< اَلْمَزَامِيرُ 110 >
لِدَاوُدَ. مَزْمُورٌ قَالَ ٱلرَّبُّ لِرَبِّي: «ٱجْلِسْ عَنْ يَمِينِي حَتَّى أَضَعَ أَعْدَاءَكَ مَوْطِئًا لِقَدَمَيْكَ». | ١ 1 |
यहोवा ने मेरे ख़ुदावन्द से कहा, “जब तक कि मैं तेरे दुश्मनों को तेरे पाँव की चौकी न कर दूँ।”
يُرْسِلُ ٱلرَّبُّ قَضِيبَ عِزِّكَ مِنْ صِهْيَوْنَ. تَسَلَّطْ فِي وَسَطِ أَعْدَائِكَ. | ٢ 2 |
ख़ुदावन्द तेरे ज़ोर का 'असा सिय्यून से भेजेगा। तू अपने दुश्मनों में हुक्मरानी कर।
شَعْبُكَ مُنْتَدَبٌ فِي يَوْمِ قُوَّتِكَ، فِي زِينَةٍ مُقَدَّسَةٍ مِنْ رَحِمِ ٱلْفَجْرِ، لَكَ طَلُّ حَدَاثَتِكَ. | ٣ 3 |
लश्करकशी के दिन तेरे लोग ख़ुशी से अपने आप को पेश करते हैं; तेरे जवान पाक आराइश में हैं, और सुबह के बत्न से शबनम की तरह।
أَقْسَمَ ٱلرَّبُّ وَلَنْ يَنْدَمَ: «أَنْتَ كَاهِنٌ إِلَى ٱلْأَبَدِ عَلَى رُتْبَةِ مَلْكِي صَادَقَ». | ٤ 4 |
ख़ुदावन्द ने क़सम खाई है और फिरेगा नहीं, “तू मलिक — ए — सिद्क के तौर पर हमेशा तक काहिन है।”
ٱلرَّبُّ عَنْ يَمِينِكَ يُحَطِّمُ فِي يَوْمِ رِجْزِهِ مُلُوكًا. | ٥ 5 |
ख़ुदावन्द तेरे दहने हाथ पर अपने कहर के दिन बादशाहों को छेद डालेगा।
يَدِينُ بَيْنَ ٱلْأُمَمِ. مَلَأَ جُثَثًا أَرْضًا وَاسِعَةً. سَحَقَ رُؤُوسَهَا. | ٦ 6 |
वह क़ौमों में 'अदालत करेगा, वह लाशों के ढेर लगा देगा; और बहुत से मुल्कों में सिरों को कुचलेगा।
مِنَ ٱلنَّهْرِ يَشْرَبُ فِي ٱلطَّرِيقِ، لِذَلِكَ يَرْفَعُ ٱلرَّأْسَ. | ٧ 7 |
वह राह में नदी का पानी पिएगा; इसलिए वह सिर को बुलन्द करेगा।