< 1 صَمُوئيل 17 >
وَحَشَدَ الْفِلِسْطِينِيُّونَ جُيُوشَهُمْ لِلْحَرْبِ وَاجْتَمَعُوا فِي سُوكُوهَ التَّابِعَةِ لِسِبْطِ يَهُوذَا، وَعَسْكَرُوا مَا بَيْنَ سُوكُوهَ وَعَزِيقَةَ فِي أَفَسِ دَمِّيمَ. | ١ 1 |
इस समय फिलिस्तीनियों ने युद्ध के लिए अपनी सेना इकट्ठी की हुई थी. वे यहूदिया के सोकोह नामक स्थान पर एकत्र थे. उन्होंने सोकोह तथा अज़ेका के मध्यवर्ती क्षेत्र में अपने शिविर खड़े किए थे.
وَتَجَمَّعَ شَاوُلُ وَرِجَالُهُ وَنَزَلُوا فِي وَادِي الْبُطْمِ وَاصْطَفُّوا لِلْحَرْبِ لِلِقَاءِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ. | ٢ 2 |
शाऊल और उनकी सेना एलाह घाटी में एकत्र थी, जहां उन्होंने अपने शिविर खड़े किए थे. फिलिस्तीनियों से युद्ध के लिए उन्होंने यहीं अपनी सेना संयोजित की थी.
وَوَقَفَ الْفِلِسْطِينِيُّونَ عَلَى جَبَلٍ مِنْ نَاحِيَةٍ، وَالإِسْرَائِيلِيُّونَ عَلَى جَبَلٍ آخَرَ مُقَابِلَهُمْ، يَفْصِلُ بَيْنَهُمْ وَادٍ. | ٣ 3 |
फिलिस्तीनी सेना एक पहाड़ी पर तथा इस्राएली सेना अन्य पहाड़ी पर मोर्चा बांधे खड़ी थी, और उनके मध्य घाटी थी.
فَخَرَجَ مِنْ بَيْنِ صُفُوفِ جُيُوشِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ رَجُلٌ مُبَارِزٌ مِنْ جَتَّ يُدْعَى جُلْيَاتَ طُولُهُ سِتُّ أَذْرُعٍ وَشِبْرٌ (نَحْوَ ثَلاثَةِ أَمْتَارٍ)، | ٤ 4 |
इसी समय फिलिस्तीनियों के शिविर से एक योद्धा बाहर आया. उसका नाम था गोलियथ, जो गाथ प्रदेश का वासी था. कद में वह लगभग तीन मीटर ऊंचा था.
يَضَعُ عَلَى رَأْسِهِ خُوذَةً مِنْ نُحَاسٍ، وَيَرْتَدِي دِرْعاً مُصَفَّحاً وَزْنُهُ خَمْسَةُ آلافِ شَاقِلٍ (نَحْوَ سَبْعَةٍ وَخَمْسِينَ كِيلُو جِرَاماً) مِنَ النُّحَاسِ | ٥ 5 |
उसने अपने सिर पर कांसे का टोप पहन रखा था. उसके शरीर पर पीतल का कवच था, जिसका भार सत्तावन किलो था.
وَقَدْ لَفَّ سَاقَيْهِ بِصَفَائِحَ مِنْ نُحَاسٍ، كَمَا تَدَلَّى رُمْحٌ نُحَاسِيٌّ مِنْ كَتِفَيْهِ. | ٦ 6 |
उसके पैरों पर भी पीतल का कवच था. उसके कंधों के मध्य कांसे की बर्छी लटकी हुई थी
وَكَانَتْ قَنَاةُ رُمْحِهِ شَبِيهَةً بِنَوْلِ النِّسَّاجِينَ، وَسِنَانُهُ يَزِنُ سِتَّ مِئَةِ شَاقِلِ حَدِيدٍ (نَحْوَ سَبْعَةِ كِيلُو جِرَامَاتٍ)، وَكَانَ حَامِلُ تُرْسِهِ يَمْشِي أَمَامَهُ. | ٧ 7 |
उसके भाले का दंड करघे के दंड समान था. भाले के लोहे का फल लगभग सात किलो था. उसके आगे-आगे उसका ढाल संवाहक चल रहा था.
فَوَقَفَ جُلْيَاتُ يُنَادِي جَيْشَ الإِسْرَائِيلِيِّينَ: «مَا بَالُكُمْ خَرَجْتُمْ تَصْطَفُّونَ لِلْحَرْبِ؟ أَلَسْتُ أَنَا الْفِلِسْطِينِيَّ، وَأَنْتُمْ خُدَّامَ شَاوُلَ؟ انْتَخِبُوا مِنْ بَيْنِكُمْ رَجُلاً يُبَارِزُنِي. | ٨ 8 |
इस्राएल की सेना पंक्ति के सामने खड़े हो उसने उन्हें संबोधित कर उच्च स्वर में कहना शुरू किया, “क्या कर रहे हो तुम यहां युद्ध संरचना में संयोजित होकर? शाऊल के दासों, मैं फिलिस्तीनी हूं. अपने मध्य से एक योद्धा चुनो कि वह मेरे पास आए.
فَإِنِ اسْتَطَاعَ مُحَارَبَتِي وَقَتَلَنِي نُصْبِحُ لَكُمْ عَبِيداً، وَإِنْ قَهَرْتُهُ وَقَتَلْتُهُ تُصْبِحُونَ أَنْتُمْ لَنَا عَبِيداً وَتَخْدُمُونَنَا. | ٩ 9 |
यदि वह मुझसे युद्ध कर सके और मेरा वध कर सके, तो हम तुम्हारे सेवक बन जाएंगे; मगर यदि मैं उसे पराजित करूं और उसका वध करूं, तो तुम्हें हमारे दास बनकर हमारी सेवा करनी होगी.”
إِنَّنِي أُعَيِّرُ وَأَتَحَدَّى الْيَوْمَ جَيْشَ إِسْرَائِيلَ! لِيَخْرُجْ مِنْ بَيْنِكُمْ رَجُلٌ يُبَارِزُنِي!». | ١٠ 10 |
वह फिलिस्तीनी यह भी कह रहा था, “आज मैं इस्राएली सेना को चुनौती देता हूं! मुझसे युद्ध करने के लिए एक योद्धा भेजो.”
وَعِنْدَمَا سَمِعَ شَاوُلُ وَجَمِيعُ إِسْرَائِيلَ تَحَدِّيَاتِ الْفِلِسْطِينِيِّ ارْتَعَبُوا وَجَزَعُوا جِدّاً. | ١١ 11 |
जब शाऊल तथा इस्राएली सेना ने यह सब सुना तो वे सभी निराश हो गए, और उनमें भय समा गया.
وَكَانَ لِدَاوُدَ بْنِ يَسَّى الأَفْرَاتِيِّ الْمُقِيمِ فِي بَيْتِ لَحْمِ أَرْضِ يَهُوذَا، سَبْعَةُ إِخْوَةٍ أَكْبَرَ مِنْهُ. وَكَانَ يَسَّى قَدْ شَاخَ فِي زَمَنِ شَاوُلَ وَتَقَدَّمَ فِي الْعُمْرِ. | ١٢ 12 |
दावीद यहूदिया प्रदेश में इफ्ऱथ क्षेत्र के बेथलेहेम नगर के यिशै नामक व्यक्ति के पुत्र थे. यिशै के आठ पुत्र थे. शाऊल के शासनकाल में यिशै वयोवृद्ध हो चुके थे.
وَكَانَ بَنُو يَسَّى الثَّلاثَةُ الْكِبَارُ قَدِ الْتَحَقُوا بِجَيْشِ شَاوُلَ وَهُمْ أَلِيآبُ الْبِكْرُ وَأَبِينَادَابُ وَشَمَّةُ. | ١٣ 13 |
उनके तीन बड़े पुत्र शाऊल की सेना में शामिल थे: एलियाब उनका जेठा पुत्र, अबीनादाब दूसरा, तथा तीसरा पुत्र शम्माह.
أَمَّا دَاوُدُ فَكَانَ أَصْغَرَ الأَبْنَاءِ جَمِيعاً. وَانْضَمَّ الثَّلاثَةُ الْكِبَارُ إِلَى صُفُوفِ شَاوُلَ. | ١٤ 14 |
दावीद इन सबसे छोटे थे. तीन बड़े भाई ही शाऊल की सेना में शामिल हुए थे.
وَكَانَ دَاوُدُ يَتَرَدَّدُ عَلَى شَاوُلَ ثُمَّ يَرْجِعُ مِنْ عِنْدِهِ لِيَرْعَى غَنَمَ أَبِيهِ فِي بَيْتِ لَحْمٍ. | ١٥ 15 |
दावीद शाऊल की उपस्थिति से बेथलेहेम जा-जाकर अपने पिता की भेड़ों की देखभाल किया करते थे.
وَظَلَّ الْفِلِسْطِينِيُّ يَخْرُجُ مُتَحَدِّياً الإِسْرَائِيلِيِّينَ كُلَّ صَبَاحٍ وَمَسَاءٍ، مُدَّةَ أَرْبَعِينَ يَوْماً. | ١٦ 16 |
वह फिलिस्तीनी चालीस दिन तक हर सुबह तथा शाम इस्राएली सेना के सामने आकर खड़ा हो जाया करता था.
وَذَاتَ يَوْمٍ قَالَ يَسَّى لِدَاوُدَ ابْنِهِ: «خُذْ لإِخْوَتِكَ إِيفَةً (أَيْ أَرْبَعَةً وَعِشْرِينَ لِتْراً) مِنْ هَذَا الْفَرِيكِ، وَعَشْرَةَ أَرْغِفَةٍ مِنَ الْخُبْزِ وَارْكُضْ إِلَى الْمُعَسْكَرِ. | ١٧ 17 |
यिशै ने अपने पुत्र दावीद से कहा, “अपने भाइयों के लिए शीघ्र यह एफाह भर भुने अन्न, तथा दस रोटियों की टोकरी ले जाओ.
وَقَدِّمْ عَشَرَ قِطَعٍ مِنَ الْجُبْنِ إِلَى قَائِدِ الأَلْفِ، وَاطْمَئِنَّ عَلَى سَلامَةِ إِخْوَتِكَ وَأَحْضِرْ لِي مِنْهُمْ مَا يَدُلُّ عَلَى سَلامَتِهِمْ». | ١٨ 18 |
इसके अतिरिक्त उनके सैन्य अधिकारी के लिए ये दस पनीर टिकियां भी ले जाओ. अपने भाइयों का हाल भी मालूम कर आना, और मुझे आकर सारी ख़बर देना.
وَكَانَ شَاوُلُ آنَئِذٍ مَعَ جَيْشِهِ وَمِنْ جُمْلَتِهِمْ إِخْوَةُ دَاوُدَ، مُعَسْكِرِينَ فِي وَادِي الْبُطْمِ، تَأَهُّباً لِمُحَارَبَةِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ. | ١٩ 19 |
शाऊल और उनकी सारी सेना फिलिस्तीनियों से युद्ध करने के लक्ष्य से एलाह की घाटी में एकत्र हैं.”
فَانْطَلَقَ دَاوُدُ مُبَكِّراً فِي صَبَاحِ الْيَوْمِ التَّالِي، بَعْدَ أَنْ تَرَكَ الْغَنَمَ فِي عُهْدَةِ حَارِسٍ، مُحَمَّلاً بِمَا أَمَرَهُ بِهِ أَبُوهُ، وَبَلَغَ الْمُعَسْكَرَ فِيمَا كَانَ الْجَيْشُ خَارِجاً للاصْطِفَافِ وَالْهُتَافِ لِلْحَرْبِ. | ٢٠ 20 |
दावीद प्रातः जल्दी उठे और अपनी भेड़ें एक कर्मी की सुरक्षा में छोड़कर पिता के आदेश के अनुरूप सारा प्रावधान लेकर प्रस्थान किया. वह शिविर ठीक उस मौके पर पहुंचे, जब सेना युद्ध क्षेत्र के लिए बाहर आ ही रही थी. इसी समय वे सब युद्ध घोष नारा भी लगा रहे थे.
وَمَا لَبِثَتْ أَنْ تَوَاجَهَتْ صُفُوفُ الإِسْرَائِيلِيِّينَ وَالْفِلِسْطِينِيِّينَ. | ٢١ 21 |
इस्राएली सेना और फिलिस्तीनी सेना आमने-सामने खड़ी हो गई.
فَتَرَكَ دَاوُدُ الطَّعَامَ الَّذِي يَحْمِلُهُ فِي رِعَايَةِ حَافِظِ الأَمْتِعَةِ، وَهَرْوَلَ نَحْوَ خَطِّ الْقِتَالِ يَبْحَثُ عَنْ إِخْوَتِهِ لِيَطْمَئِنَّ عَلَى سَلامَتِهِمْ. | ٢٢ 22 |
दावीद अपने साथ लाई हुई सामग्री सामान के रखवाले को सौंपकर रणभूमि की ओर दौड़ गए, कि अपने भाइयों से उनके कुशल क्षेम के बारे में पूछताछ की.
وَفِيمَا هُوَ يُحَادِثُهُمْ إِذَا بِجُلْيَاتَ الْفِلِسْطِينِيِّ الْمُبَارِزِ مِنْ جَتَّ، يَخْرُجُ مِنْ صُفُوفِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ، وَيُوَجِّهُ تَحَدِّيَاتِهِ إِلَى الإِسْرَائِيلِيِّينَ. فَأَصْغَى دَاوُدُ إِلَى تَهْدِيدَاتِهِ. | ٢٣ 23 |
जब वह उनसे संवाद कर ही रहे थे, गाथ प्रदेश से आया वह गोलियथ नामक फिलिस्तीनी योद्धा, फिलिस्तीनी सेना का पड़ाव से बाहर आ रहा था. आज भी उसने वही शब्द दोहराए, जो वह अब तक दोहराता आया था, और दावीद ने आज वे शब्द सुने.
وَعِنْدَمَا شَاهَدَ جَيْشُ إِسْرَائِيلَ الرَّجُلَ تَرَاجَعُوا أَمَامَهُ مَذْعُورِينَ جِدّاً. | ٢٤ 24 |
उसे देखते ही संपूर्ण इस्राएली सेना बहुत ही भयभीत होकर उसकी उपस्थिति से दूर भागने लगी.
وَتَحَدَّثَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ فِيمَا بَيْنَهُمْ: «أَرَأَيْتُمْ هَذَا الرَّجُلَ الْمُبَارِزَ مِنْ صُفُوفِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ؟ إِنَّهُ يَسْعَى لِتَحَدِّينَا وَتَعْيِيرِنَا. إِنَّ مَنْ يَقْتُلُهُ يُغْدِقُ عَلَيْهِ الْمَلِكُ ثَرْوَةً طَائِلَةً، وَيُزَوِّجُهُ مِنِ ابْنَتِهِ، وَيَعْفِي بَيْتَ أَبِيهِ مِنْ دَفْعِ الضَّرَائِبِ وَمِنَ التَّسْخِيرِ». | ٢٥ 25 |
कुछ सैनिकों ने दावीद से बातचीत करते हुए पूछा, “देख रहे हो न इस व्यक्ति को, जो हमारी ओर बढ़ा चला आ रहा है? वह इस्राएल को तुच्छ साबित करने के उद्देश्य से रोज-रोज यही कर रहा है. जो कोई उसे धराशायी कर देगा, राजा उसे समृद्ध सम्पन्न कर देंगे, उससे अपनी बेटी का विवाह कर देंगे तथा उसके पिता के संपूर्ण परिवार को कर मुक्त भी कर देंगे.”
فَسَأَلَ دَاوُدُ الرِّجَالَ الْوَاقِفِينَ إِلَى جُوَارِهِ: «بِمَاذَا يُكَافَأُ الرَّجُلُ الَّذِي يَقْتُلُ ذَلِكَ الْفِلِسْطِينِيَّ وَيَمْحُو الْعَارَ عَنْ إِسْرَائِيلَ؟ لأَنَّهُ مَنْ هُوَ هَذَا الْفِلِسْطِينِيُّ الأَغْلَفُ حَتَّى يُعَيِّرَ جَيْشَ اللهِ الْحَيِّ؟» | ٢٦ 26 |
दावीद ने बातें कर रहे उन सैनिकों से प्रश्न किया, “उस व्यक्ति को क्या प्रतिफल दिया जाएगा, जो इस फिलिस्तीनी का संहार कर इस्राएल के उस अपमान को मिटा देगा? क्योंकि यह अख़तनित फिलिस्तीनी होता कौन है, जो जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं की ऐसी उपेक्षा करे?”
فَتَلَقَّى دَاوُدُ مِنَ الْجُنُودِ جَوَاباً مُمَاثِلاً لِمَا سَمِعَهُ مِنْ قَبْلُ عَنِ الْمُكَافَأَةِ الَّتِي يَنَالُهَا الرَّجُلُ الَّذِي يَقْتُلُ جُلْيَاتَ. | ٢٧ 27 |
उन सैनिकों ने दावीद को उत्तर देते हुए वही कहा, जो वे उसके पूर्व उन्हें बता चुके थे, “जो कोई इसका वध करेगा, उसे वही प्रतिफल दिया जाएगा, जैसा हम बता चुके हैं.”
وَسَمِعَ أَخُوهُ الأَكْبَرُ حَدِيثَهُ مَعَ الرِّجَالِ، فَاحْتَدَمَ غَضَبُهُ عَلَى دَاوُدَ وَقَالَ: «لِمَاذَا جِئْتَ إِلَى هُنَا؟ وَعَلَى مَنْ تَرَكْتَ تِلْكَ الْغُنَيْمَاتِ الْقَلِيلَةَ فِي الْبَرِّيَّةِ؟ لَقَدْ عَرَفْتُ غُرُورَكَ وَشَرَّ قَلْبِكَ، فَأَنَتْ لَمْ تَحْضُرْ إِلَى هُنَا إِلّا لِتَشْهَدَ الْحَرْبَ». | ٢٨ 28 |
दावीद के बड़े भाई एलियाब ने दावीद को सैनिकों से बातें करते सुना. एलियाब ने दावीद पर क्रोधित हुआ. एलियाब दावीद से पूछा, “तुम यहां क्यों आये? मरुभूमि में उन थोड़ी सी भेड़ों को किसके पास छोड़कर आये हो? मैं जानता हूं कि तुम यहां क्यों आये हो! मुझे पता है कि तू कितना अभिमानी है! मैं तेरे दुष्ट हृदय को जानता! तुम केवल यहां युद्ध देखने के लिये आना चाहते थे!”
فَأَجَابَ دَاوُدُ: «أَيَّةُ جِنَايَةٍ ارْتَكَبْتُ الآنَ؟ أَلا يَحِقُّ لِي حَتَّى أَنْ أُوَجِّهَ سُؤَالاً؟» | ٢٩ 29 |
दावीद ने उत्तर दिया, “अरे! मैंने किया ही क्या है? क्या मुझे पूछताछ करने का भी अधिकार नहीं?”
وَتَحَوَّلَ عَنْ أَخِيهِ نَحْوَ قَوْمٍ آخَرِينَ، أَثَارَ مَعَهُمْ نَفْسَ الْمَوْضُوعِ، فَأَجَابُوهُ بِمِثْلِ الْجَوَابِ السَّابِقِ. | ٣٠ 30 |
यह कहकर दावीद वहां से चले गए, और किसी अन्य सैनिक से उन्होंने वही प्रश्न पूछा, जिसका उन्हें वही उत्तर प्राप्त हुआ, जो उन्हें इसके पहले दिया गया था.
وَبَلَغَ شَاوُلَ حَدِيثُ دَاوُدَ، فَاسْتَدْعَاهُ. | ٣١ 31 |
किसी ने दावीद का वक्तव्य शाऊल के सामने जा दोहराया. शाऊल ने उन्हें अपने पास लाए जाने का आदेश दिया.
وَقَالَ دَاوُدُ لِشَاوُلَ: «لا يَذُوبَنَّ قَلْبُ أَحَدٍ خَوْفاً مِنْ هَذَا الْفِلِسْطِينِيِّ، فَإِنَّ عَبْدَكَ يَذْهَبُ لِيُحَارِبَهُ» | ٣٢ 32 |
दावीद ने शाऊल से कहा, “किसी को भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. मैं, आपका सेवक, जाकर उस फिलिस्तीनी से युद्ध करूंगा.”
فَقَالَ شَاوُلُ لِدَاوُدَ: «أَنْتَ لَا يُمْكِنُكَ الذَّهَابُ لِمُحَارَبَةِ هَذَا الْفِلِسْطِينِيِّ، لأَنَّكَ مَازِلْتَ فَتىً، وَهُوَ رَجُلُ حَرْبٍ مُنْذُ صِبَاهُ». | ٣٣ 33 |
शाऊल ने दावीद को सलाह देते हुए कहा, “यह असंभव है कि तुम जाकर इस फिलिस्तीनी से युद्ध करो; तुम सिर्फ एक बालक हो और वह जवानी से एक योद्धा.”
فَقَالَ دَاوُدُ: «كَانَ عَبْدُكَ يَرْعَى ذَاتَ يَوْمٍ غَنَمَ أَبِيهِ، فَجَاءَ أَسَدٌ مَعَ دُبٍّ وَاخْتَطَفَ شَاةً مِنَ الْقَطِيعِ. | ٣٤ 34 |
दावीद ने शाऊल को उत्तर दिया, “मैं, आपका सेवक, अपने पिता की भेड़ों की रखवाली करता रहा हूं. जब कभी सिंह या भालू भेड़ों के झुंड में से किसी भेड़ को उठाकर ले जाता है,
فَسَعَيْتُ وَرَاءَهُ وَهَاجَمْتُهُ وَأَنْقَذْتُهَا مِنْ أَنْيَابِهِ. وَعِنْدَمَا انْقَضَّ عَلَيَّ قَبَضْتُ عَلَيْهِ مِنْ ذَقْنِهِ وَضَرَبْتُهُ فَقَتَلْتُهُ. | ٣٥ 35 |
मैं उसका पीछा कर, उस पर प्रहार कर उसके मुख से भेड़ को निकाल लाता हूं, यदि वह मुझ पर हमला करता है, मैं उसका जबड़ा पकड़, उस पर वार कर उसे मार डालता हूं.
وَهَكَذَا قَتَلَ عَبْدُكَ الأَسَدَ وَالدُّبَّ كِلَيهِمَا، فَلْيَكُنْ هَذَا الْفِلِسْطِينِيُّ الأَغْلَفُ كَوَاحِدٍ مِنْهُمَا لأَنَّهُ عَيَّرَ جَيْشَ اللهِ الْحَيِّ». | ٣٦ 36 |
आपके सेवक ने सिंह तथा भालू दोनों ही का संहार किया है. इस अख़तनित फिलिस्तीनी की भी वही नियति होने पर है, जो उनकी हुई है, क्योंकि उसने जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं को तुच्छ समझा है.
وَاسْتَطْرَدَ دَاوُدُ: «إِنَّ الرَّبَّ الَّذِي أَنْقَذَنِي مِنْ مَخَالِبِ الأَسَدِ وَمِنْ مَخَالِبِ الدُّبِّ، يُنْقِذُنِي أَيْضاً مِنْ قَبْضَةِ هَذَا الْفِلِسْطِينِيِّ». فَقَالَ شَاوُلُ لِدَاوُدَ: «امْضِ وَلْيَكُنِ الرَّبُّ مَعَكَ». | ٣٧ 37 |
याहवेह, जिन्होंने मेरी रक्षा सिंह तथा रीछ से की है मेरी रक्षा इस फिलिस्तीनी से भी करेंगे.” इस पर शाऊल ने दावीद से कहा, “बहुत बढ़िया! जाओ, याहवेह की उपस्थिति तुम्हारे साथ बनी रहे.”
وَأَلْبَسَ شَاوُلُ دَاوُدَ سُتْرَةَ حَرْبِهِ، وَوَضَعَ عَلَى رَأْسِهِ خُوذَةً مِنْ نُحَاسٍ وَمَنْطَقَهُ بِدِرْعٍ. | ٣٨ 38 |
यह कहते हुए शाऊल ने दावीद को अपने हथियारों से सुसज्जित करना शुरू कर दिया.
وَتَقَلَّدَ دَاوُدُ سَيْفَ شَاوُلَ، وَهَمَّ أَنْ يَمْشِيَ، وَإِذْ لَمْ يَكُنْ قَدْ تَعَوَّدَ عَلَيْهَا مِنْ قَبْلُ قَالَ لِشَاوُلَ: «لا أَقْدِرُ أَنْ أَمْشِيَ بِعُدَّةِ الْحَرْبِ هَذِهِ، لأَنَّنِي لَسْتُ مُعْتَاداً عَلَيْهَا». وَخَلَعَهَا عَنْهُ. | ٣٩ 39 |
दावीद ने इनके ऊपर शाऊल की तलवार भी कस ली और फिर इन सबके साथ चलने की कोशिश करने लगे, क्योंकि इसके पहले उन्होंने इनका प्रयोग कभी न किया था. उन्होंने शाऊल से कहा, “इन्हें पहनकर तो मेरे लिए चलना फिरना मुश्किल हो रहा है; क्योंकि मैंने इनका प्रयोग पहले कभी नहीं किया है.” यह कहते हुए दावीद ने वे सब उतार दिए.
وَتَنَاوَلَ عَصَاهُ بِيَدِهِ، ثُمَّ الْتَقَطَ خَمْسَةَ حِجَارَةٍ مَلْسَاءَ مِنْ جَدْوَلِ الْوَادِي وَجَعَلَهَا فِي جِرَابِهِ، وَحَمَلَ مِقْلاعَهُ بِيَدِهِ وَاتَّجَهَ نَحْوَ جُلْيَاتَ. | ٤٠ 40 |
फिर दावीद ने अपनी लाठी ली, नदी के तट से पांच चिकने-सुडौल पत्थर उठाए, उन्हें अपनी चरवाहे की झोली में डाला, अपने हाथ में अपनी गोफन लिए हुए फिलिस्तीनी की ओर बढ़ चला.
وَتَقَدَّمَ الْفِلِسْطِينِيُّ نَحْوَ دَاوُدَ، وَحَامِلُ سِلاحِهِ يَمْشِي أَمَامَهُ. | ٤١ 41 |
वह फिलिस्तीनी भी बढ़ते हुए दावीद के निकट आ पहुंचा. उसके आगे-आगे उसका ढाल उठानेवाला चल रहा था.
وَمَا إِنْ شَاهَدَ الْفِلِسْطِينِيُّ دَاوُدَ حَتَّى اسْتَخَفَّ بِهِ لأَنَّهُ كَانَ فَتىً أَشْقَرَ وَسِيمَ الطَّلْعَةِ. | ٤٢ 42 |
जब उस फिलिस्तीनी ने ध्यानपूर्वक दावीद की ओर देखा, तो उसके मन में दावीद के प्रति घृणा के भाव उत्पन्न हो गए, क्योंकि दावीद सिर्फ एक बालक ही थे—कोमल गुलाबी त्वचा और बहुत ही सुंदर.
فَقَالَ الْفِلِسْطِينِيُّ لِدَاوُدَ: «أَلَعَلِّي كَلْبٌ حَتَّى تَأْتِيَ لِمُحَارَبَتِي بِعِصِيٍّ؟» وَشَتَمَ الْفِلِسْطِينِيُّ آلِهَةَ دَاوُدَ. | ٤٣ 43 |
उस फिलिस्तीनी ने दावीद को संबोधित करते हुए कहा, “मैं कोई कुत्ता हूं, जो मेरी ओर यह लाठी लिए हुए बढ़े चले आ रहे हो?” और वह अपने देवताओं के नाम लेकर दावीद का शाप देने लगा.
ثُمَّ قَالَ لِدَاوُدَ: «تَعَالَ لأَجْعَلَ لَحْمَكَ طَعَاماً لِطُيُورِ السَّمَاءِ وَوُحُوشِ الْبَرِّيَّةِ». | ٤٤ 44 |
दावीद को संबोधित कर वह कहने लगा, “आ जा! आज मैं तेरा मांस पशु पक्षियों का आहार बना छोड़ूंगा.”
فَأَجَابَهُ دَاوُدُ: «أَنْتَ تُبَارِزُنِي بِسَيْفٍ وَرُمْحٍ وَتُرْسٍ، أَمَّا أَنَا فَآتِيكَ بِاسْمِ رَبِّ الْجُنُودِ إِلَهِ جَيْشِ إِسْرَائِيلَ الَّذِي تَحَدَّيْتَهُ. | ٤٥ 45 |
तब दावीद ने उस फिलिस्तीनी से कहा, “तुम मेरी ओर यह भाला, यह तलवार, बरछा तथा शूल लिए हुए बढ़ रहे हो, मगर मैं तुम्हारा सामना सेनाओं के याहवेह के नाम में कर रहा हूं, जो इस्राएल की सेनाओं के परमेश्वर हैं, तुमने जिनकी प्रतिष्ठा को भ्रष्ट किया है.
الْيَوْمَ يُوْقِعُكَ الرَّبُّ فِي يَدِي، فَأَقْتُلُكَ وَأَقْطَعُ رَأْسَكَ، وَأُقَدِّمُ جُثَثَ جَيْشِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ هَذَا الْيَوْمَ لِتَكُونَ طَعَاماً لِطُيُورِ السَّمَاءِ وَحَيَوَانَاتِ الأَرْضِ، فَتَعْلَمُ الْمَسْكُونَةُ كُلُّهَا أَنَّ هُنَاكَ إِلَهاً فِي إِسْرَائِيلَ. | ٤٦ 46 |
आज ही याहवेह तुम्हें मेरे अधीन कर देंगे. मैं तुम्हारा संहार करूंगा और तुम्हारा सिर काटकर देह से अलग कर दूंगा. और मैं आज फिलिस्तीनी सेना के शव पक्षियों और वन्य पशुओं के लिए छोड़ दूंगा कि सारी पृथ्वी को यह मालूम हो जाए कि परमेश्वर इस्राएल राष्ट्र में हैं,
وَتُدْرِكُ الْجُمُوعُ الْمُحْتَشِدَةُ هُنَا أَنَّهُ لَيْسَ بِسَيْفٍ وَلا بِرُمْحٍ يُخَلِّصُ الرَّبُّ، لأَنَّ الْحَرْبَ لِلرَّبِّ وَهُوَ يَنْصُرُنَا عَلَيْكُمْ». | ٤٧ 47 |
तथा यहां उपस्थित हर एक व्यक्ति को यह अहसास हो जाएगा कि याहवेह के लिए छुड़ौती के साधन तलवार और बर्छी नहीं हैं. यह युद्ध याहवेह का है और वही तुम्हें हमारे अधीन कर देंगे.”
وَعِنْدَمَا شَاهَدَ دَاوُدُ الْفِلِسْطِينِيَّ يَهُبُّ مُتَقَدِّماً نَحْوَهُ، أَسْرَعَ لِلِقَائِهِ. | ٤٨ 48 |
यह सुनकर वह फिलिस्तीनी दावीद पर प्रहार करने के लक्ष्य से आगे बढ़ा. वहां दावीद भी फिलिस्तीनी पर हमला करने युद्ध रेखा की ओर दौड़े.
وَمَدَّ يَدَهُ إِلَى الْجِرَابِ، وَتَنَاوَلَ حَجَراً لَوَّحَ بِهِ بِمِقْلاعِهِ وَرَمَاهُ، فَأَصَابَ جَبْهَةَ الْفِلِسْطِينِيِّ، فَغَاصَ الْحَجَرُ فِي جَبْهَتِهِ وَسَقَطَ جُلْيَاتُ عَلَى وَجْهِهِ إِلَى الأَرْضِ. | ٤٩ 49 |
दावीद ने अपने झोले से एक पत्थर निकाला, गोफन में रख उसे फेंका और वह पत्थर जाकर फिलिस्तीनी के माथे पर जा लगा, और भीतर गहरा चला गया और वह भूमि पर मुख के बल गिर पड़ा.
وَهَكَذَا قَضَى دَاوُدُ عَلَى الْفِلِسْطِينِيِّ بِالْمِقْلاعِ وَالْحَجَرِ وَقَتَلَهُ. وَإِذْ لَمْ يَكُنْ بِيَدِهِ سَيْفٌ | ٥٠ 50 |
इस प्रकार दावीद सिर्फ गोफन और पत्थर के द्वारा उस फिलिस्तीनी पर विजयी हो गए. उन्होंने इनके द्वारा उस फिलिस्तीनी पर वार किया और उसकी मृत्यु हो गई. दावीद के पास तलवार तो थी नहीं.
رَكَضَ نَحْوَ جُلْيَاتَ وَاخْتَرَطَ سَيْفَهُ مِنْ غِمْدِهِ وَقَتَلَهُ وَقَطَعَ بِهِ رَأْسَهُ. فَلَمَّا رَأَى الْفِلِسْطِينِيُّونَ أَنَّ جَبَّارَهُمْ قَدْ قُتِلَ هَرَبُوا. | ٥١ 51 |
तब वह दौड़कर उस फिलिस्तीनी की देह पर चढ़ गए, उसकी म्यान में से तलवार खींची, उसकी हत्या करने के लिए उसका सिर उस तलवार द्वारा अलग कर दिया. जब फिलिस्ती सेना ने यह देखा कि उनका शूर योद्धा मारा जा चुका है, वे भागने लगे.
فَأَطْلَقَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوذَا صَيْحَاتِ الْحَرْبِ، وَتَعَقَّبُوا الْفِلِسْطِينِيِّينَ حَتَّى مَشَارِفِ الْوَادِي وَأَبْوَابِ مَدِينَةِ عَقْرُونَ. وَانْتَشَرَتْ جُثَثُ قَتْلَى الْفِلِسْطِينِيِّينَ عَلَى طُولِ طَرِيقِ شَعَرَايِمَ إِلَى جَتَّ وَإِلَى عَقْرُونَ. | ٥٢ 52 |
यह देख इस्राएल तथा यहूदिया के सैनिकों ने युद्धनाद करते हुए उनका पीछा करना शुरू कर दिया. वे उन्हें खदेड़ते हुए गाथ तथा एक्रोन के प्रवेश द्वार तक जा पहुंचे. घायल फिलिस्तीनी सैनिक शअरयिम से गाथ और एक्रोन के मार्ग पर पड़े रहे.
وَعِنْدَمَا رَجَعَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ مِنْ مُطَارَدَةِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ هَجَمُوا عَلَى مُعَسْكَرِهِمْ وَنَهَبُوهُ. | ٥٣ 53 |
इस्राएली सैनिक उनका पीछा करना छोड़कर लौटे और फिलिस्तीनी शिविर को लूट लिया.
وَحَمَلَ دَاوُدُ رَأْسَ جُلْيَاتَ إِلَى أُورُشَلِيمَ، وَلَكِنَّهُ احْتَفَظَ بِعُدَّةِ حَرْبِهِ فِي خَيْمَتِهِ. | ٥٤ 54 |
दावीद उस फिलिस्तीनी का सिर उठाकर येरूशलेम ले गए और उसके सारे हथियार अपने तंबू में रख लिए.
وَكَانَ شَاوُلُ عِنْدَمَا رَأَى دَاوُدَ خَارِجاً لِمُحَارَبَةِ جُلْيَاتَ، قَدْ سَأَلَ أَبْنَيْرَ قَائِدَ جَيْشِهِ: «ابْنُ مَنْ هَذَا الْفَتَى يَا أَبْنَيْرُ؟» فَأَجَابَهُ: «وَحَيَاتِكَ أَيُّهَا الْمَلِكُ لَسْتُ أَعْلَمُ». | ٥٥ 55 |
जब दावीद फिलिस्तीनी से युद्ध करने जा रहे थे, शाऊल उनकी हर एक गतिविधि को ध्यानपूर्वक देख रहे थे. उन्होंने अपनी सेना के सेनापति अबनेर से पूछा, “अबनेर, यह युवक किसका पुत्र है?” अबनेर ने उत्तर दिया, “महाराज, आप जीवित रहें, यह मैं नहीं जानता.”
فَقَالَ الْمَلِكُ: «اسْأَلْ ابْنُ مَنْ هَذَا الْفَتَى؟» | ٥٦ 56 |
राजा ने आदेश दिया, “यह पता लगाया जाए यह किशोर किसका पुत्र है.”
وَحِينَ رَجَعَ دَاوُدُ بَعْدَ قَتْلِ الْفِلِسْطِينِيِّ أَخَذَهُ أَبْنَيْرُ وَأَحْضَرَهُ لِلْمُثُولِ أَمَامَ شَاوُلَ، وَرَأْسُ الْفِلِسْطِينِيِّ مَا بَرِحَ بِيَدِهِ. | ٥٧ 57 |
उस फिलिस्तीनी का संहार कर लौटते ही सेनापति अबनेर दावीद को राजा शाऊल की उपस्थिति में ले गए. इस समय दावीद के हाथ में उस फिलिस्तीनी का सिर था.
فَسَأَلَهُ شَاوُلُ: «ابْنُ مَنْ أَنْتَ يَا فَتَى؟» فَأَجَابَهُ دَاوُدُ: «ابْنُ عَبْدِكَ يَسَّى الْبَيْتَلَحْمِيِّ». | ٥٨ 58 |
शाऊल ने दावीद से पूछा. “युवक, कौन हैं तुम्हारे पिता?” दावीद ने उन्हें उत्तर दिया, “आपके सेवक बेथलेहेम के यिशै.”