< 1 صَمُوئيل 27 >

وَحَدَّثَ دَاوُدُ نَفْسَهُ: «إِنْ بَقِيتُ فِي أَرْضِ إِسْرَائِيلَ فَإِنَّ شَاوُلَ لابُدَّ أَنْ يَقْتُلَنِي فِي يَوْمٍ مَا. فَلأَلْجَأَنَّ إِلَى أَرْضِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ فَيَيْأَسَ شَاوُلُ مِنِّي وَيَكُفَّ عَنِ الْبَحْثِ عَنِّي فِي تُخُومِ إِسْرَائِيلَ فَأَنْجُوَ مِنْ يَدِهِ». ١ 1
इस समय दावीद के मन में एक ही विचार बार-बार उठ रहा था, “एक न एक दिन शाऊल के हाथों से मेरी हत्या तय है, तब इससे उत्तम विकल्प और क्या हो सकता है कि फिलिस्तिया देश को भाग जाऊं. परिणाम यह होगा कि शाऊल निराश हो इस्राएल राष्ट्र के किसी भी भाग में मेरी खोज करना छोड़ देंगे, और में उनसे सुरक्षित रह सकूंगा.”
فَارْتَحَلَ دَاوُدُ والسِّتُّ مِئَةِ رَجُلٍ الَّذِينَ مَعَهُ إِلَى أَخِيشَ بْنِ مَعُوكَ مَلِكِ جَتَّ. ٢ 2
तब दावीद ने सीमा पार की और गाथ देश के राजा माओख के पुत्र आकीश के आश्रय में पहुंच गए. उनके साथ उनके छः सौ साथी भी थे.
وَاسْتَقَرَّ بِهِمِ الْمَقَامُ هُنَاكَ، كُلُّ رَجُلٍ مَعَ أَهْلِ بَيْتِهِ، وَكَذَلِكَ رَافَقَتْ دَاوُدَ زَوْجَتَاهُ أَخِينُوعَمُ الْيَزْرَعِيلِيَّةُ وَأَبِيجَايِلُ امْرَأَةُ نَابَالَ الْكَرْمَلِيَّةُ. ٣ 3
इस प्रकार दावीद आकीश के राज्य में अपने छः सौ साथियों के साथ रहने लगे. हर एक व्यक्ति के साथ उसका अपना परिवार भी था, तथा दावीद के साथ उनकी दोनों पत्नियां थी: येज़्रील से आई अहीनोअम तथा कर्मेल के नाबाल की विधवा अबीगइल.
وَلَمَّا بَلَغَ شَاوُلَ أَنَّ دَاوُدَ هَرَبَ إِلَى جَتَّ، كَفَّ عَنِ الْبَحْثِ عَنْهُ. ٤ 4
जब शाऊल को यह समाचार प्राप्‍त हुआ कि दावीद गाथ देश को भाग चुके हैं, उन्होंने उनकी खोज करके उनका पीछा करना छोड़ दिया.
وَقَالَ دَاوُدُ لأَخِيشَ مَلِكِ جَتَّ: «إِنْ كُنْتُ قَدْ حَظِيتُ بِرِضَاكَ فَلْيَتِمَّ تَحْدِيدُ قَرْيَةٍ لِي فِي الرِّيفِ أُقِيمُ فِيهَا. لِمَاذَا يُقِيمُ عَبْدُكَ فِي عَاصِمَةِ الْمُلْكِ مَعَكَ؟» ٥ 5
दावीद ने जाकर राजा आकीश से निवेदन किया, “यदि मैं आपकी दृष्टि में विश्वास्य हूं, तो कृपा कर अपने किसी दूर छोटे नगर में मुझे बसने की अनुमति दे दीजिए; क्या आवश्यकता है आपके सेवक की यहां राजधानी में बसने की?”
فَوَهَبَهُ أَخِيشُ صِقْلَغَ. لِذَلِكَ صَارَتْ صِقْلَغُ مِلْكاً لِمُلُوكِ يَهُوذَا مُنْذُ ذَلِكَ الْحِينِ. ٦ 6
तब राजा आकीश ने उसी समय दावीद को ज़िकलाग में बसने की आज्ञा दे दी. यही कारण है कि आज तक ज़िकलाग यहूदिया के शासकों के अधीनस्थ है.
وَأَقَامَ دَاوُدُ فِي بِلادِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ سَنَةً وَأَرْبَعَةَ أَشْهُرٍ. ٧ 7
दावीद के फिलिस्तीनियों के देश में रहने की कुल अवधि एक साल चार महीने हुई.
وَانْطَلَقَ دَاوُدُ وَرِجَالُهُ يَشُنُّونَ الْغَارَاتِ عَلَى الْجَشُورِيِّينَ وَالْجَرِزِّيِّينَ وَالْعَمَالِقَةِ الَّذِينَ اسْتَوْطَنُوا مِنْ قَدِيمٍ الأَرْضَ الْمُمْتَدَّةَ مِنْ حُدُودِ شُورٍ إِلَى تُخُومِ مِصْرَ. ٨ 8
दावीद और उनके साथी गेशूरियों, गीर्ज़ियों तथा अमालेकियों के क्षेत्रों में जाकर छापा मारा करते थे. (ये वे स्थान थे, जहां ये लोग दीर्घ काल से निवास कर रहे थे. इस क्षेत्र शूर से लेकर मिस्र देश तक विस्तृत था.)
وَهَاجَمَ دَاوُدُ سُكَّانَ الأَرْضِ، فَلَمْ يَسْتَبْقِ نَفْساً وَاحِدَةً. وَاسْتَوْلَى عَلَى الْغَنَمِ وَالْبَقَرِ وَالْحَمِيرِ وَالْجِمَالِ وَالثِّيَابِ، ثُمَّ رَجَعَ إِلَى أَخِيشَ. ٩ 9
दावीद किसी भी क्षेत्र पर हमला करते थे तो किसी व्यक्ति को जीवित न छोड़ते थे: न स्त्री, न पुरुष; वह भेड़ें, पशु, गधे, ऊंट तथा वस्त्र लूटकर राजा आकीश को दे दिया करते थे.
وَعِنْدَمَا كَانَ أَخِيشُ يَسْأَلُ دَاوُدَ: «أَيْنَ أَغَرْتَ هَذِهِ الْمَرَّةَ؟» كَانَ يُجِيبُ: «عَلَى جَنُوبِيِّ يَهُوذَا وَعَلَى جَنُوبِيِّ أَرْضِ الْيَرْحَمْئِيلِيِّينَ وَجَنُوبِيِّ الْقَيْنِيِّينَ». ١٠ 10
जब आकीश उनसे पूछते थे, “आज कहां छापा मारा था तुमने?” दावीद कह दिया करते थे, “यहूदिया के नेगेव में,” या “येराहमील के नेगेव में,” या “केनियों के क्षेत्र में.”
وَلَمْ يَكُنْ دَاوُدُ يَسْتَبْقِي رَجُلاً أَوِ امْرَأَةً عَلَى قَيْدِ الْحَيَاةِ لِئَلّا يَأْتِيَ إِلَى جَتَّ مَنْ يُبَلِّغُ أَخِيشَ عَمّا فَعَلَهُ دَاوُدُ. هَكَذَا كَانَ دَاوُدُ يَفْعَلُ طَوَالَ مُدَّةِ إِقَامَتِهِ فِي بِلادِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ. ١١ 11
दावीद इन क्षेत्रों में किसी को भी जीवित नहीं छोड़ते थे, ताकि कोई जाकर राजा आकीश को सत्य की सूचना दे सके. दावीद का विचार यह था, “ऐसा करने पर वे हमारे विरुद्ध यह न कह सकेंगे, ‘दावीद ने किया है यह सब.’” दावीद जितने समय फिलिस्तीनियों के क्षेत्र में निवास करते रहे, उनकी यही रीति रही.
فَصَدَّقَ أَخِيشُ أَخْبَارَ دَاوُدَ قَائِلاً فِي نَفْسِهِ: «لَقَدْ أَصْبَحَ دَاوُدُ مَكْرُوهاً لَدَى قَوْمِهِ إِسْرَائِيلَ، لِذَلِكَ سَيَظَلُّ مَاكِثاً عِنْدِي خَادِماً لِي إِلَى الأَبَدِ». ١٢ 12
राजा आकीश ने दावीद पर भरोसा किया और खुद से कहा, “वह अपने ही लोगों के लिए इतना अप्रिय हो गया है कि वह जीवन भर मेरा दास रहेगा.”

< 1 صَمُوئيل 27 >