< اَلْمَزَامِيرُ 16 >
مُذَهَّبَةٌ لِدَاوُدَ اِحْفَظْنِي يَا ٱللهُ لِأَنِّي عَلَيْكَ تَوَكَّلْتُ. | ١ 1 |
ऐ ख़ुदा मेरी हिफ़ाज़त कर, क्यूँकि मैं तुझ ही में पनाह लेता हूँ।
قُلْتُ لِلرَّبِّ: «أَنْتَ سَيِّدِي. خَيْرِي لَا شَيْءَ غَيْرُكَ». | ٢ 2 |
मैंने ख़ुदावन्द से कहा “तू ही रब है तेरे अलावा मेरी भलाई नहीं।”
ٱلْقِدِّيسُونَ ٱلَّذِينَ فِي ٱلْأَرْضِ وَٱلْأَفَاضِلُ كُلُّ مَسَرَّتِي بِهِمْ. | ٣ 3 |
ज़मीन के पाक लोग वह बरगुज़ीदा हैं, जिनमें मेरी पूरी ख़ुशनूदी है।
تَكْثُرُ أَوْجَاعُهُمُ ٱلَّذِينَ أَسْرَعُوا وَرَاءَ آخَرَ. لَا أَسْكُبُ سَكَائِبَهُمْ مِنْ دَمٍ، وَلَا أَذْكُرُ أَسْمَاءَهُمْ بِشَفَتَيَّ. | ٤ 4 |
गै़र मा'बूदों के पीछे दौड़ने वालों का ग़म बढ़ जाएगा; मैं उनके से खू़न वाले तपावन नहीं तपाऊँगा और अपने होटों से उनके नाम नहीं लूँगा।
ٱلرَّبُّ نَصِيبُ قِسْمَتِي وَكَأْسِي. أَنْتَ قَابِضُ قُرْعَتِي. | ٥ 5 |
ख़ुदावन्द ही मेरी मीरास और मेरे प्याले का हिस्सा है; तू मेरे बख़रे का मुहाफ़िज़ है।
حِبَالٌ وَقَعَتْ لِي فِي ٱلنُّعَمَاءِ، فَٱلْمِيرَاثُ حَسَنٌ عِنْدِي. | ٦ 6 |
जरीब मेरे लिए दिलपसंद जगहों में पड़ी, बल्कि मेरी मीरास खू़ब है।
أُبَارِكُ ٱلرَّبَّ ٱلَّذِي نَصَحَنِي، وَأَيْضًا بِٱللَّيْلِ تُنْذِرُنِي كُلْيَتَايَ. | ٧ 7 |
मैं ख़ुदावन्द की हम्द करूँगा, जिसने, मुझे नसीहत दी है; बल्कि मेरा दिल रात को मेरी तरबियत करता है
جَعَلْتُ ٱلرَّبَّ أَمَامِي فِي كُلِّ حِينٍ، لِأَنَّهُ عَنْ يَمِينِي فَلَا أَتَزَعْزَعُ. | ٨ 8 |
मैंने ख़ुदावन्द को हमेशा अपने सामने रख्खा है; चूँकि वह मेरे दहने हाथ है, इसलिए मुझे जुम्बिश न होगी।
لِذَلِكَ فَرِحَ قَلْبِي، وَٱبْتَهَجَتْ رُوحِي. جَسَدِي أَيْضًا يَسْكُنُ مُطْمَئِنًّا. | ٩ 9 |
इसी वजह से मेरा दिल खु़श और मेरी रूह शादमान है; मेरा जिस्म भी अम्न — ओ — अमान में रहेगा।
لِأَنَّكَ لَنْ تَتْرُكَ نَفْسِي فِي ٱلْهَاوِيَةِ. لَنْ تَدَعَ تَقِيَّكَ يَرَى فَسَادًا. (Sheol ) | ١٠ 10 |
क्यूँकि तू न मेरी जान को पाताल में रहने देगा, न अपने मुक़द्दस को सड़ने देगा। (Sheol )
تُعَرِّفُنِي سَبِيلَ ٱلْحَيَاةِ. أَمَامَكَ شِبَعُ سُرُورٍ. فِي يَمِينِكَ نِعَمٌ إِلَى ٱلْأَبَدِ. | ١١ 11 |
तू मुझे ज़िन्दगी की राह दिखाएगा; तेरे हुज़ूरमें कामिल शादमानी है। तेरे दहने हाथ में हमेशा की खु़शी है।