< اَلْمَزَامِيرُ 22 >
لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ عَلَى «أَيِّلَةِ ٱلصُّبْحِ». مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ إِلَهِي، إِلَهِي، لِمَاذَا تَرَكْتَنِي، بَعِيدًا عَنْ خَلَاصِي، عَنْ كَلَامِ زَفِيرِي؟ | ١ 1 |
१प्रधान बजानेवाले के लिये अभ्येलेरशर राग में दाऊद का भजन हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहाँ है?
إِلَهِي، فِي ٱلنَّهَارِ أَدْعُو فَلَا تَسْتَجِيبُ، فِي ٱللَّيْلِ أَدْعُو فَلَا هُدُوَّ لِي. | ٢ 2 |
२हे मेरे परमेश्वर, मैं दिन को पुकारता हूँ परन्तु तू उत्तर नहीं देता; और रात को भी मैं चुप नहीं रहता।
وَأَنْتَ ٱلْقُدُّوسُ ٱلْجَالِسُ بَيْنَ تَسْبِيحَاتِ إِسْرَائِيلَ. | ٣ 3 |
३परन्तु तू जो इस्राएल की स्तुति के सिंहासन पर विराजमान है, तू तो पवित्र है।
عَلَيْكَ ٱتَّكَلَ آبَاؤُنَا. ٱتَّكَلُوا فَنَجَّيْتَهُمْ. | ٤ 4 |
४हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे; वे भरोसा रखते थे, और तू उन्हें छुड़ाता था।
إِلَيْكَ صَرَخُوا فَنَجَوْا. عَلَيْكَ ٱتَّكَلُوا فَلَمْ يَخْزَوْا. | ٥ 5 |
५उन्होंने तेरी दुहाई दी और तूने उनको छुड़ाया वे तुझी पर भरोसा रखते थे और कभी लज्जित न हुए।
أَمَّا أَنَا فَدُودَةٌ لَا إِنْسَانٌ. عَارٌ عِنْدَ ٱلْبَشَرِ وَمُحْتَقَرُ ٱلشَّعْبِ. | ٦ 6 |
६परन्तु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं; मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों में मेरा अपमान होता है।
كُلُّ ٱلَّذِينَ يَرَوْنَنِي يَسْتَهْزِئُونَ بِي. يَفْغَرُونَ ٱلشِّفَاهَ، وَيُنْغِضُونَ ٱلرَّأْسَ قَائِلِينَ: | ٧ 7 |
७वह सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं, और होंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं,
«ٱتَّكَلَ عَلَى ٱلرَّبِّ فَلْيُنَجِّهِ، لِيُنْقِذْهُ لِأَنَّهُ سُرَّ بِهِ». | ٨ 8 |
८वे कहते है “वह यहोवा पर भरोसा करता है, यहोवा उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे क्योंकि वह उससे प्रसन्न है।”
لِأَنَّكَ أَنْتَ جَذَبْتَنِي مِنَ ٱلْبَطْنِ. جَعَلْتَنِي مُطْمَئِنًّا عَلَى ثَدْيَيْ أُمِّي. | ٩ 9 |
९परन्तु तू ही ने मुझे गर्भ से निकाला; जब मैं दूध पीता बच्चा था, तब ही से तूने मुझे भरोसा रखना सिखाया।
عَلَيْكَ أُلْقِيتُ مِنَ ٱلرَّحِمِ. مِنْ بَطْنِ أُمِّي أَنْتَ إِلَهِي. | ١٠ 10 |
१०मैं जन्मते ही तुझी पर छोड़ दिया गया, माता के गर्भ ही से तू मेरा परमेश्वर है।
لَا تَتَبَاعَدْ عَنِّي، لِأَنَّ ٱلضِّيقَ قَرِيبٌ، لِأَنَّهُ لَا مُعِينَ. | ١١ 11 |
११मुझसे दूर न हो क्योंकि संकट निकट है, और कोई सहायक नहीं।
أَحَاطَتْ بِي ثِيرَانٌ كَثِيرَةٌ. أَقْوِيَاءُ بَاشَانَ ٱكْتَنَفَتْنِي. | ١٢ 12 |
१२बहुत से सांडों ने मुझे घेर लिया है, बाशान के बलवन्त साँड़ मेरे चारों ओर मुझे घेरे हुए है।
فَغَرُوا عَلَيَّ أَفْوَاهَهُمْ كَأَسَدٍ مُفْتَرِسٍ مُزَمْجِرٍ. | ١٣ 13 |
१३वे फाड़ने और गरजनेवाले सिंह के समान मुझ पर अपना मुँह पसारे हुए है।
كَٱلْمَاءِ ٱنْسَكَبْتُ. ٱنْفَصَلَتْ كُلُّ عِظَامِي. صَارَ قَلْبِي كَٱلشَّمْعِ. قَدْ ذَابَ فِي وَسَطِ أَمْعَائِي. | ١٤ 14 |
१४मैं जल के समान बह गया, और मेरी सब हड्डियों के जोड़ उखड़ गए: मेरा हृदय मोम हो गया, वह मेरी देह के भीतर पिघल गया।
يَبِسَتْ مِثْلَ شَقْفَةٍ قُوَّتِي، وَلَصِقَ لِسَانِي بِحَنَكِي، وَإِلَى تُرَابِ ٱلْمَوْتِ تَضَعُنِي. | ١٥ 15 |
१५मेरा बल टूट गया, मैं ठीकरा हो गया; और मेरी जीभ मेरे तालू से चिपक गई; और तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है।
لِأَنَّهُ قَدْ أَحَاطَتْ بِي كِلَابٌ. جَمَاعَةٌ مِنَ ٱلْأَشْرَارِ ٱكْتَنَفَتْنِي. ثَقَبُوا يَدَيَّ وَرِجْلَيَّ. | ١٦ 16 |
१६क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरे चारों ओर मुझे घेरे हुए है; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं।
أُحْصِي كُلَّ عِظَامِي، وَهُمْ يَنْظُرُونَ وَيَتَفَرَّسُونَ فِيَّ. | ١٧ 17 |
१७मैं अपनी सब हड्डियाँ गिन सकता हूँ; वे मुझे देखते और निहारते हैं;
يَقْسِمُونَ ثِيَابِي بَيْنَهُمْ، وَعَلَى لِبَاسِي يَقْتَرِعُونَ. | ١٨ 18 |
१८वे मेरे वस्त्र आपस में बाँटते हैं, और मेरे पहरावे पर चिट्ठी डालते हैं।
أَمَّا أَنْتَ يَارَبُّ، فَلَا تَبْعُدْ. يَا قُوَّتِي، أَسْرِعْ إِلَى نُصْرَتِي. | ١٩ 19 |
१९परन्तु हे यहोवा तू दूर न रह! हे मेरे सहायक, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
أَنْقِذْ مِنَ ٱلسَّيْفِ نَفْسِي. مِنْ يَدِ ٱلْكَلْبِ وَحِيدَتِي. | ٢٠ 20 |
२०मेरे प्राण को तलवार से बचा, मेरे प्राण को कुत्ते के पंजे से बचा ले!
خَلِّصْنِي مِنْ فَمِ ٱلْأَسَدِ، وَمِنْ قُرُونِ بَقَرِ ٱلْوَحْشِ ٱسْتَجِبْ لِي. | ٢١ 21 |
२१मुझे सिंह के मुँह से बचा, जंगली साँड़ के सींगों से तू मुझे बचा।
أُخْبِرْ بِٱسْمِكَ إِخْوَتِي. فِي وَسَطِ ٱلْجَمَاعَةِ أُسَبِّحُكَ. | ٢٢ 22 |
२२मैं अपने भाइयों के सामने तेरे नाम का प्रचार करूँगा; सभा के बीच तेरी प्रशंसा करूँगा।
يَا خَائِفِي ٱلرَّبِّ سَبِّحُوهُ! مَجِّدُوهُ يَا مَعْشَرَ ذُرِّيَّةِ يَعْقُوبَ، وَٱخْشَوْهُ يَا زَرْعَ إِسْرَائِيلَ جَمِيعًا! | ٢٣ 23 |
२३हे यहोवा के डरवैयों, उसकी स्तुति करो! हे याकूब के वंश, तुम सब उसकी महिमा करो! हे इस्राएल के वंश, तुम उसका भय मानो!
لِأَنَّهُ لَمْ يَحْتَقِرْ وَلَمْ يُرْذِلْ مَسْكَنَةَ ٱلْمِسْكِينِ، وَلَمْ يَحْجُبْ وَجْهَهُ عَنْهُ، بَلْ عِنْدَ صُرَاخِهِ إِلَيْهِ ٱسْتَمَعَ. | ٢٤ 24 |
२४क्योंकि उसने दुःखी को तुच्छ नहीं जाना और न उससे घृणा करता है, यहोवा ने उससे अपना मुख नहीं छिपाया; पर जब उसने उसकी दुहाई दी, तब उसकी सुन ली।
مِنْ قِبَلِكَ تَسْبِيحِي فِي ٱلْجَمَاعَةِ ٱلْعَظِيمَةِ. أُوفِي بِنُذُورِي قُدَّامَ خَائِفِيهِ. | ٢٥ 25 |
२५बड़ी सभा में मेरा स्तुति करना तेरी ही ओर से होता है; मैं अपनी मन्नतों को उसके भय रखनेवालों के सामने पूरा करूँगा।
يَأْكُلُ ٱلْوُدَعَاءُ وَيَشْبَعُونَ. يُسَبِّحُ ٱلرَّبَّ طَالِبُوهُ. تَحْيَا قُلُوبُكُمْ إِلَى ٱلْأَبَدِ. | ٢٦ 26 |
२६नम्र लोग भोजन करके तृप्त होंगे; जो यहोवा के खोजी हैं, वे उसकी स्तुति करेंगे। तुम्हारे प्राण सर्वदा जीवित रहें!
تَذْكُرُ وَتَرْجِعُ إِلَى ٱلرَّبِّ كُلُّ أَقَاصِي ٱلْأَرْضِ. وَتَسْجُدُ قُدَّامَكَ كُلُّ قَبَائِلِ ٱلْأُمَمِ. | ٢٧ 27 |
२७पृथ्वी के सब दूर-दूर देशों के लोग उसको स्मरण करेंगे और उसकी ओर फिरेंगे; और जाति-जाति के सब कुल तेरे सामने दण्डवत् करेंगे।
لِأَنَّ لِلرَّبِّ ٱلْمُلْكَ، وَهُوَ ٱلْمُتَسَلِّطُ عَلَى ٱلْأُمَمِ. | ٢٨ 28 |
२८क्योंकि राज्य यहोवा ही का है, और सब जातियों पर वही प्रभुता करता है।
أَكَلَ وَسَجَدَ كُلُّ سَمِينِي ٱلْأَرْضِ. قُدَّامَهُ يَجْثُو كُلُّ مَنْ يَنْحَدِرُ إِلَى ٱلتُّرَابِ وَمَنْ لَمْ يُحْيِ نَفْسَهُ. | ٢٩ 29 |
२९पृथ्वी के सब हष्ट-पुष्ट लोग भोजन करके दण्डवत् करेंगे; वे सब जो मिट्टी में मिल जाते हैं और अपना-अपना प्राण नहीं बचा सकते, वे सब उसी के सामने घुटने टेकेंगे।
ٱلذُّرِّيَّةُ تَتَعَبَّدُ لَهُ. يُخَبَّرُ عَنِ ٱلرَّبِّ ٱلْجِيلُ ٱلْآتِي. | ٣٠ 30 |
३०एक वंश उसकी सेवा करेगा; दूसरी पीढ़ी से प्रभु का वर्णन किया जाएगा।
يَأْتُونَ وَيُخْبِرُونَ بِبِرهِ شَعْبًا سَيُولَدُ بِأَنَّهُ قَدْ فَعَلَ. | ٣١ 31 |
३१वे आएँगे और उसके धार्मिकता के कामों को एक वंश पर जो उत्पन्न होगा यह कहकर प्रगट करेंगे कि उसने ऐसे-ऐसे अद्भुत काम किए।