< دانيال 7 >
فِي السَّنَةِ الأُولَى لِحُكْمِ بَيلْشَاصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ رَأَى دَانِيَالُ حُلْماً وَرُؤىً، مَرَّتْ بِرَأْسِهِ وَهُوَ مُضْطَجِعٌ فِي فِرَاشِهِ، فَدَوَّنَ الْحُلْمَ وَحَدَّثَ بِخُلاصَةِ الرُّؤْيَا. | ١ 1 |
बाबेल के राजा बैलशत्सर के शासन के पहले साल में, दानिएल जब अपने पलंग पर लेटा हुआ था, तो उसने एक स्वप्न तथा मन में दर्शन देखे. उसने अपने स्वप्न के सारांश को लिख लिया.
قَالَ دَانِيَالُ: شَاهَدْتُ فِي رُؤْيَايَ لَيْلاً، وَإذَا بِأَرْبَعِ رِيَاحِ السَّمَاءِ قَدْ هَجَمَتْ عَلَى الْبَحْرِ الْكَبِيرِ، | ٢ 2 |
दानिएल ने कहा: “रात में मैंने अपने दर्शन में देखा कि आकाश से चारों दिशाओं से महासागर पर मंथन हवा चलने लगी.
وَمَا لَبِثَ أَنْ صَعِدَ مِنَ الْبَحْرِ أَرْبعَةُ حَيَوَانَاتٍ عَظِيمَةٍ يَخْتَلِفُ بَعْضُهَا عَنْ بَعْضٍ. | ٣ 3 |
तब चार बड़े-बड़े पशु समुद्र से निकले, और ये एक दूसरे से भिन्न थे.
فَكَانَ الأَوَّلُ كَالأَسَدِ بِجَنَاحَيْنِ كَجَنَاحَيِ النَّسْرِ. وَبَقِيتُ أَنْظُرُ إِلَيْهِ حَتَّى اقْتُلِعَ جَنَاحَاهُ، وَانْتَصَبَ عَلَى الأَرْضِ وَاقِفاً عَلَى رِجْلَيْنِ كَإِنْسَانٍ، وَأُعْطِيَ عَقْلَ إِنْسَانٍ. | ٤ 4 |
“पहला पशु सिंह के समान था, जिसके गरुड़ के समान पंख थे. मेरे देखते ही देखते उसके पंखों को नोच डाला गया और उसे भूमि पर से उठाकर मनुष्य के समान दो पैरों पर खड़ा किया गया, और उसे एक मनुष्य का मन दिया गया.
وَرَأَيْتُ حَيَوَاناً آخَرَ شَبِيهاً بِالدُّبِّ، قَائِماً عَلَى جَنْبٍ وَاحِدٍ، وَفِي فَمِهِ بَيْنَ أَسْنَانِهِ ثَلاثُ أَضْلُعٍ وَقِيلَ لَهُ: انْهَضْ وَكُلْ لَحْماً كَثِيراً. | ٥ 5 |
“उसके बाद मैंने दूसरे पशु को देखा, जो भालू के समान दिखता था, उसे उसके एक तरफ से उठाया गया, और उसके मुंह में उसके दांतों के बीच तीन पसलियां थी. उसे कहा गया, ‘उठ और संतुष्ट होते तक मांस खा!’
ثُمَّ رَأَيْتُ بَعْدَ هَذَا حَيَوَاناً آخَرَ مِثْلَ النَّمِرِ، لَهُ عَلَى ظَهْرِهِ أَرْبَعَةُ أَجْنِحَةٍ كَأَجْنِحَةِ الطَّائِرِ، وَكَانَ لِهَذَا الْحَيَوَانِ أَرْبَعَةُ رُؤُوسٍ، وَفُوِّضَتْ إِلَيْهِ سُلْطَاتٌ. | ٦ 6 |
“उसके बाद, मैंने एक दूसरे पशु को देखा, जो चीते के समान दिखता था. और उसकी पीठ पर पक्षी के समान चार पंख थे. इस पशु के चार सिर थे, और उसे शासन करने का अधिकार दिया गया.
وَشَهِدْتُ بَعْدَ ذَلِكَ فِي رُؤَى اللَّيْلِ وَإذَا بِحَيَوَانٍ رَابِعٍ هَائِلٍ وَقَوِيٍّ وَشَدِيدٍ جِدّاً، ذِي أَسْنَانٍ ضَخْمَةٍ مِنْ حَدِيدٍ، افْتَرَسَ وَسَحَقَ وَدَاسَ مَا تَبَقَّى بِرِجْلَيْهِ. وَكَانَ يَخْتَلِفُ عَنْ سَائِرِ الْحَيَوَانَاتِ الَّتِي قَبْلَهُ وَلَهُ عَشَرَةُ قُرُونٍ. | ٧ 7 |
“उसके बाद, रात को मैंने अपने दर्शन में एक चौथे पशु को देखा, जो भयंकर, डरावना और बहुत शक्तिशाली था. इसके बड़े-बड़े लोहे के दांत थे. वह अपने शिकार को दबाकर खा जाता था और जो कुछ बच जाता था, उसे पांव से कुचल डालता था. वह इसके पहले के सब पशुओं से भिन्न था, और इसके दस सींग थे.
وَفِيمَا كُنْتُ أَتَأَمَّلُ الْقُرُونَ إِذَا بِقَرْنٍ آخَرَ صَغِيرٍ نَبَتَ بَيْنَهَا، وَاقْتُلِعَتْ ثَلاثَةُ قُرُونٍ مِنْ أَمَامِهِ، وَكَانَ فِي هَذَا الْقَرْنِ عُيُونٌ كَعُيُونِ الإِنْسَانِ وَفَمٌ يَنْطِقُ بِعَظَائِمَ. | ٨ 8 |
“जब मैं इन सींगों के बारे में सोच ही रहा था, कि मैंने देखा उन सींगों के बीच एक और छोटा सींग था, और इस सींग के निकलने से वहां पहले के तीन सींग अपने जड़ से उखड़ गए. मैंने देखा कि इस सींग में मनुष्य के समान आंखें थी और एक मुंह भी था जो घमंड से भरी बातें कर रहा था.
وَفِيمَا كُنْتُ أَنْظُرُ، نُصِبَتْ عُرُوشٌ وَاعْتَلَى الأَزَلِيُّ كُرْسِيَّهُ وَكَانَتْ ثِيَابُهُ بَيْضَاءَ كَالثَّلْجِ، وَشَعْرُ رَأْسِهِ كَالصُّوفِ النَّقِيِّ، وَعَرْشُهُ لَهِيباً مُتَوَهِّجاً وَعَجَلاتُهُ نَاراً مُتَّقِدَةً. | ٩ 9 |
“जैसे कि मैंने देखा, “वहां सिंहासन रखे गए, और वह अति प्राचीन अपने आसन पर बैठा. उसके कपड़े हिम के समान सफेद थे; उसके सिर के बाल शुद्ध ऊन की तरह थे. उसका सिंहासन आग से ज्वालामय था, और सिंहासन के पहियों से लपटें निकल रही थी.
وَمِنْ أَمَامِهِ يَتَدَفَّقُ وَيَجْرِي نَهْرٌ مِنْ نَارٍ، وَتَخْدُمُهُ أُلُوفُ أُلُوفِ الْمَلائِكَةِ، وَيَمْثُلُ فِي حَضْرَتِهِ عَشَرَاتُ الأُلُوفِ. فَانْعَقَدَ مَجْلِسُ الْقَضَاءِ وَفُتِحَتِ الأَسْفَارُ. | ١٠ 10 |
उसके सामने से एक आग का दरिया निकलकर बह रहा था. हजारों हजार लोग उसकी सेवा में लगे थे; लाखों लोग उसके सामने खड़े थे. तब न्यायाधीश बैठ गये, और पुस्तकें खोली गईं.
وَبَقَيتُ أُرَاقِبُ الْقَرْنَ مِنْ جَرَّاءِ مَا تَفَوَّهَ بِهِ مِنْ عَظَائِمَ، حَتَّى قُتِلَ الْحَيَوَانُ وَتَلِفَ جِسْمُهُ وَطُرِحَ وَقُوداً لِلنَّارِ. | ١١ 11 |
“वह सींग घमंड से भरी बातें कर रहा था इसलिये मैं उधर लगातार देखता रहा. मैं तब तक देखता रहा जब तक कि उसका वध करके उसके शरीर को नष्ट न कर दिया गया और धधकती आग में न फेंक दिया गया.
أَمَّا سَائِرُ الْحَيَوَانَاتِ فَقَدْ جُرِّدَتْ مِنْ سُلْطَانِهَا، وَلَكِنَّهَا وُهِبَتِ الْبَقَاءَ عَلَى قَيْدِ الْحَيَاةِ لِزَمَنٍ مَا. | ١٢ 12 |
(दूसरे पशुओं का अधिकार छीन लिया गया था, पर कुछ समय के लिये उन्हें प्राण दान दिया गया था.)
وَشَاهَدْتُ أَيْضاً فِي رُؤَى اللَّيْلِ وَإذَا بِمِثْلِ ابْنِ الإِنْسَانِ مُقْبِلاً عَلَى سَحَابٍ حَتَّى بَلَغَ الأَزَلِيَّ فَقَرَّبُوهُ مِنْهُ. | ١٣ 13 |
“रात को मैंने अपने दर्शन में देखा कि मनुष्य के पुत्र के समान कोई आकाश के बादलों के साथ आ रहा था. वह अति प्राचीन के पास आया और उसे उनके सामने लाया गया.
فَأَنْعَمَ عَلَيْهِ بِسُلْطَانٍ وَمَجْدٍ وَمَلَكُوتٍ لِتَتَعَبَّدَ لَهُ كُلُّ الشُّعُوبِ وَالأُمَمِ مِنْ كُلِّ لِسَانٍ. سُلْطَانُهُ سُلْطَانٌ أَبَدِيٌّ لَا يَفْنَى، وَمُلْكُهُ لَا يَنْقَرِضُ. | ١٤ 14 |
उसे अधिकार, महिमा और सर्वोच्च शक्ति दी गई; सब जाति और हर भाषा के लोग उसकी आराधना किए. उसका प्रभुत्व चिरस्थायी है, जो कभी खत्म नहीं होगा, और उसका राज्य ऐसा राज्य है, जो कभी नाश न होगा.
أَمَّا أَنَا دَانِيَالَ فَقَدْ ظَهَرَ الْحُزْنُ عَلَى رُوحِي فِي دَاخِلِي وَرَوَّعَتْنِي رُؤَى رَأْسِي. | ١٥ 15 |
“मैं, दानिएल, मन में बहुत व्याकुल हुआ, और जो दर्शन मैंने अपने मन में देखा, उससे मैं विचलित हो गया.
فَاقْتَرَبْتُ مِنْ أَحَدِ الْوَاقِفِينَ أَسْتَفْسِرُ مِنْهُ حَقِيقَةَ الأَمْرِ، فَأَطْلَعَنِي عَلَى مَعْنَى الرُّؤْيَا قَائِلاً: | ١٦ 16 |
वहां खड़े लोगों में से एक के पास मैं गया और उससे इन सारी बातों का अर्थ पूछा. “उसने यह कहकर मुझे इन बातों का अर्थ बताया:
«هَذِهِ الْحَيَوَانَاتُ الأَرْبَعَةُ الْعَظِيمَةُ هِيَ أَرْبَعَةُ مُلُوكٍ يَظْهَرُونَ عَلَى الأَرْضِ. | ١٧ 17 |
‘चार बड़े पशु चार राजा हैं, जिनका पृथ्वी पर उदय होगा.
غَيْرَ أَنَّ قِدِّيسِي الْعَلِيِّ يَسْتَوْلُونَ عَلَى الْمَمْلَكَةِ وَيَتَمَلَّكُونَهَا إِلَى أَبَدِ الآبِدِينَ. | ١٨ 18 |
पर सर्वोच्च परमेश्वर के पवित्र लोगों को ही राज्य मिलेगा और वे उसे अपने अधिकार में सदाकाल तक रखेंगे—जी हां, सदाकाल तक.’
حِينَئِذٍ أَرَدْتُ أَنْ أَطَّلِعَ عَلَى حَقِيقَةِ الْحَيَوَانِ الرَّابِعِ الَّذِي كَانَ يَخْتَلِفُ عَنْ سَائِرِ الْحَيَوَانَاتِ، إِذْ كَانَ هَائِلاً جِدّاً ذَا أَسْنَانٍ مِنْ حَدِيدٍ وَمَخَالِبَ مِنْ نُحَاسٍ، وَقَدِ افْتَرَسَ وَسَحَقَ وَدَاسَ مَا تَبَقَّى بِرِجْلَيْهِ. | ١٩ 19 |
“तब मेरे मन में उस चौथे पशु के अर्थ को जानने की इच्छा हुई, जो दूसरे सारे पशुओं से भिन्न था और जो अपने लोहे के दांतों और कांसे के पंजों के साथ बहुत डरावना था—वह पशु जो अपने शिकार को दबाकर खा जाता था और बचे हुए भाग को अपने पांवों से कुचल डालता था.
وَعَنِ الْقُرُونِ الْعَشَرَةِ النَّامِيَةِ فِي رَأْسِهِ، وَعَنِ الْقَرْنِ الآخَرِ الصَّغِيرِ الَّذِي نَبَتَ، فَاقْتُلِعَتْ أَمَامَهُ ثَلاثَةُ قُرُونٍ. هَذَا الْقَرْنُ ذُو الْعُيُونِ النَّاطِقُ بِالْعَظَائِمِ وَمَنْظَرُهُ أَشَدُّ هَوْلاً مِنْ رِفَاقِهِ. | ٢٠ 20 |
मुझे इन बातों का भी अर्थ जानने की इच्छा हुई; उसके सिर के दस सींग, और वह दूसरा सींग, जिसके निकल आने से, वहां के पहले के तीन सींग गिर गए—यह सींग जो दूसरे सीगों से ज्यादा रोबदार दिखता था और जिसकी आंखें और एक मुंह था, जिससे वह घमंड से भरी बातें करता था.
وَقَدْ شَهِدْتُ هَذَا الْقَرْنَ يُحَارِبُ الْقِدِّيسِينَ وَيَغْلِبُهُمْ. | ٢١ 21 |
जैसा कि मैंने देखा, कि वह सींग पवित्र लोगों से युद्ध कर रहा था और उनको तब तक हराता रहा,
إِلَى أَنْ جَاءَ الأَزَلِيُّ وَانْعَقَدَ مَجْلِسُ الْقَضَاءِ الَّذِي فِيهِ تَبَرَّأَتْ سَاحَةُ قِدِّيسِي الْعَلِيِّ، وَأَزِفَ الْوَقْتُ الَّذِي فِيهِ امْتَلَكُوا الْمَمْلَكَةَ. | ٢٢ 22 |
जब तक कि अति प्राचीन ने आकर सर्वोच्च परमेश्वर के पवित्र लोगों के पक्ष में न्याय का फैसला न दे दिया, और वह समय आया, जब उन्होंने राज्य पर अधिकार कर लिया.
فَأَجَابَ: إِنَّ الْحَيَوَانَ الرَّابِعَ هُوَ رَمْزٌ لِلْمَمْلَكَةِ الرَّابِعَةِ عَلَى الأَرْضِ، وَهِيَ تَخْتَلِفُ عَنْ سَائِرِ الْمَمَالِكِ لأَنَّهَا تَسْتَوْلِي عَلَى كُلِّ الأَرْضِ وَتُخْضِعُهَا وَتَسْحَقُهَا. | ٢٣ 23 |
“उसने मुझे यह अर्थ बताया: ‘वह चौथा पशु एक चौथा राज्य है, जो पृथ्वी पर प्रगट होगा. यह दूसरे सब राज्यों से भिन्न होगा. यह सारी पृथ्वी को रौंदते और कुचलते हुए नाश कर डालेगा.
أَمَّا الْقُرُونُ الْعَشَرَةُ مِنْ هَذِهِ الْمَمْلَكَةِ فَهِيَ عَشَرَةُ مُلُوكٍ يَتَوَلَّوْنَهَا، ثُمَّ يَقُومُ بَعْدَهُمْ مَلِكٌ آخَرُ يَخْتَلِفُ عَنِ الْمُلُوكِ السَّالِفِينَ، وَيُخْضِعُ ثَلاثَةَ مُلُوكٍ، | ٢٤ 24 |
वे दस सींग दस राजा हैं, जो इस राज्य से आएंगे. उनके बाद, एक दूसरा राजा आयेगा, जो पहले के राजाओं से भिन्न होगा; वह तीन राजाओं को अपने अधीन कर लेगा.
وَيُعَيِّرُ الْعَلِيَّ وَيُنَكِّلُ بِقِدِّيسِيهِ، وَيُحَاوِلُ أَنْ يُغَيِّرَ الأَوْقَاتَ وَالْقَوَانِينَ، فَيُذِلُّ الْقِدِّيسيِنَ ثَلاثَ سَنَوَاتٍ وَنِصْفَ السَّنَةِ. | ٢٥ 25 |
वह सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध बोलेगा और उसके पवित्र लोगों को सताएगा और ठहराए गये समयों और कानूनों को बदलने की कोशिश करेगा. पवित्र लोग एक समय, समयों और आधा समय के लिए उसके अधीन कर दिए जाएंगे.
وَلَكِنْ يَنْعَقِدُ مَجْلِسُ الْقَضَاءِ، فَيُجَرَّدُ مِنْ سُلْطَانِهِ فَيُدَمَّرُ وَيَفْنَى إِلَى الْمُنْتَهَى. | ٢٦ 26 |
“‘पर न्यायाधीश बैठेंगे, और उसकी शक्ति उससे छीन ली जाएगी और उसे हमेशा के लिये पूरी तरह नाश कर दिया जाएगा.
وَتُوهَبُ الْمَمْلَكَةُ وَالسُّلْطَانُ وَعَظَمَةُ الْمَمَالِكِ الْقَائِمَةِ تَحْتَ كُلِّ السَّمَاءِ إِلَى شَعْبِ قِدِّيسِي الْعَلِيِّ، فَيَكُونُ مَلَكُوتُ الْعَلِيِّ مَلَكُوتاً أَبَدِيًّا، وَتَعْبُدُهُ جَمِيعُ السَّلاطِينِ وَيُطِيعُونَهُ. | ٢٧ 27 |
तब सर्वोच्च परमेश्वर के पवित्र लोगों को आकाश के नीचे के सब राज्यों की सत्ता, शक्ति और महानता दे दी जाएगी. उसका राज्य सदाकाल तक बना रहनेवाला राज्य होगा, और सब शासक उसकी आराधना करेंगे और उसकी बात मानेंगे.’
إِلَى هُنَا خِتَامُ الرُّؤْيَا. أَمَّا أَنَا دَانِيَالَ فَقَدْ رَوَّعَتْنِي أَفْكَارِي كَثِيراً وَتَغَيَّرَتْ هَيْئَتِي، وَلَكِنِّي كَتَمْتُ الأَمْرَ فِي قَلْبِي». | ٢٨ 28 |
“यहां उस विषय का अंत होता है. मैं, दानिएल, अपने विचारों से बहुत व्याकुल हो गया, और मेरा चेहरा पीला पड़ गया, पर यह बात मैं अपने मन में ही रखी.”