< 2 مُلُوك 17 >
وَفِي السَّنَةِ الثَّانِيَةِ عَشْرَةَ مِنْ حُكْمِ آحَازَ مَلِكِ يَهُوذَا، اعْتَلَى هُوشَعُ بْنُ أَيْلَةَ عَرْشَ إِسْرَائِيلَ فِي السَّامِرَةِ، لِمُدَّةِ تِسْعِ سَنَوَاتٍ. | ١ 1 |
१यहूदा के राजा आहाज के राज्य के बारहवें वर्ष में एला का पुत्र होशे सामरिया में, इस्राएल पर राज्य करने लगा, और नौ वर्ष तक राज्य करता रहा।
وَارْتَكَبَ الشَّرَّ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ، إِلّا أَنَّهُ كَانَ أَفْضَلَ قَلِيلاً مِنْ أَسْلافِهِ مُلُوكِ إِسْرَائِيلَ. | ٢ 2 |
२उसने वही किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, परन्तु इस्राएल के उन राजाओं के बराबर नहीं जो उससे पहले थे।
وَزَحَفَ عَلَيْهِ شَلْمَنْأَسَرُ مَلِكُ أَشُورَ فَصَارَ هُوشَعُ لَهُ تَابِعاً يَدْفَعُ لَهُ جِزْيَةً. | ٣ 3 |
३उस पर अश्शूर के राजा शल्मनेसेर ने चढ़ाई की, और होशे उसके अधीन होकर, उसको भेंट देने लगा।
وَمَالَبِثَ أَنِ اكْتَشَفَ مَلِكُ أَشُورَ خِيَانَةَ هُوشَعَ، الَّذِي أَرْسَلَ وَفْداً يَسْتَغِيثُ بِسَوَا مَلِكِ مِصْرَ، وَلَمْ يُؤَدِّ جِزْيَةً لِمَلِكِ أَشُورَ كَعَهْدِهِ فِي كُلِّ سَنَةٍ، فَقَبَضَ عَلَيْهِ مَلِكُ أَشُورَ وَزَجَّهُ مُوْثَقاً فِي السِّجْنِ. | ٤ 4 |
४परन्तु अश्शूर के राजा ने होशे के राजद्रोह की गोष्ठी को जान लिया, क्योंकि उसने सो नामक मिस्र के राजा के पास दूत भेजे थे और अश्शूर के राजा के पास वार्षिक भेंट भेजनी छोड़ दी; इस कारण अश्शूर के राजा ने उसको बन्दी बनाया, और बेड़ी डालकर बन्दीगृह में डाल दिया।
وَاجْتَاحَ مَلِكُ أَشُورَ أَرْضَ إِسْرَائِيلَ، وَحَاصَرَ السَّامِرَةَ ثَلاثَ سَنَوَاتٍ. | ٥ 5 |
५तब अश्शूर के राजा ने पूरे देश पर चढ़ाई की, और सामरिया को जाकर तीन वर्ष तक उसे घेरे रहा।
وَفِي السَّنَةِ التَّاسِعَةِ مِنْ حُكْمِ هُوشَعَ سَقَطَتِ السَّامِرَةُ، فَسَبَى مَلِكُ أَشُورَ الإِسْرَائِيلِيِّينَ إِلَى أَشُورَ وَأَسْكَنَهُمْ فِي مَدِينَةِ حَلَحَ، وَعَلَى ضِفَافِ نَهْرِ خَابُورَ فِي مِنْطَقَةِ جُوزَانَ، وَفِي مُدُنِ مَادِي. | ٦ 6 |
६होशे के नौवें वर्ष में अश्शूर के राजा ने सामरिया को ले लिया, और इस्राएलियों को अश्शूर में ले जाकर, हलह में और गोजान की नदी हाबोर के पास और मादियों के नगरों में बसाया।
وَقَدْ حَلَّتْ هَذِهِ النَّكْبَةُ بِبَنِي إِسْرَائِيلَ لأَنَّهُمْ أَثِمُوا فِي حَقِّ الرَّبِّ إِلَهِهِمِ الَّذِي أَخْرَجَهُمْ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ، مِنْ تَحْتِ نِيرِ فِرْعَوْنَ وَعَبَدُوا آلِهَةً أُخْرَى، | ٧ 7 |
७इसका यह कारण है, कि यद्यपि इस्राएलियों का परमेश्वर यहोवा उनको मिस्र के राजा फ़िरौन के हाथ से छुड़ाकर मिस्र देश से निकाल लाया था, तो भी उन्होंने उसके विरुद्ध पाप किया, और पराए देवताओं का भय माना,
سَالِكِينَ حَسَبَ فَرَائِضِ الأُمَمِ الَّذِينَ طَرَدَهُمُ الرَّبُّ مِنْ أَمَامِهِمْ، وَمِنْ أَمَامِ مُلُوكِهِمْ الَّذِينَ نَصَّبُوهُمْ عَلَيْهِمْ. | ٨ 8 |
८और जिन जातियों को यहोवा ने इस्राएलियों के सामने से देश से निकाला था, उनकी रीति पर, और अपने राजाओं की चलाई हुई रीतियों पर चलते थे।
وَارْتَكَبَ بَنُو إِسْرَائِيلَ فِي الْخَفَاءِ مَعَاصِيَ فِي حَقِّ الرَّبِّ إِلَهِهِمْ، وَشَيَّدُوا لأَنْفُسِهِمْ مُرْتَفَعَاتٍ فِي جَمِيعِ مُدُنِهِمْ مِنْ بُرْجِ النَّوَاطِيرِ إِلَى الْمَدِينَةِ الْمُحَصَّنَةِ، | ٩ 9 |
९इस्राएलियों ने कपट करके अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध अनुचित काम किए, अर्थात् पहरुओं के गुम्मट से लेकर गढ़वाले नगर तक अपनी सारी बस्तियों में ऊँचे स्थान बना लिए;
وَأَقَامُوا لأَنْفُسِهِمْ أَنْصَاباً وَتَمَاثِيلَ لِعَشْتَارُوثَ عَلَى كُلِّ تَلٍّ مُرْتَفِعٍ، وَتَحْتَ كُلِّ شَجَرَةٍ خَضْرَاءَ، | ١٠ 10 |
१०और सब ऊँची पहाड़ियों पर, और सब हरे वृक्षों के नीचे लाठें और अशेरा खड़े कर लिए।
وَقَرَّبُوا مُحْرَقَاتٍ عَلَى جَمِيعِ الْمُرْتَفَعَاتِ كَسَائِرِ الأُمَمِ الَّذِينَ نَفَاهُمُ الرَّبُّ مِنْ أَمَامِهِمْ، وَاقْتَرَفُوا الْمُوبِقَاتِ لإِغَاظَةِ الرَّبِّ، | ١١ 11 |
११ऐसे ऊँचे स्थानों में उन जातियों के समान जिनको यहोवा ने उनके सामने से निकाल दिया था, धूप जलाया, और यहोवा को क्रोध दिलाने के योग्य बुरे काम किए,
عَابِدِينَ الأَصْنَامَ الَّتِي حَذَّرَهُمْ وَنَهَاهُمُ الرَّبُّ عَنْهَا. | ١٢ 12 |
१२और मूरतों की उपासना की, जिसके विषय यहोवा ने उनसे कहा था, “तुम यह काम न करना।”
وَقَدْ أَنْذَرَ الرَّبُّ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوذَا عَنْ طَرِيقِ أَنْبِيَائِهِ وَرَائِيهِ قَائِلاً: «ارْجِعُوا عَنْ طُرُقِكُمُ الأَثِيمَةِ، وَأَطِيعُوا وَصَايَايَ وَفَرَائِضِي بِمُقْتَضَى كُلِّ الشَّرِيعَةِ الَّتِي أَوْصَيْتُ آبَاءَكُمْ بِتَطْبِيقِهَا، وَالَّتِي أَعْلَنْتُهَا لَكُمْ عَلَى لِسَانِ عَبِيدِي الأَنْبِيَاءِ». | ١٣ 13 |
१३तो भी यहोवा ने सब भविष्यद्वक्ताओं और सब दर्शियों के द्वारा इस्राएल और यहूदा को यह कहकर चिताया था, “अपनी बुरी चाल छोड़कर उस सारी व्यवस्था के अनुसार जो मैंने तुम्हारे पुरखाओं को दी थी, और अपने दास भविष्यद्वक्ताओं के हाथ तुम्हारे पास पहुँचाई है, मेरी आज्ञाओं और विधियों को माना करो।”
لَكِنَّهُمْ أَصَمُّوا أَذَانَهُمْ وَأَغْلَظُوا قُلُوبَهُمْ كَآبَائِهِمِ الَّذِينَ لَمْ يَثِقُوا بِالرَّبِّ إِلَهِهِمْ، | ١٤ 14 |
१४परन्तु उन्होंने न माना, वरन् अपने उन पुरखाओं के समान, जिन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वास न किया था, वे भी हठीले बन गए।
وَتَنَكَّرُوا لِفَرَائِضِهِ وَعَهْدِهِ الَّذِي أَبْرَمَهُ مَعَ آبَائِهِمْ، وَتَجَاهَلُوا تَحْذِيرَاتِهِ وَنَوَاهِيَهُ لَهُمْ، وَضَلُّوا وَرَاءَ أَصْنَامٍ بَاطِلَةٍ، فَأَصْبَحُوا هُمْ أَنْفُسُهُمْ بَاطِلِينَ، وَتَمَثَّلُوا بِالأُمَمِ الَّذِينَ حَوْلَهُمْ، مَعَ أَنَّ الرَّبَّ أَمَرَهُمْ أَلّا يَفْعَلُوا مِثْلَهُمْ، وَارْتَكَبُوا أُمُوراً نَهَاهُمُ الرَّبُّ عَنْهَا، | ١٥ 15 |
१५वे उसकी विधियों और अपने पुरखाओं के साथ उसकी वाचा, और जो चितौनियाँ उसने उन्हें दी थीं, उनको तुच्छ जानकर, निकम्मी बातों के पीछे हो लिए; जिससे वे आप निकम्मे हो गए, और अपने चारों ओर की उन जातियों के पीछे भी हो लिए जिनके विषय यहोवा ने उन्हें आज्ञा दी थी कि उनके से काम न करना।
وَنَبَذُوا جَمِيعَ وَصَايَا الرَّبِّ إِلَهِهِمْ، وَصَنَعُوا لأَنْفُسِهِمْ عِجْلَيْنِ مَسْبُوكَيْنِ، وَأَقَامُوا تَمَاثِيلَ لِعَشْتَارُوثَ وَسَجَدُوا لِجَمِيعِ كَوَاكِبِ السَّمَاءِ وَعَبَدُوا الْبَعْلَ. | ١٦ 16 |
१६वरन् उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाओं को त्याग दिया, और दो बछड़ों की मूरतें ढालकर बनाईं, और अशेरा भी बनाई; और आकाश के सारे गणों को दण्डवत् की, और बाल की उपासना की।
وَأَجَازُوا أَبْنَاءَهُمْ وَبَنَاتِهِمْ فِي النَّارِ، وَتَعَاطَوْا العِرَافَةَ وَالْفَأْلَ وَبَاعُوا أَنْفُسَهُمْ لاِرْتِكَابِ الشَّرِّ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ لإِثَارَةِ غَيْظِهِ. | ١٧ 17 |
१७उन्होंने अपने बेटे-बेटियों को आग में होम करके चढ़ाया; और भावी कहनेवालों से पूछने, और टोना करने लगे; और जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था जिससे वह क्रोधित भी होता है, उसके करने को अपनी इच्छा से बिक गए।
فَاحْتَدَمَ غَضَبُ الرَّبِّ عَلَى إِسْرَائِيلَ، وَطَرَدَهُمْ مِنْ حَضْرَتِهِ، وَلَمْ يُبْقِ سِوَى سِبْطِ يَهُوذَا. | ١٨ 18 |
१८इस कारण यहोवा इस्राएल से अति क्रोधित हुआ, और उन्हें अपने सामने से दूर कर दिया; यहूदा का गोत्र छोड़ और कोई बचा न रहा।
وَلَكِنْ حَتَّى سِبْطُ يَهُوذَا لَمْ يَحْفَظْ وَصَايَا الرَّبِّ إِلَهِهِ بَلْ نَهَجَ فِي طُرُقِ إِسْرَائِيلَ الَّتِي سَلَكَتْهَا. | ١٩ 19 |
१९यहूदा ने भी अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएँ न मानीं, वरन् जो विधियाँ इस्राएल ने चलाई थीं, उन पर चलने लगे।
فَنَبَذَ الرَّبُّ كُلَّ ذُرِّيَّةِ إِسْرَائِيلَ وَأَذَلَّهُمْ وَأَسْلَمَهُمْ لِيَدِ آسِرِيهِمْ، وَطَرَدَهُمْ مِنْ حَضْرَتِهِ. | ٢٠ 20 |
२०तब यहोवा ने इस्राएल की सारी सन्तान को छोड़कर, उनको दुःख दिया, और लूटनेवालों के हाथ कर दिया, और अन्त में उन्हें अपने सामने से निकाल दिया।
لأَنَّهُ شَقَّ إِسْرَائِيلَ عَنْ بَيْتِ دَاوُدَ، فَتَوَّجُوا يَرُبْعَامَ بْنَ نَبَاطَ مَلِكاً عَلَيْهِمْ، فَأَضَلَّ يَرُبْعَامُ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَنْ طَرِيقِ الرَّبِّ وَاسْتَغْوَاهُمْ فَأَخْطَأُوا بِحَقِّ الرَّبِّ خَطِيئَةً عَظِيمَةً. | ٢١ 21 |
२१जब उसने इस्राएल को दाऊद के घराने के हाथ से छीन लिया, तो उन्होंने नबात के पुत्र यारोबाम को अपना राजा बनाया; और यारोबाम ने इस्राएल को यहोवा के पीछे चलने से दूर खींचकर उनसे बड़ा पाप कराया।
وَلَمْ يَعْدِلِ الإِسْرَائِيلِيُّونَ عَنِ ارْتِكَابِ جَمِيعِ خَطَايَا يَرُبْعَامَ بَلْ أَمْعَنُوا فِي اقْتِرَافِهَا | ٢٢ 22 |
२२अतः जैसे पाप यारोबाम ने किए थे, वैसे ही पाप इस्राएली भी करते रहे, और उनसे अलग न हुए।
فَنَفَى الرَّبُّ إِسْرَائِيلَ مِنْ حَضْرَتِهِ كَمَا نَطَقَ عَلَى لِسَانِ جَمِيعِ عَبِيدِهِ الأَنْبِيَاءِ، فَسُبِيَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ مِنْ أَرْضِهِمْ إِلَى أَشُّورَ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ. | ٢٣ 23 |
२३अन्त में यहोवा ने इस्राएल को अपने सामने से दूर कर दिया, जैसे कि उसने अपने सब दास भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा कहा था। इस प्रकार इस्राएल अपने देश से निकालकर अश्शूर को पहुँचाया गया, जहाँ वह आज के दिन तक रहता है।
وَنَقَلَ مَلِكُ أَشُّورَ أَقْوَاماً مِنْ بَابِلَ وَكُوثَ وَعَوَّا وَحَمَاةَ وَسَفَرْوَايِمَ، وَأَسْكَنَهُمْ مُدُنَ السَّامِرَةِ مَحَلَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ، فَاسْتَوْلَوْا عَلَى السَّامِرَةِ وَأَقَامُوا فِي مُدُنِهَا. | ٢٤ 24 |
२४अश्शूर के राजा ने बाबेल, कूता, अव्वा, हमात और सपर्वैम नगरों से लोगों को लाकर, इस्राएलियों के स्थान पर सामरिया के नगरों में बसाया; सो वे सामरिया के अधिकारी होकर उसके नगरों में रहने लगे।
وَإِذْ لَمْ يَعْبُدِ الْمُسْتَوْطِنُونَ الْجُدَدُ الرَّبَّ فِي بَادِئِ الأَمْرِ، فَقَدْ أَطْلَقَ الرَّبُّ عَلَيْهِمِ السِّبَاعَ الْمُتَوَحِّشَةَ فَافْتَرَسَتْ بَعْضَهُمْ. | ٢٥ 25 |
२५जब वे वहाँ पहले-पहले रहने लगे, तब यहोवा का भय न मानते थे, इस कारण यहोवा ने उनके बीच सिंह भेजे, जो उनको मार डालने लगे।
فَبَعَثُوا إِلَى مَلِكِ أَشُّورَ رِسَالَةً قَائِلِينَ: «إِنَّ الأَقْوَامَ الَّذِينَ قُمْتَ بِسَبْيِهِمْ وَإِسْكَانِهِمْ فِي مُدُنِ السَّامِرَةِ يَجْهَلُونَ قَضَاءَ إِلَهِ هَذِهِ الأَرْضِ، فَأَطْلَقَ عَلَيْهِمِ السِّبَاعَ فَافْتَرَسَتْهُمْ، لأَنَّهُمْ يَجْهَلُونَ قَضَاءَهُ». | ٢٦ 26 |
२६इस कारण उन्होंने अश्शूर के राजा के पास कहला भेजा कि जो जातियाँ तूने उनके देशों से निकालकर सामरिया के नगरों में बसा दी हैं, वे उस देश के देवता की रीति नहीं जानतीं, इससे उसने उसके मध्य सिंह भेजे हैं जो उनको इसलिए मार डालते हैं कि वे उस देश के देवता की रीति नहीं जानते।
فَأَمَرَ مَلِكُ أَشُورَ قَائِلاً: «ابْعَثُوا إِلَى هُنَاكَ أَحَدَ الْكَهَنَةِ الْمَسْبِيِّينَ فِي تِلْكَ الْبِلادِ، لِيُقِيمَ بَيْنَهُمْ، وَيُلَقِّنَهُمْ قَضَاءَ إِلَهِ الأَرْضِ». | ٢٧ 27 |
२७तब अश्शूर के राजा ने आज्ञा दी, “जिन याजकों को तुम उस देश से ले आए, उनमें से एक को वहाँ पहुँचा दो; और वह वहाँ जाकर रहे, और वह उनको उस देश के देवता की रीति सिखाए।”
فَجَاءَ وَاحِدٌ مِنَ الْكَهَنَةِ الْمَسْبِيِّينَ مِنَ السَّامِرَةِ وَأَقَامَ فِي بَيْتِ إِيلَ، وَشَرَعَ يُلَقِّنُهُمْ كَيْفَ يَتَّقُونَ الرَّبَّ. | ٢٨ 28 |
२८तब जो याजक सामरिया से निकाले गए थे, उनमें से एक जाकर बेतेल में रहने लगा, और उनको सिखाने लगा कि यहोवा का भय किस रीति से मानना चाहिये।
وَمَعَ ذَلِكَ ظَلَّ كُلُّ قَوْمٍ يَصْنَعُونَ آلِهَتَهُمْ وَيَنْصِبُونَهَا فِي مَعَابِدِ الْمُرْتَفَعَاتِ الَّتِي شَيَّدَهَا السَّامِرِيُّونَ فِي الْمُدُنِ الَّتِي يُقِيمُونَ فِيهَا. | ٢٩ 29 |
२९तो भी एक-एक जाति के लोगों ने अपने-अपने निज देवता बनाकर, अपने-अपने बसाए हुए नगर में उन ऊँचे स्थानों के भवनों में रखा जो सामरिया के वासियों ने बनाए थे।
فَعَبَدَ الْقَادِمُونَ مِنْ بَابِلَ أَصْنَامَ إِلَهِهِمْ سُكُّوثَ بَنُوثَ؛ وَعَبَدَ الْقَادِمُونَ مِنْ كُوثَ أَصْنَامَ إِلَهِهِمْ نَرْجَلَ، وَعَبَدَ الْقَادِمُونَ مِنْ حَمَاةَ أَصْنَامَ إِلَهِهِمْ أشِيمَا، | ٣٠ 30 |
३०बाबेल के मनुष्यों ने सुक्कोतबनोत को, कूत के मनुष्यों ने नेर्गल को, हमात के मनुष्यों ने अशीमा को,
كَمَا عَبَدَ أَهْلُ عَوَّا نِبْحَزَ وَتَرْتَاقَ. أَمَّا أَهْلُ سَفَرْوَايِمَ فَكَانُوا يُحْرِقُونَ أَبْنَاءَهُمْ بِالنَّارِ قَرَابِينَ لأَدْرَمَّلَكَ وَعَنَمَّلَكَ إِلَهَيْ سَفَرْوَايِمَ. | ٣١ 31 |
३१और अव्वियों ने निभज, और तर्त्ताक को स्थापित किया; और सपर्वैमी लोग अपने बेटों को अद्रम्मेलेक और अनम्मेलेक नामक सपर्वैम के देवताओं के लिये होम करके चढ़ाने लगे।
فَكَانُوا يَعْبُدُونَ الرَّبَّ، وَلَكِنَّهُمْ أَيْضاً أَقَامُوا مِنْ بَيْنِهِمْ كَهَنَةً يَخْدُمُونَ فِي مَعَابِدِ الْمُرْتَفَعَاتِ، وَيُقَرِّبُونَ مُحْرَقَاتِهِمْ فِيهَا. | ٣٢ 32 |
३२अतः वे यहोवा का भय मानते तो थे, परन्तु सब प्रकार के लोगों में से ऊँचे स्थानों के याजक भी ठहरा देते थे, जो ऊँचे स्थानों के भवनों में उनके लिये बलि करते थे।
وَهَكَذَا كَانُوا يَتَّقُونَ الرَّبَّ مِنْ نَاحِيَةٍ، وَيَعْبُدُونَ آلِهَتَهُمُ الَّتِي حَمَلُوهَا مَعَهُمْ مِنْ بَيْنِ الأُمَمِ الَّتِي سُبُوا مِنْهَا مِنْ نَاحِيَةٍ أُخْرَى. | ٣٣ 33 |
३३वे यहोवा का भय मानते तो थे, परन्तु उन जातियों की रीति पर, जिनके बीच से वे निकाले गए थे, अपने-अपने देवताओं की भी उपासना करते रहे।
فَهُمْ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ، يُمَارِسُونَ طُقُوسَهُمُ الأُولَى. فَأَصْبَحَتْ عِبَادَتُهُمْ خَلِيطاً مِنْ تَقْوَى الرَّبِّ وَمِنَ الطُّقُوسِ وَالْفَرَائِضِ الْوَثَنِيَّةِ، وَفْقاً لِتَقَالِيدِهِمْ، وَلَيْسَ بِمُقْتَضَى شَرِيعَةِ الرَّبِّ وَالْوَصِيَّةِ الَّتِي أَمَرَ بِها ذُرِّيَّةَ يَعْقُوبَ الَّذِي حَوَّلَ اسْمَهُ إِلَى إِسْرَائِيلَ. | ٣٤ 34 |
३४आज के दिन तक वे अपनी पुरानी रीतियों पर चलते हैं, वे यहोवा का भय नहीं मानते। वे न तो उन विधियों और नियमों पर और न उस व्यवस्था और आज्ञा के अनुसार चलते हैं, जो यहोवा ने याकूब की सन्तान को दी थी, जिसका नाम उसने इस्राएल रखा था।
فَقَدْ قَطَعَ الرَّبُّ مَعَ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَهْداً وَأَمَرَهُمْ أَلّا يَعْبُدُوا آلِهَةً أُخْرَى وَلا يَسْجُدُوا لَهَا وَلا يَتَّقُوهَا وَلا يُقَرِّبُوا لَهَا الذَّبَائِحَ، | ٣٥ 35 |
३५उनसे यहोवा ने वाचा बाँधकर उन्हें यह आज्ञा दी थी, “तुम पराए देवताओं का भय न मानना और न उन्हें दण्डवत् करना और न उनकी उपासना करना और न उनको बलि चढ़ाना।
بَلْ يَتَّقُوا الرَّبَّ الَّذِي أَخْرَجَهُمْ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ بِقُوَّةٍ عَظِيمَةٍ وَذِرَاعٍ مُقْتَدِرَةٍ، وَلَهُ وَحْدَهُ يَسْجُدُونَ وَيُقَرِّبُونَ الْمُحْرَقَاتِ، | ٣٦ 36 |
३६परन्तु यहोवा जो तुम को बड़े बल और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा मिस्र देश से निकाल ले आया, तुम उसी का भय मानना, उसी को दण्डवत् करना और उसी को बलि चढ़ाना।
وَيُطِيعُونَ الْفَرَائِضَ وَالأَحْكَامَ وَالشَّرِيعَةَ وَالْوَصِيَّةَ الَّتِي كَتَبَهَا لَهُمْ لِيُمَارِسُوهَا كُلَّ حَيَاتِهِمْ وَلا يَتَّقُونَ آلِهَةً أُخْرَى. | ٣٧ 37 |
३७और उसने जो-जो विधियाँ और नियम और जो व्यवस्था और आज्ञाएँ तुम्हारे लिये लिखीं, उन्हें तुम सदा चौकसी से मानते रहो; और पराए देवताओं का भय न मानना।
وَلا يَنْقُضُونَ الْعَهْدَ الَّذِي أَبْرَمَهُ مَعَهُمْ وَلا يَتَّقُونَ آلِهَةً أُخْرَى. | ٣٨ 38 |
३८और जो वाचा मैंने तुम्हारे साथ बाँधी है, उसे न भूलना और पराए देवताओं का भय न मानना।
إِنَّمَا يَتَّقُونَ الرَّبَّ إِلَهَهُمْ وَهُوَ يُنَجِّيهِمْ مِنْ جَمِيعِ أَعْدَائِهِمْ. | ٣٩ 39 |
३९केवल अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना, वही तुम को तुम्हारे सब शत्रुओं के हाथ से बचाएगा।”
وَلَكِنَّ هَؤُلاءِ السُّكَّانَ أَصَمُّوا آذَانَهُمْ وَمَارَسُوا طُقُوسَهُمُ الْقَدِيمَةَ، | ٤٠ 40 |
४०तो भी उन्होंने न माना, परन्तु वे अपनी पुरानी रीति के अनुसार करते रहे।
فَكَانُوا يَتَّقُونَ الرَّبَّ مِنْ نَاحِيَةٍ، وَيَعْبُدُونَ أَوْثَانَهُمْ مِنْ نَاحِيَةٍ أُخْرَى. وَاقْتَفَى بَنُوهُمْ خُطَاهُمْ فِي مُمَارَسَاتِهِمْ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ. | ٤١ 41 |
४१अतएव वे जातियाँ यहोवा का भय मानती तो थीं, परन्तु अपनी खुदी हुई मूरतों की उपासना भी करती रहीं, और जैसे वे करते थे वैसे ही उनके बेटे पोते भी आज के दिन तक करते हैं।