< تَثنِيَة 22 >
إِنْ رَأَيْتَ ثَوْرَ جَارِكَ أَوْ خَرُوفَهُ شَارِداً، فَلا تَتَغَاضَ عَنْهُ. بَلْ أَعِدْهُ حَتْماً إِلَى صَاحِبِهِ. | ١ 1 |
तुम अपने इस्राएली भाई के किसी बैल अथवा भेड़ को भटकते देखकर उसकी उपेक्षा नहीं करोगे. निश्चयतः तुम उसे उसके स्वामी के घर पर छोड़ दोगे.
وَإِنْ لَمْ يَكُنْ صَاحِبُهُ مُقِيماً قَرِيباً مِنْكَ، أَوْ لَمْ تَعْرِفْهُ، فَاحْتَفِظْ بِهِ فِي بَيْتِكَ حَتَّى يَطْلُبَهُ صَاحِبُهُ فَتَرُدَّهُ إِلَيْهِ. | ٢ 2 |
यदि वह इस्राएली तुम्हारे निकट नहीं रहता, अथवा यदि तुम उससे परिचित नहीं हो, तब तुम उस पशु को अपने ही घर पर ले आओगे और वह उस समय तक तुम्हारी देखरेख में रहेगा, जब तक उसका स्वामी उसकी खोज करता हुआ तुम्हारे घर तक न आ पहुंचे. तब तुम उसे लौटा दोगे.
وَهَكَذَا تَفْعَلُ إِذَا عَثَرْتَ عَلَى حِمَارِ جَارِكَ أَوْ ثِيَابِهِ، أَوْ أَيِّ شَيْءٍ مَفْقُودٍ تَجِدُهُ. لَا يَحِلُّ لَكَ أَنْ تَتَغَاضَى عَنْهُ. | ٣ 3 |
यही तुम उसके गधे के साथ, उसके वस्त्र के साथ, उसकी किसी भी खोई हुई वस्तु के साथ करोगे, जो तुम्हें प्राप्त हो गई है. तुम इनकी अनदेखी न करो.
لَا تَتَغَافَلْ عَنْ إِعَانَةِ جَارِكَ إِذَا رَأَيْتَ حِمَارَهُ أَوْ ثَوْرَهُ وَاقِعاً فِي الطَّرِيقِ بَلْ هُبَّ لِتُعَاوِنَهُ وَلِتُقِيمَهُ مَعَهُ. | ٤ 4 |
यदि तुम्हारे किसी स्वदेशी का गधा अथवा बैल मार्ग में गिर पड़ा है, तो तुम उसकी उपेक्षा नहीं करोगे. तुम्हें उन्हें उठाकर खड़ा करने में सहायता करनी ही होगी.
يُحْظَرُ عَلَى الْمَرْأَةِ ارْتِدَاءُ ثِيَابِ الرِّجَالِ، كَمَا يُحْظَرُ عَلَى الرَّجُلِ ارْتِدَاءُ ثِيَابِ النِّسَاءِ، لأَنَّ كُلَّ مَنْ يَفْعَلُ ذَلِكَ يُصْبِحُ مَكْرُوهاً لَدَى الرَّبِّ إِلَهِكُمْ. | ٥ 5 |
कोई भी स्त्री-पुरुष के वस्त्र धारण नहीं करेगी और न ही कोई पुरुष स्त्री के; क्योंकि जो कोई यह करता है, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के लिए घृणित है.
إِنِ اتَّفَقَ أَنْ رَأَيْتَ عُشَّ طَائِرٍ عَلَى جَانِبِ الأَرْضِ أَوْ عَلَى شَجَرَةٍ مَا أَوْ مُلْقىً عَلَى الأَرْضِ فِيهِ أُمٌّ تَحْتَضِنُ فِرَاخاً، أَوْ تَرْقُدُ عَلَى بَيْضٍ، فَلا تَأْخُذِ الأُمَّ مَعَ الأَوْلادِ. | ٦ 6 |
यदि तुम्हें मार्ग में किसी वृक्ष में अथवा भूमि पर किसी पक्षी का नीड़ मिल जाए, जिसमें उसके चूज़े अथवा अंडे हों, और माता पक्षी उन चूज़ों अथवा अण्डों को सहेजे बैठी हो,
أَطْلِقِ الأُمَّ وَخُذِ الْفِرَاخَ لِنَفْسِكَ، فَيَكُونَ لَكَ خَيْرٌ وَتُطِيلَ أَيَّامَ حَيَاتِكَ. | ٧ 7 |
तुम उस माता पक्षी को उसके चूज़ों से अलग नहीं करोगे, ताकि तुम्हारा भला हो और तुम्हारी उम्र बहुत बढ़ जाए.
إِذَا بَنَيْتَ بَيْتاً جَدِيداً، فَابْنِ سِيَاجاً حَوْلَ بَيْتِكَ، لِئَلّا يَسْقُطَ مِنْهُ أَحَدٌ فَتَتَحَمَّلَ ذَنْبَ دَمِهِ. | ٨ 8 |
जब तुम नए घर का निर्माण करो, तो तुम अपने लिए छत के लिए एक मुण्डेर ज़रूर बनवाना, जिससे कि तुम खुद पर हत्या का दोष न ले आओ, यदि कोई छत से नीचे आ गिरे.
لَا تَزْرَعْ حَقْلَكَ صِنْفَيْنِ مِنَ الْبُذُورِ، لأَنَّكَ إِنْ فَعَلْتَ يُصْبِحُ مَحْصُولُ نَوْعَيِ الزَّرْعِ مُقَدَّساً مِنْ نَصِيبِ الْكَهَنَةِ. | ٩ 9 |
अपने अंगूर के बगीचे में तुम दो विभिन्न प्रकार के बीजों को नहीं बोओगे, नहीं तो उन दोनों बीजों की समग्र उपज दूषित हो जाएगी.
لَا تَحْرُثْ عَلَى ثَوْرٍ وَحِمَارٍ مَعاً، | ١٠ 10 |
अपने हल में तुम बैल और गधे को साथ साथ नहीं जोतोगे.
وَلا تَلْبَسْ ثَوْباً مَصْنُوعاً مِنْ كَتَّانٍ وَصُوفٍ مَعاً. | ١١ 11 |
तुम ऐसा वस्त्र धारण नहीं करोगे, जो ऊन और सन के मिश्रण से तैयार किया गया है.
اصْنَعُوا أَهْدَاباً مَجْدُولَةً عَلَى أَرْبَعَةِ أَطْرَافِ الأَثْوَابِ الَّتِي تَتَغَطَّوْنَ بِها. | ١٢ 12 |
तुम अपने बाहरी वस्त्र के चारों कोनों पर फुन्दनों को बनाया करोगे.
إِذَا تَزَوَّجَ رَجُلٌ مِنْ فَتَاةٍ، ثُمَّ بَعْدَ أَنْ عَاشَرَهَا أَبْغَضَهَا، | ١٣ 13 |
यदि कोई पुरुष विवाह करता, पत्नी से शारीरिक संबंध करता और उससे अलग हो जाता है,
وَاتَّهَمَهَا بِمَا يَشِينُهَا، وأَشَاعَ عَنْهَا مَا يُسِيءُ إِلَى سُمْعَتِهَا قَائِلاً: لَقَدْ تَزَوَّجْتُ هَذِهِ الْمَرْأَةَ، وَلَمَّا عَاشَرْتُهَا، اكْتَشَفْتُ أَنَّهَا لَمْ تَكُنْ عَذْرَاءَ. | ١٤ 14 |
इसके बाद उस पर निंदनीय कामों का आरोप लगाता है; यहां तक कि वह सार्वजनिक रूप से उस पर ये सारे लांछन भी लगाने लगता है, “मैंने इस स्त्री से विवाह किया मगर संबंध के समय पर मुझे उसमें कुंवारीपन के कोई लक्षण प्राप्त न हुए.”
يَأْخُذُهَا وَالِدَاهَا إِلَى شُيُوخِ الْمَدِينَةِ الْمُجْتَمِعِينَ فِي سَاحَةِ الْقَضَاءِ، وَيَعْرِضَانِ دَلِيلَ عَذْرَاوِيَّتِهَا. | ١٥ 15 |
तब कन्या के माता-पिता कन्या के कुंवारीपन का सबूत लेकर नगर प्रवेश पर नगर पुरनियों के सामने प्रस्तुत करेंगे.
وَيَقُولُ وَالِدُ الْفَتَاةِ لِلشُّيُوخِ: لَقَدْ زَوَّجْتُ هَذَا الرَّجُلَ مِنِ ابْنَتِي فَأَبْغَضَهَا. | ١٦ 16 |
कन्या का पिता पुरनियों से कहेगा, “मैंने इस पुरुष से अपनी पुत्री का विवाह किया, मगर वह उसे अप्रिय लगने लगी है.
وَهَا هُوَ يُرَوِّجُ عَنْهَا أَخْبَاراً قَائِلاً: لَمْ تَكُنِ ابْنَتُكَ عَذْرَاءَ عِنْدَمَا عَاشَرْتُهَا. وَلَكِنْ هَذَا هُوَ دَلِيلُ عَذْرَاوِيَّةِ ابْنَتِي. وَيَبْسُطَانِ الثَّوْبَ أَمَامَ شُيُوخِ الْمَدِينَةِ. | ١٧ 17 |
यह भी देखिए कि वह हमारी पुत्री पर लज्जास्पद लांछन लगा रहा है! वह यहां तक घोषित कर रहा है मुझे आपकी पुत्री में कुंवारीपन का चिह्न प्राप्त नहीं हुआ.” मगर यह देखिए: यह है हमारी पुत्री के कुंवारीपन का सबूत. माता-पिता उस वस्त्र को उन पुरनियों के सामने फैला देंगे,
فَيَأْخُذُ شُيُوخُ تِلْكَ الْمَدِينَةِ الرَّجُلَ وَيُؤَدِّبُونَهُ، | ١٨ 18 |
फिर नगर पुरनिए उस व्यक्ति को प्रताड़ित करेंगे.
وَيَفْرِضُونَ عَلَيْهِ غَرَامَةً مِقْدَارُهَا مِئَةُ قِطْعَةٍ مِنَ الْفِضَّةِ، يُعْطُونَهَا لأَبِي الْفَتَاةِ. لأَنَّهُ أَسَاءَ إِلَى سُمْعَةِ عَذْرَاءَ مِنْ إِسْرَائِيلَ، فَتَكُونُ لَهُ زَوْجَةً مَدَى حَيَاتِهِ، لَا يَقْدِرُ أَنْ يُطَلِّقَهَا. | ١٩ 19 |
वे उस पुरुष पर चांदी के एक सौ शेकेल का जुर्माना आरोपित करेंगे, जिसे लेकर वे उस कन्या के पिता को सौंप देंगे. कारण यह है कि उस पुरुष ने इस्राएल की उस कुंवारी कन्या को सार्वजनिक रूप से कलंकित किया है. वह आजीवन उसकी पत्नी रहेगी, उनका तलाक कभी न होगा.
وَلَكِنْ إِنْ ثَبَتَتْ صِحَّةُ التُّهْمَةِ، وَلَمْ تَكُنِ الْفَتَاةُ عَذْرَاءَ حَقّاً، | ٢٠ 20 |
मगर यदि इसके विपरीत उस पुरुष का यह आरोप सत्य साबित हो जाता है, वह कन्या कुंवारी नहीं थी,
يُؤْتَى بِالْفَتَاةِ إِلَى بَابِ بَيْتِ أَبِيهَا وَيَرْجُمُهَا رِجَالُ مَدِينَتِهَا بِالْحِجَارَةِ حَتَّى تَمُوتَ، لأَنَّهَا ارْتَكَبَتْ قَبَاحَةً فِي إِسْرَائِيلَ، وَزَنَتْ فِي بَيْتِ أَبِيهَا. وَبِذَلِكَ تَسْتَأْصِلُونَ الشَّرَّ مِنْ بَيْنِكُمْ. | ٢١ 21 |
तब वे उस कन्या को उसके पिता के घर के द्वार पर लाएंगे और उस नगर के पुरुष उसको पथराव करके मार डालेंगे, क्योंकि उसने इस्राएल में यह अनाचार किया और अपने पिता के घर में ही वेश्यावृत्ति की है. यह करने के द्वारा तुम अपने बीच से बुराई को दूर कर दोगे.
وَإذَا ضَبَطْتُمْ رَجُلاً مُضْطَجِعاً مَعَ امْرَأَةٍ مُتَزَوِّجَةٍ تَقْتُلُونَهُمَا كِلَيْهِمَا، فَتَنْزِعُونَ الشَّرَّ مِنْ وَسَطِكُمْ. | ٢٢ 22 |
यदि कोई पुरुष किसी दूसरे व्यक्ति की पत्नी के साथ संबंध बनाते हुए पाया जाए, तो दोनों ही मृत्यु दंड के योग्य हैं; वह पुरुष, जो उस स्त्री से संबंध बना रहा था और वह स्त्री भी. उस प्रकार तुम इस्राएल में से बुराई को दूर करोगे.
وَإذَا الْتَقَى رَجُلٌ بِفَتَاةٍ مَخْطُوبَةٍ لِرَجُلٍ آخَرَ فِي الْمَدِينَةِ وَضَاجَعَهَا، | ٢٣ 23 |
यदि किसी कुंवारी कन्या जिसकी सगाई हो चुकी है, उससे कोई अन्य पुरुष नगर सीमा के भीतर ही संबंध बनाता है,
فَأَخْرِجُوهُمَا كِلَيْهِمَا إِلَى سَاحَةِ بَوَّابَةِ تِلْكَ الْمَدِينَةِ، وَارْجُمُوهُمَا بِالْحِجَارَةِ حَتَّى يَمُوتَا، لأَنَّ الْفَتَاةَ لَمْ تَسْتَغِثْ وَهِيَ فِي الْمَدِينَةِ، وَالرَّجُلَ لأَنَّهُ اعْتَدَى عَلَى خَطِيبَةِ الرَّجُلِ الآخَرِ، فَتَسْتَأْصِلُونَ الشَّرَّ مِنْ وَسَطِكُمْ. | ٢٤ 24 |
तब तुम उन दोनों को नगर फाटक से बाहर ले जाओगे और दोनों ही को पथराव करके मार दोगे; कन्या का इसलिये कि उसने नगर में होने पर भी सहायता की गुहार नहीं लगाई और पुरुष का इसलिये कि उसने पड़ोसी की स्त्री का शीलभंग किया है. यह करके तुम अपने बीच से अनिष्ट का बहिष्कार कर दोगे.
وَلَكِنْ إِنِ الْتَقَى ذَلِكَ الرَّجُلُ بِالْفَتَاةِ الْمَخْطُوبَةِ فِي الْحَقْلِ، وَأَمْسَكَهَا وَضَاجَعَهَا، يُرْجَمُ الرَّجُلُ وَحْدَهُ وَيَمُوتُ، | ٢٥ 25 |
मगर इसके विपरीत यदि कोई पुरुष किसी विवाह के लिये वचनबद्ध जवान स्त्री को बाहर खेत में पाकर उसके साथ साथ बलात्कार करता है, तो उस पुरुष को मृत्यु दंड दिया जाए.
وَأَمَّا الْفَتَاةُ فَلا تُرْجَمُ، لأَنَّهَا لَمْ تَرْتَكِبْ خَطِيئَةً جَزَاؤُهَا الْمَوْتُ، بَلْ تَكُونُ كَرَجُلٍ هَاجَمَهُ آخَرُ وَقَتَلَهُ، | ٢٦ 26 |
उस कन्या को कोई दंड न दिया जाए; उसने मृत्यु दंड के योग्य कोई अनाचार नहीं किया है. यह स्थिति वैसी है, जिसमें मानो किसी व्यक्ति ने घात लगाकर अपने पड़ोसी की हत्या कर दी हो,
لأَنَّهُ لابُدَّ أَنْ تَكُونَ الْفَتَاةُ الْمَخْطُوبَةُ قَدِ اسْتَغَاثَتْ فِي الْخَلاءِ حَيْثُ وَجَدَهَا الرَّجُلُ، فَلَمْ يَأْتِ مَنْ يُنْقِذُهَا. | ٢٧ 27 |
जब खेत में उसने उस अकेली कुंवारी कन्या को पाया, उसने तो सहायता की गुहार लगाई थी, मगर उसकी रक्षा के लिए वहां कोई भी न था.
وَإذَا وَجَدَ رَجُلٌ فَتَاةً عَذْرَاءَ غَيْرَ مَخْطُوبَةٍ فَأَمْسَكَهَا وَضَاجَعَهَا وَضُبِطَا مَعاً، | ٢٨ 28 |
यदि कोई पुरुष ऐसी कुंवारी को पाता है, जिसकी सगाई नहीं हुई है, वह उसे पकड़कर उससे संबंध बनाता है, और यह काम प्रकट हो जाता है,
يَدْفَعُ الرَّجُلُ الَّذِي ضَاجَعَ الْفَتَاةَ خَمْسِينَ قِطْعَةً مِنَ الْفِضَّةِ وَيَتَزَوَّجُهَا، لأَنَّهُ قَدِ اعْتَدَى عَلَيْهَا. وَلا يَقْدِرُ أَنْ يُطَلِّقَهَا مَدَى حَيَاتِهِ. | ٢٩ 29 |
तब वह संबंध बनानेवाला व्यक्ति कन्या के पिता को चांदी के पचास शेकेल देगा और वह कन्या उसकी पत्नी हो जाएगी; क्योंकि उस पुरुष ने उसका शीलभंग किया है. वह आजीवन उससे विवाह विच्छेद नहीं कर सकेगा.
لَا يَتَزَوَّجْ أَحَدٌ أَرْمَلَةَ أَبِيهِ لأَنَّ هَذَا عَارٌ وَإِهَانَةٌ لأَبِيهِ. | ٣٠ 30 |
कोई भी पुरुष अपने पिता की पत्नी से विवाह नहीं करेगा; कि वह ऐसा करने के द्वारा अपने पिता के प्रति लज्जा का कारण न हो जाए.