< 1 صَمُوئيل 2 >
وَصَلَّتْ حَنَّةُ قَائِلَةً: «ابْتَهَجَ قَلْبِي بِالرَّبِّ وَسَمَتْ عِزَّتِي بِهِ. أَفْتَخِرُ عَلَى أَعْدَائِي لأَنِّي فَرِحْتُ بِخَلاصِكَ. | ١ 1 |
फिर हन्नाह ने यह प्रार्थना गीत गाया: “मेरा हृदय याहवेह में आनंद कर रहा है; याहवेह ने मेरे सींग को ऊंचा किया है, मैं ऊंचे स्वर में शत्रुओं के विरुद्ध बोलूंगी, क्योंकि मैं अपनी जय में आनंदित हूं.
إِذْ لَيْسَ قُدُّوسٌ نَظِيرَ الرَّبِّ، وَلا يُوْجَدُ مَنْ يُمَاثِلُكَ، وَلَيْسَ صَخْرَةٌ كَإِلَهِنَا. | ٢ 2 |
“पवित्रता में कोई भी याहवेह समान नहीं है; आपके अलावा दूसरा कोई भी नहीं है; हमारे परमेश्वर समान चट्टान कोई नहीं.
كُفُّوا عِنِ الْكِبْرِيَاءِ، وَكُمُّوا أَفْوَاهَكُمْ عَنِ الْغُرُورِ لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهٌ عَلِيمٌ وَبِهِ تُوْزَنُ الأَعْمَالُ. | ٣ 3 |
“घमण्ड़ की बातें अब खत्म कर दी जाए, कि कोई भी अहंकार भरी बातें तुम्हारे मुंह से न निकले, क्योंकि याहवेह वह परमेश्वर हैं, जो सर्वज्ञानी हैं, वह मनुष्य के कामों को परखते रहते हैं.
لَقَدْ تَحَطَّمَتْ أَقْوَاسُ الْجَبَابِرَةِ وَتَنَطَّقَ الضُّعَفَاءُ بِالْقُوَّةِ. | ٤ 4 |
“वीरों के धनुष तोड़ दिए गए हैं, मगर जो कमजोर थे उनका बल स्थिर हो गया.
الَّذِينَ كَانُوا شَبَاعَى آجَرُوا أَنْفُسَهُمْ لِقَاءَ الطَّعَامِ، وَالَّذِينَ كَانُوا جِيَاعاً مَلأَهُمُ الشِّبَعُ. أَنْجَبَتِ الْعَاقِرُ سَبْعَةً، أَمَّا كَثِيرَةُ الأَبْنَاءِ فَقَدْ ذَبُلَتْ. | ٥ 5 |
वे, जो भरपेट भोजन कर संतुष्ट रहते थे, वे अब मजदूरी पाने के लिए काम ढूंढ़ रहे हैं. मगर अब, जो भूखे रहा करते थे, भूखे न रहे. वह जो बांझ हुआ करती थी, आज सात संतान की जननी है, मगर वह, जो अनेक संतान की माता है, उसकी स्थिति दयनीय हो गई है.
الرَّبُّ يُمِيتُ وَيُحْيِي، يَطْرَحُ إِلَى الْهَاوِيَةِ وَيُصْعِدُ مِنْهَا. (Sheol ) | ٦ 6 |
“याहवेह ही हैं, जो प्राण ले लेते तथा जीवनदान देते हैं; वही अधोलोक में भेज देते, तथा वही जीवित करते हैं. (Sheol )
الرَّبُّ يُفْقِرُ وَيُغْنِي، يُذِلُّ وَيُعِزُّ. | ٧ 7 |
याहवेह ही कंगाल बनाते, तथा वही धनी बनाते हैं; वही गिराते हैं और वही उन्नत करते हैं.
يُنْهِضُ الْمِسْكِينَ مِنَ التُّرَابِ، وَيَرْفَعُ الْبَائِسَ مِنْ كَوْمَةِ الرَّمَادِ، لِيُجْلِسَهُ مَعَ النُّبَلاءِ، وَيُمَلِّكَهُ عَرْشَ الْمَجْدِ، لأَنَّ لِلرَّبِّ أَسَاسَاتِ الأَرْضِ الَّتِي أَرْسَى عَلَيْهَا الْمَسْكُونَةَ. | ٨ 8 |
वह निर्धन को धूलि से उठाते हैं, वही दरिद्रों को भस्म के ढेर से उठाकर उन्नत करते हैं; कि वे प्रधानों के सामने बैठ सम्मानित किए जाएं, तथा वे ऊंचे पद पर बैठाए जाएं. “पृथ्वी की नींव याहवेह की है; उन्होंने इन्हीं पर पृथ्वी की स्थापना की है.
هُوَ يَحْفَظُ أَقْدَامَ أَتْقِيَائِهِ، أَمَّا الأَشْرَارُ فَيَنْطَوُونَ فِي الظَّلامِ، لأَنَّهُ لَيْسَ بِالْقُوَّةِ يَتَغَلَّبُ الإِنْسَانُ. | ٩ 9 |
वह अपने श्रद्धालुओं की रक्षा करते रहते हैं, मगर दुष्टों को अंधकार में निःशब्द कर दिया जाता है. “क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने बल के कारण विजयी नहीं होता;
مُخَاصِمُو الرَّبِّ يَتَحَطَّمُونَ، وَمِنَ السَّمَاءِ يَقْذِفُ رُعُودَهُ عَلَيْهِمْ؛ يَدِينُ الرَّبُّ أَقَاصِيَ الأَرْضِ، وَيَمْنَحُ عِزَّةً لِمَنْ يَخْتَارُهُ مَلِكاً وَيُمَجِّدُ مَسِيحَهُ». | ١٠ 10 |
याहवेह के विरोधी चकनाचूर कर दिए जाएंगे. याहवेह स्वर्ग से उनके विरुद्ध बिजली गिराएंगे; याहवेह का न्याय पृथ्वी के एक छोर से दूसरे तक होता है. “वह अपने राजा को शक्ति-सम्पन्न करते हैं, तथा अपने अभिषिक्त के सींग को ऊंचा कर देते हैं.”
ثُمَّ رَجَعَ أَلْقَانَةُ إِلَى بَيْتِهِ فِي الرَّامَةِ، وَظَلَّ الصَّبِيُّ يَخْدُمُ الرَّبَّ لَدَى عَالِي الْكَاهِنِ. | ١١ 11 |
यह सब होने के बाद एलकाना रामाह नगर में अपना घर लौट गए, मगर वह बालक पुरोहित एली की उपस्थिति में रहकर याहवेह की सेवा करने लगा.
أَمَّا ابْنَا عَالِي فَكَانَا مُتَوَرِّطَيْنِ فِي الشَّرِّ لَا يَعْرِفَانِ الرَّبَّ | ١٢ 12 |
एली के पुत्र बुरे चरित्र के थे. उनके लिए न तो याहवेह के अधिकार का कोई महत्व था;
وَلا حَقَّ الْكَهَنَةِ الْمَتَوَجِّبَ عَلَى الشَّعْبِ. فَكَانَ كُلَّمَا قَدَّمَ رَجُلٌ ذَبِيحَةً يَأْتِي غُلامُ الْكَاهِنِ عِنْدَ طَبْخِ اللَّحْمِ حَامِلاً بِيَدِهِ خُطَّافاً ذَا ثلاثِ شُعَبٍ. | ١٣ 13 |
और न ही बलि चढ़ाने की प्रक्रिया में जनसाधारण के साथ पुरोहितों की सामान्य रीति का. होता यह था कि जब बलि चढ़ाई जा चुकी थी, और बर्तन में मांस उबाला जा रहा था, पुरोहित का सेवक एक तीन तरफा कांटा लिए हुए बर्तन के निकट आता था,
فَيَغْرِزُهُ فِي اللَّحْمِ الَّذِي في الْمَرْحَضَةِ أَوِ الْمِرْجَلِ أَوِ الْمِقْلَى أَوِ الْقِدْرِ، وَيَأْخُذُ الْكَاهِنُ كُلَّ مَا يَعْلَقُ بِشُعَبِ الْخُطَّافِ. هَكَذَا كَانَا يُعَامِلانِ جَمِيعَ الإِسْرَائِيلِيِّينَ الْقَادِمِينَ إِلَى شِيلُوهَ. | ١٤ 14 |
वह इसे बर्तन में डालकर चुभोता था और जितना मांस तीन तरफा कांटा में लगा हुआ आता था, उसे पुरोहित अपने लिए रख लेता था. ऐसा वे शीलो नगर में आए सभी इस्राएलियों के साथ करते थे.
كَذَلِكَ كَانَ خَادِمُ الْكَاهِنِ يَأْتِي إِلَى ذَابِحِ الْقُرْبَانِ وَيَقُولُ لَهُ قَبْلَ إِحْرَاقِ الشَّحْمِ: «أَعْطِ لَحْماً لِلْكَاهِنِ حَتَّى يُشْوَى، فَإِنَّهُ لَا يَقْبَلُ مِنْكَ لَحْماً مَطْبُوخاً بَلْ نِيئاً». | ١٥ 15 |
यहां तक कि सांस्कारिक रीति से चर्बी के जलाए जाने के पहले ही पुरोहित के सेवक आकर बलि चढ़ाने वाले व्यक्ति को आदेश देते थे, “बर्तन में डाले जाने के पहले ही पुरोहित के लिए निर्धारित मांस हमें कच्चा ही दे दो कि उसे भूनकर प्रयुक्त किया जा सके.”
فَيُجِيبُهُ الرَّجُلُ: «لِيُحْرِقُوا أَوَّلاً شَحْمَ الذَّبِيحَةِ، ثُمَّ خُذْ مَا تَشْتَهِيهِ نَفْسُكَ». فَيَقُولُ الْخَادِمُ: «لا، بَلْ أَعْطِنِي الآنَ اللَّحْمَ وَإلَّا آخُذُهُ بِالرَّغْمِ عَنْكَ». | ١٦ 16 |
यदि बलि अर्पित करनेवाला व्यक्ति उत्तर में यह कहता था, “ज़रा वसा तो जल जाने दो, फिर जो चाहे वह अंश ले लेना,” वे कहते थे, “नहीं, यह तो हम अभी ही ले जाएंगे; यदि नहीं दोगे, तो हम ज़बरदस्ती ले जाएंगे.”
فَعَظُمَتْ خَطِيئَةُ أَبْنَاءِ عَالِي أَمَامَ الرَّبِّ، لأَنَّ الشَّعْبَ اسْتَهَانَ بِذَبِيحَةِ الرَّبِّ مِنْ جَرَّاءِ تَصَرُّفَاتِهِمَا. | ١٧ 17 |
याहवेह की दृष्टि में यह बहुत ही गंभीर पाप था; क्योंकि ऐसा करते हुए वे याहवेह को चढ़ाई गई बलि का अपमान कर रहे थे.
وَكَانَ صَمُوئِيلُ آنَئِذٍ يَخْدُمُ فِي مَحْضَرِ الرَّبِّ وَهُوَ مَا بَرِحَ صَبِيًّا، يَرْتَدِي أَفُوداً مِنْ كَتَّانٍ. | ١٨ 18 |
इस समय शमुएल याहवेह की उपस्थिति में रहते हुए सेवा कर रहे थे. वह पुरोहितों के समान ही वस्त्र धारण करते थे.
وَكَانَتْ أُمُّهُ تَصْنَعُ لَهُ جُبَّةً صَغِيرَةً، تُحْضِرُهَا مَعَهَا كُلَّ سَنَةٍ عِنْدَ مَجِيءِ رَجُلِهَا لِتَقْرِيبِ الذَّبِيحَةِ السَّنَوِيَّةِ، | ١٩ 19 |
जब उनकी माता अपने पति के साथ वार्षिक बलि चढ़ाने के लिए वहां आती थी, वह बालक शमुएल के लिए नियमित रूप से ऐसे वस्त्र बनाकर लाया करती थी.
فَيُبَارِكُ عَالِي أَلْقَانَةَ وَزَوْجَتَهُ قَائِلاً: «لِيَرْزُقْكَ الرَّبُّ ذُرِّيَّةً مِنْ هَذِهِ الْمَرْأَةِ عِوَضاً عَنِ الصَّبِيِّ الَّذِي وَهَبْتُمَاهُ لِلرَّبِّ». ثُمَّ يَرْجِعَانِ إِلَى حَيْثُ يُقِيمَانِ. | ٢٠ 20 |
एलकाना तथा उनकी पत्नी के लिए एली इस प्रकार के आशीर्वाद दिया करते थे: “याहवेह तुम्हारे लिए इस स्त्री के द्वारा संतान प्रदान करें, कि जिस बालक को इसने याहवेह को समर्पित किया है, उसका खालीपन भर जाए.” तब वे अपने घर लौट जाते थे.
وَعِنْدَمَا افْتَقَدَ الرَّبُّ حَنَّةَ، حَمَلَتْ وَأَنْجَبَتْ ثَلاثَةَ أَبْنَاءٍ وَبِنْتَيْنِ. أَمَّا صَمُوئِيلُ فَقَدْ تَرَعْرَعَ فِي خِدْمَةِ الرَّبِّ. | ٢١ 21 |
तब याहवेह ने अपनी कृपादृष्टि में हन्नाह की सुधि ली. उसने गर्भधारण किया और उनके तीन पुत्र और दो पुत्रियां पैदा हुए. बालक शमुएल याहवेह के भवन में विकसित होते चले गए.
وَطَعَنَ عَالِي فِي السِّنِّ. وَبَلَغَهُ مَا ارْتَكَبَهُ بَنوهُ مَنْ مَسَاوِئَ بِحَقِّ جَمِيِع الإِسْرَائِيلِيِّينَ، وَأَنَّهُمْ كَانَوا يُضَاجِعَونِ النِّسَاءَ الْمُجْتَمِعَاتِ عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ. | ٢٢ 22 |
इस समय एली बहुत ही बूढ़े हो चुके थे. उन्हें इसकी सूचना दी जा चुकी थी कि अपने पुत्र इस्राएल के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं और वे उन स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध भी करते थे, जिन्हें मिलाप तंबू के प्रवेश पर सेवा के लिए नियुक्त किया जाता था.
فَقَال لَهُمْ: «لِمَاذَا تَرْتَكِبُونَ هَذِهِ الْفَوَاحِشَ، فَقَدْ بَلَغَتْنِي أَخْبَارُ مَسَاوِئِكُمْ مِنْ جَمِيعِ هَذَا الشَّعْبِ؟ | ٢٣ 23 |
एली ने अपने पुत्रों से कहा, “तुम ये सब क्यों कर रहे हो? तुम्हारे इन सभी बुरे कामों की ख़बरें मुझे सभी के द्वारा मिल रही हैं.
لا، يا بَنِيَّ، فَالأَخْبَارُ الَّتِي بَلَغَتْنِي مُشِينَةٌ، إِذْ إِنَّكُمْ تَجْعَلُونَ الشَّعْبَ يَتَعَدَّى عَلَى شَرِيعَةِ الرَّبِّ. | ٢٤ 24 |
मेरे पुत्रो, यह गलत है. आज याहवेह की प्रजा में तुम्हारे किए हुए कामों की ख़बर जो फैली है, वह ठीक नहीं है.
فَإِنْ أَخْطَأَ إِنْسَانٌ نَحْوَ إِنْسَانٍ، فَاللهُ يَدِينُهُ، وَلَكِنْ إِنْ أَخْطَأَ إِلَى الرَّبِّ فَمَنْ يُصَلِّي مِنْ أَجْلِهِ؟» لَكِنَّهُمْ لَمْ يُعِيرَوا تَوْبِيخَ أَبِيهِمْ أَيَّ اهْتِمَامٍ لأَنَّ الرَّبَّ شَاءَ أَنْ يُمِيتَهُمْ. | ٢٥ 25 |
यदि एक व्यक्ति किसी दूसरे के विरुद्ध पाप करे, तो उसके लिए परमेश्वर द्वारा विनती संभव है; मगर यदि कोई याहवेह ही के विरुद्ध पाप करे, तब उसकी विनती के लिए कौन बाकी रह जाता है?” मगर एली के पुत्रों को उनके पिता का तर्क अस्वीकार ही रहा, क्योंकि याहवेह उनके प्राण लेने का निश्चय कर चुके थे.
أَمَّا الصَّبِيُّ صَمُوئِيلُ فَاسْتَمَرَّ يَنْمُو فِي الصَّلاحِ وَيَحْظَى بِرِضَى اللهِ وَالنَّاسِ. | ٢٦ 26 |
इस समय बालक शमुएल बढ़ता जा रहा था. उस पर याहवेह की कृपादृष्टि तथा लोगों का प्रेम बना था.
وَذَاتَ يَوْمٍ جَاءَ نَبِيٌّ إِلَى عَالِي بِرِسَالَةٍ مِنَ اللهِ، قَالَ: «أَلَمْ أَتَجَلَّ لِبَيْتِ أَبِيكَ وَهُمْ مَا بَرِحُوا فِي مِصْرَ فِي دِيَارِ فِرْعَوْنَ، | ٢٧ 27 |
परमेश्वर द्वारा भेजा हुआ एक व्यक्ति एली के पास आया और उनसे कहा, “यह याहवेह का संदेश है: ‘क्या मैंने तुम्हारे पूर्वजों पर अपने आपको साफ़-साफ़ प्रकट नहीं किया था, जब वे मिस्र देश में फ़रोह के परिवार के अधीन थे?
وَانْتَخَبْتُ أَبَاكُمْ هرُونَ مِنْ بَيْنِ جَمِيعِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ لِيَكُونَ لِي كَاهِناً يُصْعِدُ عَلَى مَذْبَحِي قَرَابِينَ وَيُوْقِدُ بَخُوراً، وَيَرْتَدِي أَمَامِي أَفُوداً، وَوَهَبْتُ لِبَيْتِ أَبِيكَ جَمِيعَ وَقائِدِ بَنِي إِسْرَائِيلَ. | ٢٨ 28 |
इस्राएल के सारा गोत्रों में से मैंने तुम्हारे गोत्र को अपना पुरोहित होने के लिए नामित किया कि वे मेरी वेदी पर बलि अर्पण करें, उस पर धूप जलाएं तथा मेरे सामने पुरोहितों के लिए निर्धारित पुरोहित कपड़ा, एफ़ोद पहनकर मेरे सामने उपस्थित हुआ करें. मैंने ही तुम्हारे पूर्वजों को यह आज्ञा दी कि इस्राएली प्रजा द्वारा अर्पित अग्निबलि का हिस्सा तुम्हें दे दी जाएं.
فَلِمَاذَا تَحْتَقِرُونَ ذَبِيحَتِي وَتَقْدِمَتِي الَّتِي أَمَرْتُ بِها لِلْمَسْكَنِ، وَتُفَضِّلُ ابْنَيْكَ عَنِّي لِتُكَدِّسُوا الشَّحْمَ عَلَى أَبْدَانِكُمْ، مِمَّا تَخَيَّرْتُمُوهُ مِنْ قَرَابِينِ شَعْبِي؟ | ٢٩ 29 |
फिर क्या कारण है कि मेरे आवास से संबंधित जिन बलियों तथा भेटों का मैंने आदेश दिया था, तुम उनकी अवहेलना कर रहे हो? मेरी प्रजा इस्राएल द्वारा अर्पित सभी भेटों के सर्वोत्तम अंशों को खा-खाकर वे स्वयं पुष्ट हुए जा रहे हैं! यह करते हुए तुमने मेरी अपेक्षा अपने पुत्रों को अधिक सम्मान दिया है?’
لِذَلِكَ يَقُولُ الرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: لَقَدْ وَعَدْتُ أَنْ يَظَلَّ بَيْتُكَ وَبَيْتُ أَبِيكَ يَخْدُمُونَ فِي مَحْضَرِي إِلَى الأَبَدِ. أَمَّا الآنَ، يَقُولُ الرَّبُّ: فَحَاشَا لِي أَنْ أَفْعَلَ ذَلِكَ، لأَنَّنِي أُكْرِمُ الَّذِينَ يُكْرِمُونَنِي، أَمَّا الَّذِينَ يَحْتَقِرُونَنِي فَيَصْغُرُونَ. | ٣٠ 30 |
“इसलिये याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की यह घोषणा, ‘मैंने यह अवश्य कहा था कि तुम्हारा वंश तथा तुम्हारे पूर्वजों का वंश सदा-सर्वदा मेरी सेवा करता रहेगा,’ मगर अब याहवेह की यह वाणी है, ‘अब मैं यह कभी न होने दूंगा! क्योंकि मैं उन्हें ही सम्मान दूंगा, जो मुझे सम्मान देते हैं, तथा जो मुझे तुच्छ मानते हैं, वे शापित हो जाएंगे.
هَا هِي أَيَّامٌ مُقْبِلَةٌ يَخْطِفُ فِيهَا الْمَوْتُ رِجَالَكُمْ فَلا يَبْقَى شَيْخٌ فِي بَيْتِكَ. | ٣١ 31 |
निकट हैं वे दिन, जब मैं न केवल तुम्हारा, परंतु तुम्हारे पिता के संपूर्ण वंश का बल शून्य कर दूंगा, यहां तक कि तुम्हारे परिवार में कोई भी व्यक्ति कभी भी बुढ़ापे तक नहीं पहुंचेगा.
وَتَشْهَدُ ضِيقاً فِي مَسْكَنِي، بَيْنَمَا يَنْعَمُ الإِسْرَائِيلِيُّونَ بِالرَّفَاهِيَةِ وَيَخْلُو بَيْتُكَ مِنَ الشُّيُوخِ كُلَّ الأَيَّامِ. | ٣٢ 32 |
तब तुम पीड़ित होकर धुंधली आंखों से इस्राएल को दी जा रही समृद्धि को स्वयं देखोगे. तुम्हारे परिवार में कभी भी कोई व्यक्ति बूढ़ा न हो सकेगा.
وَيَكُونُ مَنْ أَسْتَحْيِيهِ مِنْ ذُرِّيَّتِكَ لِخِدْمَةِ مَذْبَحِي سَبَباً فِي إعْشَاءِ عَيْنَيْكَ بِالْدُّمُوعِ وَإِذَابَةِ قَلْبِكَ بِالْحُزْنِ، وَبَقِيَّةُ ذُرِّيَّتِكَ يَمُوتُونَ شُبَّاناً. | ٣٣ 33 |
फिर भी तुम्हारे परिवार के जो सदस्य को मैं वेदी की सेवा से वंचित न करूंगा, वह अपने हृदय की दारुण वेदना में रोते-रोते अपने नेत्रों की ज्योति खो बैठेगा. तुम्हारे सभी वंशज मनुष्यों द्वारा चलाई तलवार से घात किए जाएंगे. तुम्हारे परिवार के हर एक व्यक्ति का निधन जीवन के जवानी में ही हो जाएगा.
وَتَصْدِيقاً لِقَوْلِي أُعْطِيكَ عَلامَةً تُصِيبُ ابْنَيْكَ حُفْنِي وَفِينْحَاسَ: إِنَّهُمَا فِي يَوْمٍ وَاحِدٍ يَمُوتَانِ كِلاهُمَا. | ٣٤ 34 |
“‘तुम्हारे लिए इसकी पुष्टि का चिन्ह यह होगा कि तुम्हारे दोनों पुत्रों, होफ़नी तथा फिनिहास में होगी: दोनों एक ही दिन में मर जाएंगे.
فَأَخْتَارُ لِنَفْسِي كَاهِناً مُخْلِصاً يَعْمَلُ بِمُقْتَضَى مَا بِقَلْبِي وَنَفْسِي فَأُقِيمُ لَهُ بَيْتاً أَمِيناً، وَيَصِيرُ كَاهِناً لِلْمَلِكِ الَّذِي أَخْتَارُهُ. | ٣٥ 35 |
जब यह सब हो जाएगा, तब मैं अपने लिए एक विश्वसनीय पुरोहित को तैयार करूंगा. वह मेरे हृदय और आत्मा की अभिलाषा पूर्ण करेगा. उसके लिए मैं उसके वंश को स्थिरता प्रदान करूंगा. वही सदा-सर्वदा मेरे चुने हुए का पौरोहित्य करता रहेगा.
وَكُلُّ مَنْ يَبْقَى مِنْ ذَرِّيَّتِكَ يَأْتِي إِلَيْهِ سَاجِداً مُتَوَسِّلاً مَنْ أَجْلِ قِطْعَةِ فِضَّةٍ وَرَغِيفِ خُبْزٍ، مُتَضَرِّعاً إِلَيْهِ قَائِلاً: هَبْنِي عَمَلاً بَيْنَ الْكَهَنَةِ لِآكُلَ كِسْرَةَ خُبْزٍ». | ٣٦ 36 |
तुम्हारे परिवार में जो कोई शेष रह जाएगा, वह उसके सामने झुककर उससे सिर्फ चांदी के एक सिक्के के लिए या रोटी के एक टुकड़े के लिए विनती करेगा. हर एक की याचना यह होगी, “मुझे पुरोहित के काम में लगा लीजिए, कि कम से कम मैं रोटी का एक टुकड़ा तो खा सकूं.”’”