< اَلْمَزَامِيرُ 57 >
لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ. عَلَى «لَا تُهْلِكْ». مُذَهَّبَةٌ لِدَاوُدَ عِنْدَمَا هَرَبَ مِنْ قُدَّامِ شَاوُلَ فِي ٱلْمَغَارَةِ. اِرْحَمْنِي يَا ٱللهُ ٱرْحَمْنِي، لِأَنَّهُ بِكَ ٱحْتَمَتْ نَفْسِي، وَبِظِلِّ جَنَاحَيْكَ أَحْتَمِي إِلَى أَنْ تَعْبُرَ ٱلْمَصَائِبُ. | ١ 1 |
१प्रधान बजानेवाले के लिये अल-तशहेत राग में दाऊद का मिक्ताम; जब वह शाऊल से भागकर गुफा में छिप गया था हे परमेश्वर, मुझ पर दया कर, मुझ पर दया कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूँ; और जब तक ये विपत्तियाँ निकल न जाएँ, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिए रहूँगा।
أَصْرُخُ إِلَى ٱللهِ ٱلْعَلِيِّ، إِلَى ٱللهِ ٱلْمُحَامِي عَنِّي. | ٢ 2 |
२मैं परमप्रधान परमेश्वर को पुकारूँगा, परमेश्वर को जो मेरे लिये सब कुछ सिद्ध करता है।
يُرْسِلُ مِنَ ٱلسَّمَاءِ وَيُخَلِّصُنِي. عَيَّرَ ٱلَّذِي يَتَهَمَّمُنِي. سِلَاهْ. يُرْسِلُ ٱللهُ رَحْمَتَهُ وَحَقَّهُ. | ٣ 3 |
३परमेश्वर स्वर्ग से भेजकर मुझे बचा लेगा, जब मेरा निगलनेवाला निन्दा कर रहा हो। (सेला) परमेश्वर अपनी करुणा और सच्चाई प्रगट करेगा।
نَفْسِي بَيْنَ ٱلْأَشْبَالِ. أَضْطَجِعُ بَيْنَ ٱلْمُتَّقِدِينَ بَنِي آدَمَ. أَسْنَانُهُمْ أَسِنَّةٌ وَسِهَامٌ، وَلِسَانُهُمْ سَيْفٌ مَاضٍ. | ٤ 4 |
४मेरा प्राण सिंहों के बीच में है, मुझे जलते हुओं के बीच में लेटना पड़ता है, अर्थात् ऐसे मनुष्यों के बीच में जिनके दाँत बर्छी और तीर हैं, और जिनकी जीभ तेज तलवार है।
ٱرْتَفِعِ ٱللَّهُمَّ عَلَى ٱلسَّمَاوَاتِ. لِيَرْتَفِعْ عَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ مَجْدُكَ. | ٥ 5 |
५हे परमेश्वर तू स्वर्ग के ऊपर अति महान और तेजोमय है, तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!
هَيَّأُوا شَبَكَةً لِخَطَوَاتِي. ٱنْحَنَتْ نَفْسِي. حَفَرُوا قُدَّامِي حُفْرَةً. سَقَطُوا فِي وَسَطِهَا. سِلَاهْ. | ٦ 6 |
६उन्होंने मेरे पैरों के लिये जाल बिछाया है; मेरा प्राण ढला जाता है। उन्होंने मेरे आगे गड्ढा खोदा, परन्तु आप ही उसमें गिर पड़े। (सेला)
ثَابِتٌ قَلْبِي يَا ٱللهُ، ثَابِتٌ قَلْبِي. أُغَنِّي وَأُرَنِّمُ. | ٧ 7 |
७हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊँगा वरन् भजन कीर्तन करूँगा।
ٱسْتَيْقِظْ يَا مَجْدِي! ٱسْتَيْقِظِي يَارَبَابُ وَيَا عُودُ! أَنَا أَسْتَيْقِظُ سَحَرًا. | ٨ 8 |
८हे मेरे मन जाग जा! हे सारंगी और वीणा जाग जाओ; मैं भी पौ फटते ही जाग उठूँगा।
أَحْمَدُكَ بَيْنَ ٱلشُّعُوبِ يَارَبُّ. أُرَنِّمُ لَكَ بَيْنَ ٱلْأُمَمِ. | ٩ 9 |
९हे प्रभु, मैं देश-देश के लोगों के बीच तेरा धन्यवाद करूँगा; मैं राज्य-राज्य के लोगों के बीच में तेरा भजन गाऊँगा।
لِأَنَّ رَحْمَتَكَ قَدْ عَظُمَتْ إِلَى ٱلسَّمَاوَاتِ، وَإِلَى ٱلْغَمَامِ حَقُّكَ. | ١٠ 10 |
१०क्योंकि तेरी करुणा स्वर्ग तक बड़ी है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुँचती है।
ٱرْتَفِعِ ٱللَّهُمَّ عَلَى ٱلسَّمَاوَاتِ. لِيَرْتَفِعْ عَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ مَجْدُكَ. | ١١ 11 |
११हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर अति महान है! तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!