< 2 صَمُوئيل 19 >
وَقِيلَ لِيُوآبَ: «هُوَذَا الْمَلِكُ يَبْكِي وَيَنُوحُ عَلَى أَبْشَالُومَ». | ١ 1 |
और योआब को बताया गया कि “देख बादशाह अबीसलोम के लिए नौहा और मातम कर रहा है।”
فَتَحَوَّلَ النَّصْرُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ لَدَى جَمِيعِ الْجَيْشِ إِلَى مَنَاحَةٍ، إِذْ شَاعَ بَيْنَهُمْ أَنَّ الْمَلِكَ قَدْ حَزِنَ جِدّاً عَلَى مَصْرَعِ ابْنِهِ. | ٢ 2 |
इसलिए तमाम लोगों के लिए उस दिन की फ़तह मातम से बदल गई क्यूँकि लोगों ने उस दिन यह कहते सुना कि “बादशाह अपने बेटे के लिए दुखी है।”
فَتَسَلَّلَ أَفْرَادُ الْجَيْشِ عَائِدِينَ إِلَى الْمَدِينَةِ كَمَا يَتَسَلَّلُ قَوْمٌ لَحِقَ بِهِمْ عَارُ الْهَزِيمَةِ. | ٣ 3 |
इसलिए वह लोग उस दिन चोरी से शहर में घुसे जैसे वह लोग जो लड़ाई से भागते हैं शर्म के मारे चोरी चोरी चलते हैं।
وَأَخْفَى الْمَلِكُ وَجْهَهُ بِيَدَيْهِ صَارِخاً بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «يَا ابْنِي أَبْشَالُومُ، يَا أَبْشَالُومُ ابْنِي، ابْنِي». | ٤ 4 |
और बादशाह ने अपना मुँह ढाँक लिया और बादशाह ऊँची आवाज़ से चिल्लाने लगा कि “हाय मेरे बेटे अबीसलोम! हाय अबीसलोम मेरे बेटे! मेरे बेटे।”
فَتَوَجَّهَ يُوآبُ إِلَى الْبَيْتِ وَقَالَ لِلْمَلِكِ: «لَقَدْ أَخْجَلْتَ الْيَوْمَ جَمِيعَ رِجَالِكَ الَّذِينَ أَنْقَذُوكَ أَنْتَ وَأَبْنَاءَكَ وَبَنَاتِكَ وَنِسَاءَكَ وَمَحْظِيَّاتِكَ، | ٥ 5 |
तब योआब घर में बादशाह के पास जाकर कहने लगा कि “तूने आज अपने सब ख़ादिमों को शर्मिन्दा किया, जिन्होंने आज के दिन तेरी जान और तेरे बेटों और तेरी बेटियों की जानें और तेरी बीवियों की जानें और तेरी बाँदियों की जानें बचायीं।
بِمَحَبَّتِكَ لِمُبْغِضِيكَ وَبُغْضِكَ لِمُحِبِّيكَ، فَقَدْ أَبْدَيْتَ الْيَوْمَ بِوُضُوحٍ أَنَّهُ لَا اعْتِبَارَ لَدَيْكَ لِلرُّؤَسَاءِ وَلا لِلْعَبِيدِ، لأَنِّي أَدْرَكْتُ الْيَوْمَ أَنَّهُ لَوْ كَانَ أَبْشَالُومُ حَيًّا وَكُلُّنَا هَلَكْنَا، لَطَابَ الأَمْرُ لَكَ. | ٦ 6 |
क्यूँकि तू अपने 'अदावत रखने वालों को प्यार करता है, और अपने दोस्तों से 'अदावत रखता है, इसलिए कि तूने आज के दिन ज़ाहिर कर दिया कि सरदार और ख़ादिम तेरे नज़दीक बेक़द्र हैं, क्यूँकि आज के दिन मैं देखता हूँ कि अगर अबीसलोम जीता रहता और हम सब मर जाते, तो तू बहुत ख़ुश होता।
فَقُمِ الآنَ وَاخْرُجْ وَاشْرَحْ قُلُوبَ رِجَالِكَ، لأَنِّي قَدْ أَقْسَمْتُ بِالرَّبِّ أَنَّهُ إِنْ لَمْ تَخْرُجْ، فَلَنْ يَبْقَى مَعَكَ أَحَدٌ اللَّيْلَةَ، فَيَكُونُ هَذَا الأَمْرُ أَسْوَأَ عَلَيْكَ مِنْ كُلِّ كَارِثَةٍ أَصَابَتْكَ مُنْذُ صِبَاكَ إِلَى الآنَ». | ٧ 7 |
इसलिए उठ बाहर निकल और अपने ख़ादिमों से तसल्ली बख़्श बातें कर क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द की क़सम खाता हूँ कि अगर तू बाहर न जाए तो आज रात को एक आदमी भी तेरे साथ न रहेगा और यह तेरे लिए उन सब आफतों से बदतर होगा जो तेरी नौजवानी से लेकर अब तक तुझ पर आई है।”
فَقَامَ الْمَلِكُ وَجَلَسَ عِنْدَ بَوَّابَةِ الْمَدِينَةِ. فَذَاعَ الْخَبَرُ بَيْنَ جَمِيعِ أَوْسَاطِ الْجَيْشِ أَنَّ المَلِكَ جَاِلسٌ عِنْدَ الْبَوَّابَةِ، فَأَقْبَلَ الجَيْشُ إلَيْهِ. أَمَّا الإِسْرَائِيلِيُّونَ فَهَرَبُوا لائِذِينَ بِبُيُوتِهِمْ. | ٨ 8 |
तब बादशाह उठकर फाटक में जा बैठा और सब लोगों को बताया गया कि देखो बादशाह फाटक में बैठा है, तब सब लोग बादशाह के सामने आए और इस्राईली अपने अपने डेरे को भाग गये थे।
وَنَشَبَتْ خُصُومَاتٌ بَيْنَ جَمِيعِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ قَائِلِينَ: «إِنَّ الْمَلِكَ قَدْ أَنْقَذَنَا مِنْ قَبْضَةِ أَعْدَائِنَا، وَخَلَّصَنَا مِنْ حُكْمِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ، وَهَا هُوَ قَدْ هَرَبَ مِنَ الأَرْضِ لِيَنْجُوَ مِنْ أَبْشَالُومَ. | ٩ 9 |
और इस्राईल के क़बीलों के सब लोगों में झगड़ा था और वह कहते थे कि “बादशाह ने हमारे दुश्मनों के हाथ से और फ़िलिस्तियों के हाथ से बचाया और अब वह अबीसलोम के सामने से मुल्क छोड़ कर भाग गया।
وَأَبْشَالُومُ الَّذِي نَصَّبْنَاهُ مَلِكاً عَلَيْنَا مَاتَ فِي الْحَرْبِ. فَالآنَ لِمَاذَا أَنْتُمْ مُتَقَاعِسُونَ عَنْ إِرْجَاعِ الْمَلِكِ؟» | ١٠ 10 |
और अबीसलोम जिसे हमने मसह करके अपना हाकिम बनाया था, लड़ाई में मर गया है इसलिए तुम अब बादशाह को वापस लाने की बात क्यों नहीं करते?”
وَبَعَثَ الْمَلِكُ دَاوُدُ إِلَى صَادُوقَ وَأَبِيَاثَارَ الْكَاهِنَيْنِ قَائِلاً: «اسْأَلا شُيُوخَ إِسْرَائِيلَ لِمَاذَا تَكُونُونَ آخِرَ مَنْ يُطَالِبُ بِعَوْدَةِ الْمَلِكِ إِلَى مَقَرِّهِ، وَقَدْ بَلَغَ مَسَامِعَ الْمَلِكِ فِي بَيْتِهِ كُلُّ مَا قِيلَ فِي إِسْرَائِيلَ؟ | ١١ 11 |
तब दाऊद बादशाह ने सदूक़ और अबीयातर काहिनों को कहला भेजा कि “यहूदाह के बुज़ुर्गों से कहो कि तुम बादशाह को उसके महल में पहुँचाने के लिए सबसे पीछे क्यों होते हो जिस हाल कि सारे इस्राईल की बात उसे उसके महल में पहुँचाने के बारे में बादशाह तक पहुँची है।
أَنْتُمْ إِخْوَتِي وَعَظْمِي وَلَحْمِي، فَلِمَاذَا تَكُونُونَ آخِرَ مَنْ يُطَالِبُ بِإِرْجَاعِ الْمَلِكِ. | ١٢ 12 |
तुम तो मेरे भाई और मेरी हड्डी हो फिर तुम बादशाह को वापस ले जाने के लिए सबसे पीछे क्यों हो?
وَقُولا لِعَمَاسَا: أَلَسْتَ أَنْتَ مِنْ لَحْمِي وَعَظْمِي؟ فَلْيُعَاقِبْنِي الرَّبُّ أَشَدَّ عِقَابٍ وَيَزِدْ، إِنْ لَمْ أَجْعَلْكَ طَوَالَ حَيَاتِكَ قَائِداً لِجَيْشِي بَدَلَ يُوآبَ». | ١٣ 13 |
और 'अमासा से कहना क्या तू मेरी हड्डी और गोश्त नहीं? इसलिए अगर तू योआब की जगह मेरे सामने हमेशा के लिए लश्कर का सरदार न हो तो ख़ुदा मुझसे ऐसा ही बल्कि इससे भी ज़्यादा करे।”
فَاسْتَمَالَ بِذَلِكَ قُلُوبَ جَمِيعِ رِجَالِ يَهُوذَا كَرَجُلٍ وَاحِدٍ، فَأَرْسَلُوا إِلَيْهِ يُنَاشِدُونَهُ الرُّجُوعَ قَائِلِينَ: «عُدْ أَنْتَ وَجَمِيعُ رِجَالِكَ». | ١٤ 14 |
और उसने सब बनी यहूदाह का दिल एक आदमी के दिल की तरह माएल कर लिया चुनाँचे उन्होंने बादशाह को पैग़ाम भेजा कि “तू अपने सब ख़ादिमों को साथ लेकर लौट आ।”
فَرَجَعَ الْمَلِكُ حَتَّى بَلَغَ الأُرْدُنَّ، فَتَوَافَدَ رِجَالُ يَهُوذَا إِلَى الْجِلْجَالِ لاِسْتِقْبَالِهِ وَالْعُبُورِ بِهِ نَهْرَ الأُرْدُنِّ. | ١٥ 15 |
इसलिए बादशाह लौट कर यरदन पर आया और सब बनी यहूदाह ज़िल्जाल को गये कि बादशाह का इस्तक़बाल करें और उसे यरदन के पार ले आयें।
وَأَسْرَعَ شِمْعِي بْنُ جِيرَا الْبَنْيَامِينِيُّ، الَّذِي مِنْ بَحُورِيمَ، وَرَافَقَ رِجَالَ يَهُوذَا لاسْتِقْبَالِ الْمَلِكِ دَاوُدَ، | ١٦ 16 |
और जीरा के बेटे बिनयमीनी सिम'ई ने जो बहूरीम का था जल्दी की और बनी यहूदाह के साथ दाऊद बादशाह के इस्तक़बाल को आया।
وَمَعَهُ أَلْفُ رَجُلٍ مِنْ سِبْطِ بِنْيَامِينَ، كَمَا جَاءَ صِيبَا خَادِمُ شَاوُلَ وَمَعَهُ أَوْلادُهُ الْخَمْسَةَ عَشَرَ وَعَبِيدُهُ الْعِشْرُونَ، وَخَاضُوا نَهْرَ الأُرْدُنِّ أَمَامَ الْمَلِكِ. | ١٧ 17 |
और उसके साथ एक हज़ार बिनयमीनी जवान थे और साऊल के घराने का ख़ादिम ज़ीबा अपने पन्दरह बेटों और बीस नौकरों समेत आया और बादशाह के सामने यरदन के पार उतरे।
وَإِذِ اجْتَازُوا الْمَخَاضَةَ لِمُوَاكَبَةِ بَيْتِ الْمَلِكِ وَعَمَلِ مَا يَسْتَحْوِذُ عَلَى رِضَاهُ، مَثَلَ شِمْعِي بْنُ جِيرَا أَمَامَ المَلِكِ عِنْدَ عُبُورِهِ الأُرْدُنَّ وَسَجَدَ لَهُ مُتَوَسِّلاً | ١٨ 18 |
और एक कश्ती पार गई कि बादशाह के घराने को ले आये और जो काम उसे मुनासिब मा'लूम हो उसे करे और ज़ीरा का बेटा सिम'ई बादशाह के सामने जैसे ही वह यरदन पार हुआ औंधा हो कर गिरा।
قَائِلاً: «لِيَغْفِرْ لِي سَيِّدِي الْمَلِكُ إِثْمِي وَلا يَذْكُرِ افْتِرَاءَ عَبْدِهِ عَلَيْهِ عِنْدَمَا خَرَجَ المَلِكُ مِنْ أُورُشَلِيمَ، وَلا يَكْتُمْ ذَلِكَ فِي قَلْبِهِ، | ١٩ 19 |
और बादशाह से कहने लगा कि मेरा मालिक मेरी तरफ़ गुनाह मंसूब न करे और जिस दिन मेरा मालिक बादशाह येरूशलेम से निकला उस दिन जो कुछ तेरे ख़ादिम ने बद मिज़ाजी से किया उसे ऐसा याद न रख कि बादशाह उसको अपने दिल में रख्खे।
لأَنَّ عَبْدَكَ قَدْ أَدْرَكَ أَنِّي قَدْ أَخْطَأْتُ، هَا أَنَا قَدْ جِئْتُ الْيَوْمَ فِي طَلِيعَةِ بَيْتِ يُوسُفَ لاسْتِقْبَالِ سَيِّدِي الْمَلِكِ». | ٢٠ 20 |
क्यूँकि तेरा बन्दा यह जानता है कि “मैंने गुनाह किया है और देख आज के दिन मैं ही यूसुफ़ के घराने में से पहले आया हूँ कि अपने मालिक बादशाह का इस्तक़बाल करूँ।
فَقَالَ أَبِيشَايُ بْنُ صُرُويَّةَ: «أَلا يَنْبَغِي أَنْ يُقْتَلَ شِمْعِي لأَجْلِ هَذَا؟ لَقَدْ شَتَمَ مُخْتَارَ الرَّبِّ». | ٢١ 21 |
और ज़रोयाह के बेटे अबीशै ने जवाब, दिया क्या सिम'ई इस वजह से मारा न जाए कि उसने ख़ुदावन्द के ममसूह पर ला'नत की?”
فَقَالَ دَاوُدُ: «كُفَّا عَنِّي يَاابْنَيْ صُرُويَّةَ، فَلِمَاذَا تُقَاوِمَانِنِي؟ أَيُقْتَلُ الْيَوْمَ أَحَدٌ فِي إِسْرَائِيلَ؟ أَلَسْتُ أَنَا الآنَ مَلِكَ إِسْرَائِيلَ؟» | ٢٢ 22 |
दाऊद ने कहा, “ऐ ज़रोयाह के बेटो! मुझे तुमसे क्या काम कि तुम आज के दिन मेरे मुखालिफ़ हुए हो? क्या इस्राईल में से कोई आदमी आज के दिन क़त्ल किया जाए? क्या मैं यह नहीं जानता कि मैं आज के दिन इस्राईल का बादशाह हूँ?”
ثُمَّ قَالَ الْمَلِكُ لِشِمْعِي: «لَنْ تَمُوتَ». وَأَقْسَمَ لَهُ عَلَى ذَلِكَ. | ٢٣ 23 |
और बादशाह ने सिम'ई से कहा, तू मारा नहीं जाएगा “और बादशाह ने उससे क़सम खाई।
وَكَذَلِكَ جَاءَ مَفِيبُوشَثُ حَفِيدُ شَاوُلَ لِلِقَاءِ الْمَلِكِ، وَكَانَ قَدْ أَهْمَلَ الاعْتِنَاءَ بِرِجْلَيْهِ وَلِحْيَتِهِ، وَلَمْ يَغْسِلْ ثِيَابَهُ مُنْذُ الْيَوْمِ الَّذِي غَادَرَ فِيهِ الْمَلِكُ أُورُشَلِيمَ إِلَى حِينِ رُجُوعِهِ سَالِماً. | ٢٤ 24 |
फिर साऊल का बेटा मिफ़ीबोसत बादशाह के इस्तक़बाल को आया, उसने बादशाह के चले जाने के दिन से लेकर उसे सलामत घर आजाने के दिन तक न तो अपने पाँव पर पट्टियाँ बाँधी और न अपनी दाढ़ी कतरवाई और न अपने कपड़े धुलवाए थे।
وَعِنْدَمَا جَاءَ لِلِقَائِهِ فِي أُورُشَلِيمَ سَأَلَهُ الْمَلِكُ: «لِمَاذَا لَمْ تَأْتِ مَعِي يَا مَفِيبُوشَثُ؟» | ٢٥ 25 |
और ऐसा हुआ कि जब वह येरूशलेम में बादशाह से मिलने आया तो बादशाह ने उससे कहा, ऐ मिफ़ीबोसत तू मेरे साथ क्यों नहीं गया था?”
فَأَجَابَ: «إِنَّ عَبْدَكَ يَا سَيِّدِي الْمَلِكُ أَعْرَجُ، فَقُلْتُ لِنَفْسِي. أُسْرِجُ حِمَارِي وَأَرْكَبُ عَلَيْهِ وَأَمْضِي مَعَ المَلِكِ، وَلَكِنَّ صِيبَا وَكِيلَ أَعْمَالِي خَدَعَنِي، | ٢٦ 26 |
उसने जवाब दिया, ऐ मेरे मालिक बादशाह मेरे नौकर ने मुझसे दग़ा की क्यूँकि तेरे ख़ादिम ने कहा था कि मैं अपने लिए गधे पर जीन कसूँगा ताकि मैं सवार हो कर बादशाह के साथ जाऊँ इसलिए कि तेरा ख़ादिम लंगड़ा है।
وَوَشَى بِعَبْدِكَ بُهْتَاناً إِلَى سَيِّدِي الْمَلِكِ، وَسَيِّدِي الْمَلِكُ كَمَلاكِ اللهِ. فَافْعَلْ مَا يَرُوقُ لَكَ. | ٢٧ 27 |
तब उसने मेरे मालिक बादशाह के सामने तेरे ख़ादिम पर इल्ज़ाम लगाया, लेकिन मेरा मालिक बादशाह तू ख़ुदावन्द के फ़रिश्ता की तरह है, इसलिए जो कुछ तुझे अच्छा मा'लूम हो वह कर।
إِنَّ كُلَّ بَيْتِ أَبِي لَا يَسْتَحِقُّونَ مِنْكَ شَيْئاً سِوَى الْمَوْتِ، وَلَكِنَّكَ أَكْرَمْتَنِي، فَجَعَلْتَ عَبْدَكَ بَيْنَ الآكِلِينَ عَلَى مَائِدَتِكَ، فَأَيُّ حَقٍّ لِي بَعْدُ أُطَالِبُ بِهِ الْمَلِكَ؟» | ٢٨ 28 |
क्यूँकि मेरे बाप का सारा घराना, मेरे मालिक बादशाह के आगे मुर्दों के तरह था तो भी तूने अपने ख़ादिम को उन लोगों के बीच बिठाया जो तेरे दस्तरख़्वान पर खाते थे तब क्या अब भी मेरा कोई हक़ है कि मैं बादशाह के आगे फिर फ़रयाद करूँ?
فَأَجَابَهُ الْمَلِكُ: «كَفَاكَ حَدِيثاً عَنْ شُؤُونِكَ، لَقَدْ أَمَرْتُ أَنْ تَقْسِمَ أَنْتَ وَصِيبَا الْحُقُولَ». | ٢٩ 29 |
बादशाह ने उनसे कहा, “तू अपनी बातें क्यों बयान करता जाता है? मैं कहता हूँ कि तू और ज़ीबा दोनों उस ज़मीन को आपस में बाँट लो।”
فَقَالَ مَفِيبُوشَثُ: «فَلْيَأْخُذْهَا كُلَّهَا بَعْدَ أَنْ عَادَ سَيِّدِي الْمَلِكُ إِلَى بَيْتِهِ بِسَلامٍ». | ٣٠ 30 |
और मिफ़ीबोसत ने बादशाह से कहा, “वही सब ले ले इसलिए कि मेरा मालिक बादशाह अपने घर में फिर सलामत आ गया है।”
وَنَزَلَ بَرْزِلايُ الْجِلْعَادِيُّ مِنْ رُوجَلِيمَ وَعَبَرَ الأُرْدُنَّ مَعَ الْمَلِكِ لِيُشَيِّعَهُ مِنْ هُنَاكَ. | ٣١ 31 |
और बरज़िली जिल'आदी रजिलीम से आया और बादशाह के साथ यरदन पार गया ताकि उसे यरदन के पार पहुँचाये।
وَكَانَ بَرْزِلايُ قَدْ طَعَنَ فِي السِّنِّ وَبَلَغَ الثَّمَانِينَ عَاماً، وَكَانَ قَدْ عَالَ الْمَلِكَ عِنْدَ إِقَامَتِهِ فِي مَحَنَايِمَ لأَنَّهُ كَانَ رَجُلاً ثَرِيًّا جِدّاً. | ٣٢ 32 |
और यह बरज़िली बहुत ही उम्र दराज़ आदमी या'नी अस्सी बरस का था, उसने बादशाह को जब तक वह मेहनायम में रहा ख़ुराक पहुँचाई थी इसलिए कि वह बहुत बड़ा आदमी था।
فَقَالَ الْمَلِكُ لِبَرْزِلايَ: «تَعَالَ مَعِي لأُورُشَلِيمَ فَأَقُومَ عَلَى إِعَالَتِكَ» | ٣٣ 33 |
तब बादशाह ने बरज़िली से कहा कि “तू मेरे साथ चल और मैं येरूशलेम में अपने साथ तेरी परवरिश करूँगा।”
فَأَجَابَ بَرْزِلايُ: «كَمْ بَقِيَ لِي مِنَ الْعُمْرِ حَتَّى أَصْعَدَ مَعَ الْمَلِكِ إِلَى أُورُشَلِيمَ؟ | ٣٤ 34 |
और बरज़िली ने बादशाह को जवाब दिया कि “मेरी ज़िन्दगी के दिन ही कितने हैं जो मैं बादशाह के साथ येरूशलेम को जाऊँ?
أَنَا الْيَوْمَ قَدْ بَلَغْتُ الثَّمَانِيَن، فَهَلْ أَسْتَطِيعُ أَنْ أُمَيِّزَ بَيْنَ الطَّيِّبِ وَالرَّدِيءِ؟ وَهَلْ يَلْتَذُّ عَبْدُكَ بِمَا يَأْكُلُ وَيَشْرَبُ؟ وَهَلْ مَازِلْتُ قَادِراً عَلَى الاسْتِمَاعِ إِلَى أَصْوَاتِ الْمُغَنِّينَ وَالْمُغَنِّيَاتِ؟ فَلِمَاذَا يُصْبِحُ عَبْدُكَ عِبْئاً عَلَى سَيِّدِي الْمَلِكِ؟ | ٣٥ 35 |
आज मैं अस्सी बरस का हूँ, क्या मैं भले और बुरे में फ़र्क कर सकता हूँ? क्या तेरा बन्दा जो कुछ खाता पीता है उसका मज़ा जान सकता है? क्या मैं गाने वालों और गाने वालियों की फिर आवाज़ सुन सकता हूँ? तब तेरा बन्दा अपने बादशाह पर क्यों बोझ हो?
لِيُرَافِقْ عَبْدُكَ مَوْكِبَكَ قَلِيلاً بَعْدَ عُبُورِكَ نَهْرَ الأُرْدُنِّ. وَلَكِنْ عَلامَ يُكَافِئُنِي الْمَلِكُ هَذِهِ الْمُكَافَأَةَ؟ | ٣٦ 36 |
तेरा बन्दा सिर्फ़ यरदन के पार तक बादशाह के साथ जाना चाहता है, इसलिए बादशाह मुझे ऐसा बड़ा बदला क्यूँ दे?
دَعْنِي أَرْجِعُ لأَمُوتَ فِي مَدِينَتِي بِجِوَارِ ضَرِيحِ أَبِي وَأُمِّي، وَهَا هُوَ وَلَدِي كِمْهَامُ يَذْهَبُ مَعَ سَيِّدِي الْمَلِكِ فَكَافِئْهُ بِمَا يَحْلُو لَكَ». | ٣٧ 37 |
अपने बन्दा को लौट जाने दे ताकि मैं अपने शहर में अपने बाप और माँ की क़ब्र के पास मरूँ लेकिन देख तेरा बन्दा किम्हाम हाज़िर है, वह मेरे मालिक बादशाह के साथ पार जाए और जो कुछ तुझे अच्छा मा'लूम दे उससे कर।”
فَأَجَابَ الْمَلِكُ: «لِيُرَافِقْنِي كِمْهَامُ فَأُجْزِلَ لَهُ مَا يَرُوقُ لَكَ مِنْ مُكَافَأَةٍ وَكُلُّ مَا تَتَمَنَّاهُ مِنِّي أُلَبِّيهِ لَكَ». | ٣٨ 38 |
तब बादशाह ने कहा, “किम्हाम मेरे साथ पार चलेगा और जो कुछ तुझे अच्छा मा'लूम हो वही मैं उसके साथ करूँगा और जो कुछ तू चाहेगा मैं तेरे लिए वही करूँगा।”
فَاجْتَازَ جَمِيعُ الشَّعْبِ نَهْرَ الأُرْدُنِّ وَكَذَلِكَ فَعَلَ الْمَلِكُ. وَقَبَّلَ الْمَلِكُ بَرْزِلايَ وَبَارَكَهُ، ثُمَّ قَفَلَ هَذَا رَاجِعاً إِلَى مَحَلِّ إِقَامَتِهِ. | ٣٩ 39 |
और सब लोग यरदन के पार हो गये और बादशाह भी पार हुआ, फिर बादशाह ने बरज़िली को चूमा और उसे दुआ दी और वह अपनी जगह को लौट गया।
وَتَوَجَّهَ الْمَلِكُ إِلَى الْجِلْجَالِ يُرَافِقُهُ كِمْهَامُ وَسَائِرُ شَعْبِ يَهُوذَا الَّذِينَ وَاكَبُوهُ مُجْتَازِينَ بِهِ نَهْرَ الأُردُنِّ، وَكَذَلِكَ نِصْفُ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ. | ٤٠ 40 |
तब बादशाह जिलजाल को रवाना हुआ और किम्हाम उसके साथ चला और यहूदाह के सब लोग और इस्राईल के लोगों में से भी आधे बादशाह को पार लाये।
وَاجْتَمَعَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ وَقَالُوا لِلْمَلِكِ: «لِمَاذَا أَخَذَكَ إِخْوَتُنَا رِجَالُ يَهُوذَا خُفْيَةً، وَعَبَرُوا الأُرْدُنَّ بِالْمَلِكِ وَبِأَهْلِ بَيْتِهِ وَبِكُلِّ رِجَالِ دَاوُدَ؟» | ٤١ 41 |
तब इस्राईल के सब लोग बादशाह के पास आकर उससे कहने लगे कि “हमारे भाई बनी यहूदाह तुझे क्यूँ चोरी से ले आए और बादशाह को और उसके घराने को और दाऊद के साथ जितने थे उनको यरदन के पार से लाये?”
فَأَجَابَ رِجَالُ يَهُوذَا رِجَالَ إِسْرَائِيلَ: «لأَنَّ الْمَلِكَ قَرِيبٌ لَنَا، فَمَاذَا يُثِيرُ غَيْظَكُمْ فِي هَذَا الأَمْرِ؟ هَلْ أَكَلْنَا شَيْئاً مِنْ مَؤُونَةِ الْمَلِكِ؟ هَلْ نِلْنَا مُكَافَأَةً عَلَى ذَلِكَ؟» | ٤٢ 42 |
तब सब बनी यहूदाह ने बनी इस्राईल को जवाब दिया, “इसलिए कि बादशाह का हमारे साथ नज़दीक का रिश्ता है, तब तुम इस बात की वजह से नाराज़ क्यों हुए? क्या हमने बादशाह के दाम का कुछ खा लिया है या उसने हमको कुछ इन'आम दिया है?”
فَقَالَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ لِرِجَالِ يَهُوذَا: «إِنَّ لَنَا عَشَرَةَ سِهَامٍ فِي الْمَلِكِ، وَنَحْنُ أَوْلَى مِنْكُمْ بِدَاوُدَ، فَلِمَاذَا اسْتَخْفَفْتُمْ بِنَا؟ أَوَ لَمْ نَكُنْ نَحْنُ أَوَّلَ مَنْ تَحَدَّثَ عَنْ إِرْجَاعِ مَلِكِنَا؟» فَكَانَ رَدُّ رِجَالِ يَهُوذَا أَغْلَظَ مِنْ كَلامِ رِجَالِ إِسْرَائِيلَ. | ٤٣ 43 |
फिर बनी इस्राईल ने बनी यहूदाह को जवाब दिया कि “बादशाह में हमारे दस हिस्से हैं और हमारा हक़ भी दाऊद पर तुम से ज़्यादा है तब तुमने क्यों हमारी हिक़ारत की, कि बादशाह को लौटा लाने में पहले हमसे सलाह नहीं ली?” और बनी यहूदाह की बातें बनी इस्राईल की बातों से ज़्यादा सख्त़ थीं।