< 1 صَمُوئيل 25 >
وَمَاتَ صَمُوئِيلُ، فَاجْتَمَعَ جَمِيعُ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَنَاحُوا عَلَيْهِ وَدَفَنُوهُ فِي بَيْتِهِ فِي الرَّامَةِ. فَانْتَقَلَ دَاوُدُ إِلَى صَحْرَاءِ فَارَانَ. | ١ 1 |
और समुएल मर गया और सब इस्राईली जमा' हुए और उन्होंने उस पर नौहा किया और उसे रामा में उसी के घर में दफ़न किया और दाऊद उठ कर फ़ारान के जंगल को चला गया।
وَكَانَ هُنَاكَ رَجُلٌ ثَرِيٌّ مُقِيمٌ فِي مَدِينَةِ مَعُونَ ذُو أَمْلاكٍ فِي الْكَرْمَلِ حَيْثُ كَانَ يَجُزُّ غَنَمَهُ، وَكَانَتْ ثَرْوَتُهُ طَائِلَةً جِدّاً، إِذْ كَانَ يَمْتَلِكُ ثَلاثَةَ آلافِ رَأْسٍ مِنَ الْغَنَمِ وَأَلْفاً مِنَ الْمَعْزِ. | ٢ 2 |
और म'ऊन में एक शख़्स रहता था जिसकी जायदाद करमिल में थी यह शख़्स बहुत बड़ा था और उस के पास तीन हज़ार भेड़ें और एक हज़ार बकरियाँ थीं और यह कर्मिल में अपनी भेड़ों के बाल कतर रहा था।
وَكَانَ اسْمُ الرَّجُلِ نَابَالَ، وَاسْمُ امْرَأَتِهِ أَبِيجَايِلَ. وَكَانَتِ الْمَرْأَةُ فَاتِنَةَ الْجَمَالِ رَاجِحَةَ الْعَقْلِ، أَمَّا الرَّجُلُ فَكَانَ قَاسِياً سَيِّئَ الأَعْمَالِ، وَهُوَ يَنْتَمِي إِلَى عَشِيرَةِ كَالَبَ. | ٣ 3 |
इस शख़्स का नाम नाबाल और उसकी बीवी का नाम अबीजेल था, यह 'औरत बड़ी समझदार और ख़ूबसूरत थी लेकिन वह आदमी बड़ा बे अदब और बदकार था और वह कालिब के ख़ानदान से था।
فَبَلَغَ دَاوُدَ، وَهُوَ لَا يَزَالُ فِي الصَّحْرَاءِ، أَنَّ نَابَالَ يَجُزُّ غَنَمَهُ. | ٤ 4 |
और दाऊद ने वीराने में सुना कि नाबाल अपनी भेड़ों के बाल कतर रहा, है।
فَبَعَثَ دَاوُدُ بِعَشَرَةِ غِلْمَانٍ أَوْصَاهُمْ أَنْ يَنْطَلِقُوا إِلَى الْكَرْمَلِ وَيَدْخُلُوا بَيْتَ نَابَالَ وَيُبْلِغُوهُ تَمَنِّيَاتِ دَاوُدَ، وَيَقُولُوا لَهُ: | ٥ 5 |
इसलिए दाऊद ने दस जवान रवाना किए और उसने उन जवानों से कहा, “कि तुम कर्मिल पर चढ़कर नाबाल के पास जाओ, और मेरा नाम लेकर उसे सलाम कहो।
«أَطَالَ اللهُ بَقَاءَكَ، وَجَعَلَكَ أَنْتَ وَبَيْتَكَ وَكُلَّ مَالَكَ سَالِماً. | ٦ 6 |
और उस ख़ुश हाल आदमी से यूँ कहो कि तेरी और तेरे घर कि और तेरे माल असबाब की सलामती हो।
لَقَدْ سَمِعْتُ أَنَّ عِنْدَكَ جَزَّازِينَ. حِينَ كَانَ رُعَاتُكَ بَيْنَنَا لَمْ نُؤْذِهِمْ وَلَمْ يُفْقَدْ لَهُمْ شَيْءٌ طَوَالَ الأَيَّامِ الَّتِي كَانُوا فِيهَا فِي الْكَرْمَلِ. | ٧ 7 |
मैंने अब सुना है कि तेरे यहाँ बाल कतरने वाले हैं और तेरे चरवाहे हमारे साथ रहे और हमने उनको नुक़्सान नहीं पहूँचाया और जब तक वह कर्मिल में हमारे साथ रहे उनकी कोई चीज़ खोई न गई।
تَحَرَّ الأَمْرَ مِنْ غِلْمَانِكَ فَيُخْبِرُوكَ. لِذَلِكَ لِيَحْظَ غِلْمَانِي بِرِضَاكَ، فَقَدْ جِئْنَا إِلَيْكَ فِي يَوْمِ عِيدٍ، فَهَبْ عَبِيدَكَ وَابْنَكَ دَاوُدَ مَا تَجُودُ بِهِ نَفْسُكَ». | ٨ 8 |
तू अपने जवानों से पूछ और वह तुझे बताएँगे, तब इन जवानों पर तेरे करम की नज़र हो इसलिए कि हम अच्छे दिन आए हैं, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि जो कुछ तेरे क़ब्ज़े में आए अपने ख़ादिमों को और अपने बेटे दाऊद को 'अता कर।”
فَقَدِمَ الْغِلْمَانُ إِلَى نَابَالَ وَأَبْلَغُوهُ هَذَا الْكَلامَ بِاسْمِ دَاوُدَ وَصَمَتُوا. | ٩ 9 |
इसलिए दाऊद के जवानों ने जाकर नाबाल से दाऊद का नाम लेकर यह बातें कहीं और चुप हो रहे।
فَأَجَابَهُمْ نَابَالُ: «مَنْ هُوَ دَاوُدُ؟ وَمَنْ هُوَ ابْنُ يَسَّى؟ قَدْ كَثُرَ الْيَوْمَ الْعَبِيدُ الْهَارِبُونَ مِنْ أَسْيَادِهِمْ. | ١٠ 10 |
नाबाल ने दाऊद के ख़ादिमों को जवाब दिया “कि दाऊद कौन है? और यस्सी का बेटा कौन है? इन दिनों बहुत से नौकर ऐसे हैं जो अपने आक़ा के पास से भाग जातें हैं।
هَلْ آخُذُ خُبْزِي وَمَائِي وَذَبِيحَتِي الَّتِي جَهَّزْتُهَا لِجَازِّيَّ وَأُعْطِيهَا لِقَوْمٍ لَا أَعْلَمُ مِنْ أَيْنَ هُمْ؟» | ١١ 11 |
क्या मैं अपनी रोटी और पानी और ज़बीहे जो मैंनें अपने कतरने वालों के लिए ज़बह किए हैं, लेकर उन लोगों को दूँ जिनको मैं नहीं जानता कि वह कहाँ के हैं?”
فَانْصَرَفَ غِلْمَانُ دَاوُدَ وَرَجَعُوا إِلَى دَاوُدَ فَأَخْبَرُوهُ بِكَلامِ نَابَالَ. | ١٢ 12 |
इसलिए दाऊद के जवान उलटे पाँव फिरे और लौट गए और आकर यह सब बातें उसे बताईं।
فَقَالَ دَاوُدُ لِرِجَالِهِ: «لِيَتَقَلَّدْ كُلٌّ مِنْكُمْ سَيْفَهُ». فَتَقَلَّدُوا سُيُوفَهُمْ، وَكَذَلِكَ فَعَلَ دَاوُدُ، وَسَارَ عَلَى رَأْسِ أَرْبَعِ مِئَةِ رَجُلٍ بَعْدَ أَنْ مَكَثَ مِئَتَانِ لِحِرَاسَةِ الأَمْتِعَةِ. | ١٣ 13 |
तब दाऊद ने अपने लोगों से कहा, अपनी अपनी तलवार बाँध लो, इसलिए हर एक ने अपनी तलवार बाँधी और दाऊद ने भी अपनी तलवार लटकाई, तब क़रीबन चार सौ जवान दाऊद के पीछे चले और दो सौ सामान के पास रहे।
فَقَالَ أَحَدُ الْغِلْمَانِ لأَبِيجَايِلَ امْرَأَةِ نَابَالَ: «بَعَثَ دَاوُدُ مِنَ الصَّحْرَاءِ رُسُلاً بِتَحِيَّاتٍ إِلَى سَيِّدِنَا فَأَهَانَهُمْ، | ١٤ 14 |
और जवानों में से एक ने नाबाल की बीवी अबीजेल से कहा, “कि देख, दाऊद ने वीराने से हमारे आक़ा को मुबारकबाद देने को क़ासिद भेजे लेकिन वह उन पर झुंझलाया।
مَعَ أَنَّ الرِّجَالَ أَحْسَنُوا إِلَيْنَا جِدّاً فَلَمْ نُصَبْ بِأَذىً أَوْ يُفْقَدْ لَنَا شَيْءٌ طَوَالَ الْمُدَّةِ الَّتِي تَجَاوَرْنَا فِيهَا مَعَهُمْ وَنَحْنُ فِي الْمَرْعَى. | ١٥ 15 |
लेकिन इन लोगों ने हम से बड़ी नेकी की और हमारा नुक़्सान नहीं हुआ, और मैदानों में जब तक हम उनके साथ रहे हमारी कोई चीज़ गुम न हुई।
كَانُوا سِيَاجَ أَمَانٍ لَنَا نَهَاراً وَلَيْلاً فِي كُلِّ الأَيَّامِ الَّتِي كُنَّا نَرْعَى فِيهَا الْغَنَمَ فِي جِوَارِهِمْ. | ١٦ 16 |
बल्कि जब तक हम उनके साथ भेड़ बकरी चराते रहे वह रात दिन हमारे लिए गोया दीवार थे।
فَفَكِّرِي بِالأَمْرِ وَانْظُرِي مَاذَا يُمْكِنُ أَنْ تَصْنَعِي، لأَنَّ كَارِثَةً سَتَحُلُّ عَلَى سَيِّدِنَا وَعَلَى بَيْتِهِ، فَهُوَ رَجُلٌ شِرِّيرٌ لَا يُمْكِنُ التَّفَاهُمُ مَعَهُ». | ١٧ 17 |
इसलिए अब सोच समझ ले कि तू क्या करेगी क्यूँकि हमारे आक़ा और उसके सब घराने के ख़िलाफ़ बदी का मंसूबा बाँधा गया है, क्यूँकि यह ऐसा ख़बीस आदमी है कि कोई इस से बात नहीं कर सकता।”
فَأَسْرَعَتْ أَبِيجَايِلُ وَأَخَذَتْ مِئَتَيْ رَغِيفِ خُبْزٍ وَزِقَّيْ خَمْرٍ وَخَمْسَةَ خِرْفَانٍ مُجَهَّزَةٍ مُطَيَّبَةٍ وَخَمْسَ كَيْلاتٍ مِنَ الْفَرِيكِ وَمِئَتَيْ عُنْقُودِ زَبِيبٍ وَمِئَتَيْ قُرْصِ تِينٍ، وَحَمَّلَتْهَا عَلَى الْحَمِيرِ. | ١٨ 18 |
तब अबीजेल ने जल्दी की और दो सौ रोटियाँ और मय के दो मश्कीज़े और पाँच पकी पकाई भेंडें और भुने हुए अनाज के पाँच पैमाने और किशमिश के एक सौ ख़ोशे और इन्जीर की दो सौ टिकियाँ साथ लीं और उनको गधों पर लाद लिया।
وَقَالَتْ لِخُدَّامِهَا: «اسْبِقُونِي، هَا أَنَا قَادِمَةٌ وَرَاءَكُمْ». وَلَمْ تُخْبِرْ رَجُلَهَا نَابَالَ بِمَا فَعَلَتْ. | ١٩ 19 |
और अपने चाकरों से कहा, “तुम मुझ से आगे जाओ, देखो मैं तुम्हारे पीछे पीछे आती हूँ” और उसने अपने शोहर नाबाल को ख़बर न की।
وَبَيْنَمَا كَانَتْ رَاكِبَةً عَلَى حِمَارِهَا عِنْدَ مُنْعَطَفِ الْجَبَلِ صَادَفَتْ دَاوُدَ وَرِجَالَهُ قَادِمِينَ لِلِقَائِهَا. | ٢٠ 20 |
और ऐसा हुआ, कि जैसे ही वह गधे पर चढ़ कर पहाड़ की आड़ से उतरी दाऊद अपने लोगों के साथ उतरते हुए उसके सामने आया और वह उनको मिली।
وَكَانَ دَاوُدُ آنَئِذٍ يُحَدِّثُ نَفْسَهُ: «لَقَدْ حَافَظْتُ عَلَى كُلِّ قُطْعَانِ هَذَا الرَّجُلِ فِي الصَّحْرَاءِ، فَكَافَأَنِي شَرّاً بَدَلَ الْخَيْرِ. | ٢١ 21 |
और दाऊद ने कहा, था “कि मैं इस पाजी के सब माल की जो वीराने में था बे फ़ाइदा इस तरह निगहबानी की कि उसकी चीज़ों में से कोई चीज़ गुम न हुई क्यूँकि उसने नेकी के बदले मुझ से बदी की।
فَلْيُضَاعِفِ الرَّبُّ مِنْ عِقَابِ دَاوُدَ، إِنْ لَمْ أَقْضِ عَلَى كُلِّ رِجَالِهِ قَبْلَ طُلُوعِ ضَوْءِ الصَّبَاحِ». | ٢٢ 22 |
इसलिए अगर मैं सुबह की रोशनी होने तक उसके लोगों में से एक लड़का भी बाक़ी छोडूँ तो ख़ुदावन्द दाऊद के दुशमनों से ऐसा ही बल्कि इससे ज़्यादा ही करे।”
وَعِنْدَمَا شَاهَدَتْ أَبِيجَايِلُ دَاوُدَ أَسْرَعَتْ وَتَرَجَّلَتْ عَنِ الْحِمَارِ وَخَرَّتْ أَمَامَهُ سَاجِدَةً، | ٢٣ 23 |
और अबीजेल ने जो दाऊद को देखा, तो जल्दी की और गधे से उतरी और दाऊद के आगे औंधी गिरीं और ज़मीन पर सरनगूँ हो गई।
وَانْطَرَحَتْ عِنْدَ رِجْلَيْهِ قَائِلَةً: «ضَعِ اللَّوْمَ عَلَيَّ وَحْدِي يَا سَيِّدِي، وَدَعْ أَمَتَكَ تَتَكَلَّمُ فِي مَسَامِعِكَ وَأَصْغِ إِلَى حَدِيثِهَا. | ٢٤ 24 |
और वह उसके पाँव पर गिर कर कहने लगी, “मुझ पर ऐ मेरे मालिक मुझी पर यह गुनाह हो और ज़रा अपनी लौंडी को इजाज़त दे कि तेरे कान में कुछ कहे और तू अपनी लौंडी की दरख़्वास्त सुन।
لَا يَضْغَنْ قَلْبُ سَيِّدِي عَلَى هَذَا الرَّجُلِ اللَّئِيمِ نَابَالَ، فَهُوَ فَظٌّ كَاسْمِهِ وَالْحَمَاقَةُ مَقْرُونَةٌ بِهِ، أَمَّا أَنَا فَلَمْ أَرَ رِجَالَ سَيِّدِي حِينَ أَرْسَلْتَهُمْ. | ٢٥ 25 |
मैं तेरी मिन्नत करती हूँ कि मेरा मालिक उस ख़बीस आदमी नाबाल का कुछ ख़याल न करे क्यूँकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह है उसका नाम नाबाल है और हिमाक़त उसके साथ है लेकिन मैंनें जो तेरी लौंडी हूँ अपने मालिक के जवानों को जिनको तूने भेजा था नहीं देखा।
وَالآنَ أُقْسِمُ لَكَ بِالرَّبِّ الْحَيِّ وَبِحَيَاتِكَ، إِنَّ الرَّبَّ قَدْ جَنَّبَكَ سَفْكَ الدِّمَاءِ وَالثَّأْرَ لِنَفْسِكَ، وَلْيَكُنْ أَعْدَاؤُكَ وَمَنْ يَسْعَوْنَ فِي هَلاكِكَ، كَنَابَالَ. | ٢٦ 26 |
और अब ऐ मेरे मालिक! ख़ुदावन्द की हयात की क़सम और तेरी जान ही की क़सम कि ख़ुदावन्द ने जो तुझे ख़ूँरेज़ी से और अपने ही हाथो अपना इन्तक़ाम लेने से बाज़ रख्खा है इसलिए तेरे दुश्मन और मेरे मालिक के बुराई चाहने वाले नाबाल की तरह ठहरें।
فَتَقَبَّلِ الآنَ هَذِهِ الْبَرَكَةَ الَّتِي أَحْضَرَتْهَا جَارِيَتُكَ يَا سَيِّدِي وَأَعْطِهَا لِرِجَالِكَ الْمُلْتَفِّينَ حَوْلَكَ. | ٢٧ 27 |
अब यह हदिया जो तेरी लौंडी अपने मालिक के सामने लाई है, उन जवानों को जो मेरे ख़ुदावन्द की पैरवी करतें हैं दिया जाए।
وَاعْفُ عَنْ ذَنْبِ أَمَتِكَ، لأَنَّ الرَّبَّ لابُدَّ أَنْ يُثَبِّتَ كُرْسِيَّ مُلْكِ سَيِّدِي إِلَى الأَبَدِ، لأَنَّ سَيِّدِي يُحَارِبُ حُرُوبَ الرَّبِّ، فَلا يُوْجَدُ فِيكَ شَرٌّ كُلَّ أَيَّامِكَ. | ٢٨ 28 |
तू अपनी लौंडी का गुनाह मु'आफ़ करदे क्यूँकि ख़ुदावन्द यक़ीनन मेरे मालिक का घर क़ाईम रख्खेगा इसलिए कि मेरे मालिक ख़ुदावन्द की लड़ाईयाँ लड़ता है और तुझ में तमाम उम्र बुराई नहीं पाई जाएगी।
وَإِنْ قَامَ مَنْ يَتَعَقَّبُكَ لِيَقْتُلَكَ، فَلْتَكُنْ نَفْسُ سَيِّدِي مَحْزُومَةً فِي حُزْمَةِ الأَحْيَاءِ مَعَ الرَّبِّ إِلَهِكَ. وَأَمَّا نَفْسُ أَعْدَائِكَ فَلْيُقْذَفْ بِها كَمَا يُقْذَفُ حَجَرٌ مِنْ وَسَطِ كَفَّةِ مِقْلاعٍ. | ٢٩ 29 |
और जो इंसान तेरा पीछा करने और तेरी जान लेने को उठे तोभी मेरे मालिक की जान ज़िन्दगी के बूक़चे में ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा के साथ बंधी रहेगी लेकिन तेरे दुशमनों की जानें वह गोया गोफ़न में रखकर फेंक देगा।
وَعِنْدَمَا يُحَقِّقُ الرَّبُّ لِسَيِّدِي كُلَّ هَذَا الْخَيْرِ الَّذِي وَعَدَ بِهِ وَيُنَصِّبُكَ رَئِيساً عَلَى إِسْرَائِيلَ، | ٣٠ 30 |
और जब ख़ुदावन्द मेरे मालिक से वह सब नेकियाँ जो उसने तेरे हक़ में फ़रमाई हैं कर चुकेगा और तुझ को इस्राईल का सरदार बना देगा।
فَلَنْ تُقَاسِيَ مِنْ عَذَابِ الضَّمِيرِ لأَنَّكَ سَفَكْتَ دِمَاءً اعْتِبَاطاً أَوِ انْتَقَمْتَ لِنَفْسِكَ. وَمَتَى حَقَّقَ لَكَ الرَّبُّ وَعْدَهُ فَاذْكُرْ أَمَتَكَ». | ٣١ 31 |
तो तुझे इसका ग़म और मेरे मालिक को यह दिली सदमा न होगा कि तूने बे वजह ख़ून बहाया या मेरे मालिक ने अपना बदला लिया और जब ख़ुदावन्द मेरे मालिक से भलाई करे तो तू अपनी लौंडी को याद करना।”
فَقَالَ دَاوُدُ لأَبِيجَايِلَ: «مُبَارَكٌ الرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ الَّذِي أَرْسَلَكِ الْيَوْمَ لِلِقَائِي، | ٣٢ 32 |
दाऊद ने अबीजेल से कहा, “कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा मुबारक हो जिसने तुझे आज के दिन मुझ से मिलने को भेजा।
وَمُبَارَكَةٌ فِطْنَتُكِ، وَمُبَارَكَةٌ أَنْتِ لأَنَّكِ جَنَّبْتِنِي الْيَوْمَ سَفْكَ الدِّمَاءِ وَالانْتِقَامَ لِنَفْسِي. | ٣٣ 33 |
और तेरी 'अक़ल्मंदी मुबारक तू ख़ुद भी मुबारक हो जिसने मुझको आज के दिन ख़ूँरेज़ीऔर अपने हाथों अपना बदला लेने से बाज़ रख्खा।
وَلَكِنْ حَيٌّ هُوَ الرَّبُّ الَّذِي مَنَعَنِي مِنَ الإِسَاءَةِ إِلَيْكِ، فَلَوْ لَمْ تُبَادِرِي وَتَأْتِي لاِسْتِقْبَالِي لَمَا بَقِيَ لِنَابَالَ رَجُلٌ عَلَى قَيْدِ الْحَيَاةِ عِنْدَ مَطْلَعِ ضَوْءِ الصَّبَاحِ». | ٣٤ 34 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की हयात की क़सम जिसने मुझे तुझको नुक़्सान पहुचाने से रोका कि अगर तू जल्दी न करती और मुझ से मिलने को न आती तो सुबह की रोशनी तक नाबाल के लिए एक लड़का भी न रहता।”
وَقَبِلَ دَاوُدُ مِنْهَا مَا حَمَلَتْهُ إِلَيْهِ قَائِلاً لَهَا: «امْضِي إِلَى بَيْتِكِ بِسَلامٍ، فَهَا أَنَا قَدِ اسْتَمَعْتُ لِتَوَسُّلِكِ وَاسْتَجَبْتُ طِلْبَتَكِ». | ٣٥ 35 |
और दाऊद ने उसके हाथ से जो कुछ वह उसके लिए लाई थी क़ुबूल किया और उससे कहा, “अपने घर सलामत जा, देख मैंने तेरी बात मानी और तेरा लिहाज़ किया।”
فَأَقْبَلَتْ أَبِيجَايِلُ إِلَى نَابَالَ، فَوَجَدَتْ أَنَّهُ قَدْ أَقَامَ مَأْدُبَةً فِي بَيْتِهِ كَمَأْدُبَةِ مَلِكٍ، وَقَدْ أَخَذَتْهُ النَّشْوَةُ بَعْدَ أَنْ أَكْثَرَ مِنِ احْتِسَاءِ الْخَمْرِ حَتَّى سَكِرَ، فَلَمْ تُخْبِرْهُ بِشَيْءٍ إِطْلاقاً حَتَّى صَبَاحِ الْيَوْمِ التَّالِي. | ٣٦ 36 |
और अबीजेल नाबाल के पास आई और देखा कि उसने अपने घर में शाहाना ज़ियाफ़त की तरह दावत कर रख्खी है और नाबाल का दिल उसके पहलू में ख़ुश है इसलिए कि वह नशे में चूर था, इसलिए उसने उससे सुबह की रोशनी तक न थोड़ा न बहुत कुछ न कहा,
وَفِي الصَّبَاحِ، بَعْدَ أَنْ صَحَا نَابَالُ مِنْ سَكْرَتِهِ، أَخْبَرَتْهُ بِمَا جَرَى، فَأَصَابَهُ الشَّلَلُ وَتَجَمَّدَ كَحَجَرٍ. | ٣٧ 37 |
सुबह को जब नाबाल का नशा उतर गया तो उसकी बीवी ने यह बातें उसे बताईं तब उसका दिल उसके पहलू में मुर्दा हो गया और वह पत्थर की तरह सुन पड़ गया।
وَبَعْدَ عَشَرَةِ أَيَّامٍ ضَرَبَهُ اللهُ فَمَاتَ. | ٣٨ 38 |
और दस दिन के बाद ऐसा हुआ कि ख़ुदावन्द ने नाबाल को मारा और वह मर गया।
فَلَمَّا سَمِعَ دَاوُدُ بِمَوْتِ نَابَالَ قَالَ: «مُبَارَكٌ الرَّبُّ الَّذِي انْتَقَمَ لِي بِذَاتِهِ مِنْ إِهَانَةِ نَابَالَ، وَجَنَّبَنِي ارْتِكَابَ الشَّرِّ وَعَاقَبَ نَابَالَ عَلَى إِثْمِهِ». وَأَرْسَلَ دَاوُدُ إِلَى أَبِيجَايِلَ يَسْأَلُهَا الزَّوَاجَ مِنْهُ. | ٣٩ 39 |
जब दाऊद ने सुना कि नाबाल मर गया तो वह कहने लगा, “कि ख़ुदावन्द मुबारक हो जो नाबाल से मेरी रुसवाई का मुक़द्दमा लड़ा और अपने बन्दे को बुराई से बाज़ रख्खा और ख़ुदावन्द ने नाबाल की शरारत को उसी के सिर पर लादा।” और दाऊद ने अबीजेल के बारे में पैग़ाम भेजा ताकि उससे शादी करे।
فَوَفَدَ رُسُلُ دَاوُدَ إِلَى أَبِيجَايِلَ إِلَى الْكَرْمَلِ وَقَالُوا لَهَا: «أَرْسَلَنَا دَاوُدُ إِلَيْكِ لِنَسْأَلَكِ الزَّوَاجَ مِنْهُ». | ٤٠ 40 |
और जब दाऊद के ख़ादिम करमिल में अबीजेल के पास आए तो उन्होंने उससे कहा, “कि दाऊद ने हमको तेरे पास भेजा है ताकि हम तुझे उससे शादी करने को लें जाएँ।”
فَقَامَتْ وَسَجَدَتْ بِوَجْهِهَا إِلَى الأَرْضِ وَقَالَتْ: «أَنَا أَمَتُهُ الْمُسْتَعِدَّةُ لِخِدْمَتِهِ وَلِغَسْلِ أَرْجُلِ عَبِيدِ سَيِّدِي». | ٤١ 41 |
इसलिए वह उठी, और ज़मीन पर ओंधे मुँह गिरी और कहने लगी “कि देख, तेरी लौंडी तो नौकर है ताकि अपने मालिक के ख़ादिमों के पाँव धोए।”
ثُمَّ أَسْرَعَتْ أَبِيجَايِلُ وَرَكِبَتْ حِمَارَهَا بَعْدَ أَنْ صَحَبَتْ مَعَهَا خَمْسَ فَتَيَاتٍ مِنْ جَوَارِيهَا سِرْنَ وَرَاءَهَا، وَتَبِعَتْ رُسُلَ دَاوُدَ، وَصَارَتْ لَهُ زَوْجَةً. | ٤٢ 42 |
और अबीजेल ने जल्दी की और उठकर गधे पर सवार हुई और अपनी पाँच लौंडियाँ जो उसके जिलौ में थीं साथ लेलीं और वह दाऊद के क़ासिदों के पीछे पीछे गईं और उसकी बीवी बनी।
ثُمَّ تَزَوَّجَ دَاوُدُ أَخِينُوعَمَ مِنْ يَزْرَعِيلَ فَكَانَتَا لَهُ زَوْجَتَيْنِ. | ٤٣ 43 |
और दाऊद ने यज़रएल की अख़नूअम को भी ब्याह लिया, इसलिए वह दोनों उसकी बीवियाँ बनीं।
عِنْدَئِذٍ زَوَّجَ شَاوُلُ مِيكَالَ ابْنَتَهُ امْرَأَةَ دَاوُدَ مِنْ فَلْطِي بْنِ لايِشَ الَّذِي مِنْ جَلِّيمَ. | ٤٤ 44 |
और साऊल ने अपनी बेटी मीकल को जो दाऊद की बीवी थी लैस के बेटे जिल्लीमी फिल्ती को दे दिया था।