْ عِبْرَةً وَنَذِيراً إِلَى الأَبَدِ. | ٤٦ 46 |
ये शाप तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों के लिए चिन्ह और अलौकिक घटनाएं होकर रह जाएंगे.
وَلأَنَّكُمْ لَمْ تَعْبُدُوا الرَّبَّ إِلَهَكُمْ بِفَرَحٍ وَغِبْطَةٍ فِي زَمَنِ الازْدِهَارِ وَالْوَفْرَةِ، | ٤٧ 47 |
इसलिये कि तुमने इन सारी समृद्धि के लिए याहवेह, अपने परमेश्वर की वंदना न तो सहर्ष भाव में की और न सच्चे हृदय के साथ,
فَإِنَّكُمْ تُصْبِحُونَ عَبِيداً لأَعْدَائِكُمُ الَّذِينَ يُرْسِلُهُمُ الرَّبُّ عَلَيْكُمْ فِي أَحْوَالِ الْجُوعِ وَالْعَطَشِ وَالْعُرْيِ وَالْفَاقَةِ، وَيَضَعُ نِيرَ حَدِيدٍ عَلَى أَعْنَاقِكُمْ حَتَّى يُهْلِكَكُمْ. | ٤٨ 48 |
इसलिये तुम याहवेह द्वारा उत्प्रेरित अपने शत्रुओं के सेवक होकर रह जाओगे; जब तुम भूख, प्यास, नंगाई और सब प्रकार के अभाव की स्थिति में रहोगे. याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारी गर्दन पर लोहे का जूआ तब तक रखे रहेंगे, जब तक वह तुम्हें नाश न कर दें.
وَيَجْلِبُ الرَّبُّ عَلَيْكُمْ مِنْ بَعِيدٍ، مِنْ أَقْصَى الأَرْضِ، أُمَّةً لَا تَفْهَمُونَ لُغَتَهَا، فَتَنْقَضُّ عَلَيْكُمْ كَالنَّسْرِ. | ٤٩ 49 |
याहवेह दूरस्त देश को तुम पर हमला के लिए प्रेरित करेंगे; हां, पृथ्वी के छोर से, जिस प्रकार गरुड़ झपटता है, वह ऐसा राष्ट्र होगा, जिसकी भाषा तुम समझ नहीं पाओगे,
أُمَّةً يُثِيرُ مَنْظَرُهَا الرُّعْبَ، لَا تَهَابُ الشَّيْخَ وَلا تَرْأَفُ بِالطِّفْلِ، | ٥٠ 50 |
वह रौद्र स्वरूप राष्ट्र होगा. उसके हृदय में न तो वृद्धों के प्रति सम्मान होगा, न बालकों के प्रति करुणा.
فَتَسْتَوْلِي عَلَى نِتَاجِ بَهَائِمِكُمْ، وَتَلْتَهِمُ غَلّاتِ أَرْضِكُمْ حَتَّى تَفْنَوْا، وَلا تُبْقِي لَكُمْ قَمْحاً وَلا خَمْراً وَلا زَيْتاً وَلا نِتَاجَ بَقَرِكُمْ وَنِعَاجِكُمْ حَتَّى تُهْلِكَكُمْ. | ٥١ 51 |
इसके अलावा वह राष्ट्र तब तक तुम्हारे पशुओं के बच्चों और भूमि की उपज का उपभोग करता रहेगा, जब तक तुम नाश न हो जाओ. अर्थात् वह राष्ट्र तुम्हारे उपभोग के लिए न तो अन्न छोड़ेगा, न नया द्राक्षारस न नया तेल, न तुम्हारे पशुओं की सन्तति और न ही भेड़ों के मेमने, जिससे तुम नाश हो ही जाओगे.
وَتُحَاصِرُكُمْ فِي جَمِيعِ مُدُنِكُمْ حَتَّى تَتَهَدَّمَ أَسْوَارُكُمُ الشَّامِخَةُ الْحَصِينَةُ الَّتِي وَثِقْتُمْ بِمَنَاعَتِهَا فِي كُلِّ مُدُنِكُمْ. فَتُحَاصِرُكُمْ فِي جَمِيعِ مُدُنِكُمْ فِي كُلِّ أَرْضِكُمُ الَّتِي يَهَبُهَا الرَّبُّ إِلَهُكُمْ لَكُمْ. | ٥٢ 52 |
वह राष्ट्र तुम्हारे सारे नगरों में की घेराबंदी कर लेगा और उसके हमला के परिणामस्वरूप वे उस पूरे देश में, जो तुम्हें याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा प्रदान किया गया था, जिन शहरपनाहों पर तुम्हें पूरा भरोसा रहा था, भंग कर देंगे.
فَتَأْكُلُونَ فِي أَثْنَاءِ الْحِصَارِ وَالضِّيقَةِ الَّتِي يُضَايِقُكُمْ بِها عَدُوُّكُمْ ثِمَارَ بُطُونِكُمْ، لَحْمَ أَبْنَائِكُمْ وَبَنَاتِكُمُ الَّذِينَ رَزَقَكُمْ بِهِمِ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ. | ٥٣ 53 |
शत्रुओं द्वारा की गई घेराबंदी और उसके द्वारा दी गई प्रताड़ना के कारण तुम अपनी निज संतान को खाने लगोगे, तुम्हारे अपने पुत्र-पुत्रियों के मांस को, जो तुम्हें याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर द्वारा प्रदान किए गए हैं.
فَيَقْسُو قَلْبُ أَكْثَرِكُمْ رِقَّةً وَرَأْفَةً عَلَى أَخِيهِ وَامْرَأَتِهِ الَّتِي فِي حِضْنِهِ وَسَائِرِ أَبْنَائِهِ الأَحْيَاءِ. | ٥٤ 54 |
उस समय वह व्यक्ति, जो तुम्हारे बीच में बहुत शालीन और संवेदनशील माना जाता है, वही अपने सहनागरिकों, अपनी प्रिय पत्नी और अपनी शेष संतान के प्रति निर्मम हो जाएगा,
فَلا يُعْطِي أَحَدَهُمْ مِنْ لَحْمِ أَبْنَائِهِ، الَّذِي يَأْكُلُهُ، لأَنَّهُ لَمْ يَبْقَ لَدَيْهِ شَيْءٌ سِوَاهُ فِي الْحِصَارِ وَالضِّيقَةِ الَّتِي يُضَايِقُكُمْ بِها عَدُوُّكُمْ فِي جَمِيعِ مُدُنِكُمْ. | ٥٥ 55 |
वह अपनी संतान के मांस में से किसी को कुछ न देगा, क्योंकि अभाव इतना ज्यादा हो जाएगा. ऐसी भयावह हो जाएगी वह स्थिति, जब तुम्हारे वे शत्रु तुम्हारे सारे नगरों में तुम पर अत्याचार करते रहें.
وَكَذَلِكَ فَإِنَّ أَكْثَرَ النِّسَاءِ رِقَّةً وَرَأْفَةً، وَالَّتِي لِنُعُومَتِهَا وَتَرَفُّهِهَا لَا تَجْرُؤُ عَلَى لَمْسِ الأَرْضِ بِبَاطِنِ قَدَمِهَا، تَبْخَلُ عَلَى زَوْجِهَا رَجُلِ حِضْنِهَا وَعَلَى ابْنِهَا وَابْنَتِهَا | ٥٦ 56 |
तुम्हारे बीच वह स्त्री, जो बहुत शालीन और सुकुमारी मानी जाती है, जो इतनी परिष्कृत और सुकुमारी है, कि वह अपने पांव तक भूमि पर नहीं पड़ने देती, वही अपने प्रिय पति और पुत्र-पुत्री के प्रतिकूल हो जाएगी.
بِمَشِيمَتِهَا السَّاقِطَةِ مِنْهَا، وَبِأَوْلادِهَا الَّذِينَ تَلِدُهُمْ، لأَنَّهَا تَنْوِي أَنْ تَأْكُلَهُمْ سِرّاً فِي أَثْنَاءِ الْحِصَارِ، فِي الضِّيقَةِ الَّتِي يُضَايِقُكُمْ بِها عَدُوُّكُمْ فِي كُلِّ مُدُنِكُمْ. | ٥٧ 57 |
वह उन्हें न तो अपने गर्भ की ममता दिखाएगी और न नवजात शिशु की, क्योंकि शत्रुओं द्वारा घेरे गए तुम्हारे नगर की स्थिति ऐसी शोचनीय हो चुकी होगी, कि वह खुद इन्हें छिप-छिप कर खाती रहना चाहेगी.
فَإِنْ لَمْ تَحْرِصُوا عَلَى الْعَمَلِ بِجَمِيعِ كَلِمَاتِ هَذِهِ الشَّرِيعَةِ الْمَكْتُوبَةِ فِي هَذَا الْكِتَابِ، لِتَهابُوا اسْمَ الرَّبِّ إِلَهِكُمُ الْجَلِيلَ الْمَرْهُوبَ، | ٥٨ 58 |
यदि तुम इस व्यवस्था में लिखित विधि के सब वचनों का पालन के प्रति सावधान न रहोगे, इस सम्मान्य और उदात्त नाम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा न रखो,
فَإِنَّ الرَّبَّ يَجْعَلُ الضَّرَبَاتِ النَّازِلَةَ بِكُمْ وَبِذُرِّيَّتِكُمْ ضَرَبَاتٍ مُخِيفَةً وَكَوَارِثَ رَهِيبَةً دَائِمَةً وَأَمْرَاضاً خَبِيثَةً مُزْمِنَةً، | ٥٩ 59 |
तब याहवेह तुम पर और तुम्हारे वंशजों पर अभूतपूर्व महामारियां ले आएंगे. ये महामारियां बहुत पीड़ादायी और स्थायी प्रकृति की और चिरकालिक और दयनीय व्याधियां होंगी.
وَيُرْسِلُ عَلَيْكُمْ كُلَّ أَمْرَاضِ مِصْرَ الَّتِي فَزِعْتُمْ مِنْهَا فَتُلازِمُكُمْ، | ٦٠ 60 |
याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर मिस्र देश पर प्रभावी की गई सारी व्याधियां तुम पर प्रभावी कर देंगे, जो तुम्हारे लिए भयावह बनी हुई थीं, वे तुम पर संलग्न हो जाएंगी.
وَيُسَلِّطُ الرَّبُّ عَلَيْكُمْ أَيْضاً كُلَّ دَاءٍ وَكُلَّ بَلِيَّةٍ لَمْ تَرِدْ فِي كِتَابِ الشَّرِيعَةِ هَذَا، حَتَّى تَهْلِكُوا. | ٦١ 61 |
यहां तक कि वे सारी व्याधियां और वे सारी महामारियां, जिनका उल्लेख इस विधान अभिलेख में नहीं किया गया है, याहवेह तुम पर प्रभावी कर देंगे, कि तुम्हारा विनाश हो जाए.
فَتَصِيرُونَ قِلَّةً بَعْدَ أَنْ كُنْتُمْ فِي كَثْرَةِ نُجُومِ السَّمَاءِ، لأَنَّكُمْ لَمْ تَسْمَعُوا صَوْتَ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ. | ٦٢ 62 |
तब तुम्हारी गिनती कम रह जाएगी, जबकि एक समय तुम ऐसे अनगिनत थे, जैसे आकाश के तारे. कारण यह है, कि तुम याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के प्रति अनाज्ञाकारी हो गए थे.
وَكَمَا سُرَّ الرَّبُّ بِكُمْ فَأَحْسَنَ إِلَيْكُمْ وَكَثَّرَكُمْ، فَإِنَّهُ سَيُسَرُّ بِأَنْ يَفْنِيَكُمْ وَيُهْلِكَكُمْ فَتَنْقَرِضُونَ مِنَ الأَرْضِ الَّتِي أَنْتُمْ مَاضُونَ إِلَيْهَا لاِمْتِلاكِهَا. | ٦٣ 63 |
जिस प्रकार एक समय याहवेह की तुष्टि तुम्हारे जनसंख्या के बढ़ने और समृद्धि में थी, उसी प्रकार याहवेह की तुष्टि होगी तुम्हें नाश कर देने और मिटा देने में. तुम जिस देश पर अधिकार करने के उद्देश्य से उसमें प्रवेश कर रहे हो, तुम वहां से निकाल दिए जाओगे.
وَيُشَتِّتُكُمُ الرَّبُّ بَيْنَ جَمِيعِ الأُمَمِ مِنْ أَقْصَى الأَرْضِ إِلَى أَقْصَاهَا، فَتَعْبُدُونَ هُنَاكَ آلِهَةً أُخْرَى مِنْ خَشَبٍ أَوْ حَجَرٍ لَمْ تَعْرِفُوهَا أَنْتُمْ وَلا آبَاؤُكُمْ، | ٦٤ 64 |
इसके अलावा, याहवेह ही तुम्हें हर जगह बिखरा देंगे; पृथ्वी के एक छोर से अन्य छोर तक. वहां तुम पराए देवताओं—पत्थर और लकड़ी के देवताओं के सेवक बन जाओगे, तुम्हारे पूर्वजों से सर्वथा अज्ञात देवताओं के.
وَلا تَجِدُونَ بَيْنَ تِلْكَ الأُمَمِ اطْمِئْنَاناً وَلا مَقَرّاً لِقَدَمٍ، بَلْ يُعْطِيكُمُ الرَّبُّ قَلْباً هَلِعاً، وَعُيُوناً أَوْهَنَهَا التَّرَقُّبُ، وَنُفُوساً يَائِسَةً. | ٦٥ 65 |
इन जनताओं के बीच निवास करते हुए तुम्हें ज़रा भी शांति प्राप्त न होगी. मगर हां, वहां याहवेह तुम्हें एक चिंतित हृदय प्रदान करेंगे. तुम्हारी दृष्टि क्षीण होती जाएगी और तुममें साहस न रह जाएगा.
وَتَعِيشُونَ حَيَاةً مُفْعَمَةً دَائِماً بِالتَّوَتُّرِ، مَلِيئَةً بِالرُّعْبِ لَيْلاً وَنَهَاراً. | ٦٦ 66 |
तुम हमेशा संशय की स्थिति में रहोगे, तुम दिन में और रात में आतंक से भरे रहोगे, तुम्हारे जीवन का कोई निश्चय न रह जाएगा.
وَتَقُولُونَ فِي الصَّبَاحِ: يَا لَيْتَهُ الْمَسَاءُ، وَفِي الْمَسَاءِ: يَا لَيْتَهُ الصَّبَاحُ، مِنْ فَرْطِ ارْتِعَابِ قُلُوبِكُمْ وَمَا تَشْهَدُهُ عُيُونُكُمْ مِنْ هَوْلٍ. | ٦٧ 67 |
प्रातः तुम विचार करोगे, “उत्तम होगा यह प्रातः नहीं, संध्या होती!” वैसे ही तुम संध्याकाल में यह कामना करते रहोगे: “उत्तम होता कि यह प्रभात होता!” यह उस आतंक के कारण होगा, जिसने तुम्हें भर रखा है, उस दृश्य के कारण, जो तुम्हारे सामने छाया रहता है.
وَيَرُدُّكُمُ الرَّبُّ إِلَى دِيَارِ مِصْرَ فِي سُفُنٍ فِي طَرِيقٍ وَعَدَكُمْ أَلّا تَعُودُوا تَرَوْنَهَا، فَتُبَاعُونَ هُنَاكَ لأَعْدَائِكُمْ عَبِيداً وَإِمَاءً، وَلَيْسَ مَنْ يَشْتَرِي». | ٦٨ 68 |
याहवेह, जो तुम्हें जलयानों में मिस्र देश में लौटा ले जाएंगे; उस मार्ग से जिसके विषय में मैंने कहा था, अब तुम इसे फिर कभी न देखोगे. तब तुम वहां खुद को अपने शत्रुओं के सामने पुरुष और स्त्री, दास-दासियों स्वरूप बिकने के लिए प्रस्तुत कर दोगे, मगर तुम्हें वहां कोई खरीददार प्राप्त न होगा.