< رُوما 11 >

فَأَقُولُ: أَلَعَلَّ ٱللهَ رَفَضَ شَعْبَهُ؟ حَاشَا! لِأَنِّي أَنَا أَيْضًا إِسْرَائِيلِيٌّ مِنْ نَسْلِ إِبْرَاهِيمَ مِنْ سِبْطِ بِنْيَامِينَ. ١ 1
येकोलायी मय कहू हय, का परमेश्वर न अपनी प्रजा ख छोड़ दियो? कभीच नहीं! मय भी त इस्राएली आय; अब्राहम को वंश अऊर बिन्यामीन को गोत्र म सी आय।
لَمْ يَرْفُضِ ٱللهُ شَعْبَهُ ٱلَّذِي سَبَقَ فَعَرَفَهُ. أَمْ لَسْتُمْ تَعْلَمُونَ مَاذَا يَقُولُ ٱلْكِتَابُ فِي إِيلِيَّا؟ كَيْفَ يَتَوَسَّلُ إِلَى ٱللهِ ضِدَّ إِسْرَائِيلَ قَائِلًا: ٢ 2
परमेश्वर न अपनी ऊ प्रजा ख नहीं छोड़्यो, जेक ओन पहिले सीच जान्यो। का तुम नहीं जानय कि पवित्र शास्त्र एलिय्याह को बारे म का कह्य हय, जब ऊ इस्राएल को विरोध म परमेश्वर सी बिनती करय हय?
«يَارَبُّ، قَتَلُوا أَنْبِيَاءَكَ وَهَدَمُوا مَذَابِحَكَ، وَبَقِيتُ أَنَا وَحْدِي، وَهُمْ يَطْلُبُونَ نَفْسِي!». ٣ 3
“हे प्रभु, उन्न तोरो भविष्यवक्तावों ख मार डाल्यो, अऊर तोरी अर्पन की वेदियों ख गिराय दियो हय; अऊर मयच अकेलो बच्यो हय, अऊर हि मोख मारन लायी ढूंढ रह्यो हंय।”
لَكِنْ مَاذَا يَقُولُ لَهُ ٱلْوَحْيُ؟ «أَبْقَيْتُ لِنَفْسِي سَبْعَةَ آلَافِ رَجُلٍ لَمْ يُحْنُوا رُكْبَةً لِبَعْلٍ». ٤ 4
पर परमेश्वर सी ओख का उत्तर मिल्यो? “मय न अपनो लायी सात हजार आदमियों ख रख्यो हय, जिन्न झुटो बाल भगवान को आगु घुटना नहीं टेक्यो हंय।”
فَكَذَلِكَ فِي ٱلزَّمَانِ ٱلْحَاضِرِ أَيْضًا قَدْ حَصَلَتْ بَقِيَّةٌ حَسَبَ ٱخْتِيَارِ ٱلنِّعْمَةِ. ٥ 5
ठीक योच रीति सी यो समय भी, अनुग्रह सी चुन्यो हुयो कुछ लोग बाकी हंय।
فَإِنْ كَانَ بِٱلنِّعْمَةِ فَلَيْسَ بَعْدُ بِٱلْأَعْمَالِ، وَإِلَّا فَلَيْسَتِ ٱلنِّعْمَةُ بَعْدُ نِعْمَةً. وَإِنْ كَانَ بِٱلْأَعْمَالِ فَلَيْسَ بَعْدُ نِعْمَةً، وَإِلَّا فَٱلْعَمَلُ لَا يَكُونُ بَعْدُ عَمَلًا. ٦ 6
यदि यो अनुग्रह सी भयो हय, त फिर कर्मों सी नहीं; नहीं त अनुग्रह फिर अनुग्रह नहीं रह्यो।
فَمَاذَا؟ مَا يَطْلُبُهُ إِسْرَائِيلُ ذَلِكَ لَمْ يَنَلْهُ. وَلَكِنِ ٱلْمُخْتَارُونَ نَالُوهُ. وَأَمَّا ٱلْبَاقُونَ فَتَقَسَّوْا، ٧ 7
येकोलायी परिनाम का भयो? यो की इस्राएली जेकी खोज म होतो, ऊ उन्ख नहीं मिल्यो; पर चुन्यो हुयो ख मिल्यो, अऊर बच्यो लोग कठोर करयो गयो।
كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ: «أَعْطَاهُمُ ٱللهُ رُوحَ سُبَاتٍ، وَعُيُونًا حَتَّى لَا يُبْصِرُوا، وَآذَانًا حَتَّى لَا يَسْمَعُوا إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ». ٨ 8
जसो शास्त्र म लिख्यो हय, “परमेश्वर न उन्ख मन अऊर दिल ख भारी नींद म कर दियो हय, अऊर असी आंखी दियो जो नहीं देखय अऊर असो कान जो नहीं सुन्यो।”
وَدَاوُدُ يَقُولُ: «لِتَصِرْ مَائِدَتُهُمْ فَخًّا وَقَنَصًا وَعَثْرَةً وَمُجَازَاةً لَهُمْ. ٩ 9
अऊर दाऊद कह्य हय, “उन्को भोजनों म फस क बन्दी बन जाये, अऊर ऊ गिरेंन अऊर उन्को पतन होय अऊर सजा मिले।
لِتُظْلِمْ أَعْيُنُهُمْ كَيْ لَا يُبْصِرُوا، وَلْتَحْنِ ظُهُورَهُمْ فِي كُلِّ حِينٍ». ١٠ 10
उन्की आंखी पर अन्धारो छाय जाये ताकि नहीं देखे, अऊर तय हमेशा उन्की कमर ख झुकायो रख।”
فَأَقُولُ: أَلَعَلَّهُمْ عَثَرُوا لِكَيْ يَسْقُطُوا؟ حَاشَا! بَلْ بِزَلَّتِهِمْ صَارَ ٱلْخَلَاصُ لِلْأُمَمِ لِإِغَارَتِهِمْ. ١١ 11
अब भी मय कहू हय का उन्न येकोलायी ठोकर खायी कि गिर जायेंन? कभीच नहीं! पर उन्को गिरन को वजह गैरयहूदियों ख उद्धार मिल्यो, कि उन्ख जलन हो।
فَإِنْ كَانَتْ زَلَّتُهُمْ غِنًى لِلْعَالَمِ، وَنُقْصَانُهُمْ غِنًى لِلْأُمَمِ، فَكَمْ بِٱلْحَرِيِّ مِلْؤُهُمْ؟ ١٢ 12
येकोलायी यदि उन्को गिरनों जगत को लायी धन अऊर उन्की कमी गैरयहूदियों को लायी अच्छो हय, त उन्की भरपूरी सी बहुत बड़ो आशीर्वाद मिलेंन।
فَإِنِّي أَقُولُ لَكُمْ أَيُّهَا ٱلْأُمَمُ: بِمَا أَنِّي أَنَا رَسُولٌ لِلْأُمَمِ أُمَجِّدُ خِدْمَتِي، ١٣ 13
यो अब मय तुम गैरयहूदियों सी कह्य हय। जब तक मय विशेष रूप सी गैरयहूदियों को लायी प्रेरित हय, त मय अपनी सेवा की बड़ायी करू हय,
لَعَلِّي أُغِيرُ أَنْسِبَائِي وَأُخَلِّصُ أُنَاسًا مِنْهُمْ. ١٤ 14
जलन पैदा करवाय क उन्म सी कुछ एक को उद्धार कराऊं।
لِأَنَّهُ إِنْ كَانَ رَفْضُهُمْ هُوَ مُصَالَحَةَ ٱلْعَالَمِ، فَمَاذَا يَكُونُ ٱقْتِبَالُهُمْ إِلَّا حَيَاةً مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ؟ ١٥ 15
कहालीकि परमेश्वर को द्वारा उन्को अस्वीकार करयो जानो यो परमेश्वर को संग मिल क फिर उन्को अपनायो जानो सी का मरयो हुयो को जीन्दो जानो नहीं होयेंन?
وَإِنْ كَانَتِ ٱلْبَاكُورَةُ مُقَدَّسَةً فَكَذَلِكَ ٱلْعَجِينُ! وَإِنْ كَانَ ٱلْأَصْلُ مُقَدَّسًا فَكَذَلِكَ ٱلْأَغْصَانُ! ١٦ 16
जब भेंट को पहिलो पेड़ा पवित्र ठहरयो, त पूरो गूंथ्यो हुयो आटा भी पवित्र हय; अऊर जब झाड़ कि जड़ी पवित्र ठहरी, त ओकी डगाली भी पवित्र ठहरी हंय।
فَإِنْ كَانَ قَدْ قُطِعَ بَعْضُ ٱلْأَغْصَانِ، وَأَنْتَ زَيْتُونَةٌ بَرِّيَّةٌ طُعِّمْتَ فِيهَا، فَصِرْتَ شَرِيكًا فِي أَصْلِ ٱلزَّيْتُونَةِ وَدَسَمِهَا، ١٧ 17
पर यदि कुछ डगाली तोड़ दियो गयो, अऊर तय जंगली जैतून होय क ओको म कलम करयो गयो, अऊर जैतून की जड़ी की शक्ति को सहभागी भयो,
فَلَا تَفْتَخِرْ عَلَى ٱلْأَغْصَانِ. وَإِنِ ٱفْتَخَرْتَ، فَأَنْتَ لَسْتَ تَحْمِلُ ٱلْأَصْلَ، بَلِ ٱلْأَصْلُ إِيَّاكَ يَحْمِلُ! ١٨ 18
त डगालियों पर घमण्ड मत करजो; अऊर यदि तय घमण्ड करेंन त याद रख कि तय जड़ी ख नहीं पर जड़ी तोख सम्भाल रही हय।
فَسَتَقُولُ: «قُطِعَتِ ٱلْأَغْصَانُ لِأُطَعَّمَ أَنَا!». ١٩ 19
फिर तय कहजो, “डगालियां येकोलायी तोड़ी कि मोरी ओको म कलम करी जाये।”
حَسَنًا! مِنْ أَجْلِ عَدَمِ ٱلْإِيمَانِ قُطِعَتْ، وَأَنْتَ بِٱلْإِيمَانِ ثَبَتَّ. لَا تَسْتَكْبِرْ بَلْ خَفْ! ٢٠ 20
ठीक हय, हि त अविश्वास को वजह तोड़ी गयी, पर तय विश्वास को बन्यो रह्य हय येकोलायी अभिमानी नहीं हो, पर डर मान,
لِأَنَّهُ إِنْ كَانَ ٱللهُ لَمْ يُشْفِقْ عَلَى ٱلْأَغْصَانِ ٱلطَّبِيعِيَّةِ فَلَعَلَّهُ لَا يُشْفِقُ عَلَيْكَ أَيْضًا! ٢١ 21
कहालीकि जब परमेश्वर न स्वाभाविक डगालियों ख नहीं छोड़्यो त मोख भी नहीं छोड़ेंन।
فَهُوَذَا لُطْفُ ٱللهِ وَصَرَامَتُهُ: أَمَّا ٱلصَّرَامَةُ فَعَلَى ٱلَّذِينَ سَقَطُوا، وَأَمَّا ٱللُّطْفُ فَلَكَ، إِنْ ثَبَتَّ فِي ٱللُّطْفِ، وَإِلَّا فَأَنْتَ أَيْضًا سَتُقْطَعُ. ٢٢ 22
कहालीकि परमेश्वर की कृपा अऊर कठोरता ख देख! जो गिर गयो उन पर कठोरता, पर तोरो पर कृपा, यदि तय ओको म बन्यो रह्यो त ठीक हय, नहीं त तय भी काट डाल्यो जायेंन।
وَهُمْ إِنْ لَمْ يَثْبُتُوا فِي عَدَمِ ٱلْإِيمَانِ سَيُطَعَّمُونَ. لِأَنَّ ٱللهَ قَادِرٌ أَنْ يُطَعِّمَهُمْ أَيْضًا. ٢٣ 23
यहूदी भी यदि अविश्वास म नहीं रह्य, त झाड़ कलम करयो जायेंन; कहालीकि परमेश्वर सामर्थ हय उन्ख फिर कलम कर सकय हय।
لِأَنَّهُ إِنْ كُنْتَ أَنْتَ قَدْ قُطِعْتَ مِنَ ٱلزَّيْتُونَةِ ٱلْبَرِّيَّةِ حَسَبَ ٱلطَّبِيعَةِ، وَطُعِّمْتَ بِخِلَافِ ٱلطَّبِيعَةِ فِي زَيْتُونَةٍ جَيِّدَةٍ، فَكَمْ بِٱلْحَرِيِّ يُطَعَّمُ هَؤُلَاءِ ٱلَّذِينَ هُمْ حَسَبَ ٱلطَّبِيعَةِ، فِي زَيْتُونَتِهِمِ ٱلْخَاصَّةِ؟ ٢٤ 24
कहालीकि यदि गैरयहूदी ओको जैतून सी, जो स्वभाव सी जंगली हय, काट्यो गयो अऊर स्वभाव को विरुद्ध अच्छो जैतून म कलम करयो गयो, त यो जो यहूदी डगाली हंय, अपनोच जैतून म कहाली नहीं कलम करयो जायेंन।
فَإِنِّي لَسْتُ أُرِيدُ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ أَنْ تَجْهَلُوا هَذَا ٱلسِّرَّ، لِئَلَّا تَكُونُوا عِنْدَ أَنْفُسِكُمْ حُكَمَاءَ: أَنَّ ٱلْقَسَاوَةَ قَدْ حَصَلَتْ جُزْئِيًّا لِإِسْرَائِيلَ إِلَى أَنْ يَدْخُلَ مِلْؤُ ٱلْأُمَمِ، ٢٥ 25
हे भाऊवों अऊर बहिनों, कहीं असो नहीं होय कि तुम अपनो आप ख बुद्धिमान समझ लेवो; येकोलायी मय नहीं चाहऊं कि तुम यो भेद सी अनजान रहो कि जब गैरयहूदियों पूरी रीति सी प्रवेश कर नहीं ले, तब तक हि इस्राएल को एक भाग असोच कठोर रहेंन।
وَهَكَذَا سَيَخْلُصُ جَمِيعُ إِسْرَائِيلَ. كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ: «سَيَخْرُجُ مِنْ صِهْيَوْنَ ٱلْمُنْقِذُ وَيَرُدُّ ٱلْفُجُورَ عَنْ يَعْقُوبَ. ٢٦ 26
अऊर यो रीति सी पूरो इस्राएल उद्धार पायेंन। जसो शास्त्र म लिख्यो हय, “छुटकारा देनो वालो सिय्योन सी आयेंन, अऊर अभक्ति ख याकूब को वंशज सी दूर करेंन;
وَهَذَا هُوَ ٱلْعَهْدُ مِنْ قِبَلِي لَهُمْ مَتَى نَزَعْتُ خَطَايَاهُمْ». ٢٧ 27
अऊर उन्को संग मोरी योच वाचा बन्धी रहेंन, जब कि मय उन्को पापों ख दूर कर देऊ।”
مِنْ جِهَةِ ٱلْإِنْجِيلِ هُمْ أَعْدَاءٌ مِنْ أَجْلِكُمْ، وَأَمَّا مِنْ جِهَةِ ٱلِٱخْتِيَارِ فَهُمْ أَحِبَّاءُ مِنْ أَجْلِ ٱلْآبَاءِ، ٢٨ 28
कहालीकि उन्न सुसमाचार अस्वीकार करयो अऊर गैरयहूदियों को वजह यहूदी परमेश्वर को दुश्मन हंय, पर नियुक्त करयो जान को अऊर उन्को बापदादों को वजह परमेश्वर को प्रिय हंय।
لِأَنَّ هِبَاتِ ٱللهِ وَدَعْوَتَهُ هِيَ بِلَا نَدَامَةٍ. ٢٩ 29
कहालीकि परमेश्वर कभी नहीं बदलय अऊर ओको चुनाव अऊर आशीषें अटल हय।
فَإِنَّهُ كَمَا كُنْتُمْ أَنْتُمْ مَرَّةً لَا تُطِيعُونَ ٱللهَ، وَلَكِنِ ٱلْآنَ رُحِمْتُمْ بِعِصْيَانِ هَؤُلَاءِ، ٣٠ 30
कहालीकि जसो तुम न पहिले परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी, पर अभी यहूदियों की आज्ञा नहीं मानन सी तुम पर दया भयी;
هَكَذَا هَؤُلَاءِ أَيْضًا ٱلْآنَ، لَمْ يُطِيعُوا لِكَيْ يُرْحَمُوا هُمْ أَيْضًا بِرَحْمَتِكُمْ. ٣١ 31
तुम पर जो दया भयी ओको वजह यहूदी अब परमेश्वर की आज्ञा नहीं मान रह्यो हय, येकोलायी अब तुम्हरो जसो उन पर भी दया हो।
لِأَنَّ ٱللهَ أَغْلَقَ عَلَى ٱلْجَمِيعِ مَعًا فِي ٱلْعِصْيَانِ، لِكَيْ يَرْحَمَ ٱلْجَمِيعَ. (eleēsē g1653) ٣٢ 32
कहालीकि परमेश्वर न सब ख आज्ञा न मानन को वजह बन्दी बनाय क रख्यो, ताकि ऊ सब पर दया करेंन। (eleēsē g1653)
يَا لَعُمْقِ غِنَى ٱللهِ وَحِكْمَتِهِ وَعِلْمِهِ! مَا أَبْعَدَ أَحْكَامَهُ عَنِ ٱلْفَحْصِ وَطُرُقَهُ عَنِ ٱلِٱسْتِقْصَاءِ! ٣٣ 33
आहा! परमेश्वर को धन अऊर बुद्धी अऊर ज्ञान कितनो महान हय! ओको बिचार ख कौन स्पष्ट कर सकय हय, अऊर ओको रस्ता ख कौन समझ सकय हंय!
«لِأَنْ مَنْ عَرَفَ فِكْرَ ٱلرَّبِّ؟ أَوْ مَنْ صَارَ لَهُ مُشِيرًا؟ ٣٤ 34
“शास्त्र कह्य हय की प्रभु को मन कौन जान सकय हय? अऊर ओको सल्ला देन सकय हय?
أَوْ مَنْ سَبَقَ فَأَعْطَاهُ فَيُكَافَأَ؟». ٣٥ 35
का कोयी न परमेश्वर ख कुछ दियो हय जेको बदले म ऊ ओको फिर सी वापस दे? जेको बदला म ओख दियो जाये?”
لِأَنَّ مِنْهُ وَبِهِ وَلَهُ كُلَّ ٱلْأَشْيَاءِ. لَهُ ٱلْمَجْدُ إِلَى ٱلْأَبَدِ. آمِينَ. (aiōn g165) ٣٦ 36
कहालीकि ओको की तरफ सी, अऊर ओकोच द्वारा, अऊर ओकोच द्वारा अऊर ओकोच लायी सब कुछ हय। परमेश्वर की महिमा हमेशा हमेशा होवय रहे! आमीन। (aiōn g165)

< رُوما 11 >