< اَلْمَزَامِيرُ 23 >
مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ ٱلرَّبُّ رَاعِيَّ فَلَا يُعْوِزُنِي شَيْءٌ. | ١ 1 |
दावीद का एक स्तोत्र. याहवेह मेरे चरवाहा हैं, मुझे कोई घटी न होगी.
فِي مَرَاعٍ خُضْرٍ يُرْبِضُنِي. إِلَى مِيَاهِ ٱلرَّاحَةِ يُورِدُنِي. | ٢ 2 |
वह मुझे हरी-हरी चराइयों में विश्रान्ति प्रदान करते हैं, वह मुझे शांत स्फूर्ति देनेवाली जलधाराओं के निकट ले जाते हैं.
يَرُدُّ نَفْسِي. يَهْدِينِي إِلَى سُبُلِ ٱلْبِرِّ مِنْ أَجْلِ ٱسْمِهِ. | ٣ 3 |
वह मेरे प्राण में नवजीवन का संचार करते हैं. वह अपनी ही महिमा के निमित्त मुझे धर्म के मार्ग पर लिए चलते हैं.
أَيْضًا إِذَا سِرْتُ فِي وَادِي ظِلِّ ٱلْمَوْتِ لَا أَخَافُ شَرًّا، لِأَنَّكَ أَنْتَ مَعِي. عَصَاكَ وَعُكَّازُكَ هُمَا يُعَزِّيَانِنِي. | ٤ 4 |
यद्यपि मैं भयानक अंधकारमय घाटी में से होकर आगे बढ़ता हूं, तौभी मैं किसी बुराई से भयभीत नहीं होता, क्योंकि आप मेरे साथ होते हैं, आपकी लाठी और आपकी छड़ी, मेरे आश्वासन हैं.
تُرَتِّبُ قُدَّامِي مَائِدَةً تُجَاهَ مُضَايِقِيَّ. مَسَحْتَ بِٱلدُّهْنِ رَأْسِي. كَأْسِي رَيَّا. | ٥ 5 |
आप मेरे शत्रुओं के सामने मेरे लिए उत्कृष्ट भोजन परोसते हैं. आप तेल से मेरे सिर को मला करते हैं; मेरा प्याला उमड़ रहा है.
إِنَّمَا خَيْرٌ وَرَحْمَةٌ يَتْبَعَانِنِي كُلَّ أَيَّامِ حَيَاتِي، وَأَسْكُنُ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ إِلَى مَدَى ٱلْأَيَّامِ. | ٦ 6 |
निश्चयतः कुशल मंगल और करुणा-प्रेम आजीवन मेरे साथ साथ बने रहेंगे, और मैं सदा-सर्वदा याहवेह के आवास में, निवास करता रहूंगा.