< اَلْعَدَد 33 >
هَذِهِ رِحْلَاتُ بَنِي إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ خَرَجُوا مِنْ أَرْضِ مِصْرَ بِجُنُودِهِمْ عَنْ يَدِ مُوسَى وَهَارُونَ. | ١ 1 |
जब बनी — इस्राईल मूसा और हारून के मातहत दल बाँधे हुए मुल्क — ए — मिस्र से निकल कर चले तो जैल की मंज़िलों पर उन्होंने क़याम किया।
وَكَتَبَ مُوسَى مَخَارِجَهُمْ بِرِحْلَاتِهِمْ حَسَبَ قَوْلِ ٱلرَّبِّ. وَهَذِهِ رِحْلَاتُهُمْ بِمَخَارِجِهِمْ: | ٢ 2 |
और मूसा ने उनके सफ़र का हाल उनकी मंज़िलों के मुताबिक़ ख़ुदावन्द के हुक्म से लिखा किया; इसलिए उनके सफ़र की मंज़िलें यह हैं।
اِرْتَحَلُوا مِنْ رَعَمْسِيسَ فِي ٱلشَّهْرِ ٱلْأَوَّلِ، فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْخَامِسَ عَشَرَ مِنَ ٱلشَّهْرِ ٱلْأَوَّلِ، فِي غَدِ ٱلْفِصْحِ. خَرَجَ بَنُو إِسْرَائِيلَ بِيَدٍ رَفِيعَةٍ أَمَامَ أَعْيُنِ جَمِيعِ ٱلْمِصْرِيِّينَ، | ٣ 3 |
पहले महीने की पंद्रहवी तारीख़ की उन्होंने रा'मसीस से रवानगी की। फ़सह के दूसरे दिन सब बनी — इस्राईल के लोग सब मिस्रियों की आँखों के सामने बड़े फ़ख़्र से रवाना हुए।
إِذْ كَانَ ٱلْمِصْرِيُّونَ يَدْفِنُونَ ٱلَّذِينَ ضَرَبَ مِنْهُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ كُلِّ بِكْرٍ، وَٱلرَّبُّ قَدْ صَنَعَ بِآلِهَتِهِمْ أَحْكَامًا. | ٤ 4 |
उस वक़्त मिस्री अपने पहलौठों को, जिनको ख़ुदावन्द ने मारा था दफ़न कर रहे थे। ख़ुदावन्द ने उनके मा'बूदों को भी सज़ा दी थी।
فَٱرْتَحَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ مِنْ رَعَمْسِيسَ وَنَزَلُوا فِي سُكُّوتَ. | ٥ 5 |
इसलिए बनी — इस्राईल ने रा'मसीस से रवाना होकर सुक्कात में ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ سُكُّوتَ وَنَزَلُوا فِي إِيثَامَ ٱلَّتِي فِي طَرَفِ ٱلْبَرِّيَّةِ. | ٦ 6 |
और सुक्कात से रवाना होकर एताम में, जो वीरान से मिला हुआ है मुक़ीम हुए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ إِيثَامَ وَرَجَعُوا عَلَى فَمِ ٱلْحِيرُوثِ ٱلَّتِي قُبَالَةَ بَعْلَ صَفُونَ وَنَزَلُوا أَمَامَ مَجْدَلٍ. | ٧ 7 |
फिर एताम से रवाना होकर हर हखीरोत को, जो बा'ल सफ़ोन के सामने है मुड़ गए और मिजदाल के सामने ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ أَمَامِ ٱلْحِيرُوثِ وَعَبَرُوا فِي وَسَطِ ٱلْبَحْرِ إِلَى ٱلْبَرِّيَّةِ، وَسَارُوا مَسِيرَةَ ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ فِي بَرِّيَّةِ إِيثَامَ وَنَزَلُوا فِي مَارَّةَ. | ٨ 8 |
फिर उन्होंने फ़ी हख़ीरोत के सामने से कूच किया और समन्दर के बीच से गुज़र कर वीरान में दाख़िल हुए, और दश्त — ए — एताम में तीन दिन की राह चल कर मारा में पड़ाव किया।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ مَارَّةَ وَأَتَوْا إِلَى إِيلِيمَ. وَكَانَ فِي إِيلِيمَ ٱثْنَتَا عَشَرَةَ عَيْنَ مَاءٍ، وَسَبْعُونَ نَخْلَةً. فَنَزَلُوا هُنَاكَ. | ٩ 9 |
और मारा से रवाना होकर एलीम में आए। और एलीम में पानी के बारह चश्मे और खजूर के सत्तर दरख़्त थे, इसलिए उन्होंने यहीं ख़ेमे डाल लिए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ إِيلِيمَ وَنَزَلُوا عَلَى بَحْرِ سُوفَ. | ١٠ 10 |
और एलीम से रवाना होकर उन्होंने बहर — ए — कु़लजु़म के किनारे ख़ेमे खड़े किए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ بَحْرِ سُوفَ وَنَزَلُوا فِي بَرِّيَّةِ سِينٍ. | ١١ 11 |
और बहर — ए — कु़लजु़म से चल कर सीन के जंगल में ख़ेमाज़न हुए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ بَرِّيَّةِ سِينٍ وَنَزَلُوا فِي دُفْقَةَ. | ١٢ 12 |
और सीन के जंगल से रवाना होकर दफ़का में ठहरे।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ دُفْقَةَ وَنَزَلُوا فِي أَلُوشَ. | ١٣ 13 |
और दफ़का से रवाना होकर अलूस में मुक़ीम हुए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ أَلُوشَ وَنَزَلُوا فِي رَفِيدِيمَ، وَلَمْ يَكُنْ هُنَاكَ مَاءٌ لِلشَّعْبِ لِيَشْرَبَ. | ١٤ 14 |
और अलूस से चल कर रफ़ीदीम में ख़ेमे डाले। यहाँ इन लोगों को पीने के लिए पानी न मिला।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ رَفِيدِيمَ وَنَزَلُوا فِي بَرِّيَّةِ سِينَاءَ. | ١٥ 15 |
और रफ़ीदीम से रवाना होकर दश्त — ए — सीना में ठहरे।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ بَرِّيَّةِ سِينَاءَ وَنَزَلُوا فِي قَبَرُوتَ هَتَّأَوَةَ. | ١٦ 16 |
और सीना के जंगल से चल कर क़बरोत हतावा में ख़ेमें खड़े किए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ قَبَرُوتَ هَتَّأَوَةَ وَنَزَلُوا فِي حَضَيْرُوتَ. | ١٧ 17 |
और क़बरोत हतावा से रवाना होकर हसीरात में ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ حَضَيْرُوتَ وَنَزَلُوا فِي رِثْمَةَ. | ١٨ 18 |
और हसीरात से रवाना होकर रितमा में ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ رِثْمَةَ وَنَزَلُوا فِي رِمُّونَ فَارِصَ. | ١٩ 19 |
और रितमा से रवाना होकर रिम्मोन फ़ारस में खेमें खड़े किए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ رِمُّونَ فَارِصَ وَنَزَلُوا فِي لِبْنَةَ. | ٢٠ 20 |
और रिमोन फ़ारस से जो चले तो लिबना में जाकर मुक़ीम हुए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ لِبْنَةَ وَنَزَلُوا فِي رِسَّةَ. | ٢١ 21 |
और लिबना से रवाना होकर रैस्सा में ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ رِسَّةَ وَنَزَلُوا فِي قُهَيْلَاتَةَ. | ٢٢ 22 |
और रैस्सा से चलकर कहीलाता में ख़ेमे खड़े किए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ قُهَيْلَاتَةَ وَنَزَلُوا فِي جَبَلِ شَافَرَ. | ٢٣ 23 |
और कहीलाता से चल कर कोह — ए — साफ़र के पास ख़ेमा किया।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ جَبَلِ شَافَرَ وَنَزَلُوا فِي حَرَادَةَ. | ٢٤ 24 |
कोह — ए — साफ़र से रवाना होकर हरादा में ख़ेमाज़न हुए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ حَرَادَةَ وَنَزَلُوا فِي مَقْهَيْلُوتَ. | ٢٥ 25 |
और हरादा से सफ़र करके मकहीलोत में क़याम किया।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ مَقْهَيْلُوتَ وَنَزَلُوا فِي تَاحَتَ. | ٢٦ 26 |
और मकहीलोत से रवाना होकर तहत में ख़ेमें खड़े किए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ تَاحَتَ وَنَزَلُوا فِي تَارَحَ. | ٢٧ 27 |
तहत से जो चले तो तारह में आकर ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ تَارَحَ وَنَزَلُوا فِي مِثْقَةَ. | ٢٨ 28 |
और तारह से रवाना होकर मितक़ा में क़याम किया।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ مِثْقَةَ وَنَزَلُوا فِي حَشْمُونَةَ. | ٢٩ 29 |
और मितका से रवाना होकर हशमूना में ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ حَشْمُونَةَ وَنَزَلُوا فِي مُسِيرُوتَ. | ٣٠ 30 |
और हशमूना से चल कर मौसीरोत में ख़ेमे खड़े किए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِن مُسِيرُوتَ وَنَزَلُوا فِي بَنِي يَعْقَانَ. | ٣١ 31 |
और मौसीरोत से रवाना होकर बनी या'कान में ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ بَنِي يَعْقَانَ وَنَزَلُوا فِي حُورِ ٱلْجِدْجَادِ. | ٣٢ 32 |
और बनी या'कान से चल कर होर हज्जिदजाद में ख़ेमाज़न हुए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ حُورِ ٱلْجِدْجَادِ وَنَزَلُوا فِي يُطْبَاتَ. | ٣٣ 33 |
और हीर हज्जिदजाद से रवाना होकर यूतबाता में ख़ेमें खड़े किए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ يُطْبَاتَ وَنَزَلُوا فِي عَبْرُونَةَ. | ٣٤ 34 |
और यूतबाता से चल कर 'अबरूना में ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ عَبْرُونَةَ وَنَزَلُوا فِي عِصْيُونَ جَابَرَ. | ٣٥ 35 |
और 'अबरूना से चल कर “अस्यून जाबर में ख़ेमा किया।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ عِصْيُونَ جَابَرَ وَنَزَلُوا فِي بَرِّيّةِ صِينٍ وَهِيَ قَادَشُ. | ٣٦ 36 |
और 'अस्यून जाबर से रवाना होकर सीन के जंगल में, जो क़ादिस है क़याम किया।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ قَادَشَ وَنَزَلُوا فِي جَبَلِ هُورٍ فِي طَرَفِ أَرْضِ أَدُومَ. | ٣٧ 37 |
और क़ादिस से चल कर कोह — ए — होर के पास, जो मुल्क — ए — अदोम की सरहद है ख़ेमाज़न हुए।
فَصَعِدَ هَارُونُ ٱلْكَاهِنُ إِلَى جَبَلِ هُورٍ حَسَبَ قَوْلِ ٱلرَّبِّ، وَمَاتَ هُنَاكَ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلْأَرْبَعِينَ لِخُرُوجِ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، في ٱلشَّهْرِ ٱلخَامِسِ فِي ٱلْأَوَّلِ مِنَ ٱلشَّهْرِ. | ٣٨ 38 |
यहाँ हारून काहिन ख़ुदावन्द के हुक्म के मुताबिक़ कोह — ए — होर पर चढ़ गया और उसने बनी — इस्राईल के मुल्क — ए — मिस्र से निकलने के चालीसवें बरस के पाँचवें महीने की पहली तारीख़ को वहीं वफ़ात पाई।
وَكَانَ هَارُونُ ٱبْنَ مِئَةٍ وثَلَاثٍ وَعِشْرِينَ سَنَةً حِينَ مَاتَ فِي جَبَلِ هُورٍ. | ٣٩ 39 |
और जब हारून ने कोह — ए — होर पर वफ़ात पाई तो वह एक सौ तेईस बरस का था।
وَسَمِعَ ٱلْكَنْعَانِيُّ مَلِكُ عَرَادَ وَهُوَ سَاكِنٌ فِي ٱلْجَنُوبِ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ بِمَجِيءِ بَنِي إِسْرَائِيلَ. | ٤٠ 40 |
और 'अराद के कना'नी बादशाह को, जो मुल्क — ए — कना'न के दख्खिन में रहता था, बनी इस्राईल की आमद की ख़बर मिली।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ جَبَلِ هُورٍ وَنَزَلُوا فِي صَلْمُونَةَ. | ٤١ 41 |
और इस्राईली कोह — ए — होर से रवाना होकर ज़लमूना में ठहरे।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ صَلْمُونَةَ وَنَزَلُوا فِي فُونُونَ. | ٤٢ 42 |
और ज़लमूना से रवाना होकर फूनोन में ख़ेमे डाले।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ فُونُونَ وَنَزَلُوا فِي أُوبُوتَ. | ٤٣ 43 |
और फूनोन से रवाना होकर ओबूत में क़याम किया।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ أُوبُوتَ وَنَزَلُوا فِي عَيِّي عَبَارِيمَ فِي تُخْمِ مُوآبَ. | ٤٤ 44 |
और ओबूत से रवाना होकर 'अय्यी अबारीम में जो मुल्क — ए — मोआब की सरहद पर है ख़ेमे डाले,
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ عَيِّيمَ وَنَزَلُوا فِي دِيبُونَ جَادَ. | ٤٥ 45 |
और 'अय्यीम से रवाना होकर दीबोन जद्द में ख़ेमाज़न हुए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ دِيبُونَ جَادَ وَنَزَلُوا فِي عَلْمُونَ دِبْلَاتَايِمَ. | ٤٦ 46 |
और दीबोन जद्द से रवाना होकर 'अलमून दबलातायम में ख़मे खड़े किए।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ عَلْمُونَ دِبْلَاتَايِمَ وَنَزَلُوا فِي جِبَالِ عَبَارِيمَ أَمَامَ نَبُو. | ٤٧ 47 |
और 'अलमून दबलातायम से रवाना होकर 'अबारीम के कोहिस्तान में, जो नबी के सामने है ख़ेमा किया।
ثُمَّ ٱرْتَحَلُوا مِنْ جِبَالِ عَبَارِيمَ وَنَزَلُوا فِي عَرَبَاتِ مُوآبَ عَلَى أُرْدُنِّ أَرِيحَا. | ٤٨ 48 |
और 'अबारीम के कोहिस्तान से चल कर मोआब के मैदानों में, जो यरीहू के सामने यरदन के किनारे वाके' है ख़ेमाज़न हुए।
نَزَلُوا عَلَى ٱلْأُرْدُنِّ مِنْ بَيْتِ يَشِيمُوتَ إِلَى آبَلِ شِطِّيمَ فِي عَرَبَاتِ مُوآبَ. | ٤٩ 49 |
और यरदन के किनारे बैत यसीमोत से लेकर अबील सतीम तक मोआब के मैदानों में उन्होंने ख़ेमे डाले।
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى فِي عَرَبَاتِ مُوآبَ عَلَى أُرْدُنِّ أَرِيحَا قَائِلًا: | ٥٠ 50 |
और ख़ुदावन्द ने मोआब के मैदानों में, जो यरीहू के सामने यरदन के किनारे वाके' है, मूसा से कहा कि,
«كَلِّمْ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: إِنَّكُمْ عَابِرُونَ ٱلْأُرْدُنَّ إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ، | ٥١ 51 |
“बनी — इस्राईल से यह कह दे कि जब तुम यरदन को उबूर करके मुल्क — ए — कना'न में दाख़िल हो,
فَتَطْرُدُونَ كُلَّ سُكَّانِ ٱلْأَرْضِ مِنْ أَمَامِكُمْ، وَتَمْحُونَ جَمِيعَ تَصَاوِيرِهِمْ، وَتُبِيدُونَ كُلَّ أَصْنَامِهِمِ ٱلْمَسْبُوكَةِ وَتُخْرِبُونَ جَمِيعَ مُرْتَفَعَاتِهِمْ. | ٥٢ 52 |
तो तुम उस मुल्क के सारे बाशिन्दों को वहाँ से निकाल देना, और उनके शबीहदार पत्थरों को और उनके ढाले हुए बुतों को तोड़ डालना, और उनके सब ऊँचे मक़ामों को तबाह कर देना।
تَمْلِكُونَ ٱلْأَرْضَ وَتَسْكُنُونَ فِيهَا لِأَنِّي قَدْ أَعْطَيْتُكُمُ ٱلْأَرْضَ لِكَيْ تَمْلِكُوهَا، | ٥٣ 53 |
और तुम उस मुल्क पर क़ब्ज़ा करके उसमें बसना, क्यूँकि मैंने वह मुल्क तुम को दिया है कि तुम उसके मालिक बनो।
وَتَقْتَسِمُونَ ٱلْأَرْضَ بِٱلْقُرْعَةِ حَسَبَ عَشَائِرِكُمْ. اَلْكَثِيرُ تُكَثِّرُونَ لَهُ نَصِيبَهُ وَٱلْقَلِيلُ تُقَلِّلُونَ لَهُ نَصِيبَهُ. حَيْثُ خَرَجَتْ لَهُ ٱلْقُرْعَةُ فَهُنَاكَ يَكُونُ لَهُ. حَسَبَ أَسْبَاطِ آبَائِكُمْ تَقْتَسِمُونَ. | ٥٤ 54 |
और तुम पर्ची डाल कर उस मुल्क को अपने घरानों में मीरास के तौर पर बाँट लेना। जिस ख़ान्दान में ज़्यादा आदमी हों उसको ज़्यादा, और जिसमें थोड़े हों उसको थोड़ी मीरास देना; और जिस आदमी का पर्चा जिस जगह के लिए निकले वही उसके हिस्से में मिले। तुम अपने आबाई क़बाइल के मुताबिक़ अपनी अपनी मीरास लेना।
وَإِنْ لَمْ تَطْرُدُوا سُكَّانَ ٱلْأَرْضِ مِنْ أَمَامِكُمْ يَكُونُ ٱلَّذِينَ تَسْتَبْقُونَ مِنْهُمْ أَشْوَاكًا فِي أَعْيُنِكُمْ، وَمَنَاخِسَ فِي جَوَانِبِكُمْ، وَيُضَايِقُونَكُمْ عَلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنْتُمْ سَاكِنُونَ فِيهَا. | ٥٥ 55 |
लेकिन अगर तुम उस मुल्क के बाशिन्दों को अपने आगे से दूर न करो, तो जिनको तुम बाक़ी रहने दोगे वह तुम्हारी आँखों में ख़ार और तुम्हारे पहलुओं में काँटे होंगे, और उस मुल्क में जहाँ तुम बसोगे तुम को दिक़ करेंगे।
فَيَكُونُ أَنِّي أَفْعَلُ بِكُمْ كَمَا هَمَمْتُ أَنْ أَفْعَلَ بِهِمْ». | ٥٦ 56 |
और आख़िर को यूँ होगा कि जैसा मैंने उनके साथ करने का इरादा किया वैसा ही तुम से करूँगा।”