< 1 صَمُوئيل 18 >

وَعِنْدَمَا فَرَغَ دَاوُدُ مِنْ حَدِيثِهِ مَعَ شَاوُلَ، تَعَلَّقَتْ نَفْسُ يُونَاثَانَ بِدَاوُدَ وَأَحَبَّهُ كَنَفْسِهِ. ١ 1
जैसे ही दावीद और शाऊल के बीच बातें खत्म हुईं, योनातन और दावीद के बीच गहरा संबंध बनना शुरू हुआ. योनातन के लिए दावीद प्राणों से प्रिय हो गए.
وَاسْتَبْقَى شَاوُلُ دَاوُدَ، وَلَمْ يَدَعْهُ يَرْجِعُ إِلَى بَيْتِ أَبِيهِ. ٢ 2
शाऊल ने उसी दिन से दावीद को अपने पास रख लिया और उन्हें अपने पिता के घर लौटने की आज्ञा ही न दी.
وَتَعَاهَدَ يُونَاثَانُ وَدَاوُدُ، لأَنَّ يُونَاثَانَ أَحَبَّهُ كَنَفْسِهِ. ٣ 3
योनातन ने दावीद से वाचा बांधी, क्योंकि दावीद उन्हें अपने प्राणों से प्रिय हो गए थे.
وَخَلَعَ يُونَاثَانُ جُبَّتَهُ وَوَهَبَهَا لِدَاوُدَ مَعَ ثِيَابِهِ وَسَيْفِهِ وَقَوْسِهِ وَحِزَامِهِ. ٤ 4
योनातन ने अपने औपचारिक वस्त्र उतारकर दावीद को दे दिए, जिनमें उनकी तलवार, उनका धनुष-यहां तक उनका कटिबंध भी शामिल था.
وَكَانَ النَّجَاحُ حَلِيفَ دَاوُدَ فِي كُلِّ مُهِمَّةٍ كَلَّفَهُ بِها شَاوُلُ، لِذَلِكَ وَلّاهُ شَاوُلُ إِمْرَةَ رِجَالِ الْحَرْبِ، فَحَظِيَ ذَلِكَ بِاسْتِحْسَانِ الشَّعْبِ وَعَبِيدِ شَاوُلَ أَيْضاً. ٥ 5
शाऊल जिस किसी काम के लिए दावीद को भेजा करते थे, दावीद उसमें सफलता ही प्राप्‍त करते थे. शाऊल ने उन्हें सैन्य अधिकारी चुन लिया. इससे न केवल सेना में हर्ष की लहर दौड़ गई बल्कि शाऊल के सेवक भी इससे प्रसन्‍न हो गए.
وَعِنْدَ رُجُوعِ الْجَيْشِ بَعْدَ مَقْتَلِ جُلْيَاتَ، خَرَجَتِ النِّسَاءُ مِنْ جَمِيعِ مُدُنِ إِسْرَائِيلَ بِالْغِنَاءِ وَالرَّقْصِ، وَبِدُفُوفِ الْفَرَحِ وَبِمُثَلَّثَاتٍ لاِسْتِقْبَالِ شَاوُلَ الْمَلِكِ. ٦ 6
जब फिलिस्तीनियों का संहार कर विजयी सेना लौट रही थी, इस्राएल के सारा नगरों से आयीं स्त्रियों ने नृत्य करते और गाते हुए शाऊल राजा से भेंट की. वे खंजड़ी तथा तन्तु वाद्य वादन करती हुई बहुत ही आनंदित थी.
وَرَاحَتِ النِّسَاءُ الرَّاقِصَاتُ يُنْشِدْنَ: «قَتَلَ شَاوُلُ أُلُوفَهُ وَقَتَلَ دَاوُدُ رِبْوَاتِهِ (أَيْ عَشَرَاتِ الأُلُوفِ)». ٧ 7
वाद्यों की सही पर गाती हुई स्त्रियों के गीत के शब्द थे: “शाऊल ने अपने हज़ारों शत्रुओं को मारा मगर, दावीद ने अपने दस हज़ार शत्रुओं को.”
فَأَثَارَ هَذَا غَضَبَ شَاوُلَ، وَسَاءَ هَذَا الْغِنَاءُ فِي نَفْسِهِ وَقَالَ: «نَسَبْنَ لِدَاوُدَ قَتْلَ عَشَرَاتِ الأُلُوفِ، أَمَّا أَنَا فَنَسَبْنَ لِي قَتْلَ الأُلُوفِ فَقَطْ! لَمْ يَبْقَ سِوَى أَنْ يُنْعِمْنَ عَلَيْهِ بِالْمَمْلَكَةِ». ٨ 8
इससे शाऊल बहुत ही क्रोधित हुआ. यह राग शाऊल के अप्रसन्‍नता का कारण बन गया. वह विचार करते रहे, “उन्होंने दावीद को दस हज़ार का श्रेय दिया है, मगर मुझे सिर्फ एक हज़ार का. तो फिर अब उसके पास राज्य के अलावा और किस वस्तु की कमी रह गई है?”
وَشَرَعَ شَاوُلُ مُنْذُ ذَلِكَ الْيَوْمِ فَصَاعِداً يُرَاقِبُ دَاوُدَ بِعَيْنٍ مُمْتَلِئَةٍ بِالْغَيْرَةِ. ٩ 9
उस दिन से दावीद से शाऊल को जलन होने लगी.
وَحَدَثَ فِي الْيَوْمِ التَّالِي أَنْ هَاجَمَ الرُّوحُ الرَّدِيءُ شَاوُلَ مِنْ قِبَلِ الرَّبِّ، فَبَدَأَ يَهْذِي جُنُوناً فِي وَسَطِ الْبَيْتِ، بَيْنَمَا كَانَ دَاوُدُ يَعْزِفُ كَعَادَتِهِ فِي كُلِّ يَوْمٍ. وَكَانَ فِي يَدِ شَاوُلَ رُمْحٌ، ١٠ 10
अगले दिन परमेश्वर द्वारा भेजी गई एक दुष्ट आत्मा झपटती हुई शाऊल पर उतरी और जिस समय दावीद वाद्य वादन कर रहे थे, शाऊल आवेश में आ गए और अपने ही घर में तहस नहस करने लगे. उस समय शाऊल के हाथ में भाला था.
فَأَشْرَعَ شَاوُلُ الرُّمْحَ وَقَالَ فِي نَفْسِهِ: «سَأُسَمِّرُ دَاوُدَ إِلَى الْحَائِطِ». فَرَاغَ دَاوُدُ مِنْ أَمَامِهِ مَرَّتَيْنِ. ١١ 11
शाऊल ने दावीद पर भाला फेंका. वह विचार कर रहे थे, “मैं दावीद को दीवार से छेद दूंगा,” मगर दो बार दावीद अपनी चतुराई से बच निकले.
وَصَارَ شَاوُلُ يَخْشَى دَاوُدَ لأَنَّ الرَّبَّ كَانَ مَعَهُ، وَقَدْ فَارَقَ شَاوُلَ. ١٢ 12
शाऊल दावीद से डरने लगे, क्योंकि याहवेह दावीद के साथ थे, मगर उनसे दूर.
فَأَبْعَدَهُ مِنْ حَضْرَتِهِ وَعَيَّنَهُ قَائِدَ أَلْفٍ، فَكَانَ دَاوُدُ يَتَقَدَّمُ دَائِماً فِي طَلِيعَةِ فِرْقَتِهِ. ١٣ 13
शाऊल ने दावीद को वहां से हटाकर हज़ार सैनिकों के सेनापति का पद दे दिया. तब दावीद इन सैनिकों को लेकर युद्ध पर जाते, और उन्हें वापस ले आते थे.
وَحَالَفَهُ الْفَلاحُ فِي كُلِّ أَعْمَالِهِ لأَنَّ الرَّبَّ كَانَ مَعَهُ. ١٤ 14
दावीद जिस किसी काम में हाथ डालते, वह सफल ही होता था, क्योंकि उन्हें याहवेह का साथ मिला हुआ था.
وَعِنْدَمَا رَأَى شَاوُلُ مَا يَتَمَتَّعُ بِهِ دَاوُدُ مِنْ فِطْنَةٍ تَفَاقَمَ فَزَعُهُ مِنْهُ. ١٥ 15
जब शाऊल ने देखा कि दावीद कितनी सफलताएं प्राप्‍त करते जा रहे हैं, वह दावीद से और भी अधिक डरने लगे.
أَمَّا جَمِيعُ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوذَا فَقَدِ ازْدَادُوا حُبّاً لَهُ، لأَنَّهُ كَانَ دَائِماً يَقُودُهُمْ فِي حَمْلاتِهِمِ الْعَسْكَرِيَّةِ الْمُوَفَّقَةِ. ١٦ 16
दावीद सारे इस्राएल तथा यहूदिया के प्रिय पात्र बन चुके थे, क्योंकि उनकी युद्ध नीति सराहनीय थी.
وَقَالَ شَاوُلُ لِدَاوُدَ: «إِنَّنِي أَبْغِي أَنْ أُزَوِّجَكَ مِنِ ابْنَتِي الْكَبِيرَةِ مَيْرَبَ، شَرِيطَةَ أَنْ تَكُونَ بَطَلاً وَتُحَارِبَ حُرُوبَ الرَّبِّ» فَقَدْ حَدَّثَ شَاوُلُ نَفْسَهُ قَائِلاً: «لا أَحْمِلُ أَنَا جَرِيرَةَ قَتْلِهِ بَلْ يَقْتُلُهُ الْفِلِسْطِينِيُّونَ». ١٧ 17
एक दिन शाऊल ने दावीद से कहा, “सुनो, मेरी इच्छा है कि मैं अपनी बड़ी बेटी का विवाह तुमसे कर दूं. तुम्हें बस इतना ही करना होगा कि तुम मेरे लिए साहसी योद्धा होकर याहवेह के युद्ध लड़ो.” वास्तव में शाऊल का सोचना यह था, “यह करने पर दावीद की हत्या का दोष मुझ पर नहीं बल्कि वह फिलिस्तीनियों पर आएगा. ज़रूरी ही नहीं है कि मैं उसकी हत्या की कोशिश करूं, फिलिस्तीनी ही यह काम पूरा कर देंगे!”
فَأَجَابَ دَاوُدُ: «مَنْ أَنَا وَمَا هِيَ حَيَاتِي؟ وَمَا هِيَ عَائِلَتِي وَمَا هِيَ مَكَانَةُ عَائِلَتِي فِي إِسْرَائِيلَ حَتَّى أُصْبِحَ صِهْراً لِلْمَلِكِ؟» ١٨ 18
दावीद ने शाऊल को उत्तर दिया, “कौन होता हूं मैं? इस्राएल में क्या महत्व है मेरे संबंधियों या मेरे पिता के कुल का, कि मुझे राजा का दामाद होने का सम्मान मिले?”
وَعِنْدَمَا اقْتَرَبَ مَوْعِدُ زِفَافِ مَيْرَبَ لِدَاوُدَ، زَوَّجَهَا شَاوُلُ مِنْ عَدْرِيئِيلَ الْمَحُولِيِّ. ١٩ 19
फिर भी, जब दावीद और शाऊल की बेटी मेराब के विवाह का ठहराया हुआ दिन आया, शाऊल ने उसका विवाह मेहोलावासी आद्रिएल से कर दिया.
لَكِنَّ مِيكَالَ ابْنَةَ شَاوُلَ الصُّغْرَى أَحَبَّتْ دَاوُدَ، فَعَلِمَ شَاوُلُ بِالأَمْرِ وَحَظِيَ ذَلِكَ بِرِضَاهُ. ٢٠ 20
वास्तव में शाऊल की बेटी मीखल को दावीद से प्रेम था. जब शाऊल को इसकी सूचना दी गई, वह इससे प्रसन्‍न हो गए.
وَقَالَ شَاوُلُ فِي نَفْسِهِ: «أُزَوِّجُهُ مِنْهَا فَتَكُونُ لَهُ فَخّاً، وَكَذَلِكَ يَسْعَى الْفِلِسْطِينِيُّونَ إِلَى قَتْلِهِ». وَقَالَ شَاوُلُ لِدَاوُدَ مَرَّةً ثَانِيَةً: «يُمْكِنُكَ مُصَاهَرَتِي الْيَوْمَ». ٢١ 21
शाऊल ने विचार किया, “मैं यह विवाह कर देता हूं, मीखल ही दावीद के लिए एक फंदा बन जाए, और तब फिलिस्तीनी ही दावीद की हत्या कर दें.” यह दूसरा मौका था, जब शाऊल ने दावीद के सामने दामाद होने का प्रस्ताव रखा था; “अब तुम मेरे दामाद बन सकते हो.”
وَأَمَرَ شَاوُلُ رِجَالَهُ أَنْ يُسِرُّوا فِي أُذُنِ دَاوُدَ أَنَّ الْمَلِكَ يُحِبُّهُ، وَأَنَّهُ مَحَلُّ إِعْجَابِ الْحَاشِيَةِ، وَأَنْ يَنْصَحُوهُ بِمُصَاهَرَةِ الْمَلِكِ، ٢٢ 22
दूसरी ओर शाऊल ने अपने सेवकों को आदेश दे रखा था, “दावीद से अकेले में यह कहना, ‘सुनो, महाराज तुमसे बहुत खुश हैं. इसके अलावा तुम सभी सेवकों के प्रिय हो; राजा के दामाद होने योग्य तो सिर्फ तुम्हीं हो.’”
فَرَاحَ عَبِيدُ شَاوُلَ يُسِرُّونَ بِهَذَا الْحَدِيثِ فِي مَسَامِعِ دَاوُدَ. فَأَجَابَ دَاوُدُ: «أَتَظُنُّونَ مُصَاهَرَةَ الْمَلِكِ أَمْراً تَافِهاً؟ أَنَا لَسْتُ سِوَى رَجُلٍ مِسْكِينٍ حَقِيرٍ». ٢٣ 23
शाऊल के सेवकों ने यह वक्तव्य दावीद के लिए दोहरा दिया. यह सुन दावीद ने उन्हें समझाया, “क्या समझते हो तुम लोग? क्या, राजा का दामाद होना कोई साधारण बात है? मैं एक निर्धन व्यक्ति हूं—एकदम तुच्छ.”
فَأَخْبَرَ عَبِيدُ شَاوُلَ سَيِّدَهُمْ بِحَدِيثِ دَاوُدَ. ٢٤ 24
जब दावीद के ये विचार शाऊल तक पहुंचाए गए,
فَقَالَ شَاوُلُ لَهُمْ: «هَذَا مَا تَقُولُونَهُ لِدَاوُدَ: إِنَّ الْمَلِكَ لَا يَطْمَعُ فِي مَهْرٍ، بَلْ فِي مِئَةِ غُلْفَةٍ مِنْ غُلَفِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ، انْتِقَاماً مِنْ أَعْدَاءِ الْمَلِكِ». قَالَ هَذَا ظَنّاً مِنْهُ أَنْ يُوْقِعَ دَاوُدَ فِي أَسْرِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ. ٢٥ 25
शाऊल ने इसका उत्तर इस प्रकार दिया, “दावीद से यह कहना, ‘राजा तुमसे कोई बेटी के मोल की उम्मीद नहीं कर रहे. वह तुम्हारे द्वारा फिलिस्तीनियों से सिर्फ बदला ही लेना चाहते हैं. तब इसके लिए तुम्हें उन्हें सिर्फ एक सौ फिलिस्तीनी पुरुषों के लिंग की खाल लाकर देना होगा.’” इसके द्वारा शाऊल सिर्फ यह चाह रहे थे कि दावीद फिलिस्तीनियों के हाथ में पड़ जाएं और मारे जाएं.
فَأَبْلَغَ عَبِيدُ شَاوُلَ دَاوُدَ بِمَطْلَبِ الْمَلِكِ، فَرَاقَهُ الأَمْرُ، وَلاسِيَّمَا فِكْرَةُ مُصَاهَرَةِ الْمَلِكِ. وَقَبْلَ أَنْ تَنْتَهِيَ الْمُهْلَةُ الْمُعْطَاةُ لَهُ، ٢٦ 26
जब शाऊल के अधिकारियों ने जाकर दावीद को यह सूचना दी, राजा के दामाद हो जाने के लिए दावीद खुशी से तैयार हो गए. तय किए गए समय के पहले ही,
انْطَلَقَ مَعَ رِجَالِهِ وَقَتَلَ مِئَتَيْ رَجُلٍ مِنَ الْفِلِسْطِينِيِّينَ، وَأَتَى بِغُلَفِهِمْ وَقَدَّمَهَا كَامِلَةً لِتَكُونَ مَهْراً لِمُصَاهَرَةِ الْمَلِكِ. فَزَوَّجَهُ شَاوُلُ عِنْدَئِذٍ مِنِ ابْنَتِهِ مِيكَالَ. ٢٧ 27
दावीद अपने साथियों के साथ निकल पड़े, दो सौ फिलिस्तीनियों को मार गिराया और दावीद ने उनके लिंग की खाल ले जाकर राजा को भेंटकर दी कि वह राजा के दामाद बन सकें. शाऊल ने अपनी बेटी मीखल का विवाह दावीद से कर दिया.
وَأَدْرَكَ شَاوُلُ يَقِيناً أَنَّ الرَّبَّ مَعَ دَاوُدَ، وَأَنَّ ابْنَتَهُ مِيكَالَ تُحِبُّهُ. ٢٨ 28
इस बात के प्रकाश में, कि याहवेह दावीद के साथ हैं, तथा यह भी कि उनकी बेटी मीखल दावीद से प्रेम करती है,
فَتَزَايَدَ خَوْفُ شَاوُلَ مِنْ دَاوُدَ، وَأَصْبَحَ عَدُوَّهُ اللَّدُودَ طَوَالَ حَيَاتِهِ. ٢٩ 29
शाऊल दावीद से और भी अधिक डर गए. उससे शाऊल दावीद के स्थायी शत्रु बन गए.
وَثَابَرَ أَقْطَابُ الْفِلِسْطِينِيِّينَ عَلَى مُحَارَبَةِ إِسْرَائِيلَ، فَكَانَ دَاوُدُ يَظْفَرُ بِهِمْ أَكْثَرَ مِنْ بَقِيَّةِ قُوَّادِ شَاوُلَ، وَأَصْبَحَ اسْمُهُ عَلَى كُلِّ شَفَةٍ وَلِسَانٍ. ٣٠ 30
तब फिलिस्तीनी सैन्य अधिकारियों ने युद्ध के लिए इकट्ठा होना शुरू कर दिया. जब कभी वे हमला की कोशिश करते थे, दावीद शाऊल के सभी अधिकारियों की अपेक्षा कहीं अधिक जयवंत होकर लौटते थे. इससे दावीद बहुत ही प्रसिद्ध होते चले गए.

< 1 صَمُوئيل 18 >