< اَلْمَزَامِيرُ 86 >
صَلَاةٌ لِدَاوُدَ أَمِلْ يَارَبُّ أُذُنَكَ. ٱسْتَجِبْ لِي، لِأَنِّي مِسْكِينٌ وَبَائِسٌ أَنَا. | ١ 1 |
दावीद की एक प्रार्थना याहवेह, मेरी बिनती सुनकर मुझे उत्तर दीजिए, क्योंकि मैं दरिद्र तथा दीन हूं.
ٱحْفَظْ نَفْسِي لِأَنِّي تَقِيٌّ. يَا إِلَهِي، خَلِّصْ أَنْتَ عَبْدَكَ ٱلْمُتَّكِلَ عَلَيْكَ. | ٢ 2 |
मेरे प्राणों की रक्षा कीजिए, क्योंकि मैं आपके प्रति समर्पित हूं; अपने इस सेवक को बचा लीजिए, जिसने आप पर भरोसा रखा है. आप मेरे परमेश्वर हैं;
ٱرْحَمْنِي يَارَبُّ، لِأَنَّنِي إِلَيْكَ أَصْرُخُ ٱلْيَوْمَ كُلَّهُ. | ٣ 3 |
प्रभु, मुझ पर कृपा कीजिए, क्योंकि मैं सारा दिन आपको पुकारता रहता हूं.
فَرِّحْ نَفْسَ عَبْدِكَ، لِأَنَّنِي إِلَيْكَ يَارَبُّ أَرْفَعُ نَفْسِي. | ٤ 4 |
अपने सेवक के प्राणों में आनंद का संचार कीजिए, क्योंकि, प्रभु, मैं अपना प्राण आपकी ओर उठाता हूं.
لِأَنَّكَ أَنْتَ يَارَبُّ صَالِحٌ وَغَفُورٌ، وَكَثِيرُ ٱلرَّحْمَةِ لِكُلِّ ٱلدَّاعِينَ إِلَيْكَ. | ٥ 5 |
प्रभु, आप कृपानिधान एवं क्षमा शील हैं, उन सभी के प्रति, जो आपको पुकारते हैं, आपका करुणा-प्रेम महान है.
اِصْغَ يَارَبُّ إِلَى صَلَاتِي، وَأَنْصِتْ إِلَى صَوْتِ تَضَرُّعَاتِي. | ٦ 6 |
याहवेह, मेरी प्रार्थना सुनिए; कृपा कर मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए.
فِي يَوْمِ ضِيْقِي أَدْعُوكَ، لِأَنَّكَ تَسْتَجِيبُ لِي. | ٧ 7 |
संकट के अवसर पर मैं आपको पुकारूंगा, क्योंकि आप मुझे उत्तर देंगे.
لَا مِثْلَ لَكَ بَيْنَ ٱلْآلِهَةِ يَارَبُّ، وَلَا مِثْلَ أَعْمَالِكَ. | ٨ 8 |
प्रभु, देवताओं में कोई भी आपके तुल्य नहीं है; आपके कृत्यों की तुलना किसी अन्य से नहीं की जा सकती.
كُلُّ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ صَنَعْتَهُمْ يَأْتُونَ وَيَسْجُدُونَ أَمَامَكَ يَارَبُّ، وَيُمَجِّدُونَ ٱسْمَكَ. | ٩ 9 |
आपके द्वारा बनाए गए समस्त राष्ट्रों के लोग, हे प्रभु, आपके सामने आकर आपकी वंदना करेंगे; वे आपकी महिमा का आदर करेंगे.
لِأَنَّكَ عَظِيمٌ أَنْتَ وَصَانِعٌ عَجَائِبَ. أَنْتَ ٱللهُ وَحْدَكَ. | ١٠ 10 |
क्योंकि आप महान हैं और अद्भुत हैं आपके कृत्य; मात्र आप ही परमेश्वर हैं.
عَلِّمْنِي يَارَبُّ طَرِيقَكَ. أَسْلُكْ فِي حَقِّكَ. وَحِّدْ قَلْبِي لِخَوْفِ ٱسْمِكَ. | ١١ 11 |
हे याहवेह, मुझे अपनी राह की शिक्षा दीजिए, कि मैं आपके सत्य का आचरण करूं; मुझे एकचित्त हृदय प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी महिमा के प्रति श्रद्धा बनाए रखूं.
أَحْمَدُكَ يَارَبُّ إِلَهِي مِنْ كُلِّ قَلْبِي، وَأُمَجِّدُ ٱسْمَكَ إِلَى ٱلدَّهْرِ. | ١٢ 12 |
मेरे प्रभु परमेश्वर, मैं संपूर्ण हृदय से आपका स्तवन करूंगा; मैं आपकी महिमा का आदर सदैव करता रहूंगा.
لِأَنَّ رَحْمَتَكَ عَظِيمَةٌ نَحْوِي، وَقَدْ نَجَّيْتَ نَفْسِي مِنَ ٱلْهَاوِيَةِ ٱلسُّفْلَى. (Sheol ) | ١٣ 13 |
क्योंकि मेरे प्रति आपका करुणा-प्रेम अधिक है; अधोलोक के गहरे गड्ढे से, आपने मेरे प्राण छुड़ा लिए हैं. (Sheol )
اَللَّهُمَّ، ٱلْمُتَكَبِّرُونَ قَدْ قَامُوا عَلَيَّ، وَجَمَاعَةُ ٱلْعُتَاةِ طَلَبُوا نَفْسِي، وَلَمْ يَجْعَلُوكَ أَمَامَهُمْ. | ١٤ 14 |
परमेश्वर, अहंकारी मुझ पर आक्रमण कर रहे हैं; क्रूर पुरुषों का समूह मेरे प्राणों का प्यासा है, ये वे हैं, जिनके हृदय में आपके लिए कोई सम्मान नहीं है.
أَمَّا أَنْتَ يَارَبُّ فَإِلَهٌ رَحِيمٌ وَرَؤُوفٌ، طَوِيلُ ٱلرُّوحِ وَكَثِيرُ ٱلرَّحْمَةِ وَٱلْحَقِّ. | ١٥ 15 |
किंतु प्रभु, आप कृपालु और दयालु परमेश्वर हैं, आप विलंब से क्रोध करनेवाले तथा अति करुणामय एवं सत्य से परिपूर्ण हैं.
ٱلْتَفِتْ إِلَيَّ وَٱرْحَمْنِي. أَعْطِ عَبْدَكَ قُوَّتَكَ، وَخَلِّصِ ٱبْنَ أَمَتِكَ. | ١٦ 16 |
मेरी ओर फिरकर मुझ पर कृपा कीजिए; अपने सेवक को अपनी ओर से शक्ति प्रदान कीजिए; अपनी दासी के पुत्र को बचा लीजिए.
ٱصْنَعْ مَعِي آيَةً لِلْخَيْرِ، فَيَرَى ذَلِكَ مُبْغِضِيَّ فَيَخْزَوْا، لِأَنَّكَ أَنْتَ يَارَبُّ أَعَنْتَنِي وَعَزَّيْتَنِي. | ١٧ 17 |
मुझे अपनी खराई का चिन्ह दिखाइए, कि इसे देख मेरे शत्रु लज्जित हो सकें, क्योंकि वे देखेंगे, कि याहवेह, आपने मेरी सहायता की है, तथा आपने ही मुझे सहारा भी दिया है.