< اَلْمَزَامِيرُ 19 >
لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ. مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ اَلسَّمَاوَاتُ تُحَدِّثُ بِمَجْدِ ٱللهِ، وَٱلْفَلَكُ يُخْبِرُ بِعَمَلِ يَدَيْهِ. | ١ 1 |
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद का एक स्तोत्र. स्वर्ग परमेश्वर की महिमा को प्रगट करता है; अंतरीक्ष उनकी हस्तकृति का प्रघोषण करता है.
يَوْمٌ إِلَى يَوْمٍ يُذِيعُ كَلَامًا، وَلَيْلٌ إِلَى لَيْلٍ يُبْدِي عِلْمًا. | ٢ 2 |
हर एक दिन आगामी दिन से इस विषय में वार्तालाप करता है; हर एक रात्रि आगामी रात्रि को ज्ञान की शक्ति प्रगट करती है.
لَا قَوْلَ وَلَا كَلَامَ. لَا يُسْمَعُ صَوْتُهُمْ. | ٣ 3 |
इस प्रक्रिया में न तो कोई बोली है, न ही कोई शब्द; यहां तक कि इसमें कोई आवाज़ भी नहीं है.
فِي كُلِّ ٱلْأَرْضِ خَرَجَ مَنْطِقُهُمْ، وَإِلَى أَقْصَى ٱلْمَسْكُونَةِ كَلِمَاتُهُمْ. جَعَلَ لِلشَّمْسِ مَسْكَنًا فِيهَا، | ٤ 4 |
इनका स्वर संपूर्ण पृथ्वी पर गूंजता रहता है, इनका संदेश पृथ्वी के छोर तक जा पहुंचता है. परमेश्वर ने स्वर्ग में सूर्य के लिए एक मंडप तैयार किया है.
وَهِيَ مِثْلُ ٱلْعَرُوسِ ٱلْخَارِجِ مِنْ حَجَلَتِهِ. يَبْتَهِجُ مِثْلَ ٱلْجَبَّارِ لِلسِّبَاقِ فِي ٱلطَّرِيقِ. | ٥ 5 |
और सूर्य एक वर के समान है, जो अपने मंडप से बाहर आ रहा है, एक बड़े शूरवीर के समान, जिसके लिए दौड़ एक आनन्दप्रदायी कृत्य है.
مِنْ أَقْصَى ٱلسَّمَاوَاتِ خُرُوجُهَا، وَمَدَارُهَا إِلَى أَقَاصِيهَا، وَلَا شَيْءَ يَخْتَفِي مِنْ حَرِّهَا. | ٦ 6 |
वह आकाश के एक सिरे से उदय होता है, तथा दूसरे सिरे तक चक्कर मारता है; उसके ताप से कुछ भी छुपा नहीं रहता.
نَامُوسُ ٱلرَّبِّ كَامِلٌ يَرُدُّ ٱلنَّفْسَ. شَهَادَاتُ ٱلرَّبِّ صَادِقَةٌ تُصَيِّرُ ٱلْجَاهِلَ حَكِيمًا. | ٧ 7 |
संपूर्ण है याहवेह की व्यवस्था, जो आत्मा की संजीवनी है. विश्वासयोग्य हैं याहवेह के अधिनियम, जो साधारण लोगों को बुद्धिमान बनाते हैं.
وَصَايَا ٱلرَّبِّ مُسْتَقِيمَةٌ تُفَرِّحُ ٱلْقَلْبَ. أَمْرُ ٱلرَّبِّ طَاهِرٌ يُنِيرُ ٱلْعَيْنَيْنِ. | ٨ 8 |
धर्ममय हैं याहवेह के नीति सूत्र, जो हृदय का उल्लास हैं. शुद्ध हैं याहवेह के आदेश, जो आंखों में ज्योति ले आते हैं.
خَوْفُ ٱلرَّبِّ نَقِيٌّ ثَابِتٌ إِلَى ٱلْأَبَدِ. أَحْكَامُ ٱلرَّبِّ حَقٌّ عَادِلَةٌ كُلُّهَا. | ٩ 9 |
निर्मल है याहवेह की श्रद्धा, जो अमर है. सत्य हैं याहवेह के नियम, जो पूर्णतः धर्ममय हैं.
أَشْهَى مِنَ ٱلذَّهَبِ وَٱلْإِبْرِيزِ ٱلْكَثِيرِ، وَأَحْلَى مِنَ ٱلْعَسَلِ وَقَطْرِ ٱلشِّهَادِ. | ١٠ 10 |
वे स्वर्ण से भी अधिक मूल्यवान हैं, हां, उत्तम कुन्दन से भी अधिक, वे मधु से अधिक मधुर हैं, हां, मधुछत्ते से टपकते मधु से भी अधिक मधुर.
أَيْضًا عَبْدُكَ يُحَذَّرُ بِهَا، وَفِي حِفْظِهَا ثَوَابٌ عَظِيمٌ. | ١١ 11 |
इन्हीं के द्वारा आपके सेवक को चेतावनी मिलती हैं; इनके पालन करने से बड़ा प्रतिफल प्राप्त होता है.
اَلسَّهَوَاتُ مَنْ يَشْعُرُ بِهَا؟ مِنَ ٱلْخَطَايَا ٱلْمُسْتَتِرَةِ أَبْرِئْنِي. | ١٢ 12 |
अपनी भूल-चूक का ज्ञान किसे होता है? अज्ञानता में किए गए मेरे पापों को क्षमा कर दीजिए.
أَيْضًا مِنَ ٱلْمُتَكَبِّرِينَ ٱحْفَظْ عَبْدَكَ فَلَا يَتَسَلَّطُوا عَلَيَّ. حِينَئِذٍ أَكُونُ كَامِلًا وَأَتَبَرَّأُ مِنْ ذَنْبٍ عَظِيمٍ. | ١٣ 13 |
अपने सेवक को ढिठाई के पाप करने से रोके रहिए; वे मुझे अधीन करने न पाएं. तब मैं निरपराध बना रहूंगा, मैं बड़े अपराधों का दोषी न रहूंगा.
لِتَكُنْ أَقْوَالُ فَمِي وَفِكْرُ قَلْبِي مَرْضِيَّةً أَمَامَكَ يَارَبُّ، صَخْرَتِي وَوَلِيِّي. | ١٤ 14 |
याहवेह, मेरी चट्टान और मेरे उद्धारक, मेरे मुख का वचन तथा मेरे हृदय का चिंतन आपको स्वीकार्य हो.