< تَثنِيَة 2 >
ثُمَّ تَحَوَّلْنَا وَانْطَلَقْنَا نَحْوَ الصَّحْرَاءِ فِي اتِّجَاهِ الْبَحْرِ الأَحْمَرِ كَمَا أَمَرَنِي الرَّبُّ، وَدُرْنَا حَوْلَ جَبَلِ سِعِيرَ أَيَّاماً كَثِيرَةً. | ١ 1 |
“और जैसा ख़ुदावन्द ने मुझे हुक्म दिया था, उसके मुताबिक़ हम लौटे और बहर — ए — कु़लजु़म की राह से वीराने में आए और बहुत दिनों तक कोह — ए — श'ईर के बाहर — बाहर चलते रहे।
ثُمَّ قَالَ الرَّبُّ لِي: | ٢ 2 |
तब ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा, कि:
حَسْبُكُمْ دَوَرَانٌ حَوْلَ هَذَا الْجَبَلِ. هَيَّا اتَّجِهُوا نَحْوَ الشِّمَالِ. | ٣ 3 |
तुम इस पहाड़ के बाहर — बाहर बहुत चल चुके; उत्तर की तरफ़ मुड़ जाओ,
وَأَوْصِ الشَّعْبَ: هَا أَنْتُمْ عَابِرُونَ بِتُخُومِ إِخْوَتِكُمْ بَنِي عِيسُو الْمُسْتَوْطِنِينَ فِي سِعِيرَ فَيَعْتَرِيهُمُ الْخَوْفُ مِنْكُمْ | ٤ 4 |
और तू इन लोगों को ताकीद कर दे कि तुमको बनी 'ऐसौ, तुम्हारे भाई जो श'ईर में रहते हैं उनकी सरहद के पास से होकर जाना है, और वह तुमसे हिरासान होंगे। इसलिए तुम ख़ूब एहतियात रखना,
فَاحْذَرُوا جِدّاً أَنْ تُهَاجِمُوهُمْ، لأَنَّنِي لَا أُوَرِّثُكُمْ مِنْ أَرْضِهِمْ وَلا وَطْأَةَ قَدَمٍ، لأَنِّي قَدْ أَعْطَيْتُ جَبَلَ سِعِيرَ مِيرَاثاً لِعِيسُو. | ٥ 5 |
और उनको मत छेड़ना; क्यूँकि मैं उनकी ज़मीन में से पाँव धरने तक की जगह भी तुमको नहीं दूँगा, इसलिए कि मैंने कोह — ए — श'ईर 'ऐसौ को मीरास में दिया है।
تَدْفَعُونَ ثَمَنَ مَا تَشْتَرُونَهُ مِنْ طَعَامٍ لِتَأْكُلُوا، وَمَا تَبْتَاعُونَهُ مِنْ مَاءٍ لِتَشْرَبُوا. | ٦ 6 |
तुम रुपये देकर अपने खाने के लिए उनसे ख़ुराक ख़रीदना, और पीने के लिए पानी भी रुपया देकर उनसे मोल लेना।
لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ بَارَكَ كُلَّ عَمَلِ أَيْدِيكُمْ، وَاعْتَنَى بِكُمْ فِي أَثْنَاءِ رِحْلَتِكُمْ فِي هَذِهِ الصَّحْرَاءِ الشَّاسِعَةِ، وَكَانَ مَعَكُمْ طَوَالَ أَرْبَعِينَ سَنَةً، فَلَمْ يُعْوِزْكُمْ شَيْءٌ | ٧ 7 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा तेरे हाथ की कमाई में बरकत देता रहा है, और इस बड़े वीराने में जो तुम्हारा चलना फिरना है वह उसे जानता है। इन चालीस बरसों में ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा बराबर तुम्हारे साथ रहा और तुझको किसी चीज़ की कमी नहीं हुई।
فَاجْتَزْنَا بِإِخْوَتِنَا بَنِي عِيسُو الْمُقِيمِينَ فِي سِعِيرَ، مُتَّجِهِينَ فِي طَرِيقِ وَادِي الْعَرَبَةِ جَنُوباً صَوْبَ إِيلاتَ وَعَصْيُونَ جَابِرَ، ثُمَّ انْثَنَيْنَا وَمَرَرْنَا فِي طَرِيقِ صَحْرَاءِ مُوآبَ. | ٨ 8 |
इसलिए हम अपने भाइयों बनी 'ऐसौ के पास से जो श'ईर में रहते हैं, कतरा कर मैदान की राह से ऐलात और 'अस्यून जाबर होते हुए गुज़रे।” फिर हम मुड़े और मोआब के वीराने के रास्ते से चले।
فَقَالَ لِي الرَّبُّ: لَا تُعَادِ الْمُوآبِيِّينَ وَلا تُثِرْ عَلَيْهِمْ حَرْباً، لأَنِّي لَا أُعْطِيكَ مِنْ أَرْضِهِمْ مِيرَاثاً، إِذْ وَهَبْتُ مَدِينَةَ عَارَ لِذُرِّيَّةِ لُوطٍ مِلْكاً. | ٩ 9 |
फिर ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा, कि मोआबियों को न तो सताना और न उनसे जंग करना; इसलिए कि मैं तुझको उनकी ज़मीन का कोई हिस्सा मिल्कियत के तौर पर नहीं दूँगा, क्यूँकि मैंने 'आर को बनी लूत की मीरास कर दिया है।
فَقَدْ سَكَنَ فِيهَا الإِيمِيُّونَ قَبْلاً، وَهُمْ شَعْبٌ كَثِيرٌ وَطُوَالُ الْقَامَةِ كَالْعَنَاقِيِّينَ، | ١٠ 10 |
वहाँ पहले ऐमीम बसे हुए थे जो 'अनाक़ीम की तरह बड़े — बड़े और लम्बे — लम्बे और शुमार में बहुत थे।
وَهُمْ يُعْتَبَرُونَ رَفَائِيِّينَ كَالْعَنَاقِيِّينَ. غَيْرَ أَنَّ المُوآبِيِّينَ يَدْعُونَهُمُ الإِيمِيِّينَ. | ١١ 11 |
और 'अनाक़ीम ही की तरह वह भी रिफ़ाईम में गिने जाते थे, लेकिन मोआबी उनको ऐमीम कहते हैं।
كَذَلِكَ اسْتَوْطَنَ الْحُورِيُّونَ أَرْضَ سِعِيرَ مِنْ قَبْلُ، فَطَرَدَهُمْ بَنُو عِيسُو وَأَبَادُوهُمْ وَحَلُّوا مَكَانَهُمْ، تَمَاماً كَمَا فَعَلَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ بِالأَرْضِ الَّتِي وَهَبَهَا لَهُمُ الرَّبُّ. | ١٢ 12 |
और पहले श'ईर में होरी क़ौम के लोग बसे हुए थे, लेकिन बनी 'ऐसौ ने उनको निकाल दिया और उनको अपने सामने से बर्बाद करके आप उनकी जगह बस गए, जैसे इस्राईल ने अपनी मीरास के मुल्क में किया जिसे ख़ुदावन्द ने उनको दिया।
وَالآنَ انْهَضُوا وَاعْبُرُوا وَادِي زَارَدَ. وَهَكَذَا عَبَرْنَا وَادِي زَارَدَ. | ١٣ 13 |
अब उठो और वादी — ए — ज़रद के पार जाओ। चुनाँचे हम वादी — ए — ज़रद से पार हुए।
وَكَانَ عَدَدُ السَّنَوَاتِ الَّتِي قَضَيْنَاهَا فِي مَسِيرِنَا مِنْ قَادَشَ بَرْنِيعَ حَتَّى اجْتَزْنَا وَادِي زَارَدَ ثَمَانِيَ وَثَلاثِينَ سَنَةً، فِيهَا مَاتَ جِيلُ رِجَالِ الْحَرْبِ مِنَ الْمُخَيَّمِ، كَمَا أَقْسَمَ الرَّبُّ لَهُمْ. | ١٤ 14 |
और हमारे क़ादिस बर्नी'अ से रवाना होने से लेकर वादी — ए — ज़रद के पार होने तक अठतीस बरस का 'अरसा गुज़रा। इस असना में ख़ुदावन्द की क़सम के मुताबिक़ उस नसल के सब जंगी मर्द लश्कर में से मर खप गए।
وَهَكَذَا عَاقَبَهُمُ الرَّبُّ أَيْضاً حَتَّى أَبَادَهُمْ وَأَفْنَاهُمْ مِنَ الْمُخَيَّمِ. | ١٥ 15 |
और जब तक वह नाबूद न हो गए तब तक ख़ुदावन्द का हाथ उनको लश्कर में से हलाक करने को उनके ख़िलाफ़ बढ़ा ही रहा।
فَعِنْدَمَا مَاتَ جَمِيعُ الْمُقَاتِلِينَ مِنْ بَيْنِ الشَّعْبِ | ١٦ 16 |
जब सब जंगी मर्द मर गए और क़ौम में से फ़ना हो गए
قَالَ الرَّبُّ لِي: | ١٧ 17 |
तो ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा,
أَنْتَ عَابِرٌ الْيَوْمَ بِحُدُودِ عَارَ مِنْ أَرْضِ مُوآبَ، | ١٨ 18 |
आज तुझे 'आर शहर से होकर जो मोआब की सरहद है गुज़रना है।
فَمَتَى اقْتَرَبْتَ مِنْ بَنِي عَمُّونَ، لَا تُعَادِهِمْ وَلا تُهَاجِمْهُمْ، لأَنِّي لَا أَهَبُكَ مِنْ أَرْضِ بَنِي عَمُّونَ مِيرَاثاً، إِذْ وَهَبْتُهَا لِبَنِي لُوطٍ. | ١٩ 19 |
और जब तू बनी 'अम्मोन के क़रीब जा पहुँचे, तो उन को मत सताना और न उनको छेड़ना, क्यूँकि मैं बनी 'अम्मोन की ज़मीन का कोई हिस्सा तुझे मीरास के तौर पर नहीं दूँगा इसलिए कि उसे मैंने बनी लूत को मीरास में दिया है।
وَهِيَ أَيْضاً تُعْتَبَرُ أَرْضَ رَفَائِيِّينَ، إِذْ سَكَنُوا فِيهَا قَبْلاً. أَمَّا الْعَمُّونِيُّونَ فَيَدْعُونَهُمْ زَمْزُمِّيِّينَ. | ٢٠ 20 |
वह मुल्क भी रिफ़ाईम का गिना जाता था, क्यूँकि पहले रफ़ाईम जिनको 'अम्मोनी लोग ज़मज़मीम कहते थे वहाँ बसे हुए थे।
وَهُمْ شَعْبٌ كَثِيرٌ طِوَالُ الْقَامَةِ كَالْعَنَاقِيِّينَ، أَبَادَهُمُ الرَّبُّ مِنْ أَمَامِ الْعَمُّونِيِّينَ فَطَرَدُوهُمْ وَأَقَامُوا مَكَانَهُمْ، | ٢١ 21 |
यह लोग भी 'अनाक़ीम की तरह बड़े — बड़े और लम्बे — लम्बे और शुमार में बहुत थे, लेकिन ख़ुदावन्द ने उनको 'अम्मोनियों के सामने से हलाक किया, और वह उनको निकाल कर उनकी जगह आप बस गए।
تَمَاماً كَمَا فَعَلَ لِذُرِّيَّةِ عِيسُو الْمُسْتَوْطِنِينَ فِي سِعِيرَ. فَقَدْ أَهْلَكَ الْحُورِيِّينَ فِي أَيَّامِهِمْ، فَطَرَدُوهُمْ وَحَلُّوا مَكَانَهُمْ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ. | ٢٢ 22 |
ठीक वैसे ही जैसे उसने बनी 'ऐसौ के सामने से जो श'ईर में रहते थे होरियों को हलाक किया, और वह उनको निकाल कर आज तक उन ही की जगह बसे हुए हैं।
وَكَذَلِكَ أَبَادَ الْكَفْتُورِيُّونَ الَّذِينَ خَرَجُوا مِنْ كَفْتُورَ، الْعَوِّيِّينَ الَّذِينَ كَانُوا قَاطِنِينَ فِي الْقُرَى الْمُنْتَشِرَةِ حَتَّى غَزَّةَ وَحَلُّوا مَكَانَهُمْ. | ٢٣ 23 |
ऐसे ही 'अवियों को जो अपनी बस्तियों में ग़ज़्ज़ा तक बसे हुए थे, कफ़तूरियों ने जो कफ़तूरा से निकले थे हलाक किया और उनकी जगह आप बस गए
فَقُومُوا وَارْتَحِلُوا وَاعْبُرُوا وَادِي نَهْرِ أَرْنُونَ، وَانْظُرُوا لأَنِّي قَدْ نَصَرْتُكَ عَلَى سِيحُونَ مَلِكِ الأَمُورِيِّينَ وَأَرْضِهِ. فَابْتَدِئْ بِتَمَلُّكِ الأَرْضِ، وَأَثِرْ عَلَيْهِ حَرْباً. | ٢٤ 24 |
इसलिए उठो, और वादी — ए — अरनून के पार जाओ। देखो, मैंने हस्बोन के बादशाह सीहोन को, जो अमोरी है उसके मुल्क समेत तुम्हारे हाथ में कर दिया है; इसलिए उस पर क़ब्ज़ा करना शुरू' करो और उससे जंग छेड़ दो।
فَفِي هَذَا الْيَوْمِ بِالذَّاتِ أَجْعَلُ هَيْبَتَكُمْ وَالْخَوْفَ مِنْكُمْ يَطْغَيَانِ عَلَى شُعُوبِ الأَرْضِ. وَكُلُّ الَّذِينَ يَسْمَعُونَ أَخْبَارَكُمْ يَرْتَعِدُونَ وَيَفْزَعُونَ أَمَامَكُمْ. | ٢٥ 25 |
मैं आज ही से तुम्हारा ख़ौफ़ और रौब उन क़ौमों के दिल में डालना शुरू' करूँगा जो इस ज़मीन पर रहती हैं, वह तुम्हारी ख़बर सुनेंगी और काँपेंगी, और तुम्हारी वजह से बेताब हो जाएँगी।
فَأَرْسَلْتُ رُسُلاً مِنْ صَحْرَاءِ قَدِيمُوتَ إِلَى سِيحُونَ مَلِكِ حَشْبُونَ، أَعْرِضُ عَلَيْهِ سَلاماً قَائِلاً: | ٢٦ 26 |
“और मैंने दश्त — ए — क़दीमात से हस्बोन के बादशाह सीहोन के पास सुलह के पैग़ाम के साथ क़ासिद रवाना किए और कहला भेजा, कि
دَعْنِي أَجْتَازُ بِأَرْضِكَ سَالِكاً الطَّرِيقَ الْعَامَّةَ، لَا أَحِيدُ عَنْهَا يَمِيناً أَوْ شِمَالاً. | ٢٧ 27 |
मुझे अपने मुल्क से गुज़र जाने दे; मैं शाहराह से होकर चलूँगा और दहने और बाएँ हाथ नहीं मुड़ूँगा
وَسَأَدْفَعُ ثَمَنَ مَا تَبِيعُنِي مِنْ طَعَامٍ لآكُلَ، وَمَا تُعْطِينِي مِنْ مَاءٍ لأَشْرَبَ، أَمُرُّ رَاجِلاً فَقَطْ. | ٢٨ 28 |
तू रुपये लेकर मेरे हाथ मेरे खाने के लिए ख़ुराक बेचना, और मेरे पीने के लिए पानी भी मुझे रुपया लेकर देना; सिर्फ़ मुझे पाँव — पाँव निकल जाने दे,
كَمَا فَعَلْتُ مَعَ بَنِي عِيسُو الْمُسْتَوْطِنِينَ فِي سِعِيرَ، وَالْمُوآبِيِّينَ الْمُقِيمِينَ فِي عَارَ. | ٢٩ 29 |
जैसे बनी 'ऐसौ ने जो श'ईर में रहते हैं, और मोआबियों ने जो 'आर शहर में बसते हैं। मेरे साथ किया; जब तक कि मैं यरदन को उबूर करके उस मुल्क में पहुँच न जाऊँ जो ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा हमको देता है।
لَكِنَّ سِيحُونَ مَلِكَ حَشْبُونَ رَفَضَ أَنْ يَدَعَنَا نَجْتَازُ بِبِلادِهِ، لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ قَسَّى رُوحَهُ وَأَغْلَظَ قَلْبَهُ لِكَيْ يَهْزِمَهُ عَلَى أَيْدِيكُمْ كَمَا فَعَلَ الآنَ. | ٣٠ 30 |
लेकिन हस्बोन के बादशाह सीहोन ने हमको अपने हाँ से गुज़रने न दिया; क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने उसका मिज़ाज कड़ा और उसका दिल सख़्त कर दिया ताकि उसे तेरे हाथ में हवाले कर दे, जैसा आज ज़ाहिर है।
وَقَالَ لِي الرَّبُّ: انْظُرْ، هَا قَدِ ابْتَدَأْتُ أَدْفَعُ أَمَامَكَ سِيحُونَ لِتَسْتَوْلِيَ عَلَى أَرْضِهِ، فَأَسْرِعْ فِي تَمَلُّكِهَا حَتَّى تَتَغَلَّبَ عَلَيْهَا كُلِّهَا. | ٣١ 31 |
और ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा, देख, मैं सीहोन और उसके मुल्क को तेरे हाथ में हवाले करने को हूँ, इसलिए तू उस पर क़ब्ज़ा करना शुरू' कर, ताकि वह तेरी मीरास ठहरे।
فَخَرَجَ سِيحُونُ بِكَامِلِ جَيْشِهِ إِلَى يَاهَصَ لِمُحَارَبَتِنَا. | ٣٢ 32 |
तब सीहोन अपने सब आदमियों को लेकर हमारे मुक़ाबले में निकला और जंग करने के लिए यहज़ में आया।
فَأَتَانَا النَّصْرُ عَلَيْهِ مِنْ عِنْدِ الرَّبِّ إِلَهِنَا، فَدَحَرْنَاهُ وَأَبْنَاءَهُ وَسَائِرَ جَيْشِهِ. | ٣٣ 33 |
और ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ने उसे हमारे हवाले कर दिया; और हमने उसे, और उसके बेटों को, और उसके सब आदमियों को मार लिया।
وَاسْتَوْلَيْنَا عَلَى جَمِيعِ مُدُنِهِ، وَقَضَيْنَا فِي كُلِّ مَدِينَةٍ عَلَى الرِّجَالِ وَالنِّسَاءِ وَالأَطْفَالِ، فَلَمْ يَنْجُ حَيٌّ مِنْهُمْ. | ٣٤ 34 |
और हमने उसी वक़्त उसके सब शहरों को ले लिया, और हर आबाद शहर को 'औरतों और बच्चों समेत बिल्कुल नाबूद कर दिया और किसी को बाक़ी न छोड़ा;
وَلَكِنَّ الْبَهَائِمَ وَالأَسْلابَ الَّتِي نَهَبْنَاهَا مِنَ الْمُدُنِ أَخَذْنَاهَا غَنَائِمَ لأَنْفُسِنَا. | ٣٥ 35 |
लेकिन चौपायों को और शहरों के माल को जो हमारे हाथ लगा लूट कर हमने अपने लिए रख लिया।
وَلَمْ تَمْتَنِعْ عَلَيْنَا قَرْيَةٌ ابْتِدَاءً مِنْ عَرُوعِيرَ الْوَاقِعَةِ عَلَى حَافَةِ وَادِي أَرْنُونَ وَالْمَدِينَةِ الْقَائِمَةِ فِيهِ، إِلَى جِلْعَادَ، إِذْ حَقَّقَ الرَّبُّ إِلَهُنَا لَنَا النَّصْرَ عَلَى جَمِيعِهَا. | ٣٦ 36 |
और 'अरो'ईर से जो वादी — ए — अरनोन के किनारे है, और उस शहर से जो वादी में है, जिल'आद तक ऐसा कोई शहर न था जिसको सर करना हमारे लिए मुश्किल हुआ; ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ने सबको हमारे क़ब्ज़े में कर दिया।
وَلَكِنَّنَا لَمْ نَقْتَرِبْ مِنْ أَرْضِ الْعَمُّونِيِّينَ، وَلا نَاحِيَةِ وَادِي نَهْرِ يَبُّوقَ، وَلا الْمُدُنِ الْجَبَلِيَّةِ طَاعَةً لأَمْرِ الرَّبِّ إِلَهِنَا. | ٣٧ 37 |
लेकिन बनी 'अम्मोन के मुल्क के नज़दीक और दरिया — ए — यबोक़ का 'इलाक़ा और कोहिस्तान के शहरों में और जहाँ — जहाँ ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ने हमको मना' किया था तो नहीं गया।