< اَلْمَزَامِيرُ 98 >
مَزْمُورٌ رَنِّمُوا لِلرَّبِّ تَرْنِيمَةً جَدِيدَةً، لِأَنَّهُ صَنَعَ عَجَائِبَ. خَلَّصَتْهُ يَمِينُهُ وَذِرَاعُ قُدْسِهِ. | ١ 1 |
ख़ुदावन्द के सामने नया हम्द गाओ क्यूँकि उसने 'अजीब काम किए हैं। उसके दहने हाथ और उसके पाक बाज़ू ने उसके लिए फ़तह हासिल की है।
أَعْلَنَ ٱلرَّبُّ خَلَاصَهُ. لِعُيُونِ ٱلْأُمَمِ كَشَفَ بِرَّهُ. | ٢ 2 |
ख़ुदावन्द ने अपनी नजात ज़ाहिर की है, उसने अपनी सदाक़त क़ौमों के सामने ज़ाहिर की है।
ذَكَرَ رَحْمَتَهُ وَأَمَانَتَهُ لِبَيْتِ إِسْرَائِيلَ. رَأَتْ كُلُّ أَقَاصِي ٱلْأَرْضِ خَلَاصَ إِلَهِنَا. | ٣ 3 |
उसने इस्राईल के घराने के हक़ में अपनी शफ़क़त — ओ — वफ़ादारी याद की है, इन्तिहाई ज़मीन के लोगों ने हमारे ख़ुदा की नजात देखी है।
اِهْتِفِي لِلرَّبِّ يَا كُلَّ ٱلْأَرْضِ. ٱهْتِفُوا وَرَنِّمُوا وَغَنُّوا. | ٤ 4 |
ऐ तमाम अहल — ए — ज़मीन! ख़ुदावन्द के सामने ख़ुशी का नारा मारो; ललकारो और खु़शी से गाओ और मदहसराई करो।
رَنِّمُوا لِلرَّبِّ بِعُودٍ. بِعُودٍ وَصَوْتِ نَشِيدٍ. | ٥ 5 |
ख़ुदावन्द की सिताइश सितार पर करो, सितार और सुरीली आवाज़ से।
بِٱلْأَبْوَاقِ وَصَوْتِ ٱلصُّورِ ٱهْتِفُوا قُدَّامَ ٱلْمَلِكِ ٱلرَّبِّ! | ٦ 6 |
नरसिंगे और करना की आवाज़ से, बादशाह या'नी ख़ुदावन्द के सामने खु़शी का नारा मारो।
لِيَعِجَّ ٱلْبَحْرُ وَمِلْؤُهُ، ٱلْمَسْكُونَةُ وَٱلسَّاكِنُونَ فِيهَا. | ٧ 7 |
समन्दर और उसकी मा'मूरी शोर मचाएँ और जहान और उसके बाशिंदे।
ٱلْأَنْهَارُ لِتُصَفِّقْ بِٱلْأَيَادِي، ٱلْجِبَالُ لِتُرَنِّمْ مَعًا | ٨ 8 |
सैलाब तालियाँ बजाएँ; पहाड़ियाँ मिलकर ख़ुशी से गाएँ।
أَمَامَ ٱلرَّبِّ، لِأَنَّهُ جَاءَ لِيَدِينَ ٱلْأَرْضَ. يَدِينُ ٱلْمَسْكُونَةَ بِٱلْعَدْلِ وَٱلشُّعُوبَ بِٱلِٱسْتِقَامَةِ. | ٩ 9 |
ख़ुदावन्द के सामने, क्यूँकि वह ज़मीन की 'अदालत करने आ रहा है। वह सदाक़त से जहान की, रास्ती से क़ौमों की 'अदालत करेगा।