< اَلْمَزَامِيرُ 109 >
لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ. لِدَاوُدَ. مَزْمُورٌ يَا إِلَهَ تَسْبِيحِي لَا تَسْكُتْ، | ١ 1 |
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना. एक स्तोत्र. परमेश्वर, मेरे स्तुति पात्र, निष्क्रिय और चुप न रहिए.
لِأَنَّهُ قَدِ ٱنْفَتَحَ عَلَيَّ فَمُ ٱلشِّرِّيرِ وَفَمُ ٱلْغِشِّ. تَكَلَّمُوا مَعِي بِلِسَانِ كِذْبٍ، | ٢ 2 |
दुष्ट और झूठे पुरुषों ने मेरी निंदा करना प्रारंभ कर दिया है; वे जो कुछ कहकर मेरी निंदा कर रहे हैं, वह सभी झूठ है.
بِكَلَامِ بُغْضٍ أَحَاطُوا بِي، وَقَاتَلُونِي بِلَا سَبَبٍ. | ٣ 3 |
उन्होंने मुझ पर घिनौने शब्दों की बौछार कर दी; अकारण ही उन्होंने मुझ पर आक्रमण कर दिया है.
بَدَلَ مَحَبَّتِي يُخَاصِمُونَنِي. أَمَّا أَنَا فَصَلَاةٌ. | ٤ 4 |
उन्होंने मेरी मैत्री के बदले मुझ पर आरोप लगाये, किंतु मैं प्रार्थना का आदमी हूं!
وَضَعُوا عَلَيَّ شَرًّا بَدَلَ خَيْرٍ، وَبُغْضًا بَدَلَ حُبِّي. | ٥ 5 |
उन्होंने मेरे हित का प्रतिफल बुराई में दिया है, तथा मेरी मैत्री का प्रतिफल घृणा में.
فَأَقِمْ أَنْتَ عَلَيْهِ شِرِّيرًا، وَلْيَقِفْ شَيْطَانٌ عَنْ يَمِينِهِ. | ٦ 6 |
आप उसका प्रतिरोध करने के लिए किसी दुष्ट पुरुष को ही बसा लीजिए; उसके दायें पक्ष पर कोई विरोधी खड़ा हो जाए.
إِذَا حُوكِمَ فَلْيَخْرُجْ مُذْنِبًا، وَصَلَاتُهُ فَلْتَكُنْ خَطِيَّةً. | ٧ 7 |
जब उस पर न्याय चलाया जाए तब वह दोषी पाया जाए, उसकी प्रार्थनाएं उसके लिए दंड-आज्ञा हो जाएं.
لِتَكُنْ أَيَّامُهُ قَلِيلَةً، وَوَظِيفَتُهُ لِيَأْخُذْهَا آخَرُ. | ٨ 8 |
उसकी आयु कम हो जाए; उसके पद को कोई अन्य हड़प ले.
لِيَكُنْ بَنُوهُ أَيْتَامًا وَٱمْرَأَتُهُ أَرْمَلَةً. | ٩ 9 |
उसकी संतान पितृहीन हो जाए तथा उसकी पत्नी विधवा.
لِيَتِهْ بَنُوهُ تَيَهَانًا وَيَسْتَعْطُوا، وَيَلْتَمِسُوا خُبْزًا مِنْ خِرَبِهِمْ. | ١٠ 10 |
उसकी संतान भटकें और भीख मांगें; वे अपने उजड़े घर से दूर जाकर भोजन के लिए तरस जाएं.
لِيَصْطَدِ ٱلْمُرَابِي كُلَّ مَا لَهُ، وَلْيَنْهَبِ ٱلْغُرَبَاءُ تَعَبَهُ. | ١١ 11 |
महाजन उसका सर्वस्व हड़प लें; उसके परिश्रम की संपूर्ण निधि परदेशी लोग लूट लें.
لَا يَكُنْ لَهُ بَاسِطٌ رَحْمَةً، وَلَا يَكُنْ مُتَرَأِفٌ عَلَى يَتَامَاهُ. | ١٢ 12 |
उसे किसी की भी कृपा प्राप्त न हो और न कोई उसकी पितृहीन संतान पर करुणा प्रदर्शित करे.
لِتَنْقَرِضْ ذُرِّيَّتُهُ. فِي ٱلْجِيلِ ٱلْقَادِمِ لِيُمْحَ ٱسْمُهُمْ. | ١٣ 13 |
उसका वंश ही मिट जाए, आगामी पीढ़ी की सूची से उनका नाम मिट जाए.
لِيُذْكَرْ إِثْمُ آبَائِهِ لَدَى ٱلرَّبِّ، وَلَا تُمْحَ خَطِيَّةُ أُمِّهِ. | ١٤ 14 |
याहवेह के सामने उसके पूर्वजों का अपराध स्मरण दिलाया जाए; उसकी माता का पाप कभी क्षमा न किया जाए.
لِتَكُنْ أَمَامَ ٱلرَّبِّ دَائِمًا، وَلْيَقْرِضْ مِنَ ٱلْأَرْضِ ذِكْرَهُمْ. | ١٥ 15 |
याहवेह के सामने उन सभी के पाप बने रहें, कि वह उन सबका नाम पृथ्वी पर से ही मिटा दें.
مِنْ أَجْلِ أَنَّهُ لَمْ يَذْكُرْ أَنْ يَصْنَعَ رَحْمَةً، بَلْ طَرَدَ إِنْسَانًا مِسْكِينًا وَفَقِيرًا وَٱلْمُنْسَحِقَ ٱلْقَلْبِ لِيُمِيتَهُ. | ١٦ 16 |
करुणाभाव उसके मन में कभी आया ही नहीं, वह खोज कर निर्धनों, दीनों तथा खेदितमनवालों की हत्या करता है.
وَأَحَبَّ ٱللَّعْنَةَ فَأَتَتْهُ، وَلَمْ يُسَرَّ بِٱلْبَرَكَةِ فَتَبَاعَدَتْ عَنْهُ. | ١٧ 17 |
शाप देना उसे अत्यंत प्रिय है, वही शाप उस पर आ पड़े. किसी की हितकामना करने में उसे कोई आनंद प्राप्त नहीं होता— उत्तम यही होगा कि हित उससे ही दूर-दूर बना रहे.
وَلَبِسَ ٱللَّعْنَةَ مِثْلَ ثَوْبِهِ، فَدَخَلَتْ كَمِيَاهٍ فِي حَشَاهُ وَكَزَيْتٍ فِي عِظَامِهِ. | ١٨ 18 |
उसके लिए वस्त्र धारण करने जैसे ही हो गया शाप देना; जैसा जल शरीर का अंश होता है; वैसे ही हो गया शाप, हां, जैसे तेल हड्डियों का अंश हो जाता है!
لِتَكُنْ لَهُ كَثَوْبٍ يَتَعَطَّفُ بِهِ، وَكَمِنْطَقَةٍ يَتَنَطَّقُ بِهَا دَائِمًا. | ١٩ 19 |
शाप ही उसका वस्त्र बन जाए, कटिबंध समान, जो सदैव समेटे रहता है.
هَذِهِ أُجْرَةُ مُبْغِضِيَّ مِنْ عِنْدِ ٱلرَّبِّ، وَأُجْرَةُ ٱلْمُتَكَلِّمِينَ شَرًّا عَلَى نَفْسِي. | ٢٠ 20 |
याहवेह की ओर से मेरे विरोधियों के लिए यही प्रतिफल हो, उनके लिए, जो मेरी निंदा करते रहते हैं.
أَمَّا أَنْتَ يَارَبُّ ٱلسَّيِّدُ فَٱصْنَعْ مَعِي مِنْ أَجْلِ ٱسْمِكَ. لِأَنَّ رَحْمَتَكَ طَيِّبَةٌ نَجِّنِي. | ٢١ 21 |
किंतु आप, सर्वसत्ताधारी याहवेह, अपनी महिमा के अनुरूप मुझ पर कृपा कीजिए; अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरा उद्धार कीजिए.
فَإِنِّي فَقِيرٌ وَمِسْكِينٌ أَنَا، وَقَلْبِي مَجْرُوحٌ فِي دَاخِلِي. | ٢٢ 22 |
मैं दीन और दरिद्र हूं, और मेरा हृदय घायल है.
كَظِلٍّ عِنْدَ مَيْلِهِ ذَهَبْتُ. ٱنْتَفَضْتُ كَجَرَادَةٍ. | ٢٣ 23 |
संध्याकालीन छाया-समान मेरा अस्तित्व समाप्ति पर है; मुझे ऐसे झाड़ दिया जाता है मानो मैं अरबेह टिड्डी हूं.
رُكْبَتَايَ ٱرْتَعَشَتَا مِنَ ٱلصَّوْمِ، وَلَحْمِي هُزِلَ عَنْ سِمَنٍ. | ٢٤ 24 |
उपवास के कारण मेरे घुटने दुर्बल हो चुके हैं; मेरा शरीर क्षीण और कमजोर हो गया है.
وَأَنَا صِرْتُ عَارًا عِنْدَهُمْ. يَنْظُرُونَ إِلَيَّ وَيُنْغِضُونَ رُؤُوسَهُمْ | ٢٥ 25 |
मेरे विरोधियों के लिए मैं घृणास्पद हो चुका हूं; मुझे देखते ही वे सिर हिलाने लगते हैं.
أَعِنِّي يَارَبُّ إِلَهِي. خَلِّصْنِي حَسَبَ رَحْمَتِكَ. | ٢٦ 26 |
याहवेह मेरे परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए; अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरा उद्धार कीजिए.
وَلْيَعْلَمُوا أَنَّ هَذِهِ هِيَ يَدُكَ. أَنْتَ يَارَبُّ فَعَلْتَ هَذَا. | ٢٧ 27 |
उनको यह स्पष्ट हो जाए कि, वह आपके बाहुबल के कारण ही हो रहा है, यह कि याहवेह, यह सब आपने ही किया है.
أَمَّا هُمْ فَيَلْعَنُونَ، وَأَمَّا أَنْتَ فَتُبَارِكُ. قَامُوا وَخَزُوا، أَمَّا عَبْدُكَ فَيَفْرَحُ. | ٢٨ 28 |
वे शाप देते रहें, किंतु आप आशीर्वचन ही कहें; तब जब वे, आक्रमण करेंगे, उन्हें लज्जित होना पड़ेगा, यह आपके सेवक के लिए आनंद का विषय होगा.
لِيَلْبِسْ خُصَمَائِي خَجَلًا، وَلْيَتَعَطَّفُوا بِخِزْيِهِمْ كَٱلرِّدَاءِ. | ٢٩ 29 |
मेरे विरोधियों को अनादर के वस्त्रों के समान धारण करनी होगी, वे अपनी ही लज्जा को कंबल जैसे लपेट लेंगे.
أَحْمَدُ ٱلرَّبَّ جِدًّا بِفَمِي، وَفِي وَسَطِ كَثِيرِينَ أُسَبِّحُهُ. | ٣٠ 30 |
मेरे मुख की वाणी याहवेह के सम्मान में उच्चतम धन्यवाद होगी; विशाल जनसमूह के सामने मैं उनका स्तवन करूंगा,
لِأَنَّهُ يَقُومُ عَنْ يَمِينِ ٱلْمَسْكِينِ، لِيُخَلِّصَهُ مِنَ ٱلْقَاضِينَ عَلَى نَفْسِهِ. | ٣١ 31 |
क्योंकि याहवेह दुःखितों के निकट दायें पक्ष पर आ खड़े रहते हैं, कि वह उनके जीवन को उन सबसे सुरक्षा प्रदान करें, जिन्होंने उसके लिए मृत्यु दंड निर्धारित किया था.