< اَلْمَزَامِيرُ 88 >
تَسْبِيحَةٌ. مَزْمُورٌ لِبَنِي قُورَحَ. لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ عَلَى «ٱلْعُودِ» لِلْغِنَاءِ. قَصِيدَةٌ لِهَيْمَانَ ٱلْأَزْرَاحِيِّ يَارَبُّ إِلَهَ خَلَاصِي، بِٱلنَّهَارِ وَٱللَّيْلِ صَرَخْتُ أَمَامَكَ، | ١ 1 |
एक गीत. कोराह के पुत्रों की स्तोत्र रचना. संगीत निर्देशक के लिये. माहलाथ लान्नोथ धुन पर आधारित. एज़्रावंश हेमान का मसकील हे याहवेह, मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर; मैं दिन-रात आपको पुकारता रहता हूं.
فَلْتَأْتِ قُدَّامَكَ صَلَاتِي. أَمِلْ أُذُنَكَ إِلَى صُرَاخِي، | ٢ 2 |
मेरी प्रार्थना आप तक पहुंच सके; और आप मेरी पुकार सुनें.
لِأَنَّهُ قَدْ شَبِعَتْ مِنَ ٱلْمَصَائِبِ نَفْسِي، وَحَيَاتِي إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ دَنَتْ. (Sheol ) | ٣ 3 |
मेरा प्राण क्लेश में डूब चुका है तथा मेरा जीवन अधोलोक के निकट आ पहुंचा है. (Sheol )
حُسِبْتُ مِثْلَ ٱلْمُنْحَدِرِينَ إِلَى ٱلْجُبِّ. صِرْتُ كَرَجُلٍ لَا قُوَّةَ لَهُ. | ٤ 4 |
मेरी गणना उनमें होने लगी है, जो कब्र में पड़े हैं; मैं दुःखी पुरुष के समान हो गया हूं.
بَيْنَ ٱلْأَمْوَاتِ فِرَاشِي مِثْلُ ٱلْقَتْلَى ٱلْمُضْطَجِعِينَ فِي ٱلْقَبْرِ، ٱلَّذِينَ لَا تَذْكُرُهُمْ بَعْدُ، وَهُمْ مِنْ يَدِكَ ٱنْقَطَعُوا. | ٥ 5 |
मैं मृतकों के मध्य छोड़ दिया गया हूं, उन वध किए गए पुरुषों के समान, जो कब्र में पड़े हैं, जिन्हें अब आप स्मरण नहीं करते, जो आपकी हितचिंता के योग्य नहीं रह गए.
وَضَعْتَنِي فِي ٱلْجُبِّ ٱلْأَسْفَلِ، فِي ظُلُمَاتٍ، فِي أَعْمَاقٍ. | ٦ 6 |
आपने मुझे अधोलोक में डाल दिया है ऐसी गहराई में, जहां अंधकार ही अंधकार है.
عَلَيَّ ٱسْتَقَرَّ غَضَبُكَ، وَبِكُلِّ تَيَّارَاتِكَ ذَلَّلْتَنِي. سِلَاهْ. | ٧ 7 |
आपका कोप मुझ पर अत्यंत भारी पड़ा है; मानो मैं लहरों में दबा दिया गया हूं.
أَبْعَدْتَ عَنِّي مَعَارِفِي. جَعَلْتَنِي رِجْسًا لَهُمْ. أُغْلِقَ عَلَيَّ فَمَا أَخْرُجُ. | ٨ 8 |
मेरे निकटतम मित्रों को आपने मुझसे दूर कर दिया है, आपने मुझे उनकी घृणा का पात्र बना दिया है. मैं ऐसा बंध गया हूं कि मुक्त ही नहीं हो पा रहा;
عَيْنِي ذَابَتْ مِنَ ٱلذُّلِّ. دَعَوْتُكَ يَارَبُّ كُلَّ يَوْمٍ. بَسَطْتُ إِلَيْكَ يَدَيَّ. | ٩ 9 |
वेदना से मेरी आंखें धुंधली हो गई हैं. याहवेह, मैं प्रतिदिन आपको पुकारता हूं; मैं आपके सामने हाथ फैलाए रहता हूं.
أَفَلَعَلَّكَ لِلْأَمْوَاتِ تَصْنَعُ عَجَائِبَ؟ أَمِ ٱلْأَخِيلَةُ تَقُومُ تُمَجِّدُكَ؟ سِلَاهْ. | ١٠ 10 |
क्या आप अपने अद्भुत कार्य मृतकों के सामने प्रदर्शित करेंगे? क्या वे, जो मृत हैं, जीवित होकर आपकी महिमा करेंगे?
هَلْ يُحَدَّثُ فِي ٱلْقَبْرِ بِرَحْمَتِكَ، أَوْ بِحَقِّكَ فِي ٱلْهَلَاكِ؟ | ١١ 11 |
क्या आपके करुणा-प्रेम की घोषणा कब्र में की जाती है? क्या विनाश में आपकी सच्चाई प्रदर्शित होगी?
هَلْ تُعْرَفُ فِي ٱلظُّلْمَةِ عَجَائِبُكَ، وَبِرُّكَ فِي أَرْضِ ٱلنِّسْيَانِ؟ | ١٢ 12 |
क्या अंधकारमय स्थान में आपके आश्चर्य कार्य पहचाने जा सकेंगे, अथवा क्या विश्वासघात के स्थान में आपकी धार्मिकता प्रदर्शित की जा सकेगी?
أَمَّا أَنَا فَإِلَيْكَ يَارَبُّ صَرَخْتُ، وَفِي ٱلْغَدَاةِ صَلَاتِي تَتَقَدَّمُكَ. | ١٣ 13 |
किंतु, हे याहवेह, सहायता के लिए मैं आपको ही पुकारता हूं; प्रातःकाल ही मैं अपनी मांग आपके सामने प्रस्तुत कर देता हूं.
لِمَاذَا يَارَبُّ تَرْفُضُ نَفْسِي؟ لِمَاذَا تَحْجُبُ وَجْهَكَ عَنِّي؟ | ١٤ 14 |
हे याहवेह, आप क्यों मुझे अस्वीकार करते रहते हैं, क्यों मुझसे अपना मुख छिपाते रहते हैं?
أَنَا مِسْكِينٌ وَمُسَلِّمُ ٱلرُّوحِ مُنْذُ صِبَايَ. ٱحْتَمَلْتُ أَهْوَالَكَ. تَحَيَّرْتُ. | ١٥ 15 |
मैं युवावस्था से आक्रांत और मृत्यु के निकट रहा हूं; मैं आपके आतंक से ताड़ना भोग रहा हूं तथा मैं अब दुःखी रह गया हूं.
عَلَيَّ عَبَرَ سَخَطُكَ. أَهْوَالُكَ أَهْلَكَتْنِي. | ١٦ 16 |
आपके कोप ने मुझे भयभीत कर लिया है; आपके आतंक ने मुझे नष्ट कर दिया है.
أَحَاطَتْ بِي كَٱلْمِيَاهِ ٱلْيَوْمَ كُلَّهُ. ٱكْتَنَفَتْنِي مَعًا. | ١٧ 17 |
सारे दिन ये मुझे बाढ़ के समान भयभीत किए रहते हैं; इन्होंने पूरी रीति से मुझे अपने में समाहित कर रखा है.
أَبْعَدْتَ عَنِّي مُحِبًّا وَصَاحِبًا. مَعَارِفِي فِي ٱلظُّلْمَةِ. | ١٨ 18 |
आपने मुझसे मेरे मित्र तथा मेरे प्रिय पात्र छीन लिए हैं; अब तो अंधकार ही मेरा घनिष्ठ मित्र हो गया है.