< 2 صَمُوئيل 19 >

وَقِيلَ لِيُوآبَ: «هُوَذَا الْمَلِكُ يَبْكِي وَيَنُوحُ عَلَى أَبْشَالُومَ». ١ 1
तब योआब को यह समाचार मिला, “राजा अबशालोम के लिये रो रहा है और विलाप कर रहा है।”
فَتَحَوَّلَ النَّصْرُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ لَدَى جَمِيعِ الْجَيْشِ إِلَى مَنَاحَةٍ، إِذْ شَاعَ بَيْنَهُمْ أَنَّ الْمَلِكَ قَدْ حَزِنَ جِدّاً عَلَى مَصْرَعِ ابْنِهِ. ٢ 2
इसलिए उस दिन की विजय सब लोगों की समझ में विलाप ही का कारण बन गई; क्योंकि लोगों ने उस दिन सुना, कि राजा अपने बेटे के लिये खेदित है।
فَتَسَلَّلَ أَفْرَادُ الْجَيْشِ عَائِدِينَ إِلَى الْمَدِينَةِ كَمَا يَتَسَلَّلُ قَوْمٌ لَحِقَ بِهِمْ عَارُ الْهَزِيمَةِ. ٣ 3
इसलिए उस दिन लोग ऐसा मुँह चुराकर नगर में घुसे, जैसा लोग युद्ध से भाग आने से लज्जित होकर मुँह चुराते हैं।
وَأَخْفَى الْمَلِكُ وَجْهَهُ بِيَدَيْهِ صَارِخاً بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «يَا ابْنِي أَبْشَالُومُ، يَا أَبْشَالُومُ ابْنِي، ابْنِي». ٤ 4
और राजा मुँह ढाँपे हुए चिल्ला चिल्लाकर पुकारता रहा, “हाय मेरे बेटे अबशालोम! हाय अबशालोम, मेरे बेटे, मेरे बेटे!”
فَتَوَجَّهَ يُوآبُ إِلَى الْبَيْتِ وَقَالَ لِلْمَلِكِ: «لَقَدْ أَخْجَلْتَ الْيَوْمَ جَمِيعَ رِجَالِكَ الَّذِينَ أَنْقَذُوكَ أَنْتَ وَأَبْنَاءَكَ وَبَنَاتِكَ وَنِسَاءَكَ وَمَحْظِيَّاتِكَ، ٥ 5
तब योआब घर में राजा के पास जाकर कहने लगा, “तेरे कर्मचारियों ने आज के दिन तेरा, और तेरे बेटे-बेटियों का और तेरी पत्नियों और रखैलों का प्राण तो बचाया है, परन्तु तूने आज के दिन उन सभी का मुँह काला किया है;
بِمَحَبَّتِكَ لِمُبْغِضِيكَ وَبُغْضِكَ لِمُحِبِّيكَ، فَقَدْ أَبْدَيْتَ الْيَوْمَ بِوُضُوحٍ أَنَّهُ لَا اعْتِبَارَ لَدَيْكَ لِلرُّؤَسَاءِ وَلا لِلْعَبِيدِ، لأَنِّي أَدْرَكْتُ الْيَوْمَ أَنَّهُ لَوْ كَانَ أَبْشَالُومُ حَيًّا وَكُلُّنَا هَلَكْنَا، لَطَابَ الأَمْرُ لَكَ. ٦ 6
इसलिए कि तू अपने बैरियों से प्रेम और अपने प्रेमियों से बैर रखता है। तूने आज यह प्रगट किया कि तुझे हाकिमों और कर्मचारियों की कुछ चिन्ता नहीं; वरन् मैंने आज जान लिया, कि यदि हम सब आज मारे जाते और अबशालोम जीवित रहता, तो तू बहुत प्रसन्न होता।
فَقُمِ الآنَ وَاخْرُجْ وَاشْرَحْ قُلُوبَ رِجَالِكَ، لأَنِّي قَدْ أَقْسَمْتُ بِالرَّبِّ أَنَّهُ إِنْ لَمْ تَخْرُجْ، فَلَنْ يَبْقَى مَعَكَ أَحَدٌ اللَّيْلَةَ، فَيَكُونُ هَذَا الأَمْرُ أَسْوَأَ عَلَيْكَ مِنْ كُلِّ كَارِثَةٍ أَصَابَتْكَ مُنْذُ صِبَاكَ إِلَى الآنَ». ٧ 7
इसलिए अब उठकर बाहर जा, और अपने कर्मचारियों को शान्ति दे; नहीं तो मैं यहोवा की शपथ खाकर कहता हूँ, कि यदि तू बाहर न जाएगा, तो आज रात को एक मनुष्य भी तेरे संग न रहेगा; और तेरे बचपन से लेकर अब तक जितनी विपत्तियाँ तुझ पर पड़ी हैं उन सबसे यह विपत्ति बड़ी होगी।”
فَقَامَ الْمَلِكُ وَجَلَسَ عِنْدَ بَوَّابَةِ الْمَدِينَةِ. فَذَاعَ الْخَبَرُ بَيْنَ جَمِيعِ أَوْسَاطِ الْجَيْشِ أَنَّ المَلِكَ جَاِلسٌ عِنْدَ الْبَوَّابَةِ، فَأَقْبَلَ الجَيْشُ إلَيْهِ. أَمَّا الإِسْرَائِيلِيُّونَ فَهَرَبُوا لائِذِينَ بِبُيُوتِهِمْ. ٨ 8
तब राजा उठकर फाटक में जा बैठा। जब सब लोगों को यह बताया गया, कि राजा फाटक में बैठा है; तब सब लोग राजा के सामने आए। इस बीच इस्राएली अपने-अपने डेरे को भाग गए थे।
وَنَشَبَتْ خُصُومَاتٌ بَيْنَ جَمِيعِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ قَائِلِينَ: «إِنَّ الْمَلِكَ قَدْ أَنْقَذَنَا مِنْ قَبْضَةِ أَعْدَائِنَا، وَخَلَّصَنَا مِنْ حُكْمِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ، وَهَا هُوَ قَدْ هَرَبَ مِنَ الأَرْضِ لِيَنْجُوَ مِنْ أَبْشَالُومَ. ٩ 9
इस्राएल के सब गोत्रों के सब लोग आपस में यह कहकर झगड़ते थे, “राजा ने हमें हमारे शत्रुओं के हाथ से बचाया था, और पलिश्तियों के हाथ से उसी ने हमें छुड़ाया; परन्तु अब वह अबशालोम के डर के मारे देश छोड़कर भाग गया।
وَأَبْشَالُومُ الَّذِي نَصَّبْنَاهُ مَلِكاً عَلَيْنَا مَاتَ فِي الْحَرْبِ. فَالآنَ لِمَاذَا أَنْتُمْ مُتَقَاعِسُونَ عَنْ إِرْجَاعِ الْمَلِكِ؟» ١٠ 10
१०अबशालोम जिसको हमने अपना राजा होने को अभिषेक किया था, वह युद्ध में मर गया है। तो अब तुम क्यों चुप रहते? और राजा को लौटा ले आने की चर्चा क्यों नहीं करते?”
وَبَعَثَ الْمَلِكُ دَاوُدُ إِلَى صَادُوقَ وَأَبِيَاثَارَ الْكَاهِنَيْنِ قَائِلاً: «اسْأَلا شُيُوخَ إِسْرَائِيلَ لِمَاذَا تَكُونُونَ آخِرَ مَنْ يُطَالِبُ بِعَوْدَةِ الْمَلِكِ إِلَى مَقَرِّهِ، وَقَدْ بَلَغَ مَسَامِعَ الْمَلِكِ فِي بَيْتِهِ كُلُّ مَا قِيلَ فِي إِسْرَائِيلَ؟ ١١ 11
११तब राजा दाऊद ने सादोक और एब्यातार याजकों के पास कहला भेजा, “यहूदी पुरनियों से कहो, ‘तुम लोग राजा को भवन पहुँचाने के लिये सबसे पीछे क्यों होते हो जबकि समस्त इस्राएल की बातचीत राजा के सुनने में आई है, कि उसको भवन में पहुँचाए
أَنْتُمْ إِخْوَتِي وَعَظْمِي وَلَحْمِي، فَلِمَاذَا تَكُونُونَ آخِرَ مَنْ يُطَالِبُ بِإِرْجَاعِ الْمَلِكِ. ١٢ 12
१२तुम लोग तो मेरे भाई, वरन् मेरी ही हड्डी और माँस हो; तो तुम राजा को लौटाने में सब के पीछे क्यों होते हो?’
وَقُولا لِعَمَاسَا: أَلَسْتَ أَنْتَ مِنْ لَحْمِي وَعَظْمِي؟ فَلْيُعَاقِبْنِي الرَّبُّ أَشَدَّ عِقَابٍ وَيَزِدْ، إِنْ لَمْ أَجْعَلْكَ طَوَالَ حَيَاتِكَ قَائِداً لِجَيْشِي بَدَلَ يُوآبَ». ١٣ 13
१३फिर अमासा से यह कहो, ‘क्या तू मेरी हड्डी और माँस नहीं है? और यदि तू योआब के स्थान पर सदा के लिये सेनापति न ठहरे, तो परमेश्वर मुझसे वैसा ही वरन् उससे भी अधिक करे।’”
فَاسْتَمَالَ بِذَلِكَ قُلُوبَ جَمِيعِ رِجَالِ يَهُوذَا كَرَجُلٍ وَاحِدٍ، فَأَرْسَلُوا إِلَيْهِ يُنَاشِدُونَهُ الرُّجُوعَ قَائِلِينَ: «عُدْ أَنْتَ وَجَمِيعُ رِجَالِكَ». ١٤ 14
१४इस प्रकार उसने सब यहूदी पुरुषों के मन ऐसे अपनी ओर खींच लिया कि मानो एक ही पुरुष था; और उन्होंने राजा के पास कहला भेजा, “तू अपने सब कर्मचारियों को संग लेकर लौट आ।”
فَرَجَعَ الْمَلِكُ حَتَّى بَلَغَ الأُرْدُنَّ، فَتَوَافَدَ رِجَالُ يَهُوذَا إِلَى الْجِلْجَالِ لاِسْتِقْبَالِهِ وَالْعُبُورِ بِهِ نَهْرَ الأُرْدُنِّ. ١٥ 15
१५तब राजा लौटकर यरदन तक आ गया; और यहूदी लोग गिलगाल तक गए कि उससे मिलकर उसे यरदन पार ले आएँ।
وَأَسْرَعَ شِمْعِي بْنُ جِيرَا الْبَنْيَامِينِيُّ، الَّذِي مِنْ بَحُورِيمَ، وَرَافَقَ رِجَالَ يَهُوذَا لاسْتِقْبَالِ الْمَلِكِ دَاوُدَ، ١٦ 16
१६यहूदियों के संग गेरा का पुत्र बिन्यामीनी शिमी भी जो बहूरीम का निवासी था फुर्ती करके राजा दाऊद से भेंट करने को गया;
وَمَعَهُ أَلْفُ رَجُلٍ مِنْ سِبْطِ بِنْيَامِينَ، كَمَا جَاءَ صِيبَا خَادِمُ شَاوُلَ وَمَعَهُ أَوْلادُهُ الْخَمْسَةَ عَشَرَ وَعَبِيدُهُ الْعِشْرُونَ، وَخَاضُوا نَهْرَ الأُرْدُنِّ أَمَامَ الْمَلِكِ. ١٧ 17
१७उसके संग हजार बिन्यामीनी पुरुष थे और शाऊल के घराने का कर्मचारी सीबा अपने पन्द्रह पुत्रों और बीस दासों समेत था, और वे राजा के सामने यरदन के पार पैदल उतर गए।
وَإِذِ اجْتَازُوا الْمَخَاضَةَ لِمُوَاكَبَةِ بَيْتِ الْمَلِكِ وَعَمَلِ مَا يَسْتَحْوِذُ عَلَى رِضَاهُ، مَثَلَ شِمْعِي بْنُ جِيرَا أَمَامَ المَلِكِ عِنْدَ عُبُورِهِ الأُرْدُنَّ وَسَجَدَ لَهُ مُتَوَسِّلاً ١٨ 18
१८और एक बेड़ा राजा के परिवार को पार ले आने, और जिस काम में वह उसे लगाना चाहे उसी में लगने के लिये पार गया। जब राजा यरदन पार जाने पर था, तब गेरा का पुत्र शिमी उसके पाँवों पर गिरकर,
قَائِلاً: «لِيَغْفِرْ لِي سَيِّدِي الْمَلِكُ إِثْمِي وَلا يَذْكُرِ افْتِرَاءَ عَبْدِهِ عَلَيْهِ عِنْدَمَا خَرَجَ المَلِكُ مِنْ أُورُشَلِيمَ، وَلا يَكْتُمْ ذَلِكَ فِي قَلْبِهِ، ١٩ 19
१९राजा से कहने लगा, “मेरा प्रभु मेरे दोष का लेखा न ले, और जिस दिन मेरा प्रभु राजा यरूशलेम को छोड़ आया, उस दिन तेरे दास ने जो कुटिल काम किया, उसे स्मरण न करे और न राजा उसे अपने ध्यान में रखे।
لأَنَّ عَبْدَكَ قَدْ أَدْرَكَ أَنِّي قَدْ أَخْطَأْتُ، هَا أَنَا قَدْ جِئْتُ الْيَوْمَ فِي طَلِيعَةِ بَيْتِ يُوسُفَ لاسْتِقْبَالِ سَيِّدِي الْمَلِكِ». ٢٠ 20
२०क्योंकि तेरा दास जानता है कि मैंने पाप किया; देख, आज अपने प्रभु राजा से भेंट करने के लिये यूसुफ के समस्त घराने में से मैं ही पहले आया हूँ।”
فَقَالَ أَبِيشَايُ بْنُ صُرُويَّةَ: «أَلا يَنْبَغِي أَنْ يُقْتَلَ شِمْعِي لأَجْلِ هَذَا؟ لَقَدْ شَتَمَ مُخْتَارَ الرَّبِّ». ٢١ 21
२१तब सरूयाह के पुत्र अबीशै ने कहा, “शिमी ने जो यहोवा के अभिषिक्त को श्राप दिया था, इस कारण क्या उसका वध करना न चाहिये?”
فَقَالَ دَاوُدُ: «كُفَّا عَنِّي يَاابْنَيْ صُرُويَّةَ، فَلِمَاذَا تُقَاوِمَانِنِي؟ أَيُقْتَلُ الْيَوْمَ أَحَدٌ فِي إِسْرَائِيلَ؟ أَلَسْتُ أَنَا الآنَ مَلِكَ إِسْرَائِيلَ؟» ٢٢ 22
२२दाऊद ने कहा, “हे सरूयाह के बेटों, मुझे तुम से क्या काम, कि तुम आज मेरे विरोधी ठहरे हो? आज क्या इस्राएल में किसी को प्राणदण्ड मिलेगा? क्या मैं नहीं जानता कि आज मैं इस्राएल का राजा हुआ हूँ?”
ثُمَّ قَالَ الْمَلِكُ لِشِمْعِي: «لَنْ تَمُوتَ». وَأَقْسَمَ لَهُ عَلَى ذَلِكَ. ٢٣ 23
२३फिर राजा ने शिमी से कहा, “तुझे प्राणदण्ड न मिलेगा।” और राजा ने उससे शपथ भी खाई।
وَكَذَلِكَ جَاءَ مَفِيبُوشَثُ حَفِيدُ شَاوُلَ لِلِقَاءِ الْمَلِكِ، وَكَانَ قَدْ أَهْمَلَ الاعْتِنَاءَ بِرِجْلَيْهِ وَلِحْيَتِهِ، وَلَمْ يَغْسِلْ ثِيَابَهُ مُنْذُ الْيَوْمِ الَّذِي غَادَرَ فِيهِ الْمَلِكُ أُورُشَلِيمَ إِلَى حِينِ رُجُوعِهِ سَالِماً. ٢٤ 24
२४तब शाऊल का पोता मपीबोशेत राजा से भेंट करने को आया; उसने राजा के चले जाने के दिन से उसके कुशल क्षेम से फिर आने के दिन तक न अपने पाँवों के नाखून काटे, और न अपनी दाढ़ी बनवाई, और न अपने कपड़े धुलवाए थे।
وَعِنْدَمَا جَاءَ لِلِقَائِهِ فِي أُورُشَلِيمَ سَأَلَهُ الْمَلِكُ: «لِمَاذَا لَمْ تَأْتِ مَعِي يَا مَفِيبُوشَثُ؟» ٢٥ 25
२५जब यरूशलेमी राजा से मिलने को गए, तब राजा ने उससे पूछा, “हे मपीबोशेत, तू मेरे संग क्यों नहीं गया था?”
فَأَجَابَ: «إِنَّ عَبْدَكَ يَا سَيِّدِي الْمَلِكُ أَعْرَجُ، فَقُلْتُ لِنَفْسِي. أُسْرِجُ حِمَارِي وَأَرْكَبُ عَلَيْهِ وَأَمْضِي مَعَ المَلِكِ، وَلَكِنَّ صِيبَا وَكِيلَ أَعْمَالِي خَدَعَنِي، ٢٦ 26
२६उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, हे राजा, मेरे कर्मचारी ने मुझे धोखा दिया था; तेरा दास जो विकलांग है; इसलिए तेरे दास ने सोचा, ‘मैं गदहे पर काठी कसवाकर उस पर चढ़ राजा के साथ चला जाऊँगा।’
وَوَشَى بِعَبْدِكَ بُهْتَاناً إِلَى سَيِّدِي الْمَلِكِ، وَسَيِّدِي الْمَلِكُ كَمَلاكِ اللهِ. فَافْعَلْ مَا يَرُوقُ لَكَ. ٢٧ 27
२७और मेरे कर्मचारी ने मेरे प्रभु राजा के सामने मेरी चुगली की है। परन्तु मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के दूत के समान है; और जो कुछ तुझे भाए वही कर।
إِنَّ كُلَّ بَيْتِ أَبِي لَا يَسْتَحِقُّونَ مِنْكَ شَيْئاً سِوَى الْمَوْتِ، وَلَكِنَّكَ أَكْرَمْتَنِي، فَجَعَلْتَ عَبْدَكَ بَيْنَ الآكِلِينَ عَلَى مَائِدَتِكَ، فَأَيُّ حَقٍّ لِي بَعْدُ أُطَالِبُ بِهِ الْمَلِكَ؟» ٢٨ 28
२८मेरे पिता का समस्त घराना तेरी ओर से प्राणदण्ड के योग्य था; परन्तु तूने अपने दास को अपनी मेज पर खानेवालों में गिना है। मुझे क्या हक़ है कि मैं राजा की दुहाई दूँ?”
فَأَجَابَهُ الْمَلِكُ: «كَفَاكَ حَدِيثاً عَنْ شُؤُونِكَ، لَقَدْ أَمَرْتُ أَنْ تَقْسِمَ أَنْتَ وَصِيبَا الْحُقُولَ». ٢٩ 29
२९राजा ने उससे कहा, “तू अपनी बात की चर्चा क्यों करता रहता है? मेरी आज्ञा यह है, कि उस भूमि को तुम और सीबा दोनों आपस में बाँट लो।”
فَقَالَ مَفِيبُوشَثُ: «فَلْيَأْخُذْهَا كُلَّهَا بَعْدَ أَنْ عَادَ سَيِّدِي الْمَلِكُ إِلَى بَيْتِهِ بِسَلامٍ». ٣٠ 30
३०मपीबोशेत ने राजा से कहा, “मेरे प्रभु राजा जो कुशल क्षेम से अपने घर आया है, इसलिए सीबा ही सब कुछ ले ले।”
وَنَزَلَ بَرْزِلايُ الْجِلْعَادِيُّ مِنْ رُوجَلِيمَ وَعَبَرَ الأُرْدُنَّ مَعَ الْمَلِكِ لِيُشَيِّعَهُ مِنْ هُنَاكَ. ٣١ 31
३१तब गिलादी बर्जिल्लै रोगलीम से आया, और राजा के साथ यरदन पार गया, कि उसको यरदन के पार पहुँचाए।
وَكَانَ بَرْزِلايُ قَدْ طَعَنَ فِي السِّنِّ وَبَلَغَ الثَّمَانِينَ عَاماً، وَكَانَ قَدْ عَالَ الْمَلِكَ عِنْدَ إِقَامَتِهِ فِي مَحَنَايِمَ لأَنَّهُ كَانَ رَجُلاً ثَرِيًّا جِدّاً. ٣٢ 32
३२बर्जिल्लै तो वृद्ध पुरुष था, अर्थात् अस्सी वर्ष की आयु का था जब तक राजा महनैम में रहता था तब तक वह उसका पालन-पोषण करता रहा; क्योंकि वह बहुत धनी था।
فَقَالَ الْمَلِكُ لِبَرْزِلايَ: «تَعَالَ مَعِي لأُورُشَلِيمَ فَأَقُومَ عَلَى إِعَالَتِكَ» ٣٣ 33
३३तब राजा ने बर्जिल्लै से कहा, “मेरे संग पार चल, और मैं तुझे यरूशलेम में अपने पास रखकर तेरा पालन-पोषण करूँगा।”
فَأَجَابَ بَرْزِلايُ: «كَمْ بَقِيَ لِي مِنَ الْعُمْرِ حَتَّى أَصْعَدَ مَعَ الْمَلِكِ إِلَى أُورُشَلِيمَ؟ ٣٤ 34
३४बर्जिल्लै ने राजा से कहा, “मुझे कितने दिन जीवित रहना है, कि मैं राजा के संग यरूशलेम को जाऊँ?
أَنَا الْيَوْمَ قَدْ بَلَغْتُ الثَّمَانِيَن، فَهَلْ أَسْتَطِيعُ أَنْ أُمَيِّزَ بَيْنَ الطَّيِّبِ وَالرَّدِيءِ؟ وَهَلْ يَلْتَذُّ عَبْدُكَ بِمَا يَأْكُلُ وَيَشْرَبُ؟ وَهَلْ مَازِلْتُ قَادِراً عَلَى الاسْتِمَاعِ إِلَى أَصْوَاتِ الْمُغَنِّينَ وَالْمُغَنِّيَاتِ؟ فَلِمَاذَا يُصْبِحُ عَبْدُكَ عِبْئاً عَلَى سَيِّدِي الْمَلِكِ؟ ٣٥ 35
३५आज मैं अस्सी वर्ष का हूँ; क्या मैं भले बुरे का विवेक कर सकता हूँ? क्या तेरा दास जो कुछ खाता पीता है उसका स्वाद पहचान सकता है? क्या मुझे गायकों या गायिकाओं का शब्द अब सुन पड़ता है? तेरा दास अब अपने स्वामी राजा के लिये क्यों बोझ का कारण हो?
لِيُرَافِقْ عَبْدُكَ مَوْكِبَكَ قَلِيلاً بَعْدَ عُبُورِكَ نَهْرَ الأُرْدُنِّ. وَلَكِنْ عَلامَ يُكَافِئُنِي الْمَلِكُ هَذِهِ الْمُكَافَأَةَ؟ ٣٦ 36
३६तेरा दास राजा के संग यरदन पार ही तक जाएगा। राजा इसका ऐसा बड़ा बदला मुझे क्यों दे?
دَعْنِي أَرْجِعُ لأَمُوتَ فِي مَدِينَتِي بِجِوَارِ ضَرِيحِ أَبِي وَأُمِّي، وَهَا هُوَ وَلَدِي كِمْهَامُ يَذْهَبُ مَعَ سَيِّدِي الْمَلِكِ فَكَافِئْهُ بِمَا يَحْلُو لَكَ». ٣٧ 37
३७अपने दास को लौटने दे, कि मैं अपने ही नगर में अपने माता पिता के कब्रिस्तान के पास मरूँ। परन्तु तेरा दास किम्हाम उपस्थित है; मेरे प्रभु राजा के संग वह पार जाए; और जैसा तुझे भाए वैसा ही उससे व्यवहार करना।”
فَأَجَابَ الْمَلِكُ: «لِيُرَافِقْنِي كِمْهَامُ فَأُجْزِلَ لَهُ مَا يَرُوقُ لَكَ مِنْ مُكَافَأَةٍ وَكُلُّ مَا تَتَمَنَّاهُ مِنِّي أُلَبِّيهِ لَكَ». ٣٨ 38
३८राजा ने कहा, “हाँ, किम्हाम मेरे संग पार चलेगा, और जैसा तुझे भाए वैसा ही मैं उससे व्यवहार करूँगा वरन् जो कुछ तू मुझसे चाहेगा वह मैं तेरे लिये करूँगा।”
فَاجْتَازَ جَمِيعُ الشَّعْبِ نَهْرَ الأُرْدُنِّ وَكَذَلِكَ فَعَلَ الْمَلِكُ. وَقَبَّلَ الْمَلِكُ بَرْزِلايَ وَبَارَكَهُ، ثُمَّ قَفَلَ هَذَا رَاجِعاً إِلَى مَحَلِّ إِقَامَتِهِ. ٣٩ 39
३९तब सब लोग यरदन पार गए, और राजा भी पार हुआ; तब राजा ने बर्जिल्लै को चूमकर आशीर्वाद दिया, और वह अपने स्थान को लौट गया।
وَتَوَجَّهَ الْمَلِكُ إِلَى الْجِلْجَالِ يُرَافِقُهُ كِمْهَامُ وَسَائِرُ شَعْبِ يَهُوذَا الَّذِينَ وَاكَبُوهُ مُجْتَازِينَ بِهِ نَهْرَ الأُردُنِّ، وَكَذَلِكَ نِصْفُ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ. ٤٠ 40
४०तब राजा गिलगाल की ओर पार गया, और उसके संग किम्हाम पार हुआ; और सब यहूदी लोगों ने और आधे इस्राएली लोगों ने राजा को पार पहुँचाया।
وَاجْتَمَعَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ وَقَالُوا لِلْمَلِكِ: «لِمَاذَا أَخَذَكَ إِخْوَتُنَا رِجَالُ يَهُوذَا خُفْيَةً، وَعَبَرُوا الأُرْدُنَّ بِالْمَلِكِ وَبِأَهْلِ بَيْتِهِ وَبِكُلِّ رِجَالِ دَاوُدَ؟» ٤١ 41
४१तब सब इस्राएली पुरुष राजा के पास आए, और राजा से कहने लगे, “क्या कारण है कि हमारे यहूदी भाई तुझे चोरी से ले आए, और परिवार समेत राजा को और उसके सब जनों को भी यरदन पार ले आए हैं।”
فَأَجَابَ رِجَالُ يَهُوذَا رِجَالَ إِسْرَائِيلَ: «لأَنَّ الْمَلِكَ قَرِيبٌ لَنَا، فَمَاذَا يُثِيرُ غَيْظَكُمْ فِي هَذَا الأَمْرِ؟ هَلْ أَكَلْنَا شَيْئاً مِنْ مَؤُونَةِ الْمَلِكِ؟ هَلْ نِلْنَا مُكَافَأَةً عَلَى ذَلِكَ؟» ٤٢ 42
४२सब यहूदी पुरुषों ने इस्राएली पुरुषों को उत्तर दिया, “कारण यह है कि राजा हमारे गोत्र का है। तो तुम लोग इस बात से क्यों रूठ गए हो? क्या हमने राजा का दिया हुआ कुछ खाया है? या उसने हमें कुछ दान दिया है?”
فَقَالَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ لِرِجَالِ يَهُوذَا: «إِنَّ لَنَا عَشَرَةَ سِهَامٍ فِي الْمَلِكِ، وَنَحْنُ أَوْلَى مِنْكُمْ بِدَاوُدَ، فَلِمَاذَا اسْتَخْفَفْتُمْ بِنَا؟ أَوَ لَمْ نَكُنْ نَحْنُ أَوَّلَ مَنْ تَحَدَّثَ عَنْ إِرْجَاعِ مَلِكِنَا؟» فَكَانَ رَدُّ رِجَالِ يَهُوذَا أَغْلَظَ مِنْ كَلامِ رِجَالِ إِسْرَائِيلَ. ٤٣ 43
४३इस्राएली पुरुषों ने यहूदी पुरुषों को उत्तर दिया, “राजा में दस अंश हमारे हैं; और दाऊद में हमारा भाग तुम्हारे भाग से बड़ा है। तो फिर तुम ने हमें क्यों तुच्छ जाना? क्या अपने राजा के लौटा ले आने की चर्चा पहले हम ही ने न की थी?” और यहूदी पुरुषों ने इस्राएली पुरुषों से अधिक कड़ी बातें कहीं।

< 2 صَمُوئيل 19 >