< دانيال 5 >
وَأَقَامَ بَيْلْشَاصَّرُ الْمَلِكُ مَأْدُبَةً عَظِيمَةً لِنُبَلاءِ دَوْلَتِهِ الأَلْفِ، وَشَرِبَ خَمْراً أَمَامَهُمْ. | ١ 1 |
राजा बैलशत्सर ने अपने एक हजार प्रभावशाली लोगों को एक बड़ा भोज दिया और उनके साथ दाखमधु पी.
وَفِيمَا كَانَ يَحْتَسِي الْخَمْرَ أَمَرَ بِإِحْضَارِ آنِيَةِ الذَّهَبِ وَالْفِضَّةِ الَّتِي اسْتَوْلَى عَلَيْهَا أَبُوهُ نَبُوخَذْنَصَّرُ مِنْ هَيْكَلِ أُورُشَلِيمَ، لِيَشْرَبَ بِها مَعَ نُبَلاءِ مَمْلَكَتِهِ وَزَوْجَاتِهِ وَمَحْظِيَّاتِهِ. | ٢ 2 |
जब बैलशत्सर दाखमधु पी रहा था, तब उसने आदेश दिया कि जो सोने और चांदी के प्याले उसके पिता नबूकदनेज्ज़र ने येरूशलेम के मंदिर से लाए थे, उन्हें लाया जाए, ताकि राजा, उसके प्रभावशाली लोग, राजा की पत्नियां और उसकी उपपत्नियां दाखमधु पीने के लिए उनका उपयोग कर सकें.
فَأَحْضَرُوهَا وَشَرِبَ بِها الْمَلِكُ وَنُبَلاءُ مَمْلَكَتِهِ وَزَوْجَاتُهُ وَمَحْظِيَّاتُهُ | ٣ 3 |
इसलिये येरूशलेम के परमेश्वर के मंदिर से निकालकर लाए गए सोने के प्याले लाये गये, और राजा और उसके प्रभावशाली लोग, उसकी पत्नियों और उपपत्नियों ने उनमें दाखमधु पान किया.
وَأَخَذُوا يُسَبِّحُونَ آلِهَةَ الذَّهَبِ وَالْفِضَّةِ وَالنُّحَاسِ وَالْحَدِيدِ وَالْخَشَبِ وَالْحَجَرِ. | ٤ 4 |
वे दाखमधु पीकर सोने और चांदी, कांसा, लोहा, लकड़ी और पत्थर के देवताओं की स्तुति करने लगे.
فَظَهَرَتْ أَصَابِعُ يَدِ إِنْسَانٍ وَخَطَّتْ بِإِزَاءِ الْمِصْبَاحِ عَلَى كِلْسِ جِدَارِ قَصْرِ الْمَلِكِ، وَالْمَلِكُ يَشْهَدُ الْيَدَ الْكَاتِبَةَ. | ٥ 5 |
तब अचानक एक मानव हाथ की उंगलियां प्रकट हुईं और राजमहल में दीवट के पास दीवार के पलस्तर पर कुछ लिखने लगीं. लिखते हुए उस हाथ पर राजा की दृष्टि पड़ी.
عِنْدَئِذٍ شَحُبَ وَجْهُ الْمَلِكِ وَأَفْزَعَتْهُ أَفْكَارُهُ وَاصْطَكَّتْ رُكْبَتَاهُ وَاعْتَرَاهُ الانْهِيَارُ، | ٦ 6 |
उसे देखकर राजा के चेहरे का रंग उड़ गया और वह इतना डर गया कि उसके पैर ढीले हो गए और कांपने से उसके घुटने एक दूसरे से टकराने लगे.
فَزَعَقَ طَالِباً أَنْ يُحْضِرُوا السَّحَرَةَ وَالْكَلْدَانِيِّينَ وَالْمُنَجِّمِينَ، وَقَالَ لَهُمْ: «أَيُّ رَجُلٍ يَقْرَأُ هَذِهِ الْكِتَابَةَ وَيُفَسِّرُ لِي مُحْتَوَاهَا، يَرْتَدِي الأُرْجُوَانَ وَقِلادَةً مِنْ ذَهَبٍ فِي عُنُقِهِ، وَيُصْبِحُ الرَّجُلَ الثَّالِثَ الْمُتَسَلِّطَ فِي الْمَمْلَكَةِ». | ٧ 7 |
तब राजा ने तांत्रिक, ज्योतिषी और दैवीय शक्तिवालों को बुलवाया और उसने बाबेल के उन बुद्धिमान लोगों से कहा, “जो कोई इस लिखावट को पढ़ेगा और उसका अर्थ मुझे बताएगा, उसे राजसी वस्त्र पहनाया जाएगा और उसके गले में सोने की माला पहनाई जाएगी, और उसे राज्य में तीसरे नंबर का उच्च पदस्थ शासक बनाया जाएगा.”
فَأَقْبَلَ حُكَمَاءُ الْمَلِكِ وَلَكِنَّهُمْ عَجَزُوا عَنْ قِرَاءَةِ الْكِتَابَةِ وَعَنْ إِطْلاعِ الْمَلِكِ عَلَى تَفْسِيرِهَا. | ٨ 8 |
तब राजा के सब बुद्धिमान लोग आए, पर वे उस दीवार पर लिखी बात को पढ़ न सके और न ही वे राजा को उसका अर्थ बता सके.
فَدَبَّ الْفَزَعُ فِي الْمَلِكِ بَيْلْشَاصَّرَ، وَتَبَدَّلَتْ هَيْئَتُهُ وَاعْتَرَى عُظَمَاءَهُ الاضْطِرَابُ. | ٩ 9 |
इससे राजा बैलशत्सर और भयभीत हो गया और उसका चेहरे का रंग और उड़ गया. इससे उसके प्रभावशाली लोग भी परेशान हो गए.
وَعَلَى أَثَرِ كَلامِ الْمَلِكِ وَنُبَلائِهِ، أَقْبَلَتِ الْمَلِكَةُ الأُمُّ إِلَى قَاعَةِ الْمَأْدُبَةِ وَقَالَتْ لَهُ: «أَيُّهَا الْمَلِكُ لِتَعِشْ إِلَى الأَبَدِ. لَا تُرَوِّعْكَ أَفْكَارُكَ، وَلا يَشْحَبْ وَجْهُكَ، | ١٠ 10 |
राजा एवं उसके प्रभावशाली लोगों की आवाज सुनकर, रानी भोज के कक्ष में आई और कहने लगी, “राजा चिरंजीवी हों! आप चिंता न करें! और आपके चेहरे का रंग न उड़े!
لأَنَّ فِي مَمْلَكَتِكَ رَجُلاً فِيهِ رُوحُ الآلِهَةِ الْقُدُّوسِينَ، وَقَدْ تَمَيَّزَ فِي عَهْدِ أَبِيكَ بِاسْتِنَارَةٍ وَفَهْمٍ وَحِكْمَةٍ كَحِكْمَةِ الآلِهَةِ، فَعَيَّنَهُ أَبُوكَ الْمَلِكُ نَبُوخَذْنَصَّرُ رَئِيساً لِلْمَجُوسِ وَالسَّحَرَةِ وَالْكَلْدَانِيِّينَ وَالْمُنَجِّمِينَ. | ١١ 11 |
आपके राज्य में एक ऐसा व्यक्ति है, जिसमें पवित्र देवताओं की आत्मा रहती है. आपके पिता के समय में इस व्यक्ति में देवताओं के समान समझ-बूझ, बुद्धि और ज्ञान पायी गई थी. आपके पिता, राजा नबूकदनेज्ज़र ने उसे जादूगरों, तांत्रिकों, ज्योंतिषियों और दैवीय शक्तिवालों का मुखिया नियुक्त किया था.
لأَنَّ دَانِيَالَ هَذَا الَّذِي دَعَاهُ الْمَلِكُ بَلْطَشَاصَّرَ، كَانَ يَتَحَلَّى بِرُوحٍ فَاضِلَةٍ وَمَعْرِفَةٍ وَفِطْنَةٍ، وَقُدْرَةٍ عَلَى تَفْسِيرِ الأَحْلامِ وَفَكِّ الأَلْغَازِ وَحَلِّ الْمُعْضِلاتِ. فَلْيُدْعَ الآنَ دَانِيَالُ لِيُطْلِعَكَ عَلَى تَفْسِيرِ الْكِتَابَةِ». | ١٢ 12 |
उसने ऐसा किया क्योंकि दानिएल नामक यह व्यक्ति के पास, जिसे राजा बैलशत्सर नाम से पुकारते थे, तेज दिमाग और ज्ञान और समझ थी, और उसमें स्वप्नों का अर्थ बताने, पहेलियों को समझाने और कठिन समस्याओं का हल निकालने की योग्यता पायी गई थी. इसलिये दानिएल को बुलवा लीजिए, और वह आपको लिखावट का अर्थ बता देगा.”
حِينَئِذٍ اسْتُدْعِيَ دَانِيَالُ، فَمَثَلَ أَمَامَ الْمَلِكِ، فَقَالَ لَهُ الْمَلِكُ: «هَلْ أَنْتَ دَانِيَالُ مِنَ الْمَسْبِيِّينَ الَّذِينَ أَحْضَرَهُمْ أَبِي الْمَلِكُ مِنْ أَرْضِ يَهُوذَا؟ | ١٣ 13 |
तब दानिएल को राजा के सामने लाया गया, और राजा ने उससे कहा, “क्या तुम दानिएल हो, और उनमें से एक हो, जिन्हें मेरे पिता, राजा ने यहूदाह से बंधुआई में लाया था?
قَدْ سَمِعْتُ أَنَّ فِيكَ رُوحَ الآلِهَةِ وَأَنَّ فِيكَ اسْتِنَارَةً وَفِطْنَةً وَحِكْمَةً حَاذِقَةً. | ١٤ 14 |
मैंने सुना है कि तुममें देवताओं की आत्मा रहती है और यह भी कि तुममें समझ-बूझ, बुद्धि और असाधारण ज्ञान है.
وَقَدْ سَبَقَ أَنْ أُحْضِرَ أَمَامِي الْحُكَمَاءُ وَالسَّحَرَةُ لِيَقْرَأُوا هَذِهِ الْكِتَابَةَ وَيُطْلِعُونِي عَلَى تَفْسِيرِهَا فَعَجَزُوا عَنْ ذَلِكَ. | ١٥ 15 |
बुद्धिमान और तांत्रिक लोग इस लिखावट को पढ़ने और इसका अर्थ बताने के लिये मेरे पास लाये गए, पर वे इसको समझा न सके.
وَأَنَا قَدْ سَمِعْتُ عَنْكَ أَنَّكَ قَادِرٌ عَلَى تَفْسِيرِ الأَحْلامِ وَحَلِّ الْمُعْضِلاتِ فَإِنِ اسْتَطَعْتَ الآنَ أَنْ تَقْرَأَ الْكِتَابَةَ وَتُطْلِعَنِي عَلَى تَفْسِيرِهَا، تَرْتَدِي الأُرْجُوَانَ وَتَتَقَلَّدُ طَوْقَ ذَهَبٍ فِي عُنُقِكَ، وَتُصْبِحُ الرَّجُلَ الثَّالِثَ الْمُتَسَلِّطَ فِي الْمَمْلَكَةِ». | ١٦ 16 |
मैंने सुना है कि तुममें अर्थ बताने और कठिन समस्याओं का हल निकालने की योग्यता है. यदि तुम इस लेख को पढ़कर इसका अर्थ मुझे बता सके, तो तुम्हें राजसी कपड़े पहनाए जाएंगे और तुम्हारे गले में सोने की माला पहनाई जाएगी, और तुम्हें तीसरा उच्च पदस्थ शासक बनाया जाएगा.”
فَأَجَابَ دَانِيَالُ الْمَلِكَ: «لِتَبْقَ عَطَايَاكَ لَكَ، وَجُدْ بِهِبَاتِكَ عَلَى غَيْرِي، وَلَكِنِّي أَقْرَأُ الْكِتَابَةَ لِلْمَلِكِ وَأُطْلِعُهُ عَلَى تَفْسِيرِهَا. | ١٧ 17 |
तब दानिएल ने राजा को उत्तर दिया, “आप अपने उपहारों को अपने पास रखें और अपने पुरस्कारों को किसी और को दे दें. फिर भी मैं यह लिखावट राजा के लिये पढ़ूंगा और उसको इसका अर्थ भी बताऊंगा.
أَيُّهَا الْمَلِكُ قَدْ وَهَبَ اللهُ الْعَلِيُّ أَبَاكَ نَبُوخَذْنَصَّرَ مُلْكاً وَعَظَمَةً وَجَلالاً وَبَهَاءً. | ١٨ 18 |
“हे महाराज, सर्वोच्च परमेश्वर ने आपके पिता नबूकदनेज्ज़र को राजसत्ता, महानता, महिमा और वैभव दिया.
وَلِفَرْطِ عَظَمَتِهِ الَّتِي أَنْعَمَ اللهُ بِها عَلَيْهِ، كَانَتْ جَمِيعُ الأُمَمِ وَالشُّعُوبِ مِنْ كُلِّ لِسَانٍ تَرْتَعِدُ أَمَامَهُ وَتَفْزَعُ، فَكَانَ يَقْتُلُ مَنْ يَشَاءُ، وَيَسْتَحْيِي مَنْ يَشَاءُ، يَرْفَعُ مَنْ يَشَاءُ وَيَضَعُ مَنْ يَشَاءُ. | ١٩ 19 |
क्योंकि परमेश्वर ने उसे ऊंचा पद दिया था, इसलिये सारी जाति और हर भाषा के लोग आपके पिता से डरते थे और उनका भय मानते थे. जिन्हें वह प्राण-दंड देना चाहता, उन्हें वह प्राण-दंड देता; जिन्हें वह छोड़ना चाहता, उन्हें वह छोड़ देता; जिन्हें वह ऊंचा पद देना चाहता, उन्हें वह ऊंचा पद देता; और जिन्हें वह नीचा दिखाना चाहता, उन्हें वह नीचा दिखाता.
وَعِنْدَمَا شَمَخَ قَلْبُهُ وَقَسَتْ رُوحُهُ تَعَنُّتاً، عُزِلَ عَنْ عَرْشِ مُلْكِهِ وَجُرِّدَ مِنْ جَلالِهِ، | ٢٠ 20 |
पर जब घमंड से उसका मन फूल गया और उसका हृदय कठोर हो गया, तो उसे राज सिंहासन से हटा दिया गया और उसकी प्रतिष्ठा छीन ली गई.
وَطُرِدَ مِنْ بَيْنِ النَّاسِ، وَمَاثَلَ عَقْلُهُ الْحَيَوَانَاتِ، وَصَارَ مَأْوَاهُ مَعَ الْحَمِيرِ الْوَحْشِيَّةِ، فَأَطْعَمُوهُ الْعُشْبَ كَالثِّيرَانِ، وَابْتَلَّ جِسْمُهُ بِنَدَى السَّمَاءِ، حَتَّى عَلِمَ أَنَّ اللهَ الْعَلِيَّ هُوَ الْمُتَسَلِّطُ فِي مَمْلَكَةِ النَّاسِ، وَأَنَّهُ يُوَلِّي عَلَيْهَا مَنْ يَشَاءُ. | ٢١ 21 |
उसे लोगों के बीच से भगा दिया गया और उसे एक जानवर का मन दिया गया; वह जंगली गधों के साथ रहता था और बैल की तरह घांस खाता था; और उसका शरीर आकाश के ओस से भीगता था, यह तब तक होता रहा, जब तक कि उसने यह न मान लिया कि पृथ्वी पर सब राज्यों के ऊपर सर्वोच्च परमेश्वर ही परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं उसे उन राज्यों पर शासक ठहराते हैं.
وَأَنْتَ يَا بَيلْشَاصَّرُ ابْنُهُ لَمْ يَتَوَاضَعْ قَلْبُكَ، مَعَ عِلْمِكَ بِكُلِّ هَذَا، | ٢٢ 22 |
“पर हे बैलशत्सर, उनके बेटे होकर भी आपने अपने आपको नम्र नहीं किया, यद्यपि आप यह सब जानते थे.
بَلْ تَغَطْرَسْتَ عَلَى رَبِّ السَّمَاءِ، فَأَحْضَرُوا أَمَامَكَ آنِيَةَ هَيْكَلِهِ لِتَشْرَبَ بِها الْخَمْرَ، أَنْتَ وَنُبَلَاءُ دَوْلَتِكَ وَزَوْجَاتُكَ وَمَحْظِيَّاتُكَ، وَسَبَّحْتَ آلِهَةَ الْفِضَّةِ وَالذَّهَبِ وَالنُّحَاسِ وَالْحَدِيدِ وَالْخَشَبِ وَالْحَجَرِ الَّتِي لَا تُبْصِرُ وَلا تَسْمَعُ وَلا تُدْرِكُ، أَمَّا اللهُ الَّذِي بِيَدِهِ رُوحُكَ وَلَهُ كُلُّ طُرُقِكَ، فَلَمْ تُمَجِّدْهُ. | ٢٣ 23 |
वरन आपने अपने आपको स्वर्ग के प्रभु से भी बड़ा बना लिया है. आपने उनके मंदिर से प्यालों को अपने पास मंगा लिया, और आप और आपके प्रभावशाली लोगों ने, आपकी पत्नियों और आपकी उपपत्नियों ने उनमें दाखमधु पिया है. आपने चांदी, सोना, कांसा, लोहा, लकड़ी और पत्थर के देवताओं की महिमा किया है, जो न तो देख सकते हैं, न सुन सकते है, और न ही समझ सकते हैं. पर आपने उस परमेश्वर का आदर नहीं किया, जिनके हाथ में आपका जीवन और आपके सारे क्रियाकलाप हैं.
عِنْدَئِذٍ، أَرْسَلَ مِنْ حَضْرَتِهِ هَذِهِ الْيَدَ فَخَطَّتْ هَذِهِ الْكِتَابَةَ. | ٢٤ 24 |
इसलिये परमेश्वर ने यह हाथ भेजा, जिसने यह लेख लिखा है.
وَهِيَ: مَنَا مَنَا تَقَيْلُ وَفَرْسِينُ | ٢٥ 25 |
“यह वह लेख है जिसे लिखा गया था: मने, मने, तकेल, फरसीन
وَتَفْسِيرُهَا مَنَا: أَحْصَى اللهُ أَيَّامَ مُلْكِكَ وَأَنْهَاهُ. | ٢٦ 26 |
“इन शब्दों का अर्थ इस प्रकार है: “मने: परमेश्वर आपके राज्य करने के दिनों की गिनती कर चुके हैं और इसका अंत आ चुका है.
تَقَيْلُ: وُزِنْتَ بِالْمَوَازِينِ فَوُجِدْتَ نَاقِصاً. | ٢٧ 27 |
“तकेल: आप तराजू पर तौले जा चुके हैं और आपको हल्का पाया गया है.
فَرْسِ: شُطِرَتْ مَمْلَكَتُكَ وَأُعْطِيَتْ لِمَادِي وَفَارِسَ». | ٢٨ 28 |
“फरसीन: आपके राज्य को बांट दिया गया है और मेदियों तथा फ़ारसियों को दे दिया गया है.”
حِينَئِذٍ أَمَرَ بَيلْشَاصَّرُ أَنْ يَخْلَعُوا عَلَى دَانِيَالَ الأُرْجُوَانَ وَيُطَوِّقُوا عُنُقَهُ بِقِلَادَةٍ مِنْ ذَهَبٍ وَيُذِيعُوا فِي كُلِّ أَرْجَاءِ الْبِلَادِ أَنَّهُ أَصْبَحَ الْمُتَسَلِّطَ الثَّالِثَ فِي الْمَمْلَكَةِ. | ٢٩ 29 |
तब बैलशत्सर की आज्ञा से दानिएल को राजसी कपड़े पहनाए गए, उसके गले में सोने की एक माला पहनाईं गई, और राज्य में तीसरे उच्च पदस्थ शासक के रूप में उसकी घोषणा की गई.
فِي تِلْكَ اللَّيْلَةِ قُتِلَ بَيلْشَاصَّرُ مَلِكُ الْكَلْدَانِيِّينَ، | ٣٠ 30 |
उसी रात, कसदियों का राजा, बैलशत्सर मार डाला गया,
وَاسْتَوْلَى دَارِيُّوسُ الْمَادِيُّ عَلَى الْمَمْلَكَةِ وَهُوَ فِي الثَّانِيَةِ وَالسِّتِّينَ مِنْ عُمْرِهِ. | ٣١ 31 |
और इसके बाद दारयावेश, जो मेदिया था, बासठ साल के उम्र में उस राज्य का राजा बना.