< 2 صَمُوئيل 14 >

وَعَلِمَ يُوآبُ بْنُ صُرُوِيَّةَ أَنَّ قَلْبَ الْمَلِكِ مُتَشَوِّقٌ لأَبْشَالُومَ، ١ 1
सरूयाह का पुत्र योआब ताड़ गया कि राजा का मन अबशालोम की ओर लगा है।
فَاسْتَدْعَى يُوآبُ مِنْ تَقُوعَ امْرَأَةً حَكِيمَةً وَقَالَ لَهَا: «تَظَاهَرِي بِالْحُزْنِ، وَارْتَدِي ثِيَابَ الْحِدَادِ، وَلا تَتَطَيَّبِي، وَتَصَرَّفِي كَامْرَأَةٍ قَضَتْ أَيَّاماً طَوِيلَةً غَارِقَةً فِي أَحْزَانِهَا عَلَى فَقِيدٍ. ٢ 2
इसलिए योआब ने तकोआ नगर में दूत भेजकर वहाँ से एक बुद्धिमान स्त्री को बुलवाया, और उससे कहा, “शोक करनेवाली बन, अर्थात् शोक का पहरावा पहन, और तेल न लगा; परन्तु ऐसी स्त्री बन जो बहुत दिन से मरे हुए व्यक्ति के लिये विलाप करती रही हो।
وَادْخُلِي لِمُقَابَلَةِ الْمَلِكِ، وَكَلِّمِيهِ بِمَا أُسِرُّهُ إِلَيْكِ». وَلَقَّنَهَا يُوآبُ مَا تَقُولُ. ٣ 3
तब राजा के पास जाकर ऐसी-ऐसी बातें कहना।” और योआब ने उसको जो कुछ कहना था वह सिखा दिया।
وَمثَلَتِ الْمَرْأَةُ التَّقُوعِيَّةُ أَمَامَ الْمَلِكِ، وَخَرَّتْ عَلَى وَجْهِهَا إِلَى الأَرْضِ وَسَجَدَتْ قَائِلَةً: «أَغِثْنِي أَيُّهَا الْمَلِكُ» ٤ 4
जब तकोआ की वह स्त्री राजा के पास गई, तब मुँह के बल भूमि पर गिर दण्डवत् करके कहने लगी, “राजा की दुहाई।”
فَسَأَلَهَا الْمَلِكُ: «مَا شَأْنُكِ؟» فَأَجَابَتْ: «أَنَا أَرْمَلَةٌ، مَاتَ رَجُلِي ٥ 5
राजा ने उससे पूछा, “तुझे क्या चाहिये?” उसने कहा, “सचमुच मेरा पति मर गया, और मैं विधवा हो गई।
مُخَلِّفاً لِي ابْنَيْنِ. فَتَخَاصَمَا فِي الْحَقْلِ مِنْ غَيْرِ أَنْ يَكُونَ هُنَاكَ مَنْ يُفَرِّقُ بَيْنَهُمَا. فَضَرَبَ أَحَدُهُمَا الآخَرَ وَقَتَلَهُ. ٦ 6
और तेरी दासी के दो बेटे थे, और उन दोनों ने मैदान में मारपीट की; और उनको छुड़ानेवाला कोई न था, इसलिए एक ने दूसरे को ऐसा मारा कि वह मर गया।
وَهَا هِيَ الْعَشِيرَةُ قَاطِبَةً قَدْ قَامَتْ تُطَالِبُنِي بِتَسْلِيمِ الْقَاتِل لِمُعَاقَبَتِهِ جَزَاءً لَهُ عَلَى قَتْلِ أَخِيهِ وَبِذَلِكَ يَقْضُونَ عَلَى الْوَارِثِ. وَهَكَذَا يُطْفِئُونَ أَمَلِي الَّذِي بَقِيَ لِي، وَيَمْحُونَ اسْمَ زَوْجِي وَذِكْرِهُ مِنْ عَلَى وَجْهِ الأَرْضِ». ٧ 7
अब सुन, सब कुल के लोग तेरी दासी के विरुद्ध उठकर यह कहते हैं, ‘जिसने अपने भाई को घात किया उसको हमें सौंप दे, कि उसके मारे हुए भाई के प्राण के बदले में उसको प्राणदण्ड दें;’ और इस प्रकार वे वारिस को भी नष्ट करेंगे। इस तरह वे मेरे अंगारे को जो बच गया है बुझाएँगे, और मेरे पति का नाम और सन्तान धरती पर से मिटा डालेंगे।”
فَقَالَ الْمَلِكُ لِلْمَرْأَةِ: «امْضِي إِلَى بَيْتِكِ وَأَنَا أُصْدِرُ قَرَاراً فِي أَمْرِكِ». ٨ 8
राजा ने स्त्री से कहा, “अपने घर जा, और मैं तेरे विषय आज्ञा दूँगा।”
فَأَجَابَتِ الْمَرْأَةُ: «لِيَقَعِ اللَّوْمُ عَلَيَّ وَعَلَى بَيْتِ أَبِي، أَمَّا الْمَلِكُ وَعَرْشُهُ فَهُمَا بَرِيئَانِ مِنْ كُلِّ شَائِبَةٍ». ٩ 9
तब तकोआ की उस स्त्री ने राजा से कहा, “हे मेरे प्रभु, हे राजा, दोष मुझी को और मेरे पिता के घराने ही को लगे; और राजा अपनी गद्दी समेत निर्दोष ठहरे।”
فَقَالَ الْمَلِكُ: «إِذَا اعْتَرَضَ عَلَيْكِ أَحَدٌ فَأَحْضِرِيهِ إِلَيَّ فَلا يَعُودَ يُسِيءُ إِلَيْكِ». ١٠ 10
१०राजा ने कहा, “जो कोई तुझ से कुछ बोले उसको मेरे पास ला, तब वह फिर तुझे छूने न पाएगा।”
فَقَالَتِ الْمَرْأَةُ: «احْلِفْ لِي باسْمِ الرَّبِّ إِلَهِكَ أَنْ تَمْنَعَ طَالِبَ الدَّمِ مِنْ إِرَاقَةِ مَزِيدٍ مِنَ الدِّمَاءِ لِئَلّا يُهْلِكَ ابْنِي». فَأَجَابَهَا: «حَيٌّ هُوَ الرَّبُّ إِنَّهُ لَنْ تَسْقُطَ شَعْرَةٌ مِنْ رَأْسِ ابْنِكِ إِلَى الأَرْضِ». ١١ 11
११उसने कहा, “राजा अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करे, कि खून का पलटा लेनेवाला और नाश करने न पाए, और मेरे बेटे का नाश न होने पाए।” उसने कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ, तेरे बेटे का एक बाल भी भूमि पर गिरने न पाएगा।”
فَقَالَتِ الْمَرْأَةُ: «دَعْ جَارِيَتَكَ تَقُولُ كَلِمَةً لِسَيِّدِي الْمَلِكِ» فَقَالَ: «تَكَلَّمِي». ١٢ 12
१२स्त्री बोली, “तेरी दासी अपने प्रभु राजा से एक बात कहने पाए।”
قَالَتِ الْمَرْأَةُ: «إذَنْ، لِمَاذَا ارْتَكَبْتَ هَذَا الأَمْرَ فِي حَقِّ شَعْبِ اللهِ؟ أَلا يَدِينُ المَلِكُ نَفْسَهُ عِنْدَمَا يُصْدِرُ مِثْلَ هَذَا الْحُكْمِ لأَنَّهُ لَمْ يَرُدَّ ابْنَهُ مِنْ مَنْفَاهُ؟ ١٣ 13
१३उसने कहा, “कहे जा।” स्त्री कहने लगी, “फिर तूने परमेश्वर की प्रजा की हानि के लिये ऐसी ही युक्ति क्यों की है? राजा ने जो यह वचन कहा है, इससे वह दोषी सा ठहरता है, क्योंकि राजा अपने निकाले हुए को लौटा नहीं लाता।
لأَنَّنَا لابُدَّ أَنْ نَمُوتَ وَنَكُونَ مِثْلَ الْمِيَاهِ الْمُتَسَرِّبَةِ فِي شُقُوقِ الأَرْضِ الَّتِي يَتَعَذَّرُ جَمْعُهَا. وَلَكِنَّ اللهَ لَا يَسْتأْصِلُ نَفْساً بَلْ يُفَكِّرُ بِشَتَّى الطُّرُقِ حَتَّى لَا يَقْطَعَ عَنْهُ مَنْفِيَّهُ. ١٤ 14
१४हमको तो मरना ही है, और भूमि पर गिरे हुए जल के समान ठहरेंगे, जो फिर उठाया नहीं जाता; तो भी परमेश्वर प्राण नहीं लेता, वरन् ऐसी युक्ति करता है कि निकाला हुआ उसके पास से निकाला हुआ न रहे।
وَهَا أَنَا الآنَ قَدْ جِئْتُ لأُخَاطِبَ سَيِّدِي الْمَلِكَ بِهَذَا الأَمْرِ لأَنَّ الشَّعْبَ أَخَافَنِي. فَقُلْتُ: سَأُخَاطِبُ الْمَلِكَ لَعَلَّهُ يَتَقَبَّلُ طَلَبَ جَارِيَتِهِ. ١٥ 15
१५और अब मैं जो अपने प्रभु राजा से यह बात कहने को आई हूँ, इसका कारण यह है, कि लोगों ने मुझे डरा दिया था; इसलिए तेरी दासी ने सोचा, ‘मैं राजा से बोलूँगी, कदाचित् राजा अपनी दासी की विनती को पूरी करे।
لأَنَّ الْمَلِكَ قَدْ يُوَافِقُ عَلَى إِنْقَاذِ جَارِيَتِهِ مِنْ يَدِ الرَّجُلِ الَّذِي يُحَاوِلُ أَنْ يَقْضِيَ عَلَيَّ وَعَلَى ابْنِي وَيَسْتَوْلِيَ عَلَى الْمِيرَاثِ الَّذِي وَهَبَنَا إِيَّاهُ اللهُ. ١٦ 16
१६निःसन्देह राजा सुनकर अवश्य अपनी दासी को उस मनुष्य के हाथ से बचाएगा, जो मुझे और मेरे बेटे दोनों को परमेश्वर के भाग में से नष्ट करना चाहता है।’
وَقَالَتْ جَارِيَتُكَ: لِتَحْمِلْ كَلِمَةُ سَيِّدِي الْمَلِكِ عَزَاءً لِنَفْسِي، لأَنَّ سَيِّدِي الْمَلِكَ هُوَ كَمَلاكِ اللهِ فِي التَّمْيِيزِ بَيْنَ الْخَيْرِ وَالشَّرِّ، وَالرَّبُّ إِلَهُكَ يَكُونُ مَعَكَ». ١٧ 17
१७अतः तेरी दासी ने सोचा, ‘मेरे प्रभु राजा के वचन से शान्ति मिले;’ क्योंकि मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के किसी दूत के समान भले बुरे में भेद कर सकता है; इसलिए तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहे।”
فَقَالَ الْمَلِكُ لِلْمَرْأَةِ: «لَدَيَّ مَا أَسْأَلُكِ عَنْهُ فَلا تَكْتُمِي الْجَوَابَ عَنِّي». فَأَجَابَتْ: «لِيَتَكَلَّمْ سَيِّدِي الْمَلِكُ». ١٨ 18
१८राजा ने उत्तर देकर उस स्त्री से कहा, “जो बात मैं तुझ से पूछता हूँ उसे मुझसे न छिपा।” स्त्री ने कहा, “मेरा प्रभु राजा कहे जाए।”
فَسَأَلَهَا: «هَلْ لِيُوآبَ يَدٌ فِي كُلِّ هَذَا الأَمْرِ؟» فَأَجَابَتْ: «لِتَحْيَ نَفْسُكَ يَا سَيِّدِي الْمَلِكَ! إِنَّ أَحَداً لَا يَقْدِرُ أَنْ يُرَاوِغَ فِي أَمْرِ سَيِّدِي الْمَلِكِ. نَعَمْ إِنَّ عَبْدَكَ يُوآبَ هُوَ أَوْصَانِي وَلَقَّنَنِي كُلَّ مَا نَطَقْتُ بِهِ. ١٩ 19
१९राजा ने पूछा, “इस बात में क्या योआब तेरा संगी है?” स्त्री ने उत्तर देकर कहा, “हे मेरे प्रभु, हे राजा, तेरे प्राण की शपथ, जो कुछ मेरे प्रभु राजा ने कहा है, उससे कोई न दाहिनी ओर मुड़ सकता है और न बाईं ओर। तेरे दास योआब ही ने मुझे आज्ञा दी, और ये सब बातें उसी ने तेरी दासी को सिखाई हैं।
وَقَدْ قَامَ يُوآبُ بِهَذَا الأَمْرِ لإِحْدَاثِ تَغْيِيرٍ فِي الْوَضْعِ الرَّاهِنِ. إِنَّ سَيِّدِي يَتَمَتَّعُ بِحِكْمَةٍ مُمَاثِلَةٍ لِحِكْمَةِ مَلاكِ اللهِ، وَعَالِمٌ بِمَا يَحْدُثُ فِي الْبِلادِ». ٢٠ 20
२०तेरे दास योआब ने यह काम इसलिए किया कि बात का रंग बदले। और मेरा प्रभु परमेश्वर के एक दूत के तुल्य बुद्धिमान है, यहाँ तक कि धरती पर जो कुछ होता है उन सब को वह जानता है।”
فَقَالَ الْمَلِكُ لِيُوآبَ: «لَقَدِ اسْتَقَرَّ رَأْيِي عَلَى تَنْفِيذِ هَذَا الأَمْرِ. فَاذْهَبِ الآنَ وَأَحْضِرِ الْفَتَى أَبْشَالُومَ». ٢١ 21
२१तब राजा ने योआब से कहा, “सुन, मैंने यह बात मानी है; तू जाकर उस जवान अबशालोम को लौटा ला।”
فَانْحَنَى يُوآبُ بِوَجْهِهِ إِلَى الأَرْضِ وَسَجَدَ وَبَارَكَ الْمَلِكَ قَائِلاً: «الْيَوْمَ عَلِمَ عَبْدُكَ أَنِّي قَدْ حَظِيتُ بِرِضَاكَ يَا سَيِّدِي الْمَلِكَ، إِذِ اسْتَجَابَ الْمَلِكُ لِطَلَبِ عَبْدِهِ». ٢٢ 22
२२तब योआब ने भूमि पर मुँह के बल गिर दण्डवत् कर राजा को आशीर्वाद दिया; और योआब कहने लगा, “हे मेरे प्रभु, हे राजा, आज तेरा दास जान गया कि मुझ पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि है, क्योंकि राजा ने अपने दास की विनती सुनी है।”
ثُمَّ انْطَلَقَ يُوآبُ إِلَى جَشُورَ وَأَحْضَرَ أَبْشَالُومَ إِلَى أُورُشَلِيمَ. ٢٣ 23
२३अतः योआब उठकर गशूर को गया, और अबशालोम को यरूशलेम ले आया।
فَقَالَ الْمَلِكُ: «لِيَنْصَرِفْ إِلَى بَيْتِهِ ولا يَرَ وَجْهِي». فَمَضَى أَبْشَالُومُ إِلَى بَيْتِهِ وَلَمْ يَمْثُلْ فِي حَضْرَةِ الْمَلِكِ. ٢٤ 24
२४तब राजा ने कहा, “वह अपने घर जाकर रहे; और मेरा दर्शन न पाए।” तब अबशालोम अपने घर चला गया, और राजा का दर्शन न पाया।
وَلَمْ يَكُنْ فِي كُلِّ إِسْرَائِيلَ رَجُلٌ وَسِيمُ الْمُحَيَّا، يَحْظَى بِالإِعْجَابِ كَأَبْشَالُومَ الَّذِي خَلا مِنْ كُلِّ عَيْبٍ مِنْ قِمَّةِ الرَّأْسِ إِلَى أَخْمَصِ الْقَدَمِ. ٢٥ 25
२५समस्त इस्राएल में सुन्दरता के कारण बहुत प्रशंसा योग्य अबशालोम के तुल्य और कोई न था; वरन् उसमें नख से सिख तक कुछ दोष न था।
وَكَانَ يَقُصُّ شَعْرَ رَأْسِهِ مَرَّةً فِي كُلِّ عَامٍ لأَنَّهُ كَانَ يَثْقُلُ عَلَيْهِ، إِذْ كَانَ يَزِنُ مِئَتَيْ شَاقِلٍ (نَحْوَ كِيلُو جِرَامَيْنِ وَنِصْفٍ). ٢٦ 26
२६वह वर्ष के अन्त में अपना सिर मुँण्डवाता था; (उसके बाल उसको भारी जान पड़ते थे, इस कारण वह उसे मुँड़ाता था) और जब जब वह उसे मुँड़ाता तब-तब अपने सिर के बाल तौलकर राजा के तौल के अनुसार दो सौ शेकेल भर पाता था।
وَأَنْجَبَ أَبْشَالُومُ ثَلاثَةَ بَنِينَ وَبِنْتاً وَاحِدَةً اسْمُهَا ثَامَارُ، كَانَتْ تَتَمَتَّعُ بِقِسْطٍ وَافِرٍ مِنَ الْجَمَالِ. ٢٧ 27
२७अबशालोम के तीन बेटे, और तामार नामक एक बेटी उत्पन्न हुई थी; और यह रूपवती स्त्री थी।
وَمَكَثَ أَبْشَالُومُ فِي أُورُشَلِيمَ سَنَتَيْنِ مِنْ غَيْرِ أَنْ يَحْظَى بِالْمُثُولِ فِي حَضْرَةِ الْمَلِكِ ٢٨ 28
२८अतः अबशालोम राजा का दर्शन बिना पाए यरूशलेम में दो वर्ष रहा।
فَاسْتَدْعَى يُوآبَ لِيَتَشَفَّعَ لَهُ عِنْدَ أَبِيهِ، فَلَمْ يَشَأْ يُوآبُ أَنْ يَأْتِيَ إِلَيْهِ. ثُمَّ أَرْسَلَ إِلَيْهِ ثَانِيَةً، فَأَبَى أَنْ يَأْتِيَ أَيْضاً. ٢٩ 29
२९तब अबशालोम ने योआब को बुलवा भेजा कि उसे राजा के पास भेजे; परन्तु योआब ने उसके पास आने से इन्कार किया। और उसने उसे दूसरी बार बुलवा भेजा, परन्तु तब भी उसने आने से इन्कार किया।
عِنْدَئِذٍ قَالَ أَبْشَالُومُ لِرِجَالِهِ: «لِيُوآبَ حَقْلُ شَعِيرٍ مُجاوِرٍ لِحَقْلِي، فَاذْهَبُوا وَأَحْرِقُوهُ». فَقَامَ رِجَالُ أَبْشَالُومَ بِإِحْرَاقِ الْحَقْلِ بِالنَّارِ. ٣٠ 30
३०तब उसने अपने सेवकों से कहा, “सुनो, योआब का एक खेत मेरी भूमि के निकट है, और उसमें उसका जौ खड़ा है; तुम जाकर उसमें आग लगाओ।” और अबशालोम के सेवकों ने उस खेत में आग लगा दी।
فَأَقْبَلَ يُوآبُ إِلَى أَبْشَالُومَ فِي بَيْتِهِ قَائِلاً: «لِمَاذَا أَحْرَقَ رِجَالُكَ حَقْلِي بِالنَّارِ؟» ٣١ 31
३१तब योआब उठा, और अबशालोम के घर में उसके पास जाकर उससे पूछने लगा, “तेरे सेवकों ने मेरे खेत में क्यों आग लगाई है?”
فَأَجَابَ أَبْشَالُومُ: «أَرْسَلْتُ طَالِباً إِلَيْكَ أَنْ تَأْتِيَ إِلَى هُنَا لأُوْفِدَكَ إِلَى الْمَلِكِ لِتَسْأَلَهُ لِمَاذَا اسْتَدْعَانِي مِنْ جَشُورَ خَيْرٌ لِي لَوْ بَقِيتُ هُنَاكَ. إِنِّي أَوَدُّ أَنْ أَمْثُلَ فِي حَضْرَةِ الْمَلِكِ، فَإِنْ كُنْتُ مُذْنِباً فَلْيَقْتُلْنِي». ٣٢ 32
३२अबशालोम ने योआब से कहा, “मैंने तो तेरे पास यह कहला भेजा था, ‘यहाँ आना कि मैं तुझे राजा के पास यह कहने को भेजूँ, “मैं गशूर से क्यों आया? मैं अब तक वहाँ रहता तो अच्छा होता।” इसलिए अब राजा मुझे दर्शन दे; और यदि मैं दोषी हूँ, तो वह मुझे मार डाले।’”
فَمَضَى يُوآبُ إِلَى الْمَلِكِ وَأَبْلَغَهُ كَلامَ أَبْشَالُومَ. فَاسْتَدْعَى الْمَلِكُ أَبْشَالُومَ، فَجَاءَ هَذَا إِلَيْهِ وَسَجَدَ أَمَامَهُ، فَقَبَّلَ الْمَلِكُ أَبْشَالُومَ. ٣٣ 33
३३तब योआब ने राजा के पास जाकर उसको यह बात सुनाई; और राजा ने अबशालोम को बुलवाया। अतः वह उसके पास गया, और उसके सम्मुख भूमि पर मुँह के बल गिरकर दण्डवत् की; और राजा ने अबशालोम को चूमा।

< 2 صَمُوئيل 14 >