< أَمْثَالٌ 21 >
قَلْبُ ٱلْمَلِكِ فِي يَدِ ٱلرَّبِّ كَجَدَاوِلِ مِيَاهٍ، حَيْثُمَا شَاءَ يُمِيلُهُ. | ١ 1 |
बादशाह क़ा दिल ख़ुदावन्द के हाथ में है वह उसको पानी के नालों की तरह जिधर चाहता है फेरता है।
كُلُّ طُرُقِ ٱلْإِنْسَانِ مُسْتَقِيمَةٌ فِي عَيْنَيْهِ، وَٱلرَّبُّ وَازِنُ ٱلْقُلُوبِ. | ٢ 2 |
इंसान का हर एक चाल चलन उसकी नज़र में रास्त है, लेकिन ख़ुदावन्द दिलों को जाँचता है।
فِعْلُ ٱلْعَدْلِ وَٱلْحَقِّ أَفْضَلُ عِنْدَ ٱلرَّبِّ مِنَ ٱلذَّبِيحَةِ. | ٣ 3 |
सदाक़त और 'अद्ल, ख़ुदावन्द के नज़दीक कु़र्बानी से ज़्यादा पसन्दीदा हैं।
طُمُوحُ ٱلْعَيْنَيْنِ وَٱنْتِفَاخُ ٱلْقَلْبِ، نُورُ ٱلْأَشْرَارِ خَطِيَّةٌ. | ٤ 4 |
बलन्द नज़री और दिल का तकब्बुर, है। और शरीरों की इक़बालमंदी गुनाह है।
أَفْكَارُ ٱلْمُجْتَهِدِ إِنَّمَا هِيَ لِلْخِصْبِ، وَكُلُّ عَجُولٍ إِنَّمَا هُوَ لِلْعَوَزِ. | ٥ 5 |
मेहनती की तदबीरें यक़ीनन फ़िरावानी की वजह हैं, लेकिन हर एक जल्दबाज़ का अंजाम मोहताजी है।
جَمْعُ ٱلْكُنُوزِ بِلِسَانٍ كَاذِبٍ، هُوَ بُخَارٌ مَطْرُودٌ لِطَالِبِي ٱلْمَوْتِ. | ٦ 6 |
दरोग़गोई से ख़ज़ाने हासिल करना, बेठिकाना बुख़ारात और उनके तालिब मौत के तालिब हैं।
اِغْتِصَابُ ٱلْأَشْرَارِ يَجْرُفُهُمْ، لِأَنَّهُمْ أَبَوْا إِجْرَاءَ ٱلْعَدْلِ. | ٧ 7 |
शरीरों का जु़ल्म उनको उड़ा ले जाएगा, क्यूँकि उन्होंने इन्साफ़ करने से इंकार किया है।
طَرِيقُ رَجُلٍ مَوْزُورٍ هِيَ مُلْتَوِيَةٌ، أَمَّا ٱلزَّكِيُّ فَعَمَلُهُ مُسْتَقِيمٌ. | ٨ 8 |
गुनाह आलूदा आदमी की राह बहुत टेढ़ी है, लेकिन जो पाक है उसका काम ठीक है।
اَلسُّكْنَى فِي زَاوِيَةِ ٱلسَّطْحِ، خَيْرٌ مِنِ ٱمْرَأَةٍ مُخَاصِمَةٍ وَبَيْتٍ مُشْتَرِكٍ. | ٩ 9 |
घर की छत पर एक कोने में रहना, झगड़ालू बीवी के साथ बड़े घर में रहने से बेहतर है।
نَفْسُ ٱلشِّرِّيرِ تَشْتَهِي ٱلشَّرَّ. قَرِيبُهُ لَا يَجِدُ نِعْمَةً فِي عَيْنَيْهِ. | ١٠ 10 |
शरीर की जान बुराई की मुश्ताक़ है, उसका पड़ोसी उसकी निगाह में मक़्बूल नहीं होता
بِمُعَاقَبَةِ ٱلْمُسْتَهْزِئِ يَصِيرُ ٱلْأَحْمَقُ حَكِيمًا، وَٱلْحَكِيمُ بِٱلْإِرْشَادِ يَقْبَلُ مَعْرِفَةً. | ١١ 11 |
जब ठठ्ठा करने वाले को सज़ा दी जाती है, तो सादा दिल हिकमत हासिल करता है, और जब 'अक़्लमंद तरबियत पाता है, तो 'इल्म हासिल करता है।
اَلْبَارُّ يَتَأَمَّلُ بَيْتَ ٱلشِّرِّيرِ وَيَقْلِبُ ٱلْأَشْرَارَ فِي ٱلشَّرِّ. | ١٢ 12 |
सादिक़ शरीर के घर पर ग़ौर करता है; शरीर कैसे गिर कर बर्बाद हो गए हैं।
مَنْ يَسُدُّ أُذُنَيْهِ عَنْ صُرَاخِ ٱلْمِسْكِينِ، فَهُوَ أَيْضًا يَصْرُخُ وَلَا يُسْتَجَابُ. | ١٣ 13 |
जो ग़रीब की आह सुन कर अपने कान बंद कर लेता है, वह आप भी आह करेगा और कोई न सुनेगा।
اَلْهَدِيَّةُ فِي ٱلْخَفَاءِ تَفْثَأُ ٱلْغَضَبَ، وَٱلرَّشْوَةُ فِي ٱلْحِضْنِ تَفْثَأُ ٱلسَّخَطَ ٱلشَّدِيدَ. | ١٤ 14 |
पोशीदगी में हदिया देना क़हर को ठंडा करता है, और इना'म बग़ल में दे देना ग़ज़ब — ए — शदीद को।
إِجْرَاءُ ٱلْحَقِّ فَرَحٌ لِلصِّدِّيقِ، وَٱلْهَلَاكُ لِفَاعِلِي ٱلْإِثْمِ. | ١٥ 15 |
इन्साफ़ करने में सादिक़ की शादमानी है, लेकिन बदकिरदारों की हलाकत।
اَلرَّجُلُ ٱلضَّالُّ عَنْ طَرِيقِ ٱلْمَعْرِفَةِ يَسْكُنُ بَيْنَ جَمَاعَةِ ٱلْأَخِيلَةِ. | ١٦ 16 |
जो समझ की राह से भटकता है, मुर्दों के ग़ोल में पड़ा रहेगा।
مُحِبُّ ٱلْفَرَحِ إِنْسَانٌ مُعْوِزٌ. مُحِبُّ ٱلْخَمْرِ وَٱلدُّهْنِ لَا يَسْتَغْنِي. | ١٧ 17 |
'अय्याश कंगाल रहेगा; जो मय और तेल का मुश्ताक है मालदार न होगा।
اَلشِّرِّيرُ فِدْيَةُ ٱلصِّدِّيقِ، وَمَكَانَ ٱلْمُسْتَقِيمِينَ ٱلْغَادِرُ. | ١٨ 18 |
शरीर सादिक़ का फ़िदिया होगा, और दग़ाबाज़ रास्तबाज़ों के बदले में दिया जाएगा।
اَلسُّكْنَى فِي أَرْضٍ بَرِّيَّةٍ خَيْرٌ مِنِ ٱمْرَأَةٍ مُخَاصِمَةٍ حَرِدَةٍ. | ١٩ 19 |
वीराने में रहना, झगड़ालू और चिड़चिड़ी बीवी के साथ रहने से बेहतर है।
كَنْزٌ مُشْتَهًى وَزَيْتٌ فِي بَيْتِ ٱلْحَكِيمِ، أَمَّا ٱلرَّجُلُ ٱلْجَاهِلُ فَيُتْلِفُهُ. | ٢٠ 20 |
क़ीमती ख़ज़ाना और तेल 'अक़्लमन्दों के घर में हैं, लेकिन बेवक़ूफ़ उनको उड़ा देता है।
اَلتَّابِعُ ٱلْعَدْلَ وَٱلرَّحْمَةَ يَجِدُ حَيَاةً، حَظًّا وَكَرَامَةً. | ٢١ 21 |
जो सदाक़त और शफ़क़त की पैरवी करता है, ज़िन्दगी और सदाक़त — ओ — 'इज़्ज़त पाता है।
اَلْحَكِيمُ يَتَسَوَّرُ مَدِينَةَ ٱلْجَبَابِرَةِ، وَيُسْقِطُ قُوَّةَ مُعْتَمَدِهَا. | ٢٢ 22 |
'अक़्लमन्द आदमी ज़बरदस्तों के शहर पर चढ़ जाता है, और जिस कु़व्वत पर उनका भरोसा है, उसे गिरा देता है।
مَنْ يَحْفَظُ فَمَهُ وَلِسَانَهُ، يَحْفَظُ مِنَ ٱلضِّيقَاتِ نَفْسَهُ. | ٢٣ 23 |
जो अपने मुँह और अपनी ज़बान की निगहबानी करता है, अपनी जान को मुसीबतों से महफ़ूज़ रखता है।
اَلْمُنْتَفِخُ ٱلْمُتَكَبِّرُ ٱسْمُهُ «مُسْتَهْزِئٌ»، عَامِلٌ بِفَيَضَانِ ٱلْكِبْرِيَاءِ. | ٢٤ 24 |
मुतकब्बिर — ओ — मग़रूर शख़्स जो बहुत तकब्बुर से काम करता है।
شَهْوَةُ ٱلْكَسْلَانِ تَقْتُلُهُ، لِأَنَّ يَدَيْهِ تَأْبَيَانِ ٱلشُّغْلَ. | ٢٥ 25 |
काहिल की तमन्ना उसे मार डालती है, क्यूँकि उसके हाथ मेहनत से इंकार करते हैं।
اَلْيَوْمَ كُلَّهُ يَشْتَهِي شَهْوَةً، أَمَّا ٱلصِّدِّيقُ فَيُعْطِي وَلَا يُمْسِكُ. | ٢٦ 26 |
वह दिन भर तमन्ना में रहता है, लेकिन सादिक़ देता है और दरेग़ नहीं करता।
ذَبِيحَةُ ٱلشِّرِّيرِ مَكْرَهَةٌ، فَكَمْ بِٱلْحَرِيِّ حِينَ يُقَدِّمُهَا بِغِشٍّ! | ٢٧ 27 |
शरीर की कु़र्बानी क़ाबिले नफ़रत है, ख़ासकर जब वह बुरी नियत से लाता है।
شَاهِدُ ٱلزُّورِ يَهْلِكُ، وَٱلرَّجُلُ ٱلسَّامِعُ لِلْحَقِّ يَتَكَلَّمُ. | ٢٨ 28 |
झूटा गवाह हलाक होगा, लेकिन जिस शख़्स ने बात सुनी है, वह ख़ामोश न रहेगा।
اَلشِّرِّيرُ يُوقِحُ وَجْهَهُ، أَمَّا ٱلْمُسْتَقِيمُ فَيُثَبِّتُ طُرُقَهُ. | ٢٩ 29 |
शरीर अपने चहरे को सख़्त करता है, लेकिन सादिक़ अपनी राह पर ग़ौर करता है।
لَيْسَ حِكْمَةٌ وَلَا فِطْنَةٌ وَلَا مَشُورَةٌ تُجَاهَ ٱلرَّبِّ. | ٣٠ 30 |
कोई हिकमत, कोई समझ और कोई मश्वरत नहीं, जो ख़ुदावन्द के सामने ठहर सके।
اَلْفَرَسُ مُعَدٌّ لِيَوْمِ ٱلْحَرْبِ، أَمَّا ٱلنُّصْرَةُ فَمِنَ ٱلرَّبِّ. | ٣١ 31 |
जंग के दिन के लिए घोड़ा तो तैयार किया जाता है, लेकिन फ़तहयाबी ख़ुदावन्द की तरफ़ से है।