< 2 أخبار 34 >
كَانَ يُوشِيَّا فِي الثَّامِنَةِ مِنْ عُمْرِهِ حِينَ مَلَكَ، وَدَامَ حُكْمُهُ إِحْدَى وَثَلاثِينَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ. | ١ 1 |
यूसियाह आठ साल का था, जब वह हुकूमत करने लगा, और उसने इकतीस साल येरूशलेम में हुकूमत की।
وَكَانَ مَلِكاً صَالِحاً سَارَ فِي طَرِيقِ جَدِّهِ دَاوُدَ مِنْ غَيْرِ أَنْ يَحِيدَ عَنْهُ يَمِيناً أَوْ شِمَالاً. | ٢ 2 |
उसने वह काम किया जो ख़ुदावन्द की नज़र में ठीक था, और अपने बाप दाऊद के रास्तों पर चला और दहने या बाएँ हाथ को न मुड़ा।
وَفِي السَّنَةِ الثَّامِنَةِ مِنْ مُلْكِهِ، وَهُوَ بَعْدُ فَتىً، ابْتَدَأَ يَعْبُدُ إِلَهَ جَدِّهِ دَاوُدَ. وَفِي السَّنَةِ الثَّانِيَةِ عَشْرَةَ شَرَعَ يُطَهِّرُ أَرْضَ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ مِنَ الْمُرْتَفَعَاتِ وَتَمَاثِيلِ عَشْتَارُوثَ وَالأَصْنَامِ وَالْمَسْبُوكَاتِ. | ٣ 3 |
क्यूँकि अपनी हुकूमत के आठवें साल जब वह लड़का ही था, वह अपने बाप दाऊद के ख़ुदा का तालिब हुआ, और बारहवें साल में यहूदाह और येरूशलेम को ऊँचे मक़ामों और यसीरतों और तराशे हुए बुतों और ढाली हुई मूरतों से पाक करने लगा।
وَهَدَمَ رِجَالُهُ مَذَابِحَ الْبَعْلِ وَحَطَّمُوا تَمَاثِيلَ عِبَادَةِ الشَّمْسِ الْقَائِمَةَ فَوْقَهَا، وَكَسَّرُوا السَّوَارِيَ وَالتَّمَاثِيلَ وَالْمَسْبُوكَاتِ وَدَقُّوهَا وَذَرَّوْهَا عَلَى قُبُورِ الَّذِينَ قَرَّبُوا لَهَا. | ٤ 4 |
और लोगों ने उसके सामने बा'लीम के मज़बहों को ढा दिया, और सूरज की मूरतों को जो उनके ऊपर ऊँचे पर थीं उसने काट डाला, और यासीरतों और तराशी हुई और ढाली हुई मूरतों को उसने टुकड़े टुकड़े करके उनको धूल बना दिया, और उसको उनकी क़ब्रों पर बिथराया जिन्होंने उनके लिए क़ुर्बानियाँ अदा की थीं।
وَأَحْرَقُوا عِظَامَ كَهَنَةِ الأَوْثَانِ عَلَى مَذَابِحِهِمْ وَطَهَّرُوا أَرْضَ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ. | ٥ 5 |
उसने उन काहिनों की हड्डियाँ उन्हीं के मज़बहों पर जलाई, और यहूदाह और येरूशलेम को पाक किया।
وَكَذَلِكَ فَعَلَ فِي مُدُنِ أَسْبَاطِ مَنَسَّى وَأَفْرَايِمَ وَشِمْعُونَ حَتَّى نَفْتَالِي وَخَرَائِبِهَا الْمُحِيطَةِ بِها، | ٦ 6 |
और मनस्सी और इफ़्राईम और शमौन के शहरों में, बल्कि नफ़्ताली तक उनके आस — पास खण्डरों में उसने ऐसा ही किया,
فَهَدَمَ السَّوَارِيَ وَدَقَّ الأَصْنَامَ نَاعِماً وَحَطَّمَ تَمَاثِيلَ الشَّمْسِ فِي كُلِّ أَرْضِ إِسْرَائِيلَ ثُمَّ رَجَعَ إِلَى أُورُشَلِيمَ. | ٧ 7 |
और मज़बहों को ढा दिया, और यसीरतों और तराशी हुई मूरतों को तोड़ कर धूल कर दिया, और इस्राईल के पूरे मुल्क में सूरज की सब मूरतों को काट डाला, तब येरूशलेम को लोटा।
وَفِي السَّنَةِ الثَّامِنَةِ عَشْرَةَ لِمُلْكِهِ، بَعْدَ أَنْ قَامَ بِتَطْهِيرِ الْبِلادِ وَالْهَيْكَلِ بَعَثَ شَافَانَ بْنَ أَصَلْيَا، وَمَعَسِيَا مُحَافِظَ الْمَدِينَةِ وَيُوآخَ بْنَ يُوأَحَازَ الْمُسَجِّلَ لِيُرَمِّمُوا هَيْكَلَ اللهِ إِلَهِهِ. | ٨ 8 |
अपनी हुकूमत के अठारहवें बरस, जब वह मुल्क और हैकल को पाक कर चुका, तो उसने असलियाह के बेटे साफ़न को और शहर के हाकिम मासियाह और यूआख़ज़ के बेटे यूआख मुवरिंख को भेजा कि ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के घर की मरम्मत करें।
فَجَاءُوا إِلَى حِلْقِيَا رَئِيسِ الْكَهَنَةِ، وَأَعْطَوْهُ الْفِضَّةَ الَّتِي تَمَّ تَقْدِيمُهَا إِلَى هَيْكَلِ اللهِ الَّتِي جَمَعَهَا اللّاوِيُّونَ حُرَّاسُ بَابِ الْهَيْكَلِ مِنْ أَسْبَاطِ مَنَسَّى وَأَفْرَايِمَ وَسَائِرِ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوذَا وَبَنْيَامِينَ وَأَهَالِي أُورُشَلِيمَ، | ٩ 9 |
वह ख़िलक़ियाह सरदार काहिन के पास आए, और वह नक़दी जो ख़ुदा के घर में लाई गई थी जिसे दरबान लावियों ने मनस्सी और इफ़्राईम और इस्राईल के सब बाक़ी लोगों से और पूरे यहूदाह और बिनयमीन और येरूशलेम के बाशिंदों से लेकर जमा' किया था, उसके सुपुर्द की।
ثُمَّ أَوْدَعُوهَا عِنْدَ الْمُوَكَّلِينَ عَلَى الإِشْرَافِ عَلَى الْعَمَلِ فِي هَيْكَلِ الرَّبِّ، الَّذِينَ دَفَعُوهَا بِدَوْرِهِمْ لِلْعَامِلِينَ عَلَى إصْلاحِ الْهَيْكَلِ وَتَرْمِيمِهِ. | ١٠ 10 |
और उन्होंने उसे उन कारिंदों के हाथ में सौंपा जो ख़ुदावन्द के घर की निगरानी करते थे, और उन कारिंदों ने जो ख़ुदावन्द के घर में काम करते थे उसे उस घर की मरम्मत और दुरुस्त करने में लगाया;
وَكَذَلِكَ أَعْطَوْا مِنْهَا لِلنَّجَّارِينَ وَالْبَنَّائِينَ لِيَشْتَرُوا حِجَارَةً مَنْحُوتَةً، وَأَخْشَاباً لِلْوَصْلاتِ، وَعَوَارِضَ لِسُقُوفِ الْبُيُوتِ الَّتِي تَرَكَهَا مُلُوكُ يَهُوذَا تَتَدَاعَى. | ١١ 11 |
या'नी उसे बढ़इयों और राजगीर को दिया की गढ़े हुए पत्थर और जोड़ों के लिए लकड़ी ख़रीदें, और उन घरों के लिए जिनको यहूदाह के बादशाहों ने उजाड़ दिया था शहतीर बनाई।
فَقَامَ الرِّجَالُ بِعَمَلِهِمْ بِكُلِّ أَمَانَةٍ، تَحْتَ إِشْرَافِ يَحَثَ وَعُوبَدْيَا اللّاوِيَّيْنِ مِنْ ذُرِّيَّةِ مَرَارِي، وَزَكَرِيَّا وَمَشُلّامَ مِنْ ذُرِّيَّةِ الْقَهَاتِيِّينَ. كَمَا أَشْرَفَ اللّاوِيُّونَ الْمَاهِرُونَ عَلَى الْعَزْفِ عَلَى الآلاتِ الْمُوسِيقِيَّةِ، | ١٢ 12 |
वह आदमी दियानत से काम करते थे, और यहत और 'अबदियाह लावी जो बनी मिरारी में से थे उनकी निगरानी करते थे, और बनी क़िहात में से ज़करियाह और मुसल्लाम काम कराते थे, और लावियों में से वह लोग थे जो बाजों में माहिर थे।
وَعَلَى أَعْمَالِ الْحَمَّالِينَ، وَعَلَى سَائِرِ الْعُمَّالِ الْقَائِمِينَ بِمُخْتَلَفِ أَنْوَاعِ الْخِدْمَةِ، كَمَا كَانَ بَعْضُ اللّاوِيِّينَ كُتَّاباً، وَعُرَفَاءَ وَحُرَّاساً عَلَى الأَبْوَابِ. | ١٣ 13 |
और वह बारबरदारों के भी दारोग़ा थे और सब क़िस्म क़िस्म के काम करने वालों से काम कराते थे, और मुन्शी और मुहतमिम और दरबान लावियों में से थे।
وَفِيمَا كَانُوا يُخْرِجُونَ الْفِضَّةَ الَّتِي تَمَّ إِدْخَالُهَا فِي مَخَازِنِ هَيْكَلِ الرَّبِّ، عَثَرَ حِلْقِيَا الْكَاهِنُ عَلَى سِفْرِ شَرِيعَةِ الرَّبِّ الَّذِي أَوْصَى بِهِ عَلَى لِسَانِ مُوسَى. | ١٤ 14 |
जब वह उस नक़दी को जो ख़ुदावन्द के घर में लाई गई थी निकाल रहे थे, तो ख़िलक़ियाह काहिन को ख़ुदावन्द की तौरेत की किताब, जो मूसा की ज़रिए' दी गई थी मिली।
فَقَالَ حِلْقِيَا لِشَافَانَ الْكَاتِبِ: «قَدْ عَثَرْتُ عَلَى سِفْرِ الشَّرِيعَةِ فِي هَيْكَلِ الرَّبِّ». وَسَلَّمَ حِلْقِيَا السِّفْرَ إِلَى شَافَانَ. | ١٥ 15 |
तब ख़िलक़ियाह ने साफ़न मुन्शी से कहा, “मैंने ख़ुदा वन्द के घर में तौरेत की किताब पाई है।” और ख़िलक़ियाह ने वह किताब साफ़न को दी।
فَحَمَلَهُ شَافَانُ إِلَى الْمَلِكِ. وَقَدَّمَ لَهُ تَقْرِيراً قَائِلاً: «إِنَّ عَبِيدَكَ يُنَفِّذُونَ كُلَّ شَيْءٍ عَهِدْتَ بِهِ إِلَيْهِمْ، | ١٦ 16 |
और साफ़न वह किताब बादशाह के पास ले गया; फिर उसने बादशाह को यह बताया कि सब कुछ जो तू ने अपने नौकरों के सुपुर्द किया था, उसे वह कर रहे हैं।
وَقَدْ أَفْرَغُوا الْفِضَّةَ الْمَوْجُودَةَ فِي الْهَيْكَلِ وَأَوْدَعُوهَا عِنْدَ الْمُوَكَّلِينَ بِالإِشْرَافِ عَلَى الْعَمَلِ، وَعِنْدَ الْعُمَّالِ». | ١٧ 17 |
और वह नक़दी जो ख़ुदावन्द के घर में मौजूद थी, उन्होंने लेकर नाज़िरों और कारिंदों के हाथ में सौंपी है।
ثُمَّ أَطْلَعَ شَافَانُ الْكَاتِبُ الْمَلِكَ عَلَى السِّفْرِ قَائِلاً: «قَدْ أَعْطَانِي حِلْقِيَا الْكَاهِنُ سِفْراً». وَقَرَأَهُ شَافَانُ أَمَامَ الْمَلِكِ. | ١٨ 18 |
फिर साफ़न मुन्शी ने बादशाह से कहा कि ख़िलक़िययाह काहिन ने मुझे यह किताब दी है। और साफ़न ने उसमें से बादशाह के सामने पढ़ा।
فَلَمَّا سَمِعَ الْمَلِكُ نَصَّ الشَّرِيعَةِ مَزَّقَ ثِيَابَهُ، | ١٩ 19 |
और ऐसा हुआ कि जब बादशाह ने तौरेत की बातें सुनीं तो अपने कपड़े फाड़े।
وَأَمَرَ حِلْقِيَا وَأَخِيقَامَ بْنَ شَافَانَ وَعَبْدُونَ بْنَ مِيخَا وَشَافَانَ الْكَاتِبَ وَعَسَايَا خَادِمَ الْمَلِكِ: | ٢٠ 20 |
फिर बादशाह ने ख़िलक़ियाह और अख़ीक़ाम बिन साफ़न और अबदून बिन मीकाह और साफ़न मुन्शी और बादशाह के नौकर असायाह को यह हुक्म दिया,
«اذْهَبُوا وَاسْأَلُوا الرَّبَّ عَمَّا يَكُونُ مَصِيرِي وَمَصِيرُ مَنْ بَقِيَ مِنْ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوذَا، بِنَاءً عَلَى مَا وَرَدَ فِي نَصِّ هَذَا السِّفْرِ الَّذِي تَمَّ الْعُثُورُ عَلَيْهِ، إِذْ إِنَّ غَضَبَ الرَّبِّ الْمُنْسَكِبَ عَلَيْنَا عَظِيمٌ، لأَنَّ آبَاءَنَا لَمْ يُطِيعُوا كَلامَ هَذَا السِّفْرِ وَلَمْ يُمَارِسُوا كُلَّ مَا وَرَدَ فِيهِ». | ٢١ 21 |
कि जाओ, और मेरी तरफ़ से और उन लोगों की तरफ़ से जो इस्राईल और यहूदाह में बाक़ी रह गए हैं, इस किताब की बातों के हक़ में जो मिली है ख़ुदावन्द से पूछो; क्यूँकि ख़ुदावन्द का क़हर जो हम पर नाज़िल हुआ है बड़ा है, इसलिए कि हमारे बाप — दादा ने ख़ुदावन्द के कलाम को नहीं माना है कि सब कुछ जो इस किताब में लिखा है उसके मुताबिक़ करते।
فَانْطَلَقَ حِلْقِيَا وَمَنْ أَرْسَلَهُمْ مَعَهُ الْمَلِكُ، إِلَى خَلْدَةَ النَّبِيَّةِ، زَوْجَةِ شَلُّومَ بْنِ تُوقَهَةَ بْنِ حَسْرَةَ، حَارِسِ الثِّيَابِ الْمَلَكِيَّةِ، الْمُقِيمَةِ فِي الْمِنْطَقَةِ الثَّانِيَةِ مِنْ أُورُشَلِيمَ، وَخَاطَبُوهَا (بِمَا أَوْصَاهُمْ بِهِ الْمَلِكُ). | ٢٢ 22 |
तब ख़िलक़ियाह और वह जिनकी बादशाह ने हुक्म किया था, खुल्दा नबिया के पास जो तोशाख़ाने के दारोग़ा सलूम बिन तोकहत बिन ख़सरा की बीवी थी गए। वह येरूशलेम में मिशना नामी महल्ले में रहती थी, इसलिए उन्होंने उससे वह बातें कहीं।
فَقَالَتْ: «هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: قُولُوا لِلرَّجُلِ الَّذِي أَرْسَلَكُمْ إِلَيَّ: | ٢٣ 23 |
उसने उनसे कहा, ख़ुदा वन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि तुम उस शख़्स से जिसने तुम को मेरे पास भेजा है कहो कि;
هَكَذَا يَقُولُ الرَّبُّ: هَا أَنَا جَالِبٌ عَلَى هَذَا الْمَوْضِعِ وَعَلَى أَهْلِهِ كُلَّ اللَّعَنَاتِ الْوَارِدَةِ فِي السِّفْرِ الَّذِي قُرِئَ أَمَامَ مَلِكِ يَهُوذَا، | ٢٤ 24 |
'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है देख, मैं इस जगह पर और इसके बाशिंदों पर आफ़त लाऊँगा, या'नी सब ला'नतें जो इस किताब में लिखी हैं जो उन्होंने शाह — ए — यहूदाह के आगे पढ़ी है।
لأَنَّهُمْ نَبَذُونِي وَأَوْقَدُوا لآلِهَةٍ أُخْرَى، لِيُثِيرُوا سَخَطِي بِمَا تَجْنِيهِ أَيْدِيهِمْ مِنْ آثَامٍ، فَيَنْسَكِبُ غَضَبِي الَّذِي لَا يَنْطَفِئُ عَلَى هَذَا الْمَوْضِعِ. | ٢٥ 25 |
क्यूँकि उन्होंने मुझे छोड़ दिया और ग़ैर — मा'बूदों के आगे ख़ुशबू जलाई और अपने हाथों के सब कामों से मुझे ग़ुस्सा दिलाया, तब मेरा क़हर इस मक़ाम पर नाज़िल हुआ है और धीमा न होगा।
أَمَّا مَلِكُ يَهُوذَا الَّذِي أَرْسَلَكُمْ لِتَسْتَشِيرُوا الرَّبَّ، فَهَذَا مَا تَقُولُونَ لَهُ: إِلَيْكَ مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: بِشَأْنِ مَا سَمِعْتَ مِنْ كَلامٍ: | ٢٦ 26 |
रहा शाह — ए — यहूदाह जिसने तुम को ख़ुदावन्द से दरियाफ़्त करने को भेजा है, तब तुम उससे ऐसा कहना कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा ऐसा फ़रमाता है कि उन बातों के बारे में जो तूने सुनी हैं,
مِنْ حَيْثُ أَنَّ قَلْبَكَ قَدْ رَقَّ، وَتَذَلَّلْتَ أَمَامَ اللهِ لَدَى سَمَاعِكَ مَا قَضَتْ بِهِ الشَّرِيعَةُ عَلَى هَذَا الْمَوْضِعِ وَعَلَى أَهْلِهِ، وَتَوَاضَعْتَ أَمَامِي وَمَزَّقْتَ ثِيَابَكَ وَبَكَيْتَ فِي حَضْرَتِي، فَإِنَّنِي قَدِ اسْتَجَبْتُ لَكَ أَنَا أَيْضاً، يَقُولُ الرَّبُّ. | ٢٧ 27 |
“चूँकि तेरा दिल मोम हो गया, और तू ने ख़ुदा के सामने आजिज़ी की जब तू ने उसकी वह बातें सुनीं जो उसने इस मक़ाम और इसके बाशिंदों के ख़िलाफ़ कही हैं, और अपने को मेरे सामने ख़ाकसार बनाया और अपने कपड़े फाड़ कर मेरे आगे रोया, इसलिए मैंने भी तेरी सुन ली है। ख़ुदावन्द फ़रमाता है,
لِذَلِكَ هَا أَنَا أَتَوَفَّاكَ فَتُدْفَنُ فِي قَبْرِكَ بِسَلامٍ، وَلا تَشْهَدُ عَيْنَاكَ مَا سَأُنْزِلُ بِهَذَا الْمَوْضِعِ وَأَهْلِهِ مِنْ شَرٍّ». فَحَمَلَ الرِّجَالُ رَدَّهَا إِلَى الْمَلِكِ. | ٢٨ 28 |
देख, मैं तुझे तेरे बाप — दादा के साथ मिलाऊँगा और तू अपनी क़ब्र में सलामती से पहुँचाया जाएगा, और सारी आफ़त को जो मैं इस मक़ाम और इसके बाशिंदों पर लाऊँगा तेरी आँखें नहीं देखेंगी।” इसलिए उन्होंने यह जवाब बादशाह को पहुँचा दिया।
عِنْدَئِذٍ اسْتَدْعَى الْمَلِكُ إِلَيْهِ كُلَّ شُيُوخِ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ، | ٢٩ 29 |
तब बादशाह ने यहूदाह और येरूशलेम के सब बुज़ुर्गों को बुलवा कर इकट्ठा किया।
وَتَوَجَّهَ إِلَى هَيْكَلِ الرَّبِّ، يُرَافِقُهُ كُلُّ رِجَالِ يَهُوذَا وَسُكَّانِ أُورُشَلِيمَ، وَالْكَهَنَةُ وَاللّاوِيُّونَ وَسَائِرُ الشَّعْبِ مِنْ صِغَارٍ وَكِبَارٍ، وَقَرَأَ فِي مَسَامِعِهِمْ كُلَّ كَلامِ سِفْرِ الشَّرِيعَةِ الَّذِي تَمَّ الْعُثُورُ عَلَيْهِ فِي بَيْتِ الرَّبِّ. | ٣٠ 30 |
और बादशाह और सब अहल — ए — यहूदाह और येरूशलेम के बाशिंदे, काहिन और लावी और सब लोग क्या छोटे क्या बड़े, ख़ुदावन्द के घर को गए, और उसने जो 'अहद की किताब ख़ुदावन्द के घर में मिली थी, उसकी सब बातें उनको पढ़ सुनाई।
وَوَقَفَ الْمَلِكُ عَلَى مِنْبَرِهِ وَقَطَعَ عَهْداً أَمَامَ الرَّبِّ أَنْ يَتْبَعَ الرَّبَّ وَيَحْفَظَ وَصَايَاهُ وَشَهَادَاتِهِ وَفَرَائِضَهُ مِنْ كُلِّ الْقَلْبِ وَالنَّفْسِ، وَيُطَبِّقَ كَلامَ هَذَا الْعَهْدِ الْمُدَوَّنِ فِي هَذَا السِّفْرِ. | ٣١ 31 |
और बादशाह अपनी जगह खड़ा हुआ, और ख़ुदावन्द के आगे 'अहद किया के वह ख़ुदावन्द की पैरवी करेगा और उसके हुक्मों और उसकी शहादतों और क़ानून को अपने सारे दिल और सारी जान से मानेगा, ताकि उस 'अहद की उन बातों को जो उस किताब में लिखी थीं पूरा करे।
ثُمَّ أَخَذَ الْمَلِكُ عَهْداً عَلَى كُلِّ الْمَوْجُودِينَ مِنْ أَهْلِ أُورُشَلِيمَ وَمِنْ رِجَالِ بِنْيَامِينَ أَنْ يَسْلُكُوا حَسَبَ عَهْدِ اللهِ إِلَهِ آبَائِهِمْ. | ٣٢ 32 |
और उसने उन सबको जो येरूशलेम और बिनयमीन में मौजूद थे, उस 'अहद में शरीक किया; और येरूशलेम के बाशिंदों ने ख़ुदा अपने बाप — दादा के ख़ुदा के 'अहद के मुताबिक़ 'अमल किया।
وَأَزَالَ يُوشِيَّا جَمِيعَ الرَّجَاسَاتِ مِنْ كُلِّ أَرَاضِي بَنِي إِسْرَائِيلَ، وَطَالَبَ جَمِيعَ الْمَوْجُودِينَ فِي أُورُشَلِيمَ أَنْ يَعْبُدُوا الرَّبَّ إِلَهَهُمْ، فَلَمْ يَزُغِ الشَّعْبُ عَنْ عِبَادَةِ الرَّبِّ طَوَالَ أَيَّامِ حَيَاتِهِ. | ٣٣ 33 |
और यूसियाह ने बनी — इस्राईल के सब 'इलाक़ों में से सब मकरूहात को दफ़ा' किया और जितने इस्राईल में मिले उन सभों से 'इबादत, या'नी ख़ुदा वन्द उनके ख़ुदा की 'इबादत, कराई और वह उसके जीते जी ख़ुदावन्द अपने बाप — दादा के ख़ुदा की पैरवी से न हटे।