< دانيال 12 >
«وَفِي ذَلِكَ الْوَقْتِ يَقُومُ الرَّئِيسُ الْعَظِيمُ الْمَلاكُ مِيخَائِيلُ حَارِسُ شَعْبِكَ، وَذَلِكَ فِي أَثْنَاءِ ضِيقٍ لَمْ يَكُنْ لَهُ مَثِيلٌ مُنْذُ أَنْ وُجِدَتْ أُمَّةٌ حَتَّى ذَلِكَ الزَّمَانِ. غَيْرَ أَنَّ كُلَّ مَنْ كَانَ اسْمُهُ مُدَوَّناً فِي الْكِتَابِ مِنْ شَعْبِكَ يَنْجُو فِي ذَلِكَ الزَّمَانِ. | ١ 1 |
“उस समय मिखाएल, महान राजकुमार का उदय होगा, जो तुम्हारे लोगों की रक्षा करता है. तब ऐसी विपत्ति का समय होगा, जैसे जनताओं के उत्पन्न होने से लेकर अब तक कभी हुआ न होगा. पर उस समय तुम्हारे लोगों में से हर वह व्यक्ति बचाया जाएगा, जिसका नाम पुस्तक में लिखा हुआ पाया जाएगा.
وَيَسْتَيْقِظُ كَثِيرُونَ مِنَ الأَمْوَاتِ الْمَدْفُونِينَ فِي تُرَابِ الأَرْضِ، بَعْضُهُمْ لِيُثَابُوا بِالْحَيَاةِ الأَبَدِيَّةِ وَبَعْضُهُمْ لِيُسَامُوا ذُلَّ الْعَارِ وَالازْدِرَاءِ إِلَى الأَبَدِ. | ٢ 2 |
मरे हुए लोगों के समूह जो भूमि में दफनाए गये हैं, वे जी उठेंगे: कुछ तो अनंत जीवन के लिये, तथा अन्य लज्जा और अनंत अपमान के लिये.
وَيُضِيءُ الْحُكَمَاءُ (أَيْ شَعْبُ اللهِ) كَضِيَاءِ الْجَلَدِ، وَكَذَلِكَ الَّذِينَ رَدُّوا كَثِيرِينَ إِلَى الْبِرِّ يَشِعُّونَ كَالْكَوَاكِبِ إِلَى مَدَى الدَّهْرِ. | ٣ 3 |
जो बुद्धिमान हैं, वे आकाश के ज्योति के समान चमकेंगे, और जो बहुतों को धर्मीपन की ओर ले जाते हैं, वे तारों के समान सर्वदा चमकते रहेंगे.
أَمَّا أَنْتَ يَا دَانِيَالُ فَاكْتُمِ الْكَلامَ، وَاخْتِمْ عَلَى الْكِتَابِ إِلَى مِيعَادِ النِّهَايَةِ. وَكَثِيرُونَ يَطُوفُونَ فِي الأَرْضِ وَتَزْدَادُ الْمَعْرِفَةُ». | ٤ 4 |
परंतु हे दानिएल, तुम अंत समय के आते तक इस पुस्तक की बातों पर मुहर लगाकर इसे बंद रखो. बहुत से लोग ज्ञान बढ़ाने के लिये इधर-उधर जाएंगे.”
ثُمَّ رَأَيْتُ أَنَا دَانِيَالَ فَإِذَا بِاثْنَيْنِ آخَرَيْنِ وَقَفَ كُلٌّ مِنْهُمَا عَلَى ضَفَّةٍ مِنْ ضَفَّتَيِ النَّهْرِ، | ٥ 5 |
तब मैं, दानिएल ने देखा कि वहां दो और व्यक्ति खड़े थे, एक नदी के इस किनारे पर और एक नदी के उस किनारे पर.
سَأَلَ أَحَدُهُمَا الرَّجُلَ اللّابِسَ الْكَتَّانِ الْوَاقِفَ عَلَى مِيَاهِ النَّهْرِ: «مَتَى يَنْقَضِي زَمَنُ هَذِهِ الأَحْدَاثِ الْعَجِيبَةِ؟». | ٦ 6 |
उनमें से एक ने मलमल कपड़े पहने उस व्यक्ति से कहा, जो नदी के पानी के ऊपर था, “इसके पहले कि ये अचंभित करनेवाली बातें पूरी हों, और कितना समय लगेगा?”
فَسَمِعْتُ الرَّجُلَ اللّابِسَ الْكَتَّانِ الْوَاقِفَ فَوْقَ مِيَاهِ النَّهْرِ يَقُولُ، بَعْدَ أَنْ رَفَعَ يَدَيْهِ نَحْوَ السَّمَاوَاتِ مُقْسِماً بِالْحَيِّ إِلَى الأَبَدِ: «تَنْقَضِي هَذِهِ الْعَجَائِبُ بَعْدَ ثَلاثِ سَنَوَاتٍ وَنِصْفٍ، حِينَ يَتِمُّ تَشْتِيتُ قُوَّةِ الشَّعْبِ الْمُقَدَّسِ». | ٧ 7 |
वह व्यक्ति जो मलमल के कपड़े पहना था और नदी के दानी के ऊपर था, उसने अपना दहिना हाथ और अपना बायां हाथ आकाश की ओर उठाया और मैंने सुना कि वह सदा जीवित रहनेवाले की शपथ खाकर यह कह रहा था, “यह एक समय, समयों और आधे समय के लिये होगा. जब आखिर में पवित्र लोगों की शक्ति खत्म कर दी जाएगी, तब ये सारी बातें पूरी हो जाएंगी.”
فَسَمِعْتُ مَا قَالَهُ وَلَكِنَّنِي لَمْ أَفْهَمْ، فَسَأَلْتُ: «يَا سَيِّدِي مَا هِيَ آخِرُ هَذِهِ؟» | ٨ 8 |
मैंने ये बातें सुनी, पर न समझा. इसलिये मैंने पूछा, “हे मेरे प्रभु, इन सब बातों का परिणाम क्या होगा?”
فَأَجَابَ: «اذْهَبْ يَا دَانِيَالُ لأَنَّ الْكَلِمَاتِ مَكْتُومَةٌ وَمَخْتُومَةٌ إِلَى وَقْتِ النِّهَايَةِ. | ٩ 9 |
उसने उत्तर दिया, “हे दानिएल, तुम जाओ, क्योंकि अंत समय आने तक के लिए इन बातों पर मुहर लगाकर इन्हें बंद कर दिया गया है.
كَثِيرُونَ يَتَطَهَّرُونَ وَيَتَنَقَّوْنَ وَيُمَحَّصُونَ بِالتَّجَارِبِ، أَمَّا الأَشْرَارُ فَيَرْتَكِبُونَ شَرّاً وَلا يَفْهَمُونَ. إِنَّمَا ذَوُو الْفِطْنَةِ يُدْرِكُونَ. | ١٠ 10 |
बहुत से लोग शुद्ध, दाग रहित और स्वच्छ किए जाएंगे; किंतु वे जो दुष्ट हैं, वे दुष्टता ही करते रहेंगे. दुष्टों में से कोई भी ये बातें न समझेगा, परंतु जो बुद्धिमान हैं, वे समझेंगे.
أَمَّا الْفَتْرَةُ مَا بَيْنَ إِزَالَةِ الْمُحْرَقَةِ الدَّائِمَةِ وَإِقَامَةِ رِجْسِ الْمُخَرَّبِ، فَهِيَ أَلْفٌ وَمِئَتَانِ وَتِسْعُونَ يَوْماً. | ١١ 11 |
“जब से प्रतिदिन का बलिदान बंद कर दिया जाएगा और उजाड़नेवाली घृणित वस्तु स्थापित की जाएगी, तब से 1,290 दिनों का समय होगा.
فَطُوبَى لِمَنْ يَنْتَظِرُ حَتَّى يَبْلُغَ إِلَى الأَلْفِ وَالثَّلاثِ مِئَةٍ وَالْخَمْسَةِ وَالثَّلاثِينَ يَوْماً. | ١٢ 12 |
धन्य है वह, जो इंतजार करता है और 1,335 दिनों के अंत तक पहुंचता है.
وَأَمَّا أَنْتَ فَاذْهَبْ إِلَى آخِرَتِكَ فَتَسْتَرِيحَ، ثُمَّ تَقُومَ فِي نِهَايَةِ الأَيَّامِ لِتُثَابَ بِمَا قُسِمَ لَكَ». | ١٣ 13 |
“जहां तक तुम्हारा सवाल है, तुम अंत के आने तक जाओ. तुम विश्राम करोगे, और उन दिनों के अंत में, तुम अपना निर्धारित उत्तराधिकार पाने के लिए खड़े होगे.”